12-06-2019, 06:14 PM
ननदें
आज मेरी रगड़ाई कमरे में घुसते ही , कल से भी दस गुना तेजी से। सारी ननदें साथ साथ छोटी बड़ी ,
कच्चे टिकोरे वाली ,
शादी शुदा ,
और सबसे बढ़कर मेरी मंझली ननद , ...
" चूसा चमचम ,... "
मेरी मुस्कराहट मेरी हामी थी ,
और तब तक मेरी किस्मत दुलारी अंदर आ गयी ,
साथ में गुड्डो मेरे लिए नाश्ता लेकर , मूंग का हलवा ,
जलेबी , ब्रेड रोल ,...
और चालू ,
" अरे चूसने में सरम नहीं , घोंटने में सरम नहीं , और नाम लेने में सरम ,... क्या चूसा ,... खुल के बोलो भौजी। "
बगल में उसके मेरी ममेरी नन्द गुड्डी थी ,
वो अकेली ननद थी जो इन्ही के शहर में थी , सारी ननदों में सबसे छोटी ,.. अभी आठवें नौंवे में थी शायद ,
बहुत गोरी खुबसुरत ,
लेकिन चिढ़ती बहुत थी मजाक करने पर , ...
किसी ने शायद उसे ही देख कर दुलारी को टोंक भी दिया , ...
अरे छोटी छोटी बच्चियां है ,...
पर दुलारी ने एक नया मोर्चा खोल दिया
" अरे कउनो छोट नाहीं है , अरे इहै तो मौका है , सीखने समझने का ,... "
और मेरे लिए कटोरी में हलवा निकालने लगी , जैसे ही मैंने मना किया वो एकदम चालू ,
" अरे भउजी , बिना दांत वाले मुंह में तो रात भर गपागप गपागप घोंटा , ...सैंया से अपने मना की थी क्या ,...और नहीं ,... और की भी होगी तो क्या माने होंगे अइसन मस्त माल देखकर ,
तो खाली हम ननदन के आगे नहीं नहीं , घोंटा चुपचाप , .... "
और ढेर सारा हलवा मेरी कटोरी में। "
दुलारी से अब मेरी दोस्ती भी होगयी थी ,
और भले ही अभी मैं उस लेवल पर ससुराल में नहीं उतरती थी लेकिन उसका मजाक अच्छा भी लगता था।
मैंने गुड्डी की ओर एक चम्मच हलवा का बढ़ाया तो उसने ना ना का मुंह बनाया पर चिढ़ाने वाली खाली ननदें थोड़ी थी , मेरी जेठानियाँ भी , ननदों का हाल चाल लेने में और ननद भाभी के रिश्ते में कोई उम्र नहीं देखता ,
बस दो जेठनियों ने गुड्डी रानी को घेर लिया ,
" अरे खा लो , देख रही हो कितना घी पड़ा है , सट्ट से चला जाएगा अंदर ,...
और ऊपर वाले मुंह से खाने में नखड़ा कर रही हो , तो नीचे वाला मुंह ,... "
तो दूसरी बोलीं,
" अरे वहां झांटे वांटे आ गयी हैं की नहीं अभी , इतनी गोरी हो झांटे भी भूरी भूरी होंगी , ... "
पहली ने बोला ,
" अरे समझती क्या हो इसको , चौदह की हो रही है , एकदम चुदवाने के लायक ,.... झांटे तो अभी फ्राक उठा के देख लो , ... क्यों कहीं साफ सूफ तो नहीं कर के रखती , एकदम चिक्कन मुक्कन ,... .
उसके चेहरे से लग रहा था की बेचारी को बुरा बहुत लग रहा था ,
पर ननद के बुरा लगने का अगर भौजाइयां परवाह करने लगें तो हो चूका ,
और मैंने मौका देख के उसके डिम्पल वाले गालों को हलके से दबा दिया , गौरेया की तरह उसने चोंच खोल दिया और चम्मच अंदर ,..
" बस ऐसे ही सट से अंदर जाएगा , करवा लो निवान। "
लेकिन तब तक तो वो बिचारे अपनी भाभी को ढूंढने के बहाने , ...
और मुसीबत हो गयी , एक से एक रगड़ाई करने वाली भौजाइयां वहां ,...
" कहो लाला रात भर में मन नहीं भरा क्या , जो सुबह से फिर दुल्हिन के पीछे पड़ गए ,... "
एक मेरी जेठानी बोली तो दूसरी ने और पलीता लगाया ,
" अरे नहीं , दुल्हिन नहीं , अपनी बहनों को देखने आये हैं , पुराना माल , ...आखिर पहले तो उन्ही सब के साथ ,... "
मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबा पा रही थी।
मैं जानती थी जिस ननद ने थोड़ा भी नखड़ा किया सारी भौजाइयां उसके ही पीछे ,...
और अब वही हालात गुड्डी रानी की हो रही थी , ... मैं भी मजा ले रही थी।
आज मेरी रगड़ाई कमरे में घुसते ही , कल से भी दस गुना तेजी से। सारी ननदें साथ साथ छोटी बड़ी ,
कच्चे टिकोरे वाली ,
शादी शुदा ,
और सबसे बढ़कर मेरी मंझली ननद , ...
" चूसा चमचम ,... "
मेरी मुस्कराहट मेरी हामी थी ,
और तब तक मेरी किस्मत दुलारी अंदर आ गयी ,
साथ में गुड्डो मेरे लिए नाश्ता लेकर , मूंग का हलवा ,
जलेबी , ब्रेड रोल ,...
और चालू ,
" अरे चूसने में सरम नहीं , घोंटने में सरम नहीं , और नाम लेने में सरम ,... क्या चूसा ,... खुल के बोलो भौजी। "
बगल में उसके मेरी ममेरी नन्द गुड्डी थी ,
वो अकेली ननद थी जो इन्ही के शहर में थी , सारी ननदों में सबसे छोटी ,.. अभी आठवें नौंवे में थी शायद ,
बहुत गोरी खुबसुरत ,
लेकिन चिढ़ती बहुत थी मजाक करने पर , ...
किसी ने शायद उसे ही देख कर दुलारी को टोंक भी दिया , ...
अरे छोटी छोटी बच्चियां है ,...
पर दुलारी ने एक नया मोर्चा खोल दिया
" अरे कउनो छोट नाहीं है , अरे इहै तो मौका है , सीखने समझने का ,... "
और मेरे लिए कटोरी में हलवा निकालने लगी , जैसे ही मैंने मना किया वो एकदम चालू ,
" अरे भउजी , बिना दांत वाले मुंह में तो रात भर गपागप गपागप घोंटा , ...सैंया से अपने मना की थी क्या ,...और नहीं ,... और की भी होगी तो क्या माने होंगे अइसन मस्त माल देखकर ,
तो खाली हम ननदन के आगे नहीं नहीं , घोंटा चुपचाप , .... "
और ढेर सारा हलवा मेरी कटोरी में। "
दुलारी से अब मेरी दोस्ती भी होगयी थी ,
और भले ही अभी मैं उस लेवल पर ससुराल में नहीं उतरती थी लेकिन उसका मजाक अच्छा भी लगता था।
मैंने गुड्डी की ओर एक चम्मच हलवा का बढ़ाया तो उसने ना ना का मुंह बनाया पर चिढ़ाने वाली खाली ननदें थोड़ी थी , मेरी जेठानियाँ भी , ननदों का हाल चाल लेने में और ननद भाभी के रिश्ते में कोई उम्र नहीं देखता ,
बस दो जेठनियों ने गुड्डी रानी को घेर लिया ,
" अरे खा लो , देख रही हो कितना घी पड़ा है , सट्ट से चला जाएगा अंदर ,...
और ऊपर वाले मुंह से खाने में नखड़ा कर रही हो , तो नीचे वाला मुंह ,... "
तो दूसरी बोलीं,
" अरे वहां झांटे वांटे आ गयी हैं की नहीं अभी , इतनी गोरी हो झांटे भी भूरी भूरी होंगी , ... "
पहली ने बोला ,
" अरे समझती क्या हो इसको , चौदह की हो रही है , एकदम चुदवाने के लायक ,.... झांटे तो अभी फ्राक उठा के देख लो , ... क्यों कहीं साफ सूफ तो नहीं कर के रखती , एकदम चिक्कन मुक्कन ,... .
उसके चेहरे से लग रहा था की बेचारी को बुरा बहुत लग रहा था ,
पर ननद के बुरा लगने का अगर भौजाइयां परवाह करने लगें तो हो चूका ,
और मैंने मौका देख के उसके डिम्पल वाले गालों को हलके से दबा दिया , गौरेया की तरह उसने चोंच खोल दिया और चम्मच अंदर ,..
" बस ऐसे ही सट से अंदर जाएगा , करवा लो निवान। "
लेकिन तब तक तो वो बिचारे अपनी भाभी को ढूंढने के बहाने , ...
और मुसीबत हो गयी , एक से एक रगड़ाई करने वाली भौजाइयां वहां ,...
" कहो लाला रात भर में मन नहीं भरा क्या , जो सुबह से फिर दुल्हिन के पीछे पड़ गए ,... "
एक मेरी जेठानी बोली तो दूसरी ने और पलीता लगाया ,
" अरे नहीं , दुल्हिन नहीं , अपनी बहनों को देखने आये हैं , पुराना माल , ...आखिर पहले तो उन्ही सब के साथ ,... "
मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबा पा रही थी।
मैं जानती थी जिस ननद ने थोड़ा भी नखड़ा किया सारी भौजाइयां उसके ही पीछे ,...
और अब वही हालात गुड्डी रानी की हो रही थी , ... मैं भी मजा ले रही थी।