29-10-2023, 05:50 PM
दूसरे नीना समझदार थी। वह मुझे पूछे बिना कुछ भी ऐसा नहीं करेगी जिससे हमारा घर संसार आहत हो। यदि मान लिया जाये की अनिल बहक जाता है, तो नीना फिर अनिल को कंट्रोल कर सकती है। मैं जानता था की नीना एक शेरनी की तरह है। वह यदि चाहे तो अनिल को घरमें घुसने भी न दे। उसने पहले कई बार अनिल को हड़का दिया था। अनिल अपनी बीबी से भी तो डरता था। किसी एक को बहकने से रोकने के लिए तीन लोग खड़े थे, बच्चों को इस गिनती में शामिल न किया जाय तो। मेरी इस शंका का भी भलीभांति समाधान हो गया। सबसे बड़ी बात यह थी की नीना मुझे बहुत चाहती थी और मैं जानता था की सेक्स और प्रेम का अंतर वह जानती थी। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया।
मैंने सोचा की शंका कुशंका करते रहेंगे तो आगे बढ़ नहीं सकते। आखिर कुछ पाने के किये कुछ समझौता तो करना पड़ता ही है। और फिर हम सब कहाँ एकसाथ सारी ज़िन्दगी रहने वाले थे। अब बात थी पत्नियों को पटाने की। यह एक बड़ी चुनौती थी।
फिर मेरे मनमें एक बात आई। दो औरतों को एकसाथ चुदवाने के लिए राज़ी करना मुझे कठिन लगा। वैसे ही औरतें बड़ी ईर्षालु होती है। वह अपने पति को दुसरी औरत को चोदते हुए देख सके यह मुझे मुश्किल सा लग रहा था। ऐसा करने की बात करने से पहले मैंने सोचा क्यों न पहले हम दो मर्द एक बीबी को तैयार करते हैं। एक बीबी को अगर हमने फ़ांस लिया तो दूसरी आराम से फँस जायेगी। और अगर एक फँस गयी तो फिर वह दुसरी को जरूर चुदवाने के लिए तैयार करेगी। साथ साथ मैं पहले नीना को चुदवाने का मजा लेना चाहता था। मेरे मनमे एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।
वैसे मेरे मन में भी तो यह इच्छा थी की मेरी बीबी भी एक बार गैर मर्द का टेस्ट करे। मैं देखना चाहता था की मेरे सामने दूसरा मर्द कैसे मेरी बीबी को चोदता है, मेरी बीबी कैसे उससे चुदवाती है और मैं भी दूसरे मर्द के साथ मिलकर कैसे मेरी बीबी को चोदता हूँ। कई बार मैंने देखा था की मैं तो झड़ गया था पर मेरी बीबी नहीं झड़ पाई और अपना मन मसोस कर रह गयी। अगर नीना को दो मर्द चोदते हैं तो साफ़ बात है की वह भी ओर्गाज़म का ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकती है। उसको बार बार झड़ने से वह बहुत एन्जॉय करेगी। यही बात को सोच कर मैं जोश में आ गया। अनिल और नीना की केमिस्ट्री देख कर में पागल सा हो रहा था। मैं नीना को अनिल से चुदवाने के बारें में गम्भीरता से सोचने लगा।
अनिल का मेरी पत्नी की और आकर्षण (आकर्षण से ज्यादा उपयुक्त शब्द था पागलपन) को मैं भली भांति जानता था। अनिल को नीना की और से थोड़ा सा भी सकारात्मक रवैया दिखाई दिया तब तो अनिल नीना का पीछा नहीं छोड़ेगा। और यदि एकबार उस ने नीना का नंगा जिस्म देख लिया तो फिर तो मुझे पता था की वह उसे बार बार चोदना चाहेगा। तब वह आसानी से अनीता को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार कर पाएगा इस बातका मुझे पूरा यकीन था। दूसरे, तब नीना भी अनीता को राजी कर लेगी। मैं जानता था की यदि नीना चाहेगी तो अनीता को जरूर तैयार कर सकती है। पर इसके लिए पहले नीना के अवरोध का बाँध तोड़ना जरुरी था।
नीना को गरम करने के लिए मैं अनायास ही अनिल की बात छेड़ देता था। बातों बातों में मैं कुछ न कुछ ऐसे विषय ला देता था की नीना गरम हो जाए। मैंने एक रात जब नीना थकी हुयी थी और सोने जा रही थी, तब उसको गर्म करने के इरादे से अनिल के बारेमें बात छेड़ी। मैंने वह लीफाफा निकाला जिसमें अनीता और अनिल के सेक्सी पोसेस वाली तस्वीरें थी। नीना एक के बाद एक तस्वीरें देखने लगी। मैंने टेढ़ी नजर से देखा की नीना अनीता में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही थी, पर अनिल की छोटे से जांघिये में उस के उठे हुए लण्ड वाली और जांघिये को छोड़ कर बाकी पूरी नंगी तस्वीरों को वह थोड़े ज्यादा ही ध्यान से देख रही थी।
मैंने जैसे इसको देखा ही नहीं, ऐसे जताते हुए बोला, "जब अनिल ने मुझे अनीता की ऐसी आधी नंगी तस्वीरें देखते हुए पकड़ लिया तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुयी। मैंने अनिल से माफ़ी मांगी। तब अनिल ने क्या कहा मालुम है?"
अनीता ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखते हुए अपनी उत्सुकता को दबाने का प्रयास करते हुए पूछा "क्या कहा अनिल ने?"
मैंने फ़ौरन कहा, "अनिल ने कहा, अनिता की ऐसी आधी नंगी तस्वीर यदि मैंने देख ली तो क्या हुआ? उसे तो उस समय बीच पर सैकड़ों लोगो ने आधी नंगी बिकिनी में देखा था। उसने कहा हम दोनों कपल में क्या अंतर है? अनीता और नीना या राज और अनिल सब एक ही तो हैं? हम को हमारे बिच ऐसा कोई अंतर नहीं रखना चाहिए। " मैंने फिर नीना से पूछा, "कुछ समझी?"
नीना बोली, "हाँ, सही तो है। हम दोनों कपल अब इतने करीब हैं की हम में एक तरहकी आत्मीयता है। उसने ठीक ही कहा। उसमें सोचने की क्या बात है?"
तब मैंने नीना के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "हाय मेरी बुद्धू बीबी। तू इसका मतलब नहीं समझी। अनिल का कहने का मतलब शायद ये था की चाहे अनिल हो या मैं, तुम्हारे लिए दोनों बराबर होने चाहिए। और चाहे अनिल हो या मैं, अनीता के लिए भी दोनों बराबर होने चाहिए। इसका मतलब समझी?"
नीना फिर भी भोलेपन से मुझे ताकती रही तब मैंने कहा, "हे भगवान्, मेरी बीबी कितनी बुद्धू है। अरे अनिल यह इशारा कर रहा था की चाहे तुम हो चाहे अनीता हो अनिल के लिए दोनों पत्नीयां ही हैं। वैसे ही अनीता के लिए भी हम दोनों उसके पति ही हैं। इसका मतलब है हम एक दूसरे की पत्नियों की अदलाबदली कर सकते हैं। मतलब हम एक दूसरे की पत्नियों को चोद सकते हैं।"
यह सुनकर नीना एकदम अकड़ गयी और बोली, "यह क्या बात हुई। भाई एक दूसरे की बीबियों के साथ थोड़ा मिलना जुलना, थोड़ी शरारत अथवा थोड़ी सी छेड़ खानी ठीक है, पर अदलाबदली की बात कहाँ से आई? बड़ी गलत बात कही अनिल ने अगर उसका यह मतलब समझता है वह तो। पर मुझे लगता है शायद उसका कहनेका वह मतलब नहीं था। यह सब बातें तुमने ही बनायी लगाती है। वह तो शालीन और सीधासादा है।" मैं अपने ही मन में मेरी सरल पत्नी की यह बात सुन कर हंस रहा था। अनिल और सीधा सादा?"
मैंने तीर निशाने पर लगाने के लिए कहा, "अनिल ने और क्या कहा सुनोगी?" नीना ने अपनी मुंडी हिला कर हाँ कहा।
मैंने कहा, 'तब अनिल ने मुझसे पूछा, अगर तुम्हारी ऐसी आधी नंगी तस्वीरें हों तो मैं उनको अनिल के साथ शेयर नहीं करूँगा क्या? मैं क्या बोलता? मैंने कहा हाँ जरूर करूँगा।"
नीना यह सुनते ही एकदम सहम गई। वह मुझ से नजर भी मिला नहीं पा रही थी। शर्म से उसका मुंह लाल होगया था। नीना सोचमें पड़ गयी और बोली, "यदि मेरी ऐसी तस्वीर तुम्हारे पास होती तो क्या तुम अनिल को दिखाते? यह बात तो ठीक नहीं। पर खैर मेरी ऐसी तस्वीरें कहाँ है, जो तुम अनिल को दिखाओगे? हम तो हनीमून पर कहीं गए ही नहीं।" उसके चेहरे पर निराशा सी छा गयी।
मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, " अब तो तुम्हें और मुझे ऐसे तस्वीरें खिंचवानी पड़ेंगी।"
नीना से पट से बोली, 'ताकि तुम उसे अनिल को दिखा सको?"
मैंने सीधे ही पूछा, "हाँ, वो तो मुझे दिखानी ही पड़ेंगी। मैंने वचन जो दे दिया है अनिल को। पर तब क्या तुमे ऐतराज़ होगा? अरे हाँ याद आया, अनिल ने तुमको आधा नंगा तो उस दिन देख ही लिया था न, जिस दिन तुम तौलिया लपेट कर उससे मिलने आयी थी?"
नीना ने कोई जवाब नहीं दिया। वह मेरेसे एकदम सट रही थी और गरम हो गई थी। उस रात भी हमने खूब जोर शोर से सेक्स किया। अब तो मुझे नीना को गरम करने की चाभी सी जैसे मिल गयी थी। जब भी नीना थकान का बहाना करके सोने के लिए जाती और अगर मेरा मूड उसे चोदने का होता तो मैं अनिल की कोई न कोई रसीली बात छेड़ देता। कई बार तो मुझे बाते बनानी पड़ती थी। परन्तु मेरी बुद्धू बीबी यह समझ नहीं पाती थी की मैं उसे चोदने के लिए तैयार करने के लिए यह सब सुना रहा था। अब मुझे इसी बात को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होना था।
पर मुझे कुछ ज्यादा करने की जरुरत नहीं पड़ी। बात अपने आप ही बनने लग रही थी। एक दिन अनिल घूमते घूमते मुझे मिलने आया। मैं उस दिन टीवी पर मेरा मन पसंद एक खास मैच देख रहा था। तब नीना ने रसोई में से मुझे आवाज़ दी। वह मुझे एक डिब्बा उतारने के लिए कह रही थी। मैंने उसे कहा अनिल को कहो। वह उतार देगा। यह सुनकर अनिल एकदम रसोई में पहुंचा तो देखा की नीना को ऊपर के शेल्फ से एक डिब्बा उतारना था। अनिल ने नीना से कहा की वह प्लेटफार्म पर चढ़ कर डिब्बा उतार लेगा। पर नीना नहीं मानी।
उसके बुलाने पर भी मैं रसोई में नहीं गया उस बात से वह चिढ़ी हुयी थी। उसके सर पर एक तरह का जूनून सवार था की वह डिब्बा स्वयं ही उतारेगी। किसीकी मदद नहीं लेगी। वह खुद रसोई के प्लेटफार्म के ऊपर चढने की कोशिश कर रही थी। प्लेटफार्म की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण वह ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। उसने अपना एक पॉंव ऊपर उठाया और प्लेटफार्म पर रखा तो उसकी साड़ी सरक कर कमर पर आ गयी और उसकी जांघें अनिल के सामने ही नंगी हो गईं।
अनिल की शक्ल उस समय देखने वाली थी। वह नीना की खूबसूरत जाँघें देख भौंचक्का सा रह गया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। जब नीना ने अनिल के चेहरे के भाव देखे तो वह कुछ सकपका कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी साडी ठीक की। अनिल ने अपने आप को सम्हाला और दुबारा कहा की वह लम्बा है और वह आसानी से डिब्बा उतार लेगा। पर नीना फिर भी न मानी।
नीना ने अनिल से कहा की वह खुद ही ऊपर चढ़ेगी। तब अनिल ने नीना को आगे बढ़ाया और खुद नीना के पीछे हो गया। नीना को सहारा देने के लिए अनिल ने थोड़ा झुक नीना की दोनों बगल में पीछे से अपने हाथ डाल दिए और बड़ी ताकत लगाकर उसे ऊपर उठाया। बाप रे, मुझे जब
मैंने सोचा की शंका कुशंका करते रहेंगे तो आगे बढ़ नहीं सकते। आखिर कुछ पाने के किये कुछ समझौता तो करना पड़ता ही है। और फिर हम सब कहाँ एकसाथ सारी ज़िन्दगी रहने वाले थे। अब बात थी पत्नियों को पटाने की। यह एक बड़ी चुनौती थी।
फिर मेरे मनमें एक बात आई। दो औरतों को एकसाथ चुदवाने के लिए राज़ी करना मुझे कठिन लगा। वैसे ही औरतें बड़ी ईर्षालु होती है। वह अपने पति को दुसरी औरत को चोदते हुए देख सके यह मुझे मुश्किल सा लग रहा था। ऐसा करने की बात करने से पहले मैंने सोचा क्यों न पहले हम दो मर्द एक बीबी को तैयार करते हैं। एक बीबी को अगर हमने फ़ांस लिया तो दूसरी आराम से फँस जायेगी। और अगर एक फँस गयी तो फिर वह दुसरी को जरूर चुदवाने के लिए तैयार करेगी। साथ साथ मैं पहले नीना को चुदवाने का मजा लेना चाहता था। मेरे मनमे एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।
वैसे मेरे मन में भी तो यह इच्छा थी की मेरी बीबी भी एक बार गैर मर्द का टेस्ट करे। मैं देखना चाहता था की मेरे सामने दूसरा मर्द कैसे मेरी बीबी को चोदता है, मेरी बीबी कैसे उससे चुदवाती है और मैं भी दूसरे मर्द के साथ मिलकर कैसे मेरी बीबी को चोदता हूँ। कई बार मैंने देखा था की मैं तो झड़ गया था पर मेरी बीबी नहीं झड़ पाई और अपना मन मसोस कर रह गयी। अगर नीना को दो मर्द चोदते हैं तो साफ़ बात है की वह भी ओर्गाज़म का ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकती है। उसको बार बार झड़ने से वह बहुत एन्जॉय करेगी। यही बात को सोच कर मैं जोश में आ गया। अनिल और नीना की केमिस्ट्री देख कर में पागल सा हो रहा था। मैं नीना को अनिल से चुदवाने के बारें में गम्भीरता से सोचने लगा।
अनिल का मेरी पत्नी की और आकर्षण (आकर्षण से ज्यादा उपयुक्त शब्द था पागलपन) को मैं भली भांति जानता था। अनिल को नीना की और से थोड़ा सा भी सकारात्मक रवैया दिखाई दिया तब तो अनिल नीना का पीछा नहीं छोड़ेगा। और यदि एकबार उस ने नीना का नंगा जिस्म देख लिया तो फिर तो मुझे पता था की वह उसे बार बार चोदना चाहेगा। तब वह आसानी से अनीता को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार कर पाएगा इस बातका मुझे पूरा यकीन था। दूसरे, तब नीना भी अनीता को राजी कर लेगी। मैं जानता था की यदि नीना चाहेगी तो अनीता को जरूर तैयार कर सकती है। पर इसके लिए पहले नीना के अवरोध का बाँध तोड़ना जरुरी था।
नीना को गरम करने के लिए मैं अनायास ही अनिल की बात छेड़ देता था। बातों बातों में मैं कुछ न कुछ ऐसे विषय ला देता था की नीना गरम हो जाए। मैंने एक रात जब नीना थकी हुयी थी और सोने जा रही थी, तब उसको गर्म करने के इरादे से अनिल के बारेमें बात छेड़ी। मैंने वह लीफाफा निकाला जिसमें अनीता और अनिल के सेक्सी पोसेस वाली तस्वीरें थी। नीना एक के बाद एक तस्वीरें देखने लगी। मैंने टेढ़ी नजर से देखा की नीना अनीता में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही थी, पर अनिल की छोटे से जांघिये में उस के उठे हुए लण्ड वाली और जांघिये को छोड़ कर बाकी पूरी नंगी तस्वीरों को वह थोड़े ज्यादा ही ध्यान से देख रही थी।
मैंने जैसे इसको देखा ही नहीं, ऐसे जताते हुए बोला, "जब अनिल ने मुझे अनीता की ऐसी आधी नंगी तस्वीरें देखते हुए पकड़ लिया तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुयी। मैंने अनिल से माफ़ी मांगी। तब अनिल ने क्या कहा मालुम है?"
अनीता ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखते हुए अपनी उत्सुकता को दबाने का प्रयास करते हुए पूछा "क्या कहा अनिल ने?"
मैंने फ़ौरन कहा, "अनिल ने कहा, अनिता की ऐसी आधी नंगी तस्वीर यदि मैंने देख ली तो क्या हुआ? उसे तो उस समय बीच पर सैकड़ों लोगो ने आधी नंगी बिकिनी में देखा था। उसने कहा हम दोनों कपल में क्या अंतर है? अनीता और नीना या राज और अनिल सब एक ही तो हैं? हम को हमारे बिच ऐसा कोई अंतर नहीं रखना चाहिए। " मैंने फिर नीना से पूछा, "कुछ समझी?"
नीना बोली, "हाँ, सही तो है। हम दोनों कपल अब इतने करीब हैं की हम में एक तरहकी आत्मीयता है। उसने ठीक ही कहा। उसमें सोचने की क्या बात है?"
तब मैंने नीना के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "हाय मेरी बुद्धू बीबी। तू इसका मतलब नहीं समझी। अनिल का कहने का मतलब शायद ये था की चाहे अनिल हो या मैं, तुम्हारे लिए दोनों बराबर होने चाहिए। और चाहे अनिल हो या मैं, अनीता के लिए भी दोनों बराबर होने चाहिए। इसका मतलब समझी?"
नीना फिर भी भोलेपन से मुझे ताकती रही तब मैंने कहा, "हे भगवान्, मेरी बीबी कितनी बुद्धू है। अरे अनिल यह इशारा कर रहा था की चाहे तुम हो चाहे अनीता हो अनिल के लिए दोनों पत्नीयां ही हैं। वैसे ही अनीता के लिए भी हम दोनों उसके पति ही हैं। इसका मतलब है हम एक दूसरे की पत्नियों की अदलाबदली कर सकते हैं। मतलब हम एक दूसरे की पत्नियों को चोद सकते हैं।"
यह सुनकर नीना एकदम अकड़ गयी और बोली, "यह क्या बात हुई। भाई एक दूसरे की बीबियों के साथ थोड़ा मिलना जुलना, थोड़ी शरारत अथवा थोड़ी सी छेड़ खानी ठीक है, पर अदलाबदली की बात कहाँ से आई? बड़ी गलत बात कही अनिल ने अगर उसका यह मतलब समझता है वह तो। पर मुझे लगता है शायद उसका कहनेका वह मतलब नहीं था। यह सब बातें तुमने ही बनायी लगाती है। वह तो शालीन और सीधासादा है।" मैं अपने ही मन में मेरी सरल पत्नी की यह बात सुन कर हंस रहा था। अनिल और सीधा सादा?"
मैंने तीर निशाने पर लगाने के लिए कहा, "अनिल ने और क्या कहा सुनोगी?" नीना ने अपनी मुंडी हिला कर हाँ कहा।
मैंने कहा, 'तब अनिल ने मुझसे पूछा, अगर तुम्हारी ऐसी आधी नंगी तस्वीरें हों तो मैं उनको अनिल के साथ शेयर नहीं करूँगा क्या? मैं क्या बोलता? मैंने कहा हाँ जरूर करूँगा।"
नीना यह सुनते ही एकदम सहम गई। वह मुझ से नजर भी मिला नहीं पा रही थी। शर्म से उसका मुंह लाल होगया था। नीना सोचमें पड़ गयी और बोली, "यदि मेरी ऐसी तस्वीर तुम्हारे पास होती तो क्या तुम अनिल को दिखाते? यह बात तो ठीक नहीं। पर खैर मेरी ऐसी तस्वीरें कहाँ है, जो तुम अनिल को दिखाओगे? हम तो हनीमून पर कहीं गए ही नहीं।" उसके चेहरे पर निराशा सी छा गयी।
मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, " अब तो तुम्हें और मुझे ऐसे तस्वीरें खिंचवानी पड़ेंगी।"
नीना से पट से बोली, 'ताकि तुम उसे अनिल को दिखा सको?"
मैंने सीधे ही पूछा, "हाँ, वो तो मुझे दिखानी ही पड़ेंगी। मैंने वचन जो दे दिया है अनिल को। पर तब क्या तुमे ऐतराज़ होगा? अरे हाँ याद आया, अनिल ने तुमको आधा नंगा तो उस दिन देख ही लिया था न, जिस दिन तुम तौलिया लपेट कर उससे मिलने आयी थी?"
नीना ने कोई जवाब नहीं दिया। वह मेरेसे एकदम सट रही थी और गरम हो गई थी। उस रात भी हमने खूब जोर शोर से सेक्स किया। अब तो मुझे नीना को गरम करने की चाभी सी जैसे मिल गयी थी। जब भी नीना थकान का बहाना करके सोने के लिए जाती और अगर मेरा मूड उसे चोदने का होता तो मैं अनिल की कोई न कोई रसीली बात छेड़ देता। कई बार तो मुझे बाते बनानी पड़ती थी। परन्तु मेरी बुद्धू बीबी यह समझ नहीं पाती थी की मैं उसे चोदने के लिए तैयार करने के लिए यह सब सुना रहा था। अब मुझे इसी बात को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होना था।
पर मुझे कुछ ज्यादा करने की जरुरत नहीं पड़ी। बात अपने आप ही बनने लग रही थी। एक दिन अनिल घूमते घूमते मुझे मिलने आया। मैं उस दिन टीवी पर मेरा मन पसंद एक खास मैच देख रहा था। तब नीना ने रसोई में से मुझे आवाज़ दी। वह मुझे एक डिब्बा उतारने के लिए कह रही थी। मैंने उसे कहा अनिल को कहो। वह उतार देगा। यह सुनकर अनिल एकदम रसोई में पहुंचा तो देखा की नीना को ऊपर के शेल्फ से एक डिब्बा उतारना था। अनिल ने नीना से कहा की वह प्लेटफार्म पर चढ़ कर डिब्बा उतार लेगा। पर नीना नहीं मानी।
उसके बुलाने पर भी मैं रसोई में नहीं गया उस बात से वह चिढ़ी हुयी थी। उसके सर पर एक तरह का जूनून सवार था की वह डिब्बा स्वयं ही उतारेगी। किसीकी मदद नहीं लेगी। वह खुद रसोई के प्लेटफार्म के ऊपर चढने की कोशिश कर रही थी। प्लेटफार्म की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण वह ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। उसने अपना एक पॉंव ऊपर उठाया और प्लेटफार्म पर रखा तो उसकी साड़ी सरक कर कमर पर आ गयी और उसकी जांघें अनिल के सामने ही नंगी हो गईं।
अनिल की शक्ल उस समय देखने वाली थी। वह नीना की खूबसूरत जाँघें देख भौंचक्का सा रह गया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। जब नीना ने अनिल के चेहरे के भाव देखे तो वह कुछ सकपका कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी साडी ठीक की। अनिल ने अपने आप को सम्हाला और दुबारा कहा की वह लम्बा है और वह आसानी से डिब्बा उतार लेगा। पर नीना फिर भी न मानी।
नीना ने अनिल से कहा की वह खुद ही ऊपर चढ़ेगी। तब अनिल ने नीना को आगे बढ़ाया और खुद नीना के पीछे हो गया। नीना को सहारा देने के लिए अनिल ने थोड़ा झुक नीना की दोनों बगल में पीछे से अपने हाथ डाल दिए और बड़ी ताकत लगाकर उसे ऊपर उठाया। बाप रे, मुझे जब
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.