22-11-2023, 09:17 AM
वो दिन
"भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,... नौ महीना बाद ,... अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "
उनका बड़बड़ाना जारी था।
" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "
किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।
शादी के बाद नयी नयी दुल्हन के लिए किचेन अपने कमरे के बाद दूसरी सबसे बड़ी छिपने की जगह होती है।
लेकिन जेठानी जी वहां भी पीछा नहीं छोड़ती थीं, मेरे पीछे पीछे किचेन में आके, एकदम मेरे पीछे खड़े होके , ऐसे ऐसे ताने, व्यंग बाण, बाहर तो मेरी सास के सामने एकदम मीठी बनी रहती थीं, और कोई पड़ोसन आ जाए तो और ज्यादा,एकदम मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक, लेकिन अकेले में,...
और कोई एक चीज़ हो तो बताऊँ, मेरी पढाई, रूप जोबन, और सबसे बढ़कर मेरा घर परिवार, मेरा मायका,
एक दिन बगल की एक पड़ोसन आयी थीं, ( बैठने की जगह मेरी तय थी, जेठानी जी ने पहले दिन ही मुझे बता दिया था , सास मेरी पलंग पर और जेठानी वहीँ पायताने या सामने कुर्सी पर, और मेरे लिए एक झीलंगहिया मचिया), पड़ोसन की बहू की कहीं नौकरी लग गयी थी, दूर के एक एक गाँव के कॉलेज में, पड़ोसन उसी का गुणगान कर रही थीं, मेरी बहू बहुत पढ़ी लिखी है, बीएड भी कर लिया है, ... मेरी सास से नहीं रहा गया उन्होंने मुझे उकसाया, बोलीं पड़ोसन से,
" अरे मेरी बहू ने भी बहुत पढ़ाई की है,क्या कहते हैं वो मेडल वोडल भी मिले हैं उसको,... मैं तो भूल भी जाती हूँ, बता दे न बहू ,.. "
मैं समझ गयी सास ने प्वाइंट स्कोर करने के लिए मुझे आगे किया है और मैं क्यों उन्हें हारने देती,...
बस मैंने अपनी सारी डिग्रियां, डिप्लोमा सर्टिफिकेट तक गिना दिये और ये भी की दो उसमें से फॉरेन की युनिवरसिटी के है ( ये नहीं बताया की कोर्स ऑनलाइन वाले थे )
और मेरी सास भी कम नहीं थीं, उन्होंने पहले से एन्टिसिपेट कर लिया था की पड़ोसन का अगला सवाल क्या होगा इसलिए वो जवाब उन्होंने पहले ही दे दिया,
"मैं तो कहतीं हूँ इतनी पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी, तो ये खुद मना कर देती है , बोलती है नहीं माँ जी , बस आप के पास .... क्या करुँगी नौकरी कर के, फिर मेरे छोटे बेटे की नौकरी भी इतनी अच्छी है, बोलती है , वो तो है न नौकरी करने के लिए , मैं क्यों करूँ किसी की गुलामी, टाइम पर आना, टाइम पर जाना,
सास ने एक साथ कई प्वाइंट स्कोर कर लिए थे, मेरी पढाई, मेरा उन का ख्याल करना, सास के बेटे की अच्छी नौकरी,... और पड़ोसन का बेटा कहीं पास में पंसारी की दूकान पे काम करता था,...
लेकिन पड़ोसन भी इतनी जल्दी पारी की हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, एक मिनट के लिए उन्होंने मेरी ओर देखा,... और फिर बोलीं,
" रूप गुन पढाई सब में जबरदस्त बहू लायी हैं,... आप बेटे की नौकरी कहाँ पर है आपकी , प्राइवेट में तो छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है इसलिए मैंने लड़के को कहीं बाहर नहीं जाने दिया , चार पैसा कम मिले तो क्या, आँख के सामने तो है, और इस उमर में दुःख सुख आप बेटे पास में रहें,... "
लेकिन मेरी सास भी, बोलीं
" आप एकदम सही कहती हैं,... लेकिन क्या करें, चिरिया चिनगुन भी बड़े होने पर घोंसले से उड़ जाते हैं , फिर उसकी नौकरी बहुत दूर नहीं है , कार से तीन चार घंटे,... "
जब मैं पानी पढाई के बारे में बता रही थी तो मेरी सास का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था, ... लेकिन उस समय तो मैं भूल गयी थी, बाद में मुझे याद आया, एक पल के लिए कनखियों से मैंने देखा था की मेरी जेठानी का चेहरा एकदम झांवा हो गया था,...
और उस का इनाम मिला तुरंत ही, जेठानी कुछ भी उधार नहीं रखती थीं, ... रोज तो भले किचेन में चार ट्रिप करनी पड़े,... अगर एक बार में ही सब कुछ ले जाने की कोशिश करूँ तो तुरंत ज्ञान मिल जाता था,.... अरे कहीं एकाध प्याला भी टूट गया न , सेट खराब हो जाएगा, तेरी जेठ की मेहनत की कमाई का है, मायके से नहीं लायी हो,... पर आज जब मैं तीसरे ट्रिप में बाकी के समान उठा रही थी और सास उठ के अपने कमरे में जा रही थीं सास की ओर देख के वो बड़े दुलार से बोलीं, चल मैं तेरा हाथ बटा देती हूँ, वरना कहेगी की अपने मायके में तो एक ग्लास पानी हाथ से उठा के नहीं पिया , और यहाँ ससुराल में काम करवा करवाके ,
सिर्फ एक ग्लास उन्होंने उठाया, मेरे पीछे पीछे,... और क्या बादल गरजे बरसे,...
( हाँ मुझे हड़काते समय ये ध्यान वो रखती थीं की किचेन से बाहर आवाज न जाये और एकदम मुझसे सट के ,
मेरी जुबान खुलने का सवाल ही नहीं था, बस मुंह झुकाये बरतन साफ़ कर रही थी.
" इतना बढ़ चढ़ कर चबड चबड जुबान चलाने की क्या जरूरत थी, पूरे मोहल्ले में जा के गायेगी वो, अरे हम भी बियाह के इसी आंगन में आये थे, साल भर तो जो आस पड़ोस छोड़ दो, जो घर में किसी ने आवाज सुनी हो, लेकिन तुम भी न और ऊपर से अंगरेजी भूँक रही थी, ...क्या सोची होगी वो, ... ( गलती मेरी थी, डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफकेट गिनाते गिनाते एक लाइन अंग्रेजी की भी मेरे मुंह से निकल गयी थी ), बहू पढ़ी लिखी है लेकिन ये सास जेठानी नौकरी नहीं करने दे रही हैं,... अरे मैं क्या करूँ, मेरी सास की ही,... "
एक सांस में वो इतना बोल गयीं फिर जैसे ड्रैगन लोग आग फूंकने के बाद रिफिल करते हैं, बस थोड़ा सा पाज और फिर चालू, जहाँ छोड़ा था वहीँ से, ...
" मैंने इतना समझाया था सास को लेकिन वो भी न, मैंने बोला था, अरे हाईकॉलेज, इंटर बहुत है, कौन नौकरी करानी है। अरे औरत क काम क्या है, सादी बियाह हो गया, मरद के पास सोओ, पेट फुलाओ, नौवें महीना,... अरे बंस चलाओ , कुल परंपरा का ख्याल रखो, संस्कार भी कोई चीज है लेकिन नहीं,.... "
फिर हर बार की तरह वो अपना उदाहरण लेकर चालू हो गयीं,...
" अरे हम भी गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर पास है, ब्लाक मेंहदी कम्पटीशन में पार्टीसेप्शन सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन देखा है मुझे कभी उसके बारे में बोलते हुए,... ( बरामदे में एक बड़ा सा गोल्डन फ्रेम में वो पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट सुशोभित था , और पहले ही दिन मुझे दिखाया गया था और ये बात भी सही थी की वो मेंहदी अच्छी लगाती थी), मेरी सहेली जैनब भी, बीए किया बी एड किया और वहीँ अपने गाँव में ही इतनी बढ़िया नौकरी, कॉन्ट्रेट टीचर की, सरकारी नौकरी ,... लेकिन कभी बोलती हूँ मैं , लेकिन तुम भी नहीं, दो अक्षर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, मैं इस घर में पहले आयी हूँ , तुमसे बड़ी हूँ , रहूंगी , ... और इतना रगड़ रगड़ के कप मत धो, खरोंच पद जायेगी, कुछ भी गुनढंग मायके से सीख के नहीं आयी "
और वो दनदनाती हुयी किचेन से बाहर,
मेरा तो मन हुआ झन्नाक से कप वाश बेसिन में पटक कर तोड़ दूँ,... लेकिन,... और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बेडरुम के बाद मुझे किचेन में ही शान्ति मिलती थी पर वहां भी, ...
और इनके साथ भी, ... वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ...
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"भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,... नौ महीना बाद ,... अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "
उनका बड़बड़ाना जारी था।
" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "
किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।
शादी के बाद नयी नयी दुल्हन के लिए किचेन अपने कमरे के बाद दूसरी सबसे बड़ी छिपने की जगह होती है।
लेकिन जेठानी जी वहां भी पीछा नहीं छोड़ती थीं, मेरे पीछे पीछे किचेन में आके, एकदम मेरे पीछे खड़े होके , ऐसे ऐसे ताने, व्यंग बाण, बाहर तो मेरी सास के सामने एकदम मीठी बनी रहती थीं, और कोई पड़ोसन आ जाए तो और ज्यादा,एकदम मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक, लेकिन अकेले में,...
और कोई एक चीज़ हो तो बताऊँ, मेरी पढाई, रूप जोबन, और सबसे बढ़कर मेरा घर परिवार, मेरा मायका,
एक दिन बगल की एक पड़ोसन आयी थीं, ( बैठने की जगह मेरी तय थी, जेठानी जी ने पहले दिन ही मुझे बता दिया था , सास मेरी पलंग पर और जेठानी वहीँ पायताने या सामने कुर्सी पर, और मेरे लिए एक झीलंगहिया मचिया), पड़ोसन की बहू की कहीं नौकरी लग गयी थी, दूर के एक एक गाँव के कॉलेज में, पड़ोसन उसी का गुणगान कर रही थीं, मेरी बहू बहुत पढ़ी लिखी है, बीएड भी कर लिया है, ... मेरी सास से नहीं रहा गया उन्होंने मुझे उकसाया, बोलीं पड़ोसन से,
" अरे मेरी बहू ने भी बहुत पढ़ाई की है,क्या कहते हैं वो मेडल वोडल भी मिले हैं उसको,... मैं तो भूल भी जाती हूँ, बता दे न बहू ,.. "
मैं समझ गयी सास ने प्वाइंट स्कोर करने के लिए मुझे आगे किया है और मैं क्यों उन्हें हारने देती,...
बस मैंने अपनी सारी डिग्रियां, डिप्लोमा सर्टिफिकेट तक गिना दिये और ये भी की दो उसमें से फॉरेन की युनिवरसिटी के है ( ये नहीं बताया की कोर्स ऑनलाइन वाले थे )
और मेरी सास भी कम नहीं थीं, उन्होंने पहले से एन्टिसिपेट कर लिया था की पड़ोसन का अगला सवाल क्या होगा इसलिए वो जवाब उन्होंने पहले ही दे दिया,
"मैं तो कहतीं हूँ इतनी पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी, तो ये खुद मना कर देती है , बोलती है नहीं माँ जी , बस आप के पास .... क्या करुँगी नौकरी कर के, फिर मेरे छोटे बेटे की नौकरी भी इतनी अच्छी है, बोलती है , वो तो है न नौकरी करने के लिए , मैं क्यों करूँ किसी की गुलामी, टाइम पर आना, टाइम पर जाना,
सास ने एक साथ कई प्वाइंट स्कोर कर लिए थे, मेरी पढाई, मेरा उन का ख्याल करना, सास के बेटे की अच्छी नौकरी,... और पड़ोसन का बेटा कहीं पास में पंसारी की दूकान पे काम करता था,...
लेकिन पड़ोसन भी इतनी जल्दी पारी की हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, एक मिनट के लिए उन्होंने मेरी ओर देखा,... और फिर बोलीं,
" रूप गुन पढाई सब में जबरदस्त बहू लायी हैं,... आप बेटे की नौकरी कहाँ पर है आपकी , प्राइवेट में तो छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है इसलिए मैंने लड़के को कहीं बाहर नहीं जाने दिया , चार पैसा कम मिले तो क्या, आँख के सामने तो है, और इस उमर में दुःख सुख आप बेटे पास में रहें,... "
लेकिन मेरी सास भी, बोलीं
" आप एकदम सही कहती हैं,... लेकिन क्या करें, चिरिया चिनगुन भी बड़े होने पर घोंसले से उड़ जाते हैं , फिर उसकी नौकरी बहुत दूर नहीं है , कार से तीन चार घंटे,... "
जब मैं पानी पढाई के बारे में बता रही थी तो मेरी सास का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था, ... लेकिन उस समय तो मैं भूल गयी थी, बाद में मुझे याद आया, एक पल के लिए कनखियों से मैंने देखा था की मेरी जेठानी का चेहरा एकदम झांवा हो गया था,...
और उस का इनाम मिला तुरंत ही, जेठानी कुछ भी उधार नहीं रखती थीं, ... रोज तो भले किचेन में चार ट्रिप करनी पड़े,... अगर एक बार में ही सब कुछ ले जाने की कोशिश करूँ तो तुरंत ज्ञान मिल जाता था,.... अरे कहीं एकाध प्याला भी टूट गया न , सेट खराब हो जाएगा, तेरी जेठ की मेहनत की कमाई का है, मायके से नहीं लायी हो,... पर आज जब मैं तीसरे ट्रिप में बाकी के समान उठा रही थी और सास उठ के अपने कमरे में जा रही थीं सास की ओर देख के वो बड़े दुलार से बोलीं, चल मैं तेरा हाथ बटा देती हूँ, वरना कहेगी की अपने मायके में तो एक ग्लास पानी हाथ से उठा के नहीं पिया , और यहाँ ससुराल में काम करवा करवाके ,
सिर्फ एक ग्लास उन्होंने उठाया, मेरे पीछे पीछे,... और क्या बादल गरजे बरसे,...
( हाँ मुझे हड़काते समय ये ध्यान वो रखती थीं की किचेन से बाहर आवाज न जाये और एकदम मुझसे सट के ,
मेरी जुबान खुलने का सवाल ही नहीं था, बस मुंह झुकाये बरतन साफ़ कर रही थी.
" इतना बढ़ चढ़ कर चबड चबड जुबान चलाने की क्या जरूरत थी, पूरे मोहल्ले में जा के गायेगी वो, अरे हम भी बियाह के इसी आंगन में आये थे, साल भर तो जो आस पड़ोस छोड़ दो, जो घर में किसी ने आवाज सुनी हो, लेकिन तुम भी न और ऊपर से अंगरेजी भूँक रही थी, ...क्या सोची होगी वो, ... ( गलती मेरी थी, डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफकेट गिनाते गिनाते एक लाइन अंग्रेजी की भी मेरे मुंह से निकल गयी थी ), बहू पढ़ी लिखी है लेकिन ये सास जेठानी नौकरी नहीं करने दे रही हैं,... अरे मैं क्या करूँ, मेरी सास की ही,... "
एक सांस में वो इतना बोल गयीं फिर जैसे ड्रैगन लोग आग फूंकने के बाद रिफिल करते हैं, बस थोड़ा सा पाज और फिर चालू, जहाँ छोड़ा था वहीँ से, ...
" मैंने इतना समझाया था सास को लेकिन वो भी न, मैंने बोला था, अरे हाईकॉलेज, इंटर बहुत है, कौन नौकरी करानी है। अरे औरत क काम क्या है, सादी बियाह हो गया, मरद के पास सोओ, पेट फुलाओ, नौवें महीना,... अरे बंस चलाओ , कुल परंपरा का ख्याल रखो, संस्कार भी कोई चीज है लेकिन नहीं,.... "
फिर हर बार की तरह वो अपना उदाहरण लेकर चालू हो गयीं,...
" अरे हम भी गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर पास है, ब्लाक मेंहदी कम्पटीशन में पार्टीसेप्शन सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन देखा है मुझे कभी उसके बारे में बोलते हुए,... ( बरामदे में एक बड़ा सा गोल्डन फ्रेम में वो पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट सुशोभित था , और पहले ही दिन मुझे दिखाया गया था और ये बात भी सही थी की वो मेंहदी अच्छी लगाती थी), मेरी सहेली जैनब भी, बीए किया बी एड किया और वहीँ अपने गाँव में ही इतनी बढ़िया नौकरी, कॉन्ट्रेट टीचर की, सरकारी नौकरी ,... लेकिन कभी बोलती हूँ मैं , लेकिन तुम भी नहीं, दो अक्षर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, मैं इस घर में पहले आयी हूँ , तुमसे बड़ी हूँ , रहूंगी , ... और इतना रगड़ रगड़ के कप मत धो, खरोंच पद जायेगी, कुछ भी गुनढंग मायके से सीख के नहीं आयी "
और वो दनदनाती हुयी किचेन से बाहर,
मेरा तो मन हुआ झन्नाक से कप वाश बेसिन में पटक कर तोड़ दूँ,... लेकिन,... और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बेडरुम के बाद मुझे किचेन में ही शान्ति मिलती थी पर वहां भी, ...
और इनके साथ भी, ... वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ...
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