02-11-2023, 10:30 PM
बहिनिया की
![[Image: Pussy-tumblr-pgbwbt-ZEfr1t8w951o1-1280.jpg]](https://i.ibb.co/zQD9J1Y/Pussy-tumblr-pgbwbt-ZEfr1t8w951o1-1280.jpg)
लालच के मारे उनकी बुरी हालत थी।
" देख कित्ती गीली हो रही तेरी बहिनिया की बुर तेरे लंड के बारे में सोच सोच के। एकदम पनिया गयी है " मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी।
अब आधे से ज्यादा ,एकदम भीगी गीली चूत दिख रही थी।
" है न एकदम मक्खन मलाई मस्त चिकनी ,चूत तेरी बहना की ,खूब चोदने लायक ,"
मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी और अब चूत की दरार साफ़ साफ़ दिख रही थी।
उनकी आँखे फ़ैल गयीं।
वो गुलाबी पंखुड़ियां ,जैसे सुबह सुबह ओस से गीली हों , हलकी हलकी रस से भीगी , उस कारूं के खजाने को दबोचे भींचे जिसपर कितने ही लोग निगाहे गड़ाए बैठे थे ,लेकिन मिलने वाला था वो मेरे सैंया को ही। हलकी हलकी दरार , उस प्रेम गली की जिसमें घुसने के लिए पूरा शहर बेचैन था , जब से हाईकॉलेज में आयी तब से आग लगा रखी थी उसने , लेकिन उसमे उसके प्यारे प्यारे ,सीधे साधे भैय्या को ही,...
![[Image: pussy-wet.jpg]](https://i.ibb.co/wLMc2Jy/pussy-wet.jpg)
खूब कसी ,कुँवारी लसलसाती अनचुदी,.
बहुत हलके से उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने अपनी लम्बी पतली उंगली उन फांको के बीच में , दरार हलकी सी बहुत मुश्किल से खुली , उसके अंदर मांसल गुलाबी लसलसी सी , ऊँगली मैंने थोड़ा और धकेला।
![[Image: guddi-pussy-r-GYWN8ob-Ml.jpg]](https://i.ibb.co/t3WbQ29/guddi-pussy-r-GYWN8ob-Ml.jpg)
गुड्डी के भैय्या , मेरे सैंया की आँखे बस वहीँ धंसी चिपकी।
ऊँगली कुछ और अंदर , एक पोर पूरा और फिर मैंने धीमे धीमे गोल गोल ,घुमाना चालू किया।
उनकी हालत खराब।
![[Image: fingering-pussy-tumblr-pgzqa8-H1pi1t8w951o1-1280.jpg]](https://i.ibb.co/KVCZJcV/fingering-pussy-tumblr-pgzqa8-H1pi1t8w951o1-1280.jpg)
और गुड्डी के चूत रस से भीगी ऊँगली ,पहले मैंने उनके नाक के पास लगायी।
उस कुँवारी बिनचूदी चूत के रस की महक ,
एकदम तड़प उठे वो ,
और फिर मैंने हलके से गुड्डी रस से भीगी ऊँगली ,उनके प्यासे होंठों पर टच कराया और ,
नदीदे वो ,झट से ऊँगली मेरी चूसने लगे ,जैसे अपनी बहन की चूत चूस रहे हों।
और अपने दूसरे हाथ से वो गुड्डी की दो अंगुली की लेसी रुपहली पैंटी एकदम साइड में सरका दी ,चूत पूरी तरह खुल गयी।
कल रात को जो उन्होंने पिक्चर पर गुड्डी का अपने नाम सन्देश देखा था ,जिसमे वो अपने दोनों किशोर हाथों से अपनी कुँवारी चूत के गुलाबी मांसल होठों को खुल्द फैला के उन्हें बुला रही थी ,उकसा रही ,
![[Image: pussy-flashing-17777600.gif]](https://i.ibb.co/JvwxDnm/pussy-flashing-17777600.gif)
" भइया , आओ न ,भैय्या कैसी है तेरी बहना की चूत। बोलो चोदोगे इसको , चोदो न भैय्या मेरी चूत "
एकदम क्लोज अप में कल रात उन्होंने उस इंटरवाली की अनफक्ड चूत देखी थी और आज सुबह सुबह उनके सामने खुली फैली।
उनके होंठ बहन की चूत का रस चूस रही थीं और आँखे बहन की चूत चोद रही थीं।
खूंटा एकदम तन्नाया , बौराया।
मैं उनके इस नए 'बहन प्रेम ' का मुस्कराते हुए मजा ले रही थी , और गुड्डी के होंठों का भी।
गुड्डी मेरी जाँघों के बीच फंसी दबी अपनी भाभी की बुर हलके हलके चूस रही थी।
और अब मैं 69 की पोज में ,मेरी बुर गुड्डी के होंठों को रगड़ती और मैं ,
झुक के उसके भइया को दिखाते तड़पाते , मैंने बस अपनी जीभ की टिप से गुड्डी की क्लिट को छू भर दिया।
![[Image: pussy-clitoris-close-up-pics-600x400.jpg]](https://i.ibb.co/SmXFQGZ/pussy-clitoris-close-up-pics-600x400.jpg)
और तेज हवा में जैसे कोई फूल शाख पर काँप उठे वो दोशीजा हिल गयी।
और अबकी मेरे होंठों ने ,
नहीं नहीं गुड्डी के निचले होंठों को न चूमा न चूसा ,बस छू भर दिया।
और जैसे तूफ़ान आ गया।
गुड्डी सिसक रही थी ,काँप रही थी ,तड़प रही थी ,
और सिसकती तड़पती बहिनिया को देख कर , उनके भैय्या भी ,
खूंटा एकदम जबरदंग , सुपाड़ा मोटा खूब फैला ,उनके छोटे बॉक्सर शार्ट से झाँकने लगा।
मैंने उनकी तर्जनी पकड़ के बस गुड्डी की खुली गुलाबी पंखुड़ियों से एक पल के लिए छुला भर दिया।
और बस क़यामत नहीं हुयी।
![[Image: Pussy-tumblr-pgbwbt-ZEfr1t8w951o1-1280.jpg]](https://i.ibb.co/zQD9J1Y/Pussy-tumblr-pgbwbt-ZEfr1t8w951o1-1280.jpg)
लालच के मारे उनकी बुरी हालत थी।
" देख कित्ती गीली हो रही तेरी बहिनिया की बुर तेरे लंड के बारे में सोच सोच के। एकदम पनिया गयी है " मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी।
अब आधे से ज्यादा ,एकदम भीगी गीली चूत दिख रही थी।
" है न एकदम मक्खन मलाई मस्त चिकनी ,चूत तेरी बहना की ,खूब चोदने लायक ,"
मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी और अब चूत की दरार साफ़ साफ़ दिख रही थी।
उनकी आँखे फ़ैल गयीं।
वो गुलाबी पंखुड़ियां ,जैसे सुबह सुबह ओस से गीली हों , हलकी हलकी रस से भीगी , उस कारूं के खजाने को दबोचे भींचे जिसपर कितने ही लोग निगाहे गड़ाए बैठे थे ,लेकिन मिलने वाला था वो मेरे सैंया को ही। हलकी हलकी दरार , उस प्रेम गली की जिसमें घुसने के लिए पूरा शहर बेचैन था , जब से हाईकॉलेज में आयी तब से आग लगा रखी थी उसने , लेकिन उसमे उसके प्यारे प्यारे ,सीधे साधे भैय्या को ही,...
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खूब कसी ,कुँवारी लसलसाती अनचुदी,.
बहुत हलके से उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने अपनी लम्बी पतली उंगली उन फांको के बीच में , दरार हलकी सी बहुत मुश्किल से खुली , उसके अंदर मांसल गुलाबी लसलसी सी , ऊँगली मैंने थोड़ा और धकेला।
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गुड्डी के भैय्या , मेरे सैंया की आँखे बस वहीँ धंसी चिपकी।
ऊँगली कुछ और अंदर , एक पोर पूरा और फिर मैंने धीमे धीमे गोल गोल ,घुमाना चालू किया।
उनकी हालत खराब।
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और गुड्डी के चूत रस से भीगी ऊँगली ,पहले मैंने उनके नाक के पास लगायी।
उस कुँवारी बिनचूदी चूत के रस की महक ,
एकदम तड़प उठे वो ,
और फिर मैंने हलके से गुड्डी रस से भीगी ऊँगली ,उनके प्यासे होंठों पर टच कराया और ,
नदीदे वो ,झट से ऊँगली मेरी चूसने लगे ,जैसे अपनी बहन की चूत चूस रहे हों।
और अपने दूसरे हाथ से वो गुड्डी की दो अंगुली की लेसी रुपहली पैंटी एकदम साइड में सरका दी ,चूत पूरी तरह खुल गयी।
कल रात को जो उन्होंने पिक्चर पर गुड्डी का अपने नाम सन्देश देखा था ,जिसमे वो अपने दोनों किशोर हाथों से अपनी कुँवारी चूत के गुलाबी मांसल होठों को खुल्द फैला के उन्हें बुला रही थी ,उकसा रही ,
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" भइया , आओ न ,भैय्या कैसी है तेरी बहना की चूत। बोलो चोदोगे इसको , चोदो न भैय्या मेरी चूत "
एकदम क्लोज अप में कल रात उन्होंने उस इंटरवाली की अनफक्ड चूत देखी थी और आज सुबह सुबह उनके सामने खुली फैली।
उनके होंठ बहन की चूत का रस चूस रही थीं और आँखे बहन की चूत चोद रही थीं।
खूंटा एकदम तन्नाया , बौराया।
मैं उनके इस नए 'बहन प्रेम ' का मुस्कराते हुए मजा ले रही थी , और गुड्डी के होंठों का भी।
गुड्डी मेरी जाँघों के बीच फंसी दबी अपनी भाभी की बुर हलके हलके चूस रही थी।
और अब मैं 69 की पोज में ,मेरी बुर गुड्डी के होंठों को रगड़ती और मैं ,
झुक के उसके भइया को दिखाते तड़पाते , मैंने बस अपनी जीभ की टिप से गुड्डी की क्लिट को छू भर दिया।
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और अबकी मेरे होंठों ने ,
नहीं नहीं गुड्डी के निचले होंठों को न चूमा न चूसा ,बस छू भर दिया।
और जैसे तूफ़ान आ गया।
गुड्डी सिसक रही थी ,काँप रही थी ,तड़प रही थी ,
और सिसकती तड़पती बहिनिया को देख कर , उनके भैय्या भी ,
खूंटा एकदम जबरदंग , सुपाड़ा मोटा खूब फैला ,उनके छोटे बॉक्सर शार्ट से झाँकने लगा।
मैंने उनकी तर्जनी पकड़ के बस गुड्डी की खुली गुलाबी पंखुड़ियों से एक पल के लिए छुला भर दिया।
और बस क़यामत नहीं हुयी।