02-11-2023, 09:27 PM
भाग १०१
गुड्डी -सपने से बाहर
गुड्डी हलके से बोली नहीं ,नहीं
उसे चिढ़ाते हुए मैं जोर से बोली , हाँ हाँ।...
और तब तक मेरी नींद खुल गयी , कोई मुझे जोर जोर से हिला रहा था ,
" उठिये न भाभी साढ़े ग्यारह बज गए हैं ,माना रात भर मेरे भैय्या ने आपको सोने नहीं दिया होगा लेकिन अब तो उठ जाइये। "
और मैंने आँखे खोली तो सामने वही सारंग नयनी ,किशोरी ,जिल्ला टॉप माल ,जैसे अभी अभी सपने से बाहर निकल आयी हो ,
गुड्डी।
"क्यों भाभी , कोई सपना देख रही थीं क्या ,आप हाँ हाँ बोल रही थीं नींद में " मुस्कराते हुए उस शोख ने पूछा।
"हाँ बहुत ही मीठा सपना था। "
मैं बोली मेरी आँखों में अभी वही मंजर घूम रहा था ,गुड्डी निहुरि हुयी और शेरू ,...
" अरे भाभी तब तो जरूर पूरा होगा , सुबह का सपना तो सरासर सच होता है " हंस के वो छोरी बोली।
" अरे तेरे मुंह में घी शक्कर , तेरी बात सच हो , बल्कि होगी ही। तू सही कह रही है तेरे बारे में ही सपना था। " मैं उसके गोरे गुलाबी गाल सहलाते बोली।
" क्या था भाभी बताइये न ,प्लीज " वो जैसे टीनेजर लड़कियां होती हैं ,एकदम पीछे पड़ गयी।
" अरे पगली बताने से सपने का असर कम होजाता है और तूने खुद बोला था सुबह का सपना है तो सच होगा न " मैं बोली
मेरी आँखों के सामने गुड्डी पर चढ़े हुए शेरू का सीन बार बार आ जाता था।
तभी मेरी आँखें घडी पर पर पड़ गयी।
"मैडम जी आप पूरे डेढ़ घंटे लेट है ,आपने दस बजे का वायदा किया था , रास्ते में कोई यार वार मिल गया था क्या ,एकाध राउंड कबड्डी ,...और ये शलवार सूट एकदमसब कुछ पैक कर केआई हो। "
मैंने टॉपिक बदल दिया।
गुड्डी -सपने से बाहर
गुड्डी हलके से बोली नहीं ,नहीं
उसे चिढ़ाते हुए मैं जोर से बोली , हाँ हाँ।...
और तब तक मेरी नींद खुल गयी , कोई मुझे जोर जोर से हिला रहा था ,
" उठिये न भाभी साढ़े ग्यारह बज गए हैं ,माना रात भर मेरे भैय्या ने आपको सोने नहीं दिया होगा लेकिन अब तो उठ जाइये। "
और मैंने आँखे खोली तो सामने वही सारंग नयनी ,किशोरी ,जिल्ला टॉप माल ,जैसे अभी अभी सपने से बाहर निकल आयी हो ,
गुड्डी।
"क्यों भाभी , कोई सपना देख रही थीं क्या ,आप हाँ हाँ बोल रही थीं नींद में " मुस्कराते हुए उस शोख ने पूछा।
"हाँ बहुत ही मीठा सपना था। "
मैं बोली मेरी आँखों में अभी वही मंजर घूम रहा था ,गुड्डी निहुरि हुयी और शेरू ,...
" अरे भाभी तब तो जरूर पूरा होगा , सुबह का सपना तो सरासर सच होता है " हंस के वो छोरी बोली।
" अरे तेरे मुंह में घी शक्कर , तेरी बात सच हो , बल्कि होगी ही। तू सही कह रही है तेरे बारे में ही सपना था। " मैं उसके गोरे गुलाबी गाल सहलाते बोली।
" क्या था भाभी बताइये न ,प्लीज " वो जैसे टीनेजर लड़कियां होती हैं ,एकदम पीछे पड़ गयी।
" अरे पगली बताने से सपने का असर कम होजाता है और तूने खुद बोला था सुबह का सपना है तो सच होगा न " मैं बोली
मेरी आँखों के सामने गुड्डी पर चढ़े हुए शेरू का सीन बार बार आ जाता था।
तभी मेरी आँखें घडी पर पर पड़ गयी।
"मैडम जी आप पूरे डेढ़ घंटे लेट है ,आपने दस बजे का वायदा किया था , रास्ते में कोई यार वार मिल गया था क्या ,एकाध राउंड कबड्डी ,...और ये शलवार सूट एकदमसब कुछ पैक कर केआई हो। "
मैंने टॉपिक बदल दिया।