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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
रस भंग - मेरी जेठानी


[Image: jethani-512b376c8a90cfbacc1aa76b590e185f.jpg]


तबतक जेठानी जी की आवाज आयी ,मुझे बुलाती।

एक बार ,दो बार ,तीन बार ,..

………………………………………………………………………….



मुझे लगा की कहीं वो ऊपर ही न आ जाएँ सारा माहौल ,

"हे तुम सब जाओ ,ज़रा अपने भैय्या को कस के लूटना मैं ज़रा नीचे जा रही हूँ। "

"एकदम भाभी ,और भैय्या भी कौन सा हम सब को लूटते समय कोई कसर छोड़ेंगे ,लेकिन ज्यादा टाइम नहीं लगेगा ,बस पास में ही एक पिज्जा शाप है। डेढ़ दो घंटे में आप के सैंया आप के पास. "

दिया ने पूरा प्लान बता दिया।
और मैं पकौड़े की खाली प्लेटें ,खाली ग्लास ट्रे में ले के नीचे।





और नीचे जेठानी जी पूरी आग।

सुबह सुबह जो वो चंद्रमुखी लग रही थीं ,इस समय ज्वालामुखी।

चेहरा तनतनाया , भृकुटी तनी, उग्र भंगिमा गुस्से के मारे बोल नहीं फूट रहे थे।

पहले ज़माने में जो लोग शाप वाप देते थे ऐसे ही लगते होंगे।


[Image: jethani-blouse-sony-charishta-in-black-s...8-4085.jpg]



मेरे हाथ में ट्रे ,पकौड़ियों की प्लेटें ,ग्लास।



बोली वो हीं,

' घडी देखा है ?'


अब ये कौन सा सवाल हुआ ,हम दोनों जहां बरामदे में खड़े थे ,वहीँ एक दीवाल पर घडी जी टिक टिक कर रही थीं।

मेरी पतली कलाई में ,मम्मी जो अमेरिका से लायी थीं ,टिफैनी की डायमंड स्टडेड गोल्ड वाच शुशोभित हो रही थी।



मैंने जवाब नहीं दिया। समय मैंने देख लिया था।


ढाई बज रहे थे।

और जिस दिन से शादी के बाद से मैं इस घर में आयी थी ,सूरज पूरब से पश्चिम हो जाए ,जेठानी जी खाना डेढ़ बजे के पहले। और खाना बनाना लगाना उन्हें बुलाना ,सब काम और किसका ,छोटी बहु का।

इस बार एक अच्छे मैनेजर की तरह वो काम मैंने इन्हे डेलीगेट कर दिया था।

पर आज। और मुझे भूख इस लिए नहीं लगी की, टाइम का अंदाज भी नहीं की... उन चुलबुलियों के साथ मैंने ढेर सारी पकौड़ी उदरस्थ कर ली थी।



उनकी निगाह उसी ट्रे पर पड़ी जो कुछ देर पहले पकोड़ियों और कोक से लदी फंदी ऊपर गयी थी और अब एकदम खाली ,नीचे।

और मैं हिचकिचाते हुए जैसे कोई लड़का फिर फेल हो गया हो ,उस तरह ,बहुत धीमे से बोली ,



:वो गुड्डी की सहेलियां , मुझसे मिलने आयी थीं ,बोलीं भाभी बहुत भूख लगी है आप के हाथ की पकौड़ी खाने का मन ,..."



[Image: Teej-JKG-9c1a5c8fdf01f9dbb608929802ef348c.jpg]



और अब वो ज्वालामुखी फूट पड़ा।

" तुम भी न ,... तुम भी ,.... सींग कटा के बछेड़ियों में शामिल होने का शौक चर्राया है। अरे कु,छ दिन में तुम्हारी शादी के दो साल हो जायँगे ,घर गृहसथी की जिम्मेदारी, पुराना ज़माना होता तो नौ महीने में केहाँ केहां , और इन कल की घोड़ियों के साथ खी खी में मगन ,


किसी तरह मैंने अपने मन से कहा शांत गदाधारी भीम शांत , चार साल से ऊपर हो गए थे इन्हे इस घर में आये और केहाँ केहां कौन कहे ,ढंग की उलटी भी नहीं



जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,


तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....



[Image: jethani-vamp-T330-114162-Untitled-14.gif]



दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...

उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।


[Image: Teej-ca5394d0cb5fb5cccc0bcfae6853342a.jpg]


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ANUSHKA IS ASHWIN'S SWEET WIFE - by ashw - 05-04-2019, 06:02 AM
RE: जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी - by komaalrani - 10-11-2023, 06:43 PM



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