03-11-2023, 07:46 AM
फटा पोस्टर निकला हीरो
गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,
"अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "
जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी
" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।
पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।
दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।
और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहले ही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "
और उसी समय
फटा पोस्टर निकला हीरो।
उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।
गुड्डी एक कैंडल पर कंडोम चढ़ा रही थी और उसे सीधे दिया की खुली जाँघों के बीच दिखा दिखा के ,दिया कौन पीछे रहने वाली थी ,वो भी ऐसे धक्के मारने की ऐक्टिंग कर रही थी जैसे कोई चुदक्कड़ माल,नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर ,
भैय्या ,छन्दा चीखी।
तीनो लड़कियां अपनी अपनी जगह फ़्रीज।
"अरे, भाभी से तो इतना हंस हंस के गले मिल रही थी और भैय्या से ,... " मैंने गुड्डी की सहेलियों को चिढ़ाते हुए सन्नाटा तोड़ा।
एकदम भाभी ,और दिया उनसे ,सिर्फ गले ही नहीं मिली बल्कि लिफाफे पे टिकट की तरह चिपक गयी।
और वो भी ,... वाज लुकिंग सो हॉट ,हैंडसम ,मैनली।
... हॉट मतलब रीयल हॉट ,जिसे देख के एकदम सती साध्वी बनने वाली लड़की भी पिघल जाए.
एकदम देह से चिपकी हुयी शर्ट ,जिससे बाइसेप्स ही नहीं उनकी ऐब्स भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।
ब्राड शोल्डर ,जिसे संस्कृत में वृषभ कंध कहते हैं न ,एकदम वही ,
चौड़ा चेस्ट ,परफेट V .
पतली कमर , केहरि कटि।
खूब लम्बे और गोरे तो वो हैं ही ,टाइट रिप्ड लेविस में उनकी परफेक्ट मस्क्युलर जिम टोंड थाइज भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।
और उनका वो मैनली इम्पोर्टेड परफयूम ,....
और जिस तरह से दिया ने उन्हें गले लगाया था , उसमें 'बहन ' जैसा कुछ भी नहीं था।
वो खुल के अपने गदराये टॉप फाड़ते कड़े कड़े किशोर उभार उनके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी , दिया की लम्बी लम्बी छरहरी टाँगे ,उनकी टांगों के चारो ओर. लता की तरह लिपटी।
लेकिन वो न ,
मैंने उन्हें जबरदस्त आँख मारी और इत्ता इशारा काफी था।
उनकी तगड़ी बाहों ने कस के दिया को भींच लिया ,उनके गाल हलके हलके उस पंजाबी कुड़ी के मक्खन जैसे गाल पे हलके हलके रगड़ रहे थे , साथ में उनका तन्नाता बल्ज सीधे दिया की जाँघों के बीच और दिया ने अपनी मखमली जाँघे और फैला दीं ,और फिर जैसे दिया को बाहों में पकड़ते हुए एक्सीडेंटली ,...उनकी उंगलिया दिया के किशोर उभारों को हलके से रगड़ गयीं।
दिया भी न ,उसने अपने होंठ इनके कानों पे लगा के पहले तो हलके से छूआ फिर कुछ कान में फुसफुसाया
बस खिलखिलाते हुए खुल के इनके एक हाथ ने दिया का एक उभार टॉप के ऊपर से पकड़ के कचकचा के दबा दिया।
दिया सिसक पड़ी। लेकिन बजाय बुरा मानने के वो गुड्डी को चिढ़ाने में जुट गयी ,
गुड्डी को जीभ निकाल के उसने चिढ़ाया और मुझसे मुस्कराते हुए बोली ,
" भाभी , मुझे कहीं कुछ जलने सुलगने की महक आ रही है। "
गुड्डी की ओर से जवाब मैंने ही दिया ,
" अरे नहीं ,जो सुलगने वाली चीज थी वो मैंने पहले ही इसकी साफ़ सूफ करवा दी है ,कोई खतरा नहीं है। "
" लगी रह तू ,... "
खिलखिलाते हुए गुड्डी ने दिया को और उससे भी ज्यादा अपने भैय्या को भी थम्स अप किया।
" सही है ,भाभी ,मैं भी अपनी चिकनी चुपड़ी रखती हूँ ,क्या पता कब मेरी गुलाबो की लाटरी निकल आये। "
दिया भी अब एकदम खुल के मूड में आ गयी थी।
और जैसे दिया की बात के जवाब में जैसे आलमोस्ट ड्राई हंपिंग की तरह अपना तन्नाता खूंटा उन्होंने दिया की खुली जांघ के बीच ताकत से थ्रस्ट किया। एक हाथ से उन्होंने दिया के किशोर जोबन पकड़ रखे थे और दूसरा दिया के मचलते नितम्ब पर कस के जकड़े था।
अब गुड्डी की दूसरी सहेली छन्दा का भी मन मचलने लगा ,वो दिया से बोली ,
" हट न तू ,क्या तू अकेले अकेले ही भइया से गले मिलेगी। "
" अरे तू पीछे से लग जा ना " मैंने छन्दा को उकसाया।
गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,
"अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "
जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी
" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।
पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।
दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।
और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहले ही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "
और उसी समय
फटा पोस्टर निकला हीरो।
उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।
गुड्डी एक कैंडल पर कंडोम चढ़ा रही थी और उसे सीधे दिया की खुली जाँघों के बीच दिखा दिखा के ,दिया कौन पीछे रहने वाली थी ,वो भी ऐसे धक्के मारने की ऐक्टिंग कर रही थी जैसे कोई चुदक्कड़ माल,नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर ,
भैय्या ,छन्दा चीखी।
तीनो लड़कियां अपनी अपनी जगह फ़्रीज।
"अरे, भाभी से तो इतना हंस हंस के गले मिल रही थी और भैय्या से ,... " मैंने गुड्डी की सहेलियों को चिढ़ाते हुए सन्नाटा तोड़ा।
एकदम भाभी ,और दिया उनसे ,सिर्फ गले ही नहीं मिली बल्कि लिफाफे पे टिकट की तरह चिपक गयी।
और वो भी ,... वाज लुकिंग सो हॉट ,हैंडसम ,मैनली।
... हॉट मतलब रीयल हॉट ,जिसे देख के एकदम सती साध्वी बनने वाली लड़की भी पिघल जाए.
एकदम देह से चिपकी हुयी शर्ट ,जिससे बाइसेप्स ही नहीं उनकी ऐब्स भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।
ब्राड शोल्डर ,जिसे संस्कृत में वृषभ कंध कहते हैं न ,एकदम वही ,
चौड़ा चेस्ट ,परफेट V .
पतली कमर , केहरि कटि।
खूब लम्बे और गोरे तो वो हैं ही ,टाइट रिप्ड लेविस में उनकी परफेक्ट मस्क्युलर जिम टोंड थाइज भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।
और उनका वो मैनली इम्पोर्टेड परफयूम ,....
और जिस तरह से दिया ने उन्हें गले लगाया था , उसमें 'बहन ' जैसा कुछ भी नहीं था।
वो खुल के अपने गदराये टॉप फाड़ते कड़े कड़े किशोर उभार उनके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी , दिया की लम्बी लम्बी छरहरी टाँगे ,उनकी टांगों के चारो ओर. लता की तरह लिपटी।
लेकिन वो न ,
मैंने उन्हें जबरदस्त आँख मारी और इत्ता इशारा काफी था।
उनकी तगड़ी बाहों ने कस के दिया को भींच लिया ,उनके गाल हलके हलके उस पंजाबी कुड़ी के मक्खन जैसे गाल पे हलके हलके रगड़ रहे थे , साथ में उनका तन्नाता बल्ज सीधे दिया की जाँघों के बीच और दिया ने अपनी मखमली जाँघे और फैला दीं ,और फिर जैसे दिया को बाहों में पकड़ते हुए एक्सीडेंटली ,...उनकी उंगलिया दिया के किशोर उभारों को हलके से रगड़ गयीं।
दिया भी न ,उसने अपने होंठ इनके कानों पे लगा के पहले तो हलके से छूआ फिर कुछ कान में फुसफुसाया
बस खिलखिलाते हुए खुल के इनके एक हाथ ने दिया का एक उभार टॉप के ऊपर से पकड़ के कचकचा के दबा दिया।
दिया सिसक पड़ी। लेकिन बजाय बुरा मानने के वो गुड्डी को चिढ़ाने में जुट गयी ,
गुड्डी को जीभ निकाल के उसने चिढ़ाया और मुझसे मुस्कराते हुए बोली ,
" भाभी , मुझे कहीं कुछ जलने सुलगने की महक आ रही है। "
गुड्डी की ओर से जवाब मैंने ही दिया ,
" अरे नहीं ,जो सुलगने वाली चीज थी वो मैंने पहले ही इसकी साफ़ सूफ करवा दी है ,कोई खतरा नहीं है। "
" लगी रह तू ,... "
खिलखिलाते हुए गुड्डी ने दिया को और उससे भी ज्यादा अपने भैय्या को भी थम्स अप किया।
" सही है ,भाभी ,मैं भी अपनी चिकनी चुपड़ी रखती हूँ ,क्या पता कब मेरी गुलाबो की लाटरी निकल आये। "
दिया भी अब एकदम खुल के मूड में आ गयी थी।
और जैसे दिया की बात के जवाब में जैसे आलमोस्ट ड्राई हंपिंग की तरह अपना तन्नाता खूंटा उन्होंने दिया की खुली जांघ के बीच ताकत से थ्रस्ट किया। एक हाथ से उन्होंने दिया के किशोर जोबन पकड़ रखे थे और दूसरा दिया के मचलते नितम्ब पर कस के जकड़े था।
अब गुड्डी की दूसरी सहेली छन्दा का भी मन मचलने लगा ,वो दिया से बोली ,
" हट न तू ,क्या तू अकेले अकेले ही भइया से गले मिलेगी। "
" अरे तू पीछे से लग जा ना " मैंने छन्दा को उकसाया।