03-11-2023, 08:04 AM
साउथ की ट्रिप
![[Image: Teej-104871289-377706279855356-681950327...6872-o.jpg]](https://i.ibb.co/sgkK5vX/Teej-104871289-377706279855356-6819503275540576872-o.jpg)
चाय पीते पीते हम तीनों बरामदे में आ गए थे,
जेठानी जी का फोन घनघनाया, और मैंने उचक कर देख लिया, जेठ जी का था.
जेठानी जी ने गुस्से से मुझे देखा और तब तक फोन की घंटी बंद हो गयी।
उनकी ठुड्डी पकड़ के मनाते हुए मैं बोली, " अरी दी, गुस्सा मत होइए अभी फिर आएगा। "
ये ट्रिक मैं जेठ जी की कई बार देख चुकी थी, पहली काल एक मिस्ड काल,... जिससे जेठानी जी कहीं कोने अतरे, जिससे दोनों कबूतर मन भर गुटरगूं कर सके, ठीक साढ़े चार मिनट बाद दूसरा फोन ,
वो मुस्कराने लगीं और एक जोर का मुक्का मेरी पीठ पर पड़ा, और मैं सासू जी की ओर देख के जोर से चिल्लाई, फिर मुस्करा के जेठानी जी को फिर से छेड़ा,
" दी, अरे यही तो बोलेंगे न कल आरहा हूँ, अगवाड़े पिछवाड़े अच्छी तरह वैसलीन लगा के रखना, अंदर तक। "
अबकी मुक्का सच में तेज था और साथ में जेठानी जी ने छेड़ा,
" अच्छा अपना भूल गयी , पूरी बड़ी वाली वैसलीन की शीशी तेरे तकिये के नीचे रखी थी और अगले दिन, आधे से ज्यादा खाली। अगली रात फिर नयी बड़ी शीशी वैसलीन की और पूरी एक लीटर वाली , कडुवा तेल की बोतल,... "
" क्या दी आप भी न एकदम कंजूस , जरा ज़रा सी चीजों का हिसाब रखती हैं , लेकिन ये बताइये यही फोन आएगा न अब हम से क्या शरमाना , हम दोनों तो एक ही नाव में हैं " मैंने भी मुस्कराते हुए उन्हें जवाब दिया।
और अब उन्होंने भी बिंदास आवाज में पहले तो जबरदस्त अंगड़ाई ली फिर बोलीं बड़े झक्कास अंदाज में , ' अब हम लोग वैसलीन वैसलीन नहीं लगाते , तू लगाती है ? "
मैंने भी डबल कॉन्फिडेंस में उन्ही की तरह जवाब दिया , " नहीं दी. आखिर आप की असली एकलौती देवरानी हूँ , जैसे चले जेठानी वैसे देवरानी, मैं अब प्योर आर्गेनिक हूँ , आप के देवर इतना लार टपकाते रहते हैं न बस वही,... "
तबतक ४ मिनट २८ सेकेण्ड हो चुके थे जेठानी जी उठना चाहती थीं लेकिन मैंने कस के पकड़ रखा था , ठीक ४. ३० मिनट बाद घंटी फिर बजी और मेरे और सासु जी के सामने ही उन्हें बात करनी पड़ी, बात ज्यादा लम्बी चली भी नहीं, कुछ हूँ हूँ हाँ, अभी देखती हूँ। माता जी का , ... नहीं नहीं,...
कुछ समझ में मेरे आया, कुछ नहीं। इतना तो मुझे पता था की कल वो आनेवाले हैं और उसके बाद हफ्ते दस दिन घर पर ही रहेंगे। उनका बिजनेस ऐसा था की टूर का काफी काम रहता था, महीने में पन्दरह बीस दिन तो आम बात थी, हाँ जेठानी जी नहीं जाती थीं उनके साथ।
मैं और सासू जी बात ख़तम होने के बाद मुख्या समाचार सुनने का इन्तजार कर रहे थे.
जेठानी जी थोड़ी देर चुप रहीं जैसे उनकी समझ में न आ रहा हो क्या बोले कैसे बोले आखिर जब सासू जी ने टोका तो वो बोलीं।
मामला सच में थोड़ा सा उलझा था, होली के दो दिन बाद ही अचानक उनकी एक दिन चेन्नई में और उसके दो दिन बाद मदुराई में मीटिंग थी, इस लिए उन्हें होली के अगले दिन ही जाना पड़ेगा और आठ दस दिन साउथ इंडिया में,... जो बात जेठानी ने नहीं कही वो मैं और सासू जी दोनों समझ गए.
जेठ जी चाहते थे की जेठानी जी भी उनके साथ जाएँ, मीटिंग के साथ घूमना और मस्ती हो जायेगी,
" तू भी चली जा न, साउथ घूम आएगी, आठ दस दिन की तो बात है,... " सासू जी ने जेठानी जी का धर्म संकट दूर किया पर अब भी जेठानी जी ये सोच रही थीं की इन्हे अकेले छोड़ कर कैसे और रास्ता मैंने निकाला, ...
" आप भी चली जाइये न, आप दोनों आप देखिये साउथ घूमने का इतना अच्छा मौका नहीं मिलेगा, फिर कल मैं भी चली जाउंगी, "
मन तो उनका बहुत कर रहा रहा था लेकिन , फिर दबी जुबान से कुछ चिढ़ाते हुए बोलीं,
" अरे तू जा उसके साथ, मैं कहाँ दाल भात के बीच मूसलचंद।"
कुछ बातों में हम देवरानी जेठानी एकदम एक तरह सोचते थे , एक साथ दोनों बोले,
" अरे आपके लिए भी मूसलचंद का इंतजाम हो जाएगा , घबड़ाइये मत "
![[Image: Teej-104871289-377706279855356-681950327...6872-o.jpg]](https://i.ibb.co/sgkK5vX/Teej-104871289-377706279855356-6819503275540576872-o.jpg)
चाय पीते पीते हम तीनों बरामदे में आ गए थे,
जेठानी जी का फोन घनघनाया, और मैंने उचक कर देख लिया, जेठ जी का था.
जेठानी जी ने गुस्से से मुझे देखा और तब तक फोन की घंटी बंद हो गयी।
उनकी ठुड्डी पकड़ के मनाते हुए मैं बोली, " अरी दी, गुस्सा मत होइए अभी फिर आएगा। "
ये ट्रिक मैं जेठ जी की कई बार देख चुकी थी, पहली काल एक मिस्ड काल,... जिससे जेठानी जी कहीं कोने अतरे, जिससे दोनों कबूतर मन भर गुटरगूं कर सके, ठीक साढ़े चार मिनट बाद दूसरा फोन ,
वो मुस्कराने लगीं और एक जोर का मुक्का मेरी पीठ पर पड़ा, और मैं सासू जी की ओर देख के जोर से चिल्लाई, फिर मुस्करा के जेठानी जी को फिर से छेड़ा,
" दी, अरे यही तो बोलेंगे न कल आरहा हूँ, अगवाड़े पिछवाड़े अच्छी तरह वैसलीन लगा के रखना, अंदर तक। "
अबकी मुक्का सच में तेज था और साथ में जेठानी जी ने छेड़ा,
" अच्छा अपना भूल गयी , पूरी बड़ी वाली वैसलीन की शीशी तेरे तकिये के नीचे रखी थी और अगले दिन, आधे से ज्यादा खाली। अगली रात फिर नयी बड़ी शीशी वैसलीन की और पूरी एक लीटर वाली , कडुवा तेल की बोतल,... "
" क्या दी आप भी न एकदम कंजूस , जरा ज़रा सी चीजों का हिसाब रखती हैं , लेकिन ये बताइये यही फोन आएगा न अब हम से क्या शरमाना , हम दोनों तो एक ही नाव में हैं " मैंने भी मुस्कराते हुए उन्हें जवाब दिया।
और अब उन्होंने भी बिंदास आवाज में पहले तो जबरदस्त अंगड़ाई ली फिर बोलीं बड़े झक्कास अंदाज में , ' अब हम लोग वैसलीन वैसलीन नहीं लगाते , तू लगाती है ? "
मैंने भी डबल कॉन्फिडेंस में उन्ही की तरह जवाब दिया , " नहीं दी. आखिर आप की असली एकलौती देवरानी हूँ , जैसे चले जेठानी वैसे देवरानी, मैं अब प्योर आर्गेनिक हूँ , आप के देवर इतना लार टपकाते रहते हैं न बस वही,... "
तबतक ४ मिनट २८ सेकेण्ड हो चुके थे जेठानी जी उठना चाहती थीं लेकिन मैंने कस के पकड़ रखा था , ठीक ४. ३० मिनट बाद घंटी फिर बजी और मेरे और सासु जी के सामने ही उन्हें बात करनी पड़ी, बात ज्यादा लम्बी चली भी नहीं, कुछ हूँ हूँ हाँ, अभी देखती हूँ। माता जी का , ... नहीं नहीं,...
कुछ समझ में मेरे आया, कुछ नहीं। इतना तो मुझे पता था की कल वो आनेवाले हैं और उसके बाद हफ्ते दस दिन घर पर ही रहेंगे। उनका बिजनेस ऐसा था की टूर का काफी काम रहता था, महीने में पन्दरह बीस दिन तो आम बात थी, हाँ जेठानी जी नहीं जाती थीं उनके साथ।
मैं और सासू जी बात ख़तम होने के बाद मुख्या समाचार सुनने का इन्तजार कर रहे थे.
जेठानी जी थोड़ी देर चुप रहीं जैसे उनकी समझ में न आ रहा हो क्या बोले कैसे बोले आखिर जब सासू जी ने टोका तो वो बोलीं।
मामला सच में थोड़ा सा उलझा था, होली के दो दिन बाद ही अचानक उनकी एक दिन चेन्नई में और उसके दो दिन बाद मदुराई में मीटिंग थी, इस लिए उन्हें होली के अगले दिन ही जाना पड़ेगा और आठ दस दिन साउथ इंडिया में,... जो बात जेठानी ने नहीं कही वो मैं और सासू जी दोनों समझ गए.
जेठ जी चाहते थे की जेठानी जी भी उनके साथ जाएँ, मीटिंग के साथ घूमना और मस्ती हो जायेगी,
" तू भी चली जा न, साउथ घूम आएगी, आठ दस दिन की तो बात है,... " सासू जी ने जेठानी जी का धर्म संकट दूर किया पर अब भी जेठानी जी ये सोच रही थीं की इन्हे अकेले छोड़ कर कैसे और रास्ता मैंने निकाला, ...
" आप भी चली जाइये न, आप दोनों आप देखिये साउथ घूमने का इतना अच्छा मौका नहीं मिलेगा, फिर कल मैं भी चली जाउंगी, "
मन तो उनका बहुत कर रहा रहा था लेकिन , फिर दबी जुबान से कुछ चिढ़ाते हुए बोलीं,
" अरे तू जा उसके साथ, मैं कहाँ दाल भात के बीच मूसलचंद।"
कुछ बातों में हम देवरानी जेठानी एकदम एक तरह सोचते थे , एक साथ दोनों बोले,
" अरे आपके लिए भी मूसलचंद का इंतजाम हो जाएगा , घबड़ाइये मत "