20-11-2023, 02:17 PM
UPDATE 2
अब आते से असल कहानी मैं।
अनामिका जब कमरे पहुंची तो सामने ८२ साल का बुड्ढा था। वही बुड्ढा मेवा था। मेवा ने जब अनामिका को देखा तो मुस्कुराते हुए बोला "आ गई तुम ? इतने देर बाद ?"
अनामिका अपने ब्लाउज का हुक खोलते हुए bra में बुड्ढे के बगल लेटी। बूढ़े की तरफ करवट बदली और उसे अपने बाहों में भरते हुए बोला "अब आराम से अपना पेट भरो। वैसे भी काफी भूख लगी होगी ना ?"
"हां बहुत भूख लगी है।" मेवा स्तनपान करने लगा।
अनामिका नींद में सो गई और मेवा दूध पीकर सीधा लेट गया। कुछ देर बाद उड़ी तो अनामिका ने साड़ी ठीक किया और मेवा के बगल सो गई। देखते देखते शाम के 5 बजे और अंधेरा होने लगा। ठंडी का मौसम था। चंपा ने दरवाजा खोला और अनामिका को उठाकर बोली "चलिए चाय पी लेते है।"
अनामिका अंगड़ाई लेते हुए बाहर आई और ठंडी का लुफ्त उठाते हुए बाहर गरम चाय के साथ चंपा से बात कर रही थी।
"तो अनामिका तुम खाना अपने घर खाओगी या यहां पर ?"
"अरे हां बातो बातो में भूल गई। आज रात मैं यहां रहूंगी। और कल से २ दिन की छुट्टी है।"
"ठीक है तो फिर आप कहां सोएंगी ?"
"में मेवा के साथ सोनेवाली हूं। रात को दूध भी पी लेगा।"
"काफी थकी हुई लग रही है आप।" चंपा ने कहा।
"हां। चलो चंपा मैं थोड़ी देर मेवा के साथ वक्त बिता लूं। अकेले अंधेरे में लेटे होंगे।"
"ठीक है मैं लालटेन लेकर आती हूं।"
अनामिका साड़ी के पल्लू को अलग किया। ब्लाउस पेटीकोट में वो भरी ठंडी में मेवा के साथ रजाई में घुसी। मेवा को पीछे से जकड़ते हुए अनामिका बोली "उठो भी। बहुत सो लिए। चलो उठो।"
"हम्म्म सोने दो ना। तुम बोल तो ऐसे रही हो जैसे आज रात यहां रूकनेवाली हो।"
"उठो न। दिल्ली में पूरे दो दिन यहां रहनेवाली हूं।"
यह सुनकर मेवा खुश हुआ और तुरंत अनामिका की तरफ पलट गया और बोला "फिर तो अच्छा हुआ। वैसे भी ऊब जाता हूं अकेले रहकर।"
"हां हां। लेकिन सुनो मेवा आज पता नही मुझे सोने का मन कर रहा है।"
"चंपा कहा है। अरे सुन चंपा इधर आ।"
वैसे आपको बता दूं चंपा मेवा की बेटी है। चंपा लालटेन लेकर कमरे में आई और पूछी "क्या हुआ बाबूजी ?"
"चंपा तुम आज जल्दी सो जाओ। अब मैं भी सोनेवाला हूं।"
अनामिका बोली "हां लेकिन पहले दूध पी लो। आओ मेरे पास।"
अनामिका ने मेवा को बाहों में भर लिया और दूध पिलाने लगी। अनामिका की आंखे बंद और चेहरे पे मुस्कान थी। एक बुड्ढे बेसहारा और अपना बहुत कुछ खो देनेवाले बुड्ढे आदमी की सेवा करने में उसे आनंद आ रहा था। फिर आंखे खोलते हुए खुद के सीने से चिपक हुए स्तनपान कर रहे बुड्ढे के सिर पर हाथ से घूमते हुए बोली खुद से बोली " इतनी राहत कभी न मिली मुझे।"
मेवा दूध पीने के बाद बोला "क्या मैं तुम्हारे स्तन के साथ खेलूं ?"
अनामिका बोली "ये कोई पूछनेवाली बात है ? मेरे राजा बच्चे खेलो। लेकिन इससे पहले तुम्हारे पैर दबा दूं।"
अनामिका मेवा का पैर दबाने लगी। उसकी नंगे स्तन को देखते हुए मेवा बोला "इस दूध ने ही मुझे जिंदा रखा है। अनामिका क्या तुम्हे बूरा नहीं लगता कि एक बदसूरत बुड्ढा रोज तुम्हारे स्तन को चूसता है और बजाने बहकाव में आकर तुम्हारे स्तन से खेलता है ?" मेवा ने उदास होकर पूछा।
अनामिका ना मैं सिर हिलाया और पैर दबाने लगी। मेवा ने फिर आगे कहा "जवाब दो ना अनामिका।"
कुछ देर तक चुप रहने के बाद जब अनामिका ने पैर दबाया उसके बाद मेवा के बगल लेटकर कहा "किस बात का मुझे बुरा लगेगा ? मेरा दूध मेरी मर्जी जिसे पिलाऊं। मुझे अच्छा लगता है जब तुम दूध पीते हो और इसके मिठास की तारीफ करते हो और रोज कहते हो अनामिका आज पेट भर गया। फिर रही बात खेलने को मेरे स्तन के साथ तो क्या बुराई है इसमें। तुम्हे इसके साथ खेलता देख तुम्हे क्या पता किस्त अच्छा लगता है।"
"क्या तुम सच बोल रही हों ?"
अनामिका ने मेवा से कहा "मेरे सीने पे हाथ रखो।"
मेवा सीने पे हाथ रखा।
अनामिका पूछी "कुछ महसूस हुआ ?"
"हां।" मेवा ने कहा।
"अब जरा मेरे सीने पे सिर रखकर अंदर को धड़कन को सुनो।"
मेवा ने का चेहरा अनामिका के स्तनों के बीचों बीच पड़ा।
अनामिका पूछी "कैसी आवाज आ रही है ?"
"बहुत मधुर आवाज आ रही है।"
"तो समझा लो मेवा इसका मतलब में तुम्हे अपना दूध पिलाकर और तुम्हारी सेवा करके बहुत खुश हूं।"
मेवा रोने लगा। रोते हुए बोला "तुम महान हो अनामिका।"
अनामिका ने आंसू पोंछे हुए कहा "अब रोना बंद करो वरना चली जाऊंगी।"
"नही नही कहीं मत जाना।" मेवा उठकर बैठ गया।
अनामिका पूछी "एक स्तन का दूध बाकी है। पियोगे ?"
"हां लेकिन एक तुम मुझे अपनी गोदी में सुलोगी और मुझे दूध पीने देगी।"
अनामिका उठकर बैठी और मेवा को गोदी में सुलाकर बोली "पियो मेरे बच्चे जी भरके दूध पियो।"
"लेकिन दूध पीने के बाद आज इसके साथ (स्तन के साथ)खेलूंगा।"
"हां हां खेलना। पर चलो अब जल्दी से मेरे प्यारे बच्चे दूध पियो।"
अब आते से असल कहानी मैं।
अनामिका जब कमरे पहुंची तो सामने ८२ साल का बुड्ढा था। वही बुड्ढा मेवा था। मेवा ने जब अनामिका को देखा तो मुस्कुराते हुए बोला "आ गई तुम ? इतने देर बाद ?"
अनामिका अपने ब्लाउज का हुक खोलते हुए bra में बुड्ढे के बगल लेटी। बूढ़े की तरफ करवट बदली और उसे अपने बाहों में भरते हुए बोला "अब आराम से अपना पेट भरो। वैसे भी काफी भूख लगी होगी ना ?"
"हां बहुत भूख लगी है।" मेवा स्तनपान करने लगा।
अनामिका नींद में सो गई और मेवा दूध पीकर सीधा लेट गया। कुछ देर बाद उड़ी तो अनामिका ने साड़ी ठीक किया और मेवा के बगल सो गई। देखते देखते शाम के 5 बजे और अंधेरा होने लगा। ठंडी का मौसम था। चंपा ने दरवाजा खोला और अनामिका को उठाकर बोली "चलिए चाय पी लेते है।"
अनामिका अंगड़ाई लेते हुए बाहर आई और ठंडी का लुफ्त उठाते हुए बाहर गरम चाय के साथ चंपा से बात कर रही थी।
"तो अनामिका तुम खाना अपने घर खाओगी या यहां पर ?"
"अरे हां बातो बातो में भूल गई। आज रात मैं यहां रहूंगी। और कल से २ दिन की छुट्टी है।"
"ठीक है तो फिर आप कहां सोएंगी ?"
"में मेवा के साथ सोनेवाली हूं। रात को दूध भी पी लेगा।"
"काफी थकी हुई लग रही है आप।" चंपा ने कहा।
"हां। चलो चंपा मैं थोड़ी देर मेवा के साथ वक्त बिता लूं। अकेले अंधेरे में लेटे होंगे।"
"ठीक है मैं लालटेन लेकर आती हूं।"
अनामिका साड़ी के पल्लू को अलग किया। ब्लाउस पेटीकोट में वो भरी ठंडी में मेवा के साथ रजाई में घुसी। मेवा को पीछे से जकड़ते हुए अनामिका बोली "उठो भी। बहुत सो लिए। चलो उठो।"
"हम्म्म सोने दो ना। तुम बोल तो ऐसे रही हो जैसे आज रात यहां रूकनेवाली हो।"
"उठो न। दिल्ली में पूरे दो दिन यहां रहनेवाली हूं।"
यह सुनकर मेवा खुश हुआ और तुरंत अनामिका की तरफ पलट गया और बोला "फिर तो अच्छा हुआ। वैसे भी ऊब जाता हूं अकेले रहकर।"
"हां हां। लेकिन सुनो मेवा आज पता नही मुझे सोने का मन कर रहा है।"
"चंपा कहा है। अरे सुन चंपा इधर आ।"
वैसे आपको बता दूं चंपा मेवा की बेटी है। चंपा लालटेन लेकर कमरे में आई और पूछी "क्या हुआ बाबूजी ?"
"चंपा तुम आज जल्दी सो जाओ। अब मैं भी सोनेवाला हूं।"
अनामिका बोली "हां लेकिन पहले दूध पी लो। आओ मेरे पास।"
अनामिका ने मेवा को बाहों में भर लिया और दूध पिलाने लगी। अनामिका की आंखे बंद और चेहरे पे मुस्कान थी। एक बुड्ढे बेसहारा और अपना बहुत कुछ खो देनेवाले बुड्ढे आदमी की सेवा करने में उसे आनंद आ रहा था। फिर आंखे खोलते हुए खुद के सीने से चिपक हुए स्तनपान कर रहे बुड्ढे के सिर पर हाथ से घूमते हुए बोली खुद से बोली " इतनी राहत कभी न मिली मुझे।"
मेवा दूध पीने के बाद बोला "क्या मैं तुम्हारे स्तन के साथ खेलूं ?"
अनामिका बोली "ये कोई पूछनेवाली बात है ? मेरे राजा बच्चे खेलो। लेकिन इससे पहले तुम्हारे पैर दबा दूं।"
अनामिका मेवा का पैर दबाने लगी। उसकी नंगे स्तन को देखते हुए मेवा बोला "इस दूध ने ही मुझे जिंदा रखा है। अनामिका क्या तुम्हे बूरा नहीं लगता कि एक बदसूरत बुड्ढा रोज तुम्हारे स्तन को चूसता है और बजाने बहकाव में आकर तुम्हारे स्तन से खेलता है ?" मेवा ने उदास होकर पूछा।
अनामिका ना मैं सिर हिलाया और पैर दबाने लगी। मेवा ने फिर आगे कहा "जवाब दो ना अनामिका।"
कुछ देर तक चुप रहने के बाद जब अनामिका ने पैर दबाया उसके बाद मेवा के बगल लेटकर कहा "किस बात का मुझे बुरा लगेगा ? मेरा दूध मेरी मर्जी जिसे पिलाऊं। मुझे अच्छा लगता है जब तुम दूध पीते हो और इसके मिठास की तारीफ करते हो और रोज कहते हो अनामिका आज पेट भर गया। फिर रही बात खेलने को मेरे स्तन के साथ तो क्या बुराई है इसमें। तुम्हे इसके साथ खेलता देख तुम्हे क्या पता किस्त अच्छा लगता है।"
"क्या तुम सच बोल रही हों ?"
अनामिका ने मेवा से कहा "मेरे सीने पे हाथ रखो।"
मेवा सीने पे हाथ रखा।
अनामिका पूछी "कुछ महसूस हुआ ?"
"हां।" मेवा ने कहा।
"अब जरा मेरे सीने पे सिर रखकर अंदर को धड़कन को सुनो।"
मेवा ने का चेहरा अनामिका के स्तनों के बीचों बीच पड़ा।
अनामिका पूछी "कैसी आवाज आ रही है ?"
"बहुत मधुर आवाज आ रही है।"
"तो समझा लो मेवा इसका मतलब में तुम्हे अपना दूध पिलाकर और तुम्हारी सेवा करके बहुत खुश हूं।"
मेवा रोने लगा। रोते हुए बोला "तुम महान हो अनामिका।"
अनामिका ने आंसू पोंछे हुए कहा "अब रोना बंद करो वरना चली जाऊंगी।"
"नही नही कहीं मत जाना।" मेवा उठकर बैठ गया।
अनामिका पूछी "एक स्तन का दूध बाकी है। पियोगे ?"
"हां लेकिन एक तुम मुझे अपनी गोदी में सुलोगी और मुझे दूध पीने देगी।"
अनामिका उठकर बैठी और मेवा को गोदी में सुलाकर बोली "पियो मेरे बच्चे जी भरके दूध पियो।"
"लेकिन दूध पीने के बाद आज इसके साथ (स्तन के साथ)खेलूंगा।"
"हां हां खेलना। पर चलो अब जल्दी से मेरे प्यारे बच्चे दूध पियो।"