13-10-2023, 09:28 AM
रात को वापस आया फिर सबलोगो ने खाना खाया और फिर शुमैला बर्तन धोने लगी
तो मम्मी ने मुझसे कहा, "बेटा आज तू अपनी बहन की लेगा, तुझे उसके सामने अपनी
मम्मी तो अच्छी नही लगेगी."
"ओह्ह मम्मी आप कैसी बात करती हो, आप तो पहले हैं और शुमैला बाद मे.
आज आप अकेले सो जाओ आज शुमैला को कोशिश करके चोद लूँ तो फिर कल आपको."
"ठीक है बेटा अगर वह ना माने तो ज़बरदस्ती मत करना, अगर वह डर गयी तो
तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा, जितना करवाए उतना करना बाकी मे कल तुम्हारा पूरा
काम बनवा दूँगी."
फिर मम्मी शुमैला से बोली, "बेटी मे सोने जा रही हूँ, तुम बर्तन धोकर
सोना, आमिर बेटा जाओ तुम भी सोओ जाकर."
"आप चलिए मम्मी मे ज़रा टीवी देखूँगा."
फिर मम्मी चली गयी तो मे किचन मे घुस गया और शुमैला के पिछे खड़ा
हो उसकी गांद मे लंड लगाया. वह अपनी गांद को मेरे लंड पर दबाती मुझे
देख मुस्करती बोली, "ओह्ह भाई जान क्या है, जाइए आप टीवी देखिए मे काम कर
रही हूँ."
"तुमको रोका किसने है हाई आज तो मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा दिन था और अब
रात भी सबसे हसीन होगी."
"क्यों भाई जान?"
"हा आहह आज रात मेरी खूबसूरत जवान बहन मेरे साथ बिस्तर पर होगी ना
इसलिए." और उसकी चूचियों को पकड़ा.
"ओह्ह भाई जान चलिए हटिए, आप चलिए मे आती हूँ."
"मेरे साथ ही चलना हाई यार जल्दी धो बर्तन और चलो देख ना यह कितना
तड़प रहा है." और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वा मेरी पॅंट को देखते बोली, "ओह्ह भाई जान आप चलिए फिर मेरी चूस्कर इसे
सही कर लीजिएगा."
"तुम तो बस अपनी चूचियों को ही चुस्वाति हो शुमैला यार अब बहुत चूसी है
तुम्हारी चूचियाँ अब अपनी चूत चटवाना." और उसकी चूत छूने की कोशिश की
तो वह मेरा हाथ हटाने लगी.
"भाई जान मुझे अपनी चुसवाने मे बहुत मज़ा आया था." वह मेरा हाथ अपनी
चूचियों पर रखती बोली.
"अरे यार तुम एक बार अपनी चूत को अपने भाई से चटवाकर तो देखो चूचियों
से ज़्यादा मज़ा चूत मे होता है." मेने कसकर चूचियों को मसला.
"भाई जान आप कहते है तो सच होगा लेकिन मुझे बहुत डर लगता है." वह अपनी
चूचियों को देखते बोली.
"अच्छा तू एक बात बता, तुझे अपनी चूत चट्वाने मे क्या डर लगता है?"
"व्व वह वो भाई जान...."
"हां हां बताओ ना."
"ज्ज्ज्जई भाई जान वा मुझे मेरा मतलब है मुझे शरम आती है." उसने सर
झुकाया.
"पगली शरम क्यों लगती है?" मेने उसके चेहरे को हाथो से पकड़ अपनी ओर
किया.
"आप मेरे भाई है ना." उसने यह कहते हुए मुझे देखा और सर फिर झुका लिया.
मे उसके गालो को पकड़ उसके होंठो को चूम बोला, "अरे यार शरमाने की क्या
बात जब चूचियों को चुस्वा चुकी हो और चूत दिखा चुकी हो तो क्या शरम.
चल पगली अब मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत नही. चलो अब चलते है."
फिर मैने उसे गोद मे उठाया तो वह मेरी गोद से उतरते हुए बोली, "ओके भाई जान ठीक
है आप जैसे चाहे वैसे मज़ा लीजिएगा अपनी प्यारी छोटी बहन का पर आप
छोड़िए तो."
"अब क्या है?"
"आप अपने रूम मे चलिए मे वही आती हूँ."
"शुमैला तुम्हारे रूम मे चलते हैं ना?"
"भाई जान मेरे रूम मे अटॅच टाय्लेट नही है, आपके रूम मे टाय्लेट है ना,
वरना टाय्लेट के लिए बाहर आना पड़ेगा."
"अच्छा ठीक है जल्दी आना."
फिर मे अपने रूम मे आया और बेड पर लेट गया और अपनी बहन के आने का
इंतेज़ार करने लगा. मे लेटा हुआ अपनी मम्मी के बारे मे सोच रहा था कि
बेचारी मम्मी आज अकेले तड़प रही होगी. तभी दरवाज़े पर आहट हुई तो मेने
देखा और देखता ही रह गया.
दरवाज़े पर शुमैला खड़ी थी. उफ्फ कितनी हसीन लग रही थी वह. उसके बदन
पर एक सफेद झीना सा छ्होटा कुर्ता था जो उसकी कमर तक ही था और अंदर ब्लेक्ज
ब्रा पहने थी. नीचे भी वह केवल काली पैंटी पहने थी और कुच्छ नही. उसने
मेक-अप भी किया था. होंठो पर लाल लिपस्टिक थी और आँखों मे काजल और
पर्फ्यूम भी लगी थी. मे उसे पागलों की तरह देखता रहा. अपनी छ्होटी बहन को
तीन सेक्सी कपड़ो मे देख सबकुच्छ भूल गया.
जब मे उसे देखता रहा तो वह मुस्काराकार बोली, "भाई जान अब देखते ही रहिएगा
या अंदर आने को भी कहिएगा."
मे उसकी बात सुन बेड से उतर उसके पास गया और दरवाज़ा बंद कर उसे गोद मे
उठाया और फिर बेड पर लिटाया और उसके पास बैठ उसे देखने लगा. वह इस तरह
अपने आपको देखता पा मुस्कराती हुई बोली, "क्या बात है भाई जान अब देख भी
चुको."
"शुमैला मेरी जान क्या बात है यार इस वक़्त तू बहुत प्यारी लग रही है मन
कर रहा है कि देखता ही रहूं."
"भाई जान अब देखना बंद करिए, कल पूरा दिन देख लीजिएगा, अब जो करना हो
करिए मुझे सोना है और सुबह कॉलेज जाना है."
तब मेने उसके होंठो को कुच्छ देर तक चूसा. वह भी मेरे होंठो को चूस्ति
रही फिर मेने उसके कुर्ते को उतारा और ब्रा को अलग किया तो दिन मे जी भरकर
चूसी गयी दोनो चूचियाँ ऊपर को तनी तनी मुझे ललचाने लगी. मेने दोनो
हाथो से शुमैला की दोनो चूचियों को पकड़ा फिर धीरे धीरे सहलाने लगा.
मे चूचियों को सहलाते हुए शुमैला को देख रहा था. वह भी मुझे ही देख
रही थी और मुस्करा भी रही थी.
मेने उसकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाते हुए उसके होंठो को चूमा बोला,
"शुमैला तुम्हारी चूचियाँ बहुत प्यारी है."
वह मुस्काराई और मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दबाव ज़्यादा करते हुए बोली,
"भाई जान मेरी चूचियाँ आपके लिए है. लीजिए मज़ा अपनी बहन की चूचियों
का, दबा दबाकर भाई जान."
मेने उसकी चूचियों को 6-7 मिनट तक दबाया और वह बराबर मुझे देखती
रही. फिर वह मेरा हाथ पकड़ बोली, "भाई जान अब बस भी करिए."
"हाई बहुत अच्छा लग रहा है."
"अब फिर दबा लीजिएगा, अब ज़रा इनको मुँह मे लेकर चूसिए ना."
"तुमको चुसवाना अच्छा लगता है?"
"हां भाई जान बहुत मज़ा आया था दिन मे."
"ठीक है जब मन हो तब चुस्वा लिया करना."
फिर झुककर उसकी एक चूची को जीभ से चाटने लगा. कुच्छ देर बाद दूसरी को
भी चाटा और फिर एक को मुँह मे लेकर चूसने लगा. 4-5 मिनट बाद दूसरी को
भी खूब चूसा. वह अब आँखें बंद कर सिसकते हुए मेरा सर अपनी चूचियों
पर दबा रही थी. कुच्छ देर बाद उसके निपल को मुँह मे लेकर जब पीना शुरू
किया तो वह एकदम मस्त हो हाई हाई करने लगी. अब वह अपनी चूचियों को अपने
हाथ से दबा दबा मुझे पिला रही थी.
"हाई भाई जान हाई मेरे प्यारे भाई जान और और हाई बहुत मज़ा है पिलाने मे,
पियो सारा रस पी जाओ."
10 मिनट तक दोनो निपल चूसे फिर मुँह अलग कर उसकी बगल मे लेट गया.
थोड़ी देर मस्ती की लौ मे रहने के बाद उसने आँखे खोल मुझे देखा और
मुस्कराते हुए बोली, "शुक्रिया भाई जान."
"मज़ा आया ना?"
"बहुत हाई आपको मज़ा आया मेरी चूचियों का रस पीने मे?"
"अरे यार तुझे मालूम नही कि जब बच्चा होता है तभी इनमे रस होता है."
"ओह्ह भाई जान मुझे नही पता था. तो क्या आपको मज़ा नही आया?"
"अरे यार मुझे तो बहुत मज़ा आया, मे तो रस के बारे मे बता रहा था,
हां अभी तुम्हारी चूत मे रस ज़रूर होता है, अगर तुम मुझे अपनी चूत का
रस पिला दो तो मुझे मज़ा आ जाए."
वह मुझे देखने लगी फिर चुप हो गयी और कुच्छ सोचने लगी. कुच्छ देर बाद
उसने मुझे देखा और मुस्काराकार बोली, "ठीक है भाई जान आप आज अपनी बहन की
चूत चाट कर दिखाइए उसमे कितना मज़ा है."
मे खुश हो गया और उसे चूम नीचे उसकी कमर के पास गया. फिर धीरे धीरे
उसकी पैंटी को उतारने लगा. उसने चूतर उठा पैंटी अलग करवाई तो उसकी चूत
देख मस्त हो गया. एकदम चिकनी लग रही थी. शायद अभी क्रीम से थोड़े बहुत
रोएँ भी सॉफ कर आई थी. मेने उसे बेड पर टेक लगा बिठाया और उसकी गांद
के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत उभर आई. फिर उसकी टाँगो के बीच
लेटा और उसकी चूत के दोनो फाँक उंगली से खोल देख कर मुस्काराया तो वह भी
मुस्करा दी.
"भाई जान क्या देख रहे हो?"
"देख रहा हूँ कितनी प्यारी है हाई इसको तो बस चाटने का मन कर रहा है."
"तो चाटिये ना भाई जान अब किस बात की देर है? लो चाटो."
उसने अपनी कमर उचकाई तो मेने उसकी चूत पर हाथ फिराया. चूत पर हाथ
रखते ही मेरे बदन मे सनसनी दौड़ गयी. वह भी मचल सी गयी. उसके मुँह
से एक आह निकल गयी. मे उसकी चूत को हाथ लगा मस्त हो गया. मम्मी की चूत
से कहीं ज़्यादा खूबसूरत चूत थी शुमैला की. मन तो कर रहा था कि हाथ
रखे चूत को देखता रहूं.
शुमैला की चूत को 4-5 बार सहलाया तो वह बोली, "भाई जान अच्छा लग रहा
है."
"हाई बहुत प्यारी चूत है, हेया छ्होटी सी फाँक वाली गुलाबी गुलाबी." और फिर
उंगली से दोनो फाँक खोलकर देखा तो च्छेद देख बोला, "और दोनो फाँक कितने
मस्त है और हाई कितना प्यारा च्छेद है, हाई शुमैला मेरी जान ऐसी चूत तो
बस रात भर चाटने के लिए होती है."
"भाई जान हाई आपकी बहन आपके सामने ऐसे ही चूत खोले लेटी है और आप
चाट क्यों नही रहे?"
"चाटुन्गा चाटुन्गा यार हाई देखने से ही इतना मज़ा आ रहा है."
फिर चेहरे को उसकी चूत पर झुकाया और नाक को उसकी चूत पर सून्घ्ता हुआ
बोला, "हाई आहह कितनी प्यारी, नशीली खुश्बू आ रही है तेरी चूत से, आहह
हाई तुम्हारी पैंटी की खुश्बू से ज़्यादा मस्त खुश्बू चूत मे है."
वह मुझे अपनी चूत की खुश्बू सूंघते देख खुश हो गयी और मेरे सर पर
हाथ लगा धीरे से बोली, "ओह भाई जान हाई आप कितने अच्छे हैं, आप अपनी बहन
को कितना प्यार करते हैं हाई और प्यार करिए अपनी बहन को आपकी बहन अब
आपकी दीवानी हो गयी है."
कुच्छ देर तक चूत की खुश्बू लेने के बाद उसकी चूत को चूमा तो वह एकदम से
फडक गयी और उसकी गांद तकिये से उछल गयी और वह मेरा सर अपनी चूत पर
दबाते हाई हाई करती बोली, "ओह्ह हाई आहह ब्ब्भ्ह्ह्हाऐज्जाआन उुउऊहह भाई जान
हां हां और और ऐसे ही करिए हाई बहुत अच्छा."
क्रमशः……………
gataank se aage…………………
Raat ko wapas aaya fir sablogo ne khana khaia aur fir Shumaila bartan dhone lagi
tu Mammi ne mujhse kaha, "beta aaj tu apni bahan ki lega, tujhe uske saamne apni
Mammi tu achhi nahi lagegi."
"Ohh Mammi aap kaisi baat karti ho, aap tu pahle hain aur Shumaila baad me.
Aaj aap akele so jao aaj Shumaila ko koshish karke chod loon tu fir kal aapko."
"Theek hai beta agar wah na mane tu jabardasti mat karma, agar wah darr gayi tu
tumhara kaam bigad jayega, jitna karwaye utna karma baki me kal tumhara pora
kaam banwa doongi."
Fir Mammi Shumaila se boli, "Beti me sone ja rahi hoon, tum bartan dhokar
sona, Amir beta jao tum bhi so jakar."
"Aap chaliye Mammi me zara TV dekhunga."
Fir Mammi chali gayi tu me kitchen me ghus gaya aur Shumaila ke pichhe khada
ho uski gaand me lund lagaya. Wah apni gaand ko mere lund par dabati mujhe
dekh muskarati boli, "Ohh Bhai jaan kya hai, jaiye aap TV dekhiye me kaam kar
rahi hoon."
"Tumko roka kisne hai haai aaj tu meri zindagi ka sabse achha din tha aura b
raat bhi sabse haseen hogi."
"Kyon Bhai jaan?"
"Haa aahh aaj raat meri khoobsurat jawan bahan mere saath bistar par hogi na
isliye." Aur uski choochiyon ko pakra.
"Ohh Bhai jaan chaliye hatiye, aap chaliye me aati hoon."
"Mere saath hi chalna haai yaar jaldi dho bartan aur chalo dekh na yah kitna
tarap raha hai." Aur apne lund par haath lagaya.
Wah meri pant ko dekhte boli, "Ohh Bhai jaan aap chaliye fir meri chooskar ise
sahi kar lijiyega."
"Tum tu bas apni choochiyon ko hi chuswati ho Shumaila yaar ab bahut choosa hai
tumhari choochiyan ab apni choot chatwana." Aur uski choot chhone ki koshish kit
u wah mera haath hatane lagi.
"Bhai jaan mujhe apni chuswane me bahut maza aaya tha." Wah mera haath apni
choochiyon par rakhti boli.
"Are yaar tum ek baar apni choot ko apne bhai se chatwakar tu dekho choochiyon
se zyada maza choot me hota hai." Mene kaskar choochiyon ko masla.
"Bhai jaan aap kahte hai tu sach hoga lekin mujhe bahut darr lagta hai." Wah apni
choochiyon ko dekhte boli.
"Achha tu ek baat bata, tujhe apni choot chaTwaane me kya darr lagta ha?"
"Ww Wah wo Bhai jaan...."
"Haan haan batao na."
"Jjjji Bhai jaan wah mujhe mera matlab hai mujhe sharam aati hai." Usne sar
jhukaya.
"Pagli sharam kyon lagti hai?" Mene uske chehre ko haatho se pakad apni or
kiya.
"Aap mere bhai hai na." Usne yah kahte hue mujhe dekha aur sar fir jhuka liya.
Me uske gaalo ko pakad uske hontho ko choom bola, "Are yaar sharmane ki kya
baat jab choochiyon ko chuswa chuki ho aur choot dikha chuki ho tu kya sharam.
Chal pagli ab mujhse sharmane ki koi zarurat nahi. Chalo ab chalet hai."
Fir use god me uthaia tu wah meri god se utarte hue boli, "OK Bhai jaan theek
hai aap jaise chahe waise maza lijiyega apni pyari chhoti bahan ka par aap
chhodiye tu."
"Ab kya hai?"
"Aap apne room me chaliye me wahi aati hoon."
"Shumaila tumhare room me chalet hain na?"
"Bhai jaan mere room me attach toilet nahi hai, aapke room me toilet hai na,
warna toilet ke liye bahar aana padega."
"Achha theek hai jaldi aana."
Fir me apne room me aaya aur bed par let gaya aur apni bahan ke aane ka
intezar karne laga. Me leta hua apni Mammi ke bare me soch raha tha ki
bechari Mammi aaj akele tarap rahi hogi. Tabhi darwazepar aahat huyi tu mene
dekha aur dekhta hi rah gaya.
Darwaze par Shumaila khadi thi. Uff kitni haseen lag rahi thi wah. Uske badan
par ek safed jheena sa chhota kurta tha jo uski kamar tak hi tha aur andar blacj
bra pahne thi. Niche bhi wah kewal kali panti pahne thi aur kuchh nahi. Usne
make-up bhi kiya tha. Hontho par laal lipstick thi aur aankhon me kajal aur
perfume bhi lagi thi. Me use paglon ki tarah dekhta raha. Apni chhoti bahan ko
teen sexy kapro me dekh sabkuchh bhool gaya.
Jab me use dekhta raha tu wah muskarakar boli, "Bhai jaan ab dekhte hi rahiyega
ya andar aane ko bhi kahiyega."
Me uski baat sun bed se utar uske paas gaya aur darwaza band kar use god me
uthaia aur fir bed par litaya aur uske paas baith use dekhne laga. Wah is tarah
apne aapko dekhta paa muskarati huyi boli, "Kya baat hai Bhai jaan ab dekh bhi
chuko."
"Shumaila meri jaan kya baat hai yaar is waqt tu bahut pyaari lag rahi hai man
kar raha hai ki dekhta hi rahun."
"Bhai jaan ab dekhna band kariye, kal pora din dekh lijiyega, ab jo karma ho
kariye mujhe sona hai aur subah college jana hai."
Tab mene uske hontho ko kuchh der tak choosa. Wah bhi mere hontho ko choosti
rahi fir mene uske kurte ko utara aur bra ko alag kiya tu din me ji bharkar
choosi gayi dono choochiyan oopar ko tani tani mujhe lalchane lagi. Mene dono
haatho se Shumaila ki dono choochiyon ko pakra fir dhire dhire sahlane laga.
Me choochiyon ko sahlate hue Shumaila ko dekh raha tha. Wah bhi mujhe hi dekh
rahi thi aur muskara bhi rahi thi.
Me uski choochiyon ko dhire dhire sahalate hue uske hoont chooma bola,
"Shumaila tumhari choochiyan bahut pyaari hai."
Wah muskarayi aur mere haatho par apna haath rah dabaw zyada karte hue boli,
"Bhai jaan meri choochiyan aapke liye hai. Lijiye maza apni bahan ki choochiyon
ka, daba dabakar Bhai jaan."
Mene uski choochiyon ko 6-7 minat tak dabaya aur wah barabar mujhe dekhti
rahi. Fir wah mera haath pakad boli, "Bhai jaan ab bas bhi kariye."
"Haai bahut achha lag raha hai."
"Ab fir daba lijiyega, ab zara inko munh me lekar choosiye na."
"Tumko chuswana achha lagta hai?"
"Haan Bhai jaan bahut maza aaya tha din me."
"Theek hai jab man ho tab chuswa liua karna."
Fir jhukkar uski ek choochi ko jeebh se chaaTane laga. Kuchh der baad doosri ko
bhi chaata aur fir ek ko munh me lekar choosne laga. 4-5 minat baad doosri ko
bhi khoob choosa. Wah ab aankhen band kar sisakte hue mera sar apni choochiyon
par daba rahi thi. Kuchh der baad uske nipple ko munh me lekar jab pina shuru
kiya tu wah ekdam mast ho haai haai karne lagi. Ab wah apni choochiyon ko apne
haath se daba daba mujhe pila rahi thi.
"Haai Bhai jaan haai mere pyare Bhai jaan aur aur haai bahut maza hai pilane me,
piyo sara rass pi jao."
10 minat tak dono nipple choose fir munh alag kar uski bagal me let gaya.
Thodi der masti kea lam me rahne ke baad usne aankhe khol mujhe dekha aur
muskarate hue boli, "Shukriya Bhai jaan."
"Maza aaya na?"
"Bahut haai aapko maza aaya meri choochiyon ka rass pine me?"
"Are yaar tujhe maloom nahi ki jab bachcha hota hai tabhi inme rass hota hai."
"Ohh Bhai jaan mujhe nahi pata tha. Tu kya aapko maza nahi aaya?"
"Are yaar mujhe tu bahut maza aaya, me tu rass ke bare me bata raha tha,
haan abhi tumhari choot me rass zaror hota hai, agar tum mujhe apni choot ka
rass pila do tu mujhe maza aa jaye."
Wah mujhe dekhne lagi fir chup ho gayi aur kuchh sochne lagi. Kuchh der baad
usne mujhe dekha aur muskarakar boli, "Theek hai Bhai jaan aap aaj apni bahan ki
choot chaat kar dikhaiye usme kitna maza hai."
Me khush ho gaya aur use choom niche uski kamar ke paas gaya. Fir dhire dhire
uski painty ko utaarne laga. Usne chutar utha painty alag karwaayi to uski choot
dekh mast ho gaya. Ekdam chikni lag rahi thi. Shaiad abhi cream se thode bahut
royen bhi saaf kar aayi thi. Mene use bed par tek laga bithaia aur uski gaand
ke niche takiya rakh diya jisse uski choot ubhar aayi. Fir uski tango ke beech
leta aur uski choot ke dono phaank ungli se khol dekh kar muskaraya tu wah bhi
muskara di.
"Bhai jaan kya dekh rahe ho?"
"Dekh raha hoon kitni pyari hai haai isko tu bas chaaTane ka man kar raha hai."
"Tu chatiye na Bhai jaan ab kis baat ki der hai? Lo chato."
Usne apni kamar uchkaayi tu mene uski choot par haath firaaya. choot par haath
rakhte hi mere badan me sansani daud gayi. Wah bhi machal si gayi. Uske munh
se ek aah nikal gayi. Me uski choot ko haath laga mast ho gaya. Mammi ki choot
se kahin zyada khoobsurat choot thi Shumaila ki. Man tu kar raha tha ki haath
rakhe choot ko dekhta rahun.
Shumaila ki choot ko 4-5 baar sahlaya tu wah boli, "Bhai jaan achha lag raha
hai."
"Haai bahut pyari choot hai, haa chhoti si phaank wali gulabi gulabi." Aur fir
ungli se dono phaank kholkar dekha tu chhed dekh bola, "Aur dono phaank kitne
mast hai aur haai kitna pyaara chhed hai, haai Shumaila meri jaan aisi choot tu
bas raat bhar chaaTane ke liye hoti hai."
"Bhai jaan haai aapki bahan aapke saamne aise hi choot khole leti hai aur aap
chaat kyon nahi rahe?"
"chaaTunga chaaTunga yaar haai dekhne se hi itna maja aa raha hai."
Fir chehre ko uski choot par jhukaya aur nak ko uski choot par soonghta hua
bola, "Haai aahh kitni pyaari, nashili khushbu aa rahi hai teri choot se, aahh
haai tumhari painty ki khushbu se zyada mast khushbu choot me hai."
Wah mujhe apni choot ki khushbu soonghte dekh khush ho gayi aur mere sar par
haath laga dhire se boli, "Oh Bhai jaan haai aap kitne ache hain, aap apni bahan
ko kitna pyaar karte hain haai aur pyaar kariye apni bahan ko aapki bahan ab
aapki deewani ho gayi hai."
Kuchh der tak choot ki khushbu lene ke baad uski choot ko chooma tu wah ekdam se
faDak gayi aur uski gaand takiye se uchhaal gayi aur wah mera sar apni choot par
dabate haai haai karti boli, "Ohh haai aahh bbbhhhhaaaijjaaaan uuuuhhh Bhai jaan
haan haan aur au raise he kariye haai bahut achha."
kramashah………………………..
गतान्क से आगे…………………
फिर दो तीन बार चूमने के बाद जीभ निकाली और उसकी रानो को चाटा फिर जीभ
को उसके दोनो फांको पर ऊपर नीचे तक चला चला 4-5 मिनट चाटा. वह इतने
मे ही एकदम पागल सी हो गयी थी. दोनो फांकोंको चाट चाट्कर थूक से
भिगोने के बाद उसको देखने लगा. चूत से ज़ुबान हटी तो उसने आँखे खोल मुझे
देखा फिर मुस्कराती बोली, "भाई जान बहुत अच्छा लगा."
"अभी चाटूँगा तो और अच्छा लगेगा."
"हाई भाई जान अभी चाटा नही क्या?"
"कहाँ मेरी जान अभी तो ऊपर से मज़ा लिया है." और चूत की फाँक मे उंगली
चलाई.
वह अपने पैर कसकर फैलाती बोली, "हाई आह आज तो मज़े से पागल हो जाउन्गि,
भाई जान इसमे तो चूचियाँ चुसवाने से ज़्यादा मज़ा है."
फिर मेने उसकी फांको मे अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे चलाई और उसके क्लिट को
ज़ुबान से चाटा. क्लिट को ज़बान लगते ही वह एकदम बेहोश सी हो गयी थी. क्लिट को
चाटने के साथ ही उसके छेद मे ज़ुबान डाल डाल पूरी चूत को चूस्कर
चाटने लगा. अब वह मज़े से भारी चूटर को ऊपर की ओर उच्छाल सिसकती हुई
हाई हाई कर रही थी.
फिर हाथ ऊपर कर उसकी दोनो चूचियों को पकड़ दबा दबा चाटने लगा. 8-10
मिनट इसी तरह चाटा कि वह एक तेज़ सिसकारी ले हाई भाई जान बोलती झडने लगी.
मुँह पर उसकी चूत का नमकीन पानी लगा तो मुँह चूत से हटा उसकी चूत को
देखने लगा. चूत से धीरे धीरे नमकीन पानी रिस रहा था. झड़ती चूत बहुत
प्यारी लग रही थी. मे अभी भी उसकी चूचियों को पकड़े था और उसकी चूत
को भी होंठो से कभी कभी मसल देता था.
कुच्छ देर बाद वह जब नॉर्मल हुई तो मुझे देख मुस्काराई और मेरे चेहरे को
पकड़ ऊपर की ओर किया. मे उसके पास गया तो वह मेरे होंठो को चूम कर बोली,
"भाई जान यह कैसा मज़ा दिया आपने, मे तो आसमान पर उड़ रही हूँ."
"मज़ा आया ना चट्वाने मे?"
"हां भाई जान यह तो सबसे हसीन मज़ा था. चूचियों से ज़्यादा मज़ा चूत मे
है."
"हां शुमैला इसीलिए तो कह रहा था, मुझे भी बहुत मज़ा आया, देखो मेरा
लंड कैसा कड़क हो रहा है, हाई अब इसका पानी भी निकालना पड़ेगा वरना यह
मुझे सारी रात सोने नही देगा."
वह यह सुन मुझे देखने लगी. फिर धीरे से मुस्कराई और बोली, "भाई जान जैसे
दिन मे आपका पानी निकला था वैसे ही मेरा भी पानी निकला था अभी."
"हां जब मज़ा आता है तो पानी निकलता है और यही पानी निकलने पर ही असली
मज़ा आता है, मेने तुम्हारा पानी चाट कर निकाला है अब अपना पानी निकालूँगा तो
मुझे भी मज़ा आएगा."
"आप अपना पानी कैसे निकलेंगे?"
"कई तरीके होते है. जैसे मे अपने हाथ से अपना पानी निकालु या तुम अपने
हाथ से निकाल दो या तुम अपने मुँह मे लेकर चाटकार भी निकाल सकती हो और
सबसे प्यारा तरीका है कि तुम्हारी चूत मे इसे डालकर निकालु. सबसे ज़्यादा
मज़ा इसी मे आता है."
"हाई भाई जान कैसे?"
"इसमे तुम्हारा पानी भी निकल जाएगा और मेरा पानी तुम्हारी चूत मे निकलेगा तो
तुमको बहुत मज़ा आएगा. बोलो निकालें इस तरह से?"
"हाई नही भाई जान मुझे डर लगता है."
"ओह्ह तो कोई बात नही मे अपना पानी खुद निकालूँगा."
फिर अपना अंडरवेर उतार उसकी बगल मे लेटा और उसे देखते हुए मूठ मारने
लगा. वह कुच्छ देर बाद बोली, "भाई जान मे कर दूं?"
"हाई करो ना बहुत मज़ा आएगा तुम्हारे हाथ से."
तब वह उठी और मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे हाथ ऊपर नीचे करने
लगी. उसके हाथ मे लंड जाते ही मज़ा बढ़ा. 5-6 बार सहलाया तो मे बोला,
"हाई शुमैला अगर तुम इसे अपने मुँह मे लेकर देखो तो मज़ा आ जाएगा तुमको.
लंड चाटने मे लड़कियों को बहुत मज़ा आता है."
मेरी बात सुन उसने मुझे देखा. वह हिचकिचा रही थी. फिर उसने मुस्काराकार अपने
चेहरे को मेरे लंड पर झुकाया और होंठो को सूपदे के पास लाई. कुच्छ देर तक
रुकी फिर अपनी गरम ज़बान निकाल सूपदे पर लगाया और फिर मुझे देखा. वह कुच्छ
शरमाने सी लगी तो मे उसकी हिम्मत बढ़ाता बोला, "क्यः हुआ शुमैला लो ना
मुँह मे. लो बहुत मज़ा आता है चाटने मे. अगर अच्छा ना लगे तो मत
चाटना. अरे कोई ज़बरदस्ती नही है मे तो तुम्हारा भाई ही हूँ कोई बाहर वाला
या तुम्हारा शौहर नही जो बुरा मानूं."
तो मम्मी ने मुझसे कहा, "बेटा आज तू अपनी बहन की लेगा, तुझे उसके सामने अपनी
मम्मी तो अच्छी नही लगेगी."
"ओह्ह मम्मी आप कैसी बात करती हो, आप तो पहले हैं और शुमैला बाद मे.
आज आप अकेले सो जाओ आज शुमैला को कोशिश करके चोद लूँ तो फिर कल आपको."
"ठीक है बेटा अगर वह ना माने तो ज़बरदस्ती मत करना, अगर वह डर गयी तो
तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा, जितना करवाए उतना करना बाकी मे कल तुम्हारा पूरा
काम बनवा दूँगी."
फिर मम्मी शुमैला से बोली, "बेटी मे सोने जा रही हूँ, तुम बर्तन धोकर
सोना, आमिर बेटा जाओ तुम भी सोओ जाकर."
"आप चलिए मम्मी मे ज़रा टीवी देखूँगा."
फिर मम्मी चली गयी तो मे किचन मे घुस गया और शुमैला के पिछे खड़ा
हो उसकी गांद मे लंड लगाया. वह अपनी गांद को मेरे लंड पर दबाती मुझे
देख मुस्करती बोली, "ओह्ह भाई जान क्या है, जाइए आप टीवी देखिए मे काम कर
रही हूँ."
"तुमको रोका किसने है हाई आज तो मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा दिन था और अब
रात भी सबसे हसीन होगी."
"क्यों भाई जान?"
"हा आहह आज रात मेरी खूबसूरत जवान बहन मेरे साथ बिस्तर पर होगी ना
इसलिए." और उसकी चूचियों को पकड़ा.
"ओह्ह भाई जान चलिए हटिए, आप चलिए मे आती हूँ."
"मेरे साथ ही चलना हाई यार जल्दी धो बर्तन और चलो देख ना यह कितना
तड़प रहा है." और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वा मेरी पॅंट को देखते बोली, "ओह्ह भाई जान आप चलिए फिर मेरी चूस्कर इसे
सही कर लीजिएगा."
"तुम तो बस अपनी चूचियों को ही चुस्वाति हो शुमैला यार अब बहुत चूसी है
तुम्हारी चूचियाँ अब अपनी चूत चटवाना." और उसकी चूत छूने की कोशिश की
तो वह मेरा हाथ हटाने लगी.
"भाई जान मुझे अपनी चुसवाने मे बहुत मज़ा आया था." वह मेरा हाथ अपनी
चूचियों पर रखती बोली.
"अरे यार तुम एक बार अपनी चूत को अपने भाई से चटवाकर तो देखो चूचियों
से ज़्यादा मज़ा चूत मे होता है." मेने कसकर चूचियों को मसला.
"भाई जान आप कहते है तो सच होगा लेकिन मुझे बहुत डर लगता है." वह अपनी
चूचियों को देखते बोली.
"अच्छा तू एक बात बता, तुझे अपनी चूत चट्वाने मे क्या डर लगता है?"
"व्व वह वो भाई जान...."
"हां हां बताओ ना."
"ज्ज्ज्जई भाई जान वा मुझे मेरा मतलब है मुझे शरम आती है." उसने सर
झुकाया.
"पगली शरम क्यों लगती है?" मेने उसके चेहरे को हाथो से पकड़ अपनी ओर
किया.
"आप मेरे भाई है ना." उसने यह कहते हुए मुझे देखा और सर फिर झुका लिया.
मे उसके गालो को पकड़ उसके होंठो को चूम बोला, "अरे यार शरमाने की क्या
बात जब चूचियों को चुस्वा चुकी हो और चूत दिखा चुकी हो तो क्या शरम.
चल पगली अब मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत नही. चलो अब चलते है."
फिर मैने उसे गोद मे उठाया तो वह मेरी गोद से उतरते हुए बोली, "ओके भाई जान ठीक
है आप जैसे चाहे वैसे मज़ा लीजिएगा अपनी प्यारी छोटी बहन का पर आप
छोड़िए तो."
"अब क्या है?"
"आप अपने रूम मे चलिए मे वही आती हूँ."
"शुमैला तुम्हारे रूम मे चलते हैं ना?"
"भाई जान मेरे रूम मे अटॅच टाय्लेट नही है, आपके रूम मे टाय्लेट है ना,
वरना टाय्लेट के लिए बाहर आना पड़ेगा."
"अच्छा ठीक है जल्दी आना."
फिर मे अपने रूम मे आया और बेड पर लेट गया और अपनी बहन के आने का
इंतेज़ार करने लगा. मे लेटा हुआ अपनी मम्मी के बारे मे सोच रहा था कि
बेचारी मम्मी आज अकेले तड़प रही होगी. तभी दरवाज़े पर आहट हुई तो मेने
देखा और देखता ही रह गया.
दरवाज़े पर शुमैला खड़ी थी. उफ्फ कितनी हसीन लग रही थी वह. उसके बदन
पर एक सफेद झीना सा छ्होटा कुर्ता था जो उसकी कमर तक ही था और अंदर ब्लेक्ज
ब्रा पहने थी. नीचे भी वह केवल काली पैंटी पहने थी और कुच्छ नही. उसने
मेक-अप भी किया था. होंठो पर लाल लिपस्टिक थी और आँखों मे काजल और
पर्फ्यूम भी लगी थी. मे उसे पागलों की तरह देखता रहा. अपनी छ्होटी बहन को
तीन सेक्सी कपड़ो मे देख सबकुच्छ भूल गया.
जब मे उसे देखता रहा तो वह मुस्काराकार बोली, "भाई जान अब देखते ही रहिएगा
या अंदर आने को भी कहिएगा."
मे उसकी बात सुन बेड से उतर उसके पास गया और दरवाज़ा बंद कर उसे गोद मे
उठाया और फिर बेड पर लिटाया और उसके पास बैठ उसे देखने लगा. वह इस तरह
अपने आपको देखता पा मुस्कराती हुई बोली, "क्या बात है भाई जान अब देख भी
चुको."
"शुमैला मेरी जान क्या बात है यार इस वक़्त तू बहुत प्यारी लग रही है मन
कर रहा है कि देखता ही रहूं."
"भाई जान अब देखना बंद करिए, कल पूरा दिन देख लीजिएगा, अब जो करना हो
करिए मुझे सोना है और सुबह कॉलेज जाना है."
तब मेने उसके होंठो को कुच्छ देर तक चूसा. वह भी मेरे होंठो को चूस्ति
रही फिर मेने उसके कुर्ते को उतारा और ब्रा को अलग किया तो दिन मे जी भरकर
चूसी गयी दोनो चूचियाँ ऊपर को तनी तनी मुझे ललचाने लगी. मेने दोनो
हाथो से शुमैला की दोनो चूचियों को पकड़ा फिर धीरे धीरे सहलाने लगा.
मे चूचियों को सहलाते हुए शुमैला को देख रहा था. वह भी मुझे ही देख
रही थी और मुस्करा भी रही थी.
मेने उसकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाते हुए उसके होंठो को चूमा बोला,
"शुमैला तुम्हारी चूचियाँ बहुत प्यारी है."
वह मुस्काराई और मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दबाव ज़्यादा करते हुए बोली,
"भाई जान मेरी चूचियाँ आपके लिए है. लीजिए मज़ा अपनी बहन की चूचियों
का, दबा दबाकर भाई जान."
मेने उसकी चूचियों को 6-7 मिनट तक दबाया और वह बराबर मुझे देखती
रही. फिर वह मेरा हाथ पकड़ बोली, "भाई जान अब बस भी करिए."
"हाई बहुत अच्छा लग रहा है."
"अब फिर दबा लीजिएगा, अब ज़रा इनको मुँह मे लेकर चूसिए ना."
"तुमको चुसवाना अच्छा लगता है?"
"हां भाई जान बहुत मज़ा आया था दिन मे."
"ठीक है जब मन हो तब चुस्वा लिया करना."
फिर झुककर उसकी एक चूची को जीभ से चाटने लगा. कुच्छ देर बाद दूसरी को
भी चाटा और फिर एक को मुँह मे लेकर चूसने लगा. 4-5 मिनट बाद दूसरी को
भी खूब चूसा. वह अब आँखें बंद कर सिसकते हुए मेरा सर अपनी चूचियों
पर दबा रही थी. कुच्छ देर बाद उसके निपल को मुँह मे लेकर जब पीना शुरू
किया तो वह एकदम मस्त हो हाई हाई करने लगी. अब वह अपनी चूचियों को अपने
हाथ से दबा दबा मुझे पिला रही थी.
"हाई भाई जान हाई मेरे प्यारे भाई जान और और हाई बहुत मज़ा है पिलाने मे,
पियो सारा रस पी जाओ."
10 मिनट तक दोनो निपल चूसे फिर मुँह अलग कर उसकी बगल मे लेट गया.
थोड़ी देर मस्ती की लौ मे रहने के बाद उसने आँखे खोल मुझे देखा और
मुस्कराते हुए बोली, "शुक्रिया भाई जान."
"मज़ा आया ना?"
"बहुत हाई आपको मज़ा आया मेरी चूचियों का रस पीने मे?"
"अरे यार तुझे मालूम नही कि जब बच्चा होता है तभी इनमे रस होता है."
"ओह्ह भाई जान मुझे नही पता था. तो क्या आपको मज़ा नही आया?"
"अरे यार मुझे तो बहुत मज़ा आया, मे तो रस के बारे मे बता रहा था,
हां अभी तुम्हारी चूत मे रस ज़रूर होता है, अगर तुम मुझे अपनी चूत का
रस पिला दो तो मुझे मज़ा आ जाए."
वह मुझे देखने लगी फिर चुप हो गयी और कुच्छ सोचने लगी. कुच्छ देर बाद
उसने मुझे देखा और मुस्काराकार बोली, "ठीक है भाई जान आप आज अपनी बहन की
चूत चाट कर दिखाइए उसमे कितना मज़ा है."
मे खुश हो गया और उसे चूम नीचे उसकी कमर के पास गया. फिर धीरे धीरे
उसकी पैंटी को उतारने लगा. उसने चूतर उठा पैंटी अलग करवाई तो उसकी चूत
देख मस्त हो गया. एकदम चिकनी लग रही थी. शायद अभी क्रीम से थोड़े बहुत
रोएँ भी सॉफ कर आई थी. मेने उसे बेड पर टेक लगा बिठाया और उसकी गांद
के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत उभर आई. फिर उसकी टाँगो के बीच
लेटा और उसकी चूत के दोनो फाँक उंगली से खोल देख कर मुस्काराया तो वह भी
मुस्करा दी.
"भाई जान क्या देख रहे हो?"
"देख रहा हूँ कितनी प्यारी है हाई इसको तो बस चाटने का मन कर रहा है."
"तो चाटिये ना भाई जान अब किस बात की देर है? लो चाटो."
उसने अपनी कमर उचकाई तो मेने उसकी चूत पर हाथ फिराया. चूत पर हाथ
रखते ही मेरे बदन मे सनसनी दौड़ गयी. वह भी मचल सी गयी. उसके मुँह
से एक आह निकल गयी. मे उसकी चूत को हाथ लगा मस्त हो गया. मम्मी की चूत
से कहीं ज़्यादा खूबसूरत चूत थी शुमैला की. मन तो कर रहा था कि हाथ
रखे चूत को देखता रहूं.
शुमैला की चूत को 4-5 बार सहलाया तो वह बोली, "भाई जान अच्छा लग रहा
है."
"हाई बहुत प्यारी चूत है, हेया छ्होटी सी फाँक वाली गुलाबी गुलाबी." और फिर
उंगली से दोनो फाँक खोलकर देखा तो च्छेद देख बोला, "और दोनो फाँक कितने
मस्त है और हाई कितना प्यारा च्छेद है, हाई शुमैला मेरी जान ऐसी चूत तो
बस रात भर चाटने के लिए होती है."
"भाई जान हाई आपकी बहन आपके सामने ऐसे ही चूत खोले लेटी है और आप
चाट क्यों नही रहे?"
"चाटुन्गा चाटुन्गा यार हाई देखने से ही इतना मज़ा आ रहा है."
फिर चेहरे को उसकी चूत पर झुकाया और नाक को उसकी चूत पर सून्घ्ता हुआ
बोला, "हाई आहह कितनी प्यारी, नशीली खुश्बू आ रही है तेरी चूत से, आहह
हाई तुम्हारी पैंटी की खुश्बू से ज़्यादा मस्त खुश्बू चूत मे है."
वह मुझे अपनी चूत की खुश्बू सूंघते देख खुश हो गयी और मेरे सर पर
हाथ लगा धीरे से बोली, "ओह भाई जान हाई आप कितने अच्छे हैं, आप अपनी बहन
को कितना प्यार करते हैं हाई और प्यार करिए अपनी बहन को आपकी बहन अब
आपकी दीवानी हो गयी है."
कुच्छ देर तक चूत की खुश्बू लेने के बाद उसकी चूत को चूमा तो वह एकदम से
फडक गयी और उसकी गांद तकिये से उछल गयी और वह मेरा सर अपनी चूत पर
दबाते हाई हाई करती बोली, "ओह्ह हाई आहह ब्ब्भ्ह्ह्हाऐज्जाआन उुउऊहह भाई जान
हां हां और और ऐसे ही करिए हाई बहुत अच्छा."
क्रमशः……………
gataank se aage…………………
Raat ko wapas aaya fir sablogo ne khana khaia aur fir Shumaila bartan dhone lagi
tu Mammi ne mujhse kaha, "beta aaj tu apni bahan ki lega, tujhe uske saamne apni
Mammi tu achhi nahi lagegi."
"Ohh Mammi aap kaisi baat karti ho, aap tu pahle hain aur Shumaila baad me.
Aaj aap akele so jao aaj Shumaila ko koshish karke chod loon tu fir kal aapko."
"Theek hai beta agar wah na mane tu jabardasti mat karma, agar wah darr gayi tu
tumhara kaam bigad jayega, jitna karwaye utna karma baki me kal tumhara pora
kaam banwa doongi."
Fir Mammi Shumaila se boli, "Beti me sone ja rahi hoon, tum bartan dhokar
sona, Amir beta jao tum bhi so jakar."
"Aap chaliye Mammi me zara TV dekhunga."
Fir Mammi chali gayi tu me kitchen me ghus gaya aur Shumaila ke pichhe khada
ho uski gaand me lund lagaya. Wah apni gaand ko mere lund par dabati mujhe
dekh muskarati boli, "Ohh Bhai jaan kya hai, jaiye aap TV dekhiye me kaam kar
rahi hoon."
"Tumko roka kisne hai haai aaj tu meri zindagi ka sabse achha din tha aura b
raat bhi sabse haseen hogi."
"Kyon Bhai jaan?"
"Haa aahh aaj raat meri khoobsurat jawan bahan mere saath bistar par hogi na
isliye." Aur uski choochiyon ko pakra.
"Ohh Bhai jaan chaliye hatiye, aap chaliye me aati hoon."
"Mere saath hi chalna haai yaar jaldi dho bartan aur chalo dekh na yah kitna
tarap raha hai." Aur apne lund par haath lagaya.
Wah meri pant ko dekhte boli, "Ohh Bhai jaan aap chaliye fir meri chooskar ise
sahi kar lijiyega."
"Tum tu bas apni choochiyon ko hi chuswati ho Shumaila yaar ab bahut choosa hai
tumhari choochiyan ab apni choot chatwana." Aur uski choot chhone ki koshish kit
u wah mera haath hatane lagi.
"Bhai jaan mujhe apni chuswane me bahut maza aaya tha." Wah mera haath apni
choochiyon par rakhti boli.
"Are yaar tum ek baar apni choot ko apne bhai se chatwakar tu dekho choochiyon
se zyada maza choot me hota hai." Mene kaskar choochiyon ko masla.
"Bhai jaan aap kahte hai tu sach hoga lekin mujhe bahut darr lagta hai." Wah apni
choochiyon ko dekhte boli.
"Achha tu ek baat bata, tujhe apni choot chaTwaane me kya darr lagta ha?"
"Ww Wah wo Bhai jaan...."
"Haan haan batao na."
"Jjjji Bhai jaan wah mujhe mera matlab hai mujhe sharam aati hai." Usne sar
jhukaya.
"Pagli sharam kyon lagti hai?" Mene uske chehre ko haatho se pakad apni or
kiya.
"Aap mere bhai hai na." Usne yah kahte hue mujhe dekha aur sar fir jhuka liya.
Me uske gaalo ko pakad uske hontho ko choom bola, "Are yaar sharmane ki kya
baat jab choochiyon ko chuswa chuki ho aur choot dikha chuki ho tu kya sharam.
Chal pagli ab mujhse sharmane ki koi zarurat nahi. Chalo ab chalet hai."
Fir use god me uthaia tu wah meri god se utarte hue boli, "OK Bhai jaan theek
hai aap jaise chahe waise maza lijiyega apni pyari chhoti bahan ka par aap
chhodiye tu."
"Ab kya hai?"
"Aap apne room me chaliye me wahi aati hoon."
"Shumaila tumhare room me chalet hain na?"
"Bhai jaan mere room me attach toilet nahi hai, aapke room me toilet hai na,
warna toilet ke liye bahar aana padega."
"Achha theek hai jaldi aana."
Fir me apne room me aaya aur bed par let gaya aur apni bahan ke aane ka
intezar karne laga. Me leta hua apni Mammi ke bare me soch raha tha ki
bechari Mammi aaj akele tarap rahi hogi. Tabhi darwazepar aahat huyi tu mene
dekha aur dekhta hi rah gaya.
Darwaze par Shumaila khadi thi. Uff kitni haseen lag rahi thi wah. Uske badan
par ek safed jheena sa chhota kurta tha jo uski kamar tak hi tha aur andar blacj
bra pahne thi. Niche bhi wah kewal kali panti pahne thi aur kuchh nahi. Usne
make-up bhi kiya tha. Hontho par laal lipstick thi aur aankhon me kajal aur
perfume bhi lagi thi. Me use paglon ki tarah dekhta raha. Apni chhoti bahan ko
teen sexy kapro me dekh sabkuchh bhool gaya.
Jab me use dekhta raha tu wah muskarakar boli, "Bhai jaan ab dekhte hi rahiyega
ya andar aane ko bhi kahiyega."
Me uski baat sun bed se utar uske paas gaya aur darwaza band kar use god me
uthaia aur fir bed par litaya aur uske paas baith use dekhne laga. Wah is tarah
apne aapko dekhta paa muskarati huyi boli, "Kya baat hai Bhai jaan ab dekh bhi
chuko."
"Shumaila meri jaan kya baat hai yaar is waqt tu bahut pyaari lag rahi hai man
kar raha hai ki dekhta hi rahun."
"Bhai jaan ab dekhna band kariye, kal pora din dekh lijiyega, ab jo karma ho
kariye mujhe sona hai aur subah college jana hai."
Tab mene uske hontho ko kuchh der tak choosa. Wah bhi mere hontho ko choosti
rahi fir mene uske kurte ko utara aur bra ko alag kiya tu din me ji bharkar
choosi gayi dono choochiyan oopar ko tani tani mujhe lalchane lagi. Mene dono
haatho se Shumaila ki dono choochiyon ko pakra fir dhire dhire sahlane laga.
Me choochiyon ko sahlate hue Shumaila ko dekh raha tha. Wah bhi mujhe hi dekh
rahi thi aur muskara bhi rahi thi.
Me uski choochiyon ko dhire dhire sahalate hue uske hoont chooma bola,
"Shumaila tumhari choochiyan bahut pyaari hai."
Wah muskarayi aur mere haatho par apna haath rah dabaw zyada karte hue boli,
"Bhai jaan meri choochiyan aapke liye hai. Lijiye maza apni bahan ki choochiyon
ka, daba dabakar Bhai jaan."
Mene uski choochiyon ko 6-7 minat tak dabaya aur wah barabar mujhe dekhti
rahi. Fir wah mera haath pakad boli, "Bhai jaan ab bas bhi kariye."
"Haai bahut achha lag raha hai."
"Ab fir daba lijiyega, ab zara inko munh me lekar choosiye na."
"Tumko chuswana achha lagta hai?"
"Haan Bhai jaan bahut maza aaya tha din me."
"Theek hai jab man ho tab chuswa liua karna."
Fir jhukkar uski ek choochi ko jeebh se chaaTane laga. Kuchh der baad doosri ko
bhi chaata aur fir ek ko munh me lekar choosne laga. 4-5 minat baad doosri ko
bhi khoob choosa. Wah ab aankhen band kar sisakte hue mera sar apni choochiyon
par daba rahi thi. Kuchh der baad uske nipple ko munh me lekar jab pina shuru
kiya tu wah ekdam mast ho haai haai karne lagi. Ab wah apni choochiyon ko apne
haath se daba daba mujhe pila rahi thi.
"Haai Bhai jaan haai mere pyare Bhai jaan aur aur haai bahut maza hai pilane me,
piyo sara rass pi jao."
10 minat tak dono nipple choose fir munh alag kar uski bagal me let gaya.
Thodi der masti kea lam me rahne ke baad usne aankhe khol mujhe dekha aur
muskarate hue boli, "Shukriya Bhai jaan."
"Maza aaya na?"
"Bahut haai aapko maza aaya meri choochiyon ka rass pine me?"
"Are yaar tujhe maloom nahi ki jab bachcha hota hai tabhi inme rass hota hai."
"Ohh Bhai jaan mujhe nahi pata tha. Tu kya aapko maza nahi aaya?"
"Are yaar mujhe tu bahut maza aaya, me tu rass ke bare me bata raha tha,
haan abhi tumhari choot me rass zaror hota hai, agar tum mujhe apni choot ka
rass pila do tu mujhe maza aa jaye."
Wah mujhe dekhne lagi fir chup ho gayi aur kuchh sochne lagi. Kuchh der baad
usne mujhe dekha aur muskarakar boli, "Theek hai Bhai jaan aap aaj apni bahan ki
choot chaat kar dikhaiye usme kitna maza hai."
Me khush ho gaya aur use choom niche uski kamar ke paas gaya. Fir dhire dhire
uski painty ko utaarne laga. Usne chutar utha painty alag karwaayi to uski choot
dekh mast ho gaya. Ekdam chikni lag rahi thi. Shaiad abhi cream se thode bahut
royen bhi saaf kar aayi thi. Mene use bed par tek laga bithaia aur uski gaand
ke niche takiya rakh diya jisse uski choot ubhar aayi. Fir uski tango ke beech
leta aur uski choot ke dono phaank ungli se khol dekh kar muskaraya tu wah bhi
muskara di.
"Bhai jaan kya dekh rahe ho?"
"Dekh raha hoon kitni pyari hai haai isko tu bas chaaTane ka man kar raha hai."
"Tu chatiye na Bhai jaan ab kis baat ki der hai? Lo chato."
Usne apni kamar uchkaayi tu mene uski choot par haath firaaya. choot par haath
rakhte hi mere badan me sansani daud gayi. Wah bhi machal si gayi. Uske munh
se ek aah nikal gayi. Me uski choot ko haath laga mast ho gaya. Mammi ki choot
se kahin zyada khoobsurat choot thi Shumaila ki. Man tu kar raha tha ki haath
rakhe choot ko dekhta rahun.
Shumaila ki choot ko 4-5 baar sahlaya tu wah boli, "Bhai jaan achha lag raha
hai."
"Haai bahut pyari choot hai, haa chhoti si phaank wali gulabi gulabi." Aur fir
ungli se dono phaank kholkar dekha tu chhed dekh bola, "Aur dono phaank kitne
mast hai aur haai kitna pyaara chhed hai, haai Shumaila meri jaan aisi choot tu
bas raat bhar chaaTane ke liye hoti hai."
"Bhai jaan haai aapki bahan aapke saamne aise hi choot khole leti hai aur aap
chaat kyon nahi rahe?"
"chaaTunga chaaTunga yaar haai dekhne se hi itna maja aa raha hai."
Fir chehre ko uski choot par jhukaya aur nak ko uski choot par soonghta hua
bola, "Haai aahh kitni pyaari, nashili khushbu aa rahi hai teri choot se, aahh
haai tumhari painty ki khushbu se zyada mast khushbu choot me hai."
Wah mujhe apni choot ki khushbu soonghte dekh khush ho gayi aur mere sar par
haath laga dhire se boli, "Oh Bhai jaan haai aap kitne ache hain, aap apni bahan
ko kitna pyaar karte hain haai aur pyaar kariye apni bahan ko aapki bahan ab
aapki deewani ho gayi hai."
Kuchh der tak choot ki khushbu lene ke baad uski choot ko chooma tu wah ekdam se
faDak gayi aur uski gaand takiye se uchhaal gayi aur wah mera sar apni choot par
dabate haai haai karti boli, "Ohh haai aahh bbbhhhhaaaijjaaaan uuuuhhh Bhai jaan
haan haan aur au raise he kariye haai bahut achha."
kramashah………………………..
गतान्क से आगे…………………
फिर दो तीन बार चूमने के बाद जीभ निकाली और उसकी रानो को चाटा फिर जीभ
को उसके दोनो फांको पर ऊपर नीचे तक चला चला 4-5 मिनट चाटा. वह इतने
मे ही एकदम पागल सी हो गयी थी. दोनो फांकोंको चाट चाट्कर थूक से
भिगोने के बाद उसको देखने लगा. चूत से ज़ुबान हटी तो उसने आँखे खोल मुझे
देखा फिर मुस्कराती बोली, "भाई जान बहुत अच्छा लगा."
"अभी चाटूँगा तो और अच्छा लगेगा."
"हाई भाई जान अभी चाटा नही क्या?"
"कहाँ मेरी जान अभी तो ऊपर से मज़ा लिया है." और चूत की फाँक मे उंगली
चलाई.
वह अपने पैर कसकर फैलाती बोली, "हाई आह आज तो मज़े से पागल हो जाउन्गि,
भाई जान इसमे तो चूचियाँ चुसवाने से ज़्यादा मज़ा है."
फिर मेने उसकी फांको मे अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे चलाई और उसके क्लिट को
ज़ुबान से चाटा. क्लिट को ज़बान लगते ही वह एकदम बेहोश सी हो गयी थी. क्लिट को
चाटने के साथ ही उसके छेद मे ज़ुबान डाल डाल पूरी चूत को चूस्कर
चाटने लगा. अब वह मज़े से भारी चूटर को ऊपर की ओर उच्छाल सिसकती हुई
हाई हाई कर रही थी.
फिर हाथ ऊपर कर उसकी दोनो चूचियों को पकड़ दबा दबा चाटने लगा. 8-10
मिनट इसी तरह चाटा कि वह एक तेज़ सिसकारी ले हाई भाई जान बोलती झडने लगी.
मुँह पर उसकी चूत का नमकीन पानी लगा तो मुँह चूत से हटा उसकी चूत को
देखने लगा. चूत से धीरे धीरे नमकीन पानी रिस रहा था. झड़ती चूत बहुत
प्यारी लग रही थी. मे अभी भी उसकी चूचियों को पकड़े था और उसकी चूत
को भी होंठो से कभी कभी मसल देता था.
कुच्छ देर बाद वह जब नॉर्मल हुई तो मुझे देख मुस्काराई और मेरे चेहरे को
पकड़ ऊपर की ओर किया. मे उसके पास गया तो वह मेरे होंठो को चूम कर बोली,
"भाई जान यह कैसा मज़ा दिया आपने, मे तो आसमान पर उड़ रही हूँ."
"मज़ा आया ना चट्वाने मे?"
"हां भाई जान यह तो सबसे हसीन मज़ा था. चूचियों से ज़्यादा मज़ा चूत मे
है."
"हां शुमैला इसीलिए तो कह रहा था, मुझे भी बहुत मज़ा आया, देखो मेरा
लंड कैसा कड़क हो रहा है, हाई अब इसका पानी भी निकालना पड़ेगा वरना यह
मुझे सारी रात सोने नही देगा."
वह यह सुन मुझे देखने लगी. फिर धीरे से मुस्कराई और बोली, "भाई जान जैसे
दिन मे आपका पानी निकला था वैसे ही मेरा भी पानी निकला था अभी."
"हां जब मज़ा आता है तो पानी निकलता है और यही पानी निकलने पर ही असली
मज़ा आता है, मेने तुम्हारा पानी चाट कर निकाला है अब अपना पानी निकालूँगा तो
मुझे भी मज़ा आएगा."
"आप अपना पानी कैसे निकलेंगे?"
"कई तरीके होते है. जैसे मे अपने हाथ से अपना पानी निकालु या तुम अपने
हाथ से निकाल दो या तुम अपने मुँह मे लेकर चाटकार भी निकाल सकती हो और
सबसे प्यारा तरीका है कि तुम्हारी चूत मे इसे डालकर निकालु. सबसे ज़्यादा
मज़ा इसी मे आता है."
"हाई भाई जान कैसे?"
"इसमे तुम्हारा पानी भी निकल जाएगा और मेरा पानी तुम्हारी चूत मे निकलेगा तो
तुमको बहुत मज़ा आएगा. बोलो निकालें इस तरह से?"
"हाई नही भाई जान मुझे डर लगता है."
"ओह्ह तो कोई बात नही मे अपना पानी खुद निकालूँगा."
फिर अपना अंडरवेर उतार उसकी बगल मे लेटा और उसे देखते हुए मूठ मारने
लगा. वह कुच्छ देर बाद बोली, "भाई जान मे कर दूं?"
"हाई करो ना बहुत मज़ा आएगा तुम्हारे हाथ से."
तब वह उठी और मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे हाथ ऊपर नीचे करने
लगी. उसके हाथ मे लंड जाते ही मज़ा बढ़ा. 5-6 बार सहलाया तो मे बोला,
"हाई शुमैला अगर तुम इसे अपने मुँह मे लेकर देखो तो मज़ा आ जाएगा तुमको.
लंड चाटने मे लड़कियों को बहुत मज़ा आता है."
मेरी बात सुन उसने मुझे देखा. वह हिचकिचा रही थी. फिर उसने मुस्काराकार अपने
चेहरे को मेरे लंड पर झुकाया और होंठो को सूपदे के पास लाई. कुच्छ देर तक
रुकी फिर अपनी गरम ज़बान निकाल सूपदे पर लगाया और फिर मुझे देखा. वह कुच्छ
शरमाने सी लगी तो मे उसकी हिम्मत बढ़ाता बोला, "क्यः हुआ शुमैला लो ना
मुँह मे. लो बहुत मज़ा आता है चाटने मे. अगर अच्छा ना लगे तो मत
चाटना. अरे कोई ज़बरदस्ती नही है मे तो तुम्हारा भाई ही हूँ कोई बाहर वाला
या तुम्हारा शौहर नही जो बुरा मानूं."