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Misc. Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
अपडेट - 17




तभी अचानक से अचानक से वो कटोरा चमकने लगता है। कटोरे की चमक से हो रहे प्रकाश में वहां सब कुछ गायब हो जाता है। वहां कुछ भी नहीं था सिवा उस सफेद रोशनी के और राज भी उस कटोरे में समा जाता है।



थोड़ी देर बाद जब राज को थोड़ा होश आता है तो राज एक अजीब से महल में खड़ा था....








अब आगे......





जिसके सामने कोई रानी हो एसी एक औरत बैठी थी। 



उस औरत के रानी होने का अंदाज़ा राज को इस बात से लगा कि वो औरत एक तो सिंघासन पर बैठे हुए थी। दूसरी बात बात ये भी थी कि उस औरत के चेहरे पर बहुत तेज था और उसके कपड़े गहने और उसका चेहरा सब रोशनी की तरह चमक रहे थे।


वो औरत राज को हुकु सुनाने वाली आवाज में बोलती है। "तुम्हारा स्वागत है इस आईने की दुनिया में। या फिर तुम्हारी भाषा में कहूँ तो यु आर मोस्ट वेलकम इन दिस मिरर वर्ल्ड।"


राज झुक कर उस औरत का सम्मान करता है। राज समझ नही पा रहा था कि ये औरत उनकी भाषा कैसे जान सकती है।


औरत: यहां आने का क्या कारण है?


राज: जी मुझे मेरे नाना जी के कमरे में एक नक्शा और कंपास मिला था। मैं उसे फॉलो करते हुए यहां आ गया।


औरत: तुम्हारे खून में जो नीलांकर है, ये कैसे आया?



राज:????? जी? मैं कुछ समझा नहीं?


औरत: तुम्हारे खून मैं सदियों पुराने चंद्रमा, नील गगन और काल की छाया से बने नील पानी का समावेश है। 




जिस कारण से तुम्हे बिना किसी परेशानी के इस नदी के रक्षक ने आईने की दुनियां में पहुंचा दिया।


राज: जी मुझे नहीं पता ये कैसे?


औरत कोई बात नही मैं देख लेती हूं। वो औरत ने अपने सिंगासन मैं जड़े पत्थर में कुछ डाला जो बड़ा ही अजीब था। उस पत्थर ने उसे निगल लिया। थोड़ी देर बाद उस औरत ने कहा " तुमने नील पानी पिया है? लेकिन ये तुम्हारे पास कैसे आया वो औरत उसे उस पत्थर मैं दिखाती है।


राज: "ये तो वो पानी है जो नानाजी के झोपड़े में था। नीले रंग का पानी जिस पर लिखा था ड्रिंक मी" जी उस वक़्त मुझे पानी की सख्त जरूरत थी और आसपास सिर्फ यही था तो पी लिया।


औरत उस सिंघासन से खड़ी हो कर राज से बोलती है " इस पानी का सेवन तुम्हे काले आईने का उत्तराधिकारी बनाता है। ऐसा बोलकर वो औरत उसे अपने सिंघासन से पत्थर निकाल कर राज को दे देती है और राज के सर पर हाथ रखती है।


उस औरत के ऐसा करते ही ऊपर ठहरा हुआ पानी नीचे भी भरने लगता है। राज का ध्यान पानी के बढ़ने पर था कि वो औरत वहां से गायब हो गयी। गायब होने से पहले वो औरत राज से बोलती है कि तुम अपने अंगूठे के निशान इस सिंघासन को दो।


(थोड़ी रुक कर)


अपने खून से.....


राज बिना कुछ सोचे समझे उस सिंघासन पर अपना अंगूठे का निशान लगता है कि पूरी मिरर वर्ल्ड उस पत्थर मैं समा जाती है जो उस औरत ने सिंघासन से निकाल कर राज को दिया था। और राज फिर से एक भंवर में फंस कर नदी के ऊपर आ जाता है।


राज जैसे ही ऊपर आता है वो बिल्कुल अपनी नाव के पास होता है। राज तुरंत अपनी नाव में बैठ जाता है लेकिन राज धीरे धीरे चक्कर खा कर वही बेहोश हो जाता है। 


जब राज को होश आता है तो राज के सामने एक लड़की थी जो कि गर्दन के निचले हिस्से तक पानी में थी। वो लड़की राज की नाव को पकड़ कर राज से बोलती है। 


तुम्हारे नाना की किताब पढ़ना। उसमे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। और इतना बोलकर अपने गले में लटक रहे एक पत्थर को तोड़ कर राज के हाथ में दे देती है। राज उस पत्थर को और जो नदी के तलहट से पत्थर निकला था इसे लेकर वापस नदी किनारे आता है। जैसे ही राज नाव से उतरता है। वो नाव तुरंत पानी की तरह पिघल कर नदी के पानी में लुप्त हो जाती है। तभी एक बार फिर से वो औरत पानी से बाहर निकल कर आती है और राज की तरफ देख कर राज से बोलती है " वो एक लंबे समय से तुम्हारा इंतजार कर रहे है" इतना बोलकर वो लड़की वापस लौट जाती है।


राज को अभी तक यकीन नही हो रहा था कि इतनी मेहनत की वो सब इस पत्थर के लिए। और वो महारानी आखिर ये सब था क्या? तभी राज वहां से निकल कर जैसे ही अपने नाना की झोपड़ी की तरफ बढ़ता है सूरज की रोशनी उस पत्थर पर पड़ती है। जो अचानक से चमकने लगता है और चमकते हुए वो लड़की का दिया पत्थर उस दूसरे पत्थर से जुड़ जाता है। और उस पत्थर के जुड़ते ही वो पत्थर एक आईने में बदल जाता है।



राज तुरंत उस आईने को लेकर अपने नाना की झोपड़ी की और भागता है लेकिन उसके पास चाबी नहीं थी। लेकिन जैसे ही सूरज की रोशनी उस आईने पर पड़कर उस झोपड़े से टकराती है। राज अचानक से उस झोपड़े मैं घुस जाता है। ना दरवाजा खुला ना खिड़की। राज बुरी तरह से डरा हुआ था। राज एक पल ठहर कर उस आईने को देखता है। उसमें अभी भी मोती की तरह जेड जाने वाले 5 पत्थरों की जगह थी।


अपने नाना जी के झोपड़े मैं आकर राज अलग अलग तरह की किताबें ढूंढता है। 


देखते ही देखते उसे बहुत सी किताबे मिल जाती है। लेकिन उन किताबों मेंसे राज को 5 किताबे ऐसी मिली जो बिल्कुल अजीब थी और मजे की बात ये थी कि उन किताबों के पास अलग अलग रंग के पत्थर रखे थे।


राज उन पत्थरों को उस आईने में जहां मोती जड़ने की जगह बनाई हुई थी वहां लगाता है लेकिन वो जुड़ते नहीं फिर राज किताबे खोल कर देखता है तो किताब के पहले पन्ने पर कुछ चित्र बने हुए थे ।


जो ये बताते थे कि कौनसा पत्थर आईने में किस जगह जड़ा जाएगा। राज उस किताब के हिसाब से पत्थर लगाता है और तुरंत वो पत्थर जुड़ जाते है। राज ने पिछले पत्थर की तरह ऐसा सोचा था कि शायद ये भी जड़ जाएं। लेकिन वो जुड़े नही इस लिए उसे किताबों का सहारा लेना पड़ा।


अब राज ने वो किताबें पढ़नी शुरू की पहली किताब जो कि लगभग 10000 पन्नो की लग रही थी उस किताब का शीर्षक था " दी मिरर"


राज पिछले 7 घंटों से वो किताब पढ़ रहा था। दरअसल उस किताब के हर एक पन्ने पर केवल एक मंत्र लिखा था। और उसका एक चित्र था। 



राज ने उस किताब को बंद करके एक दम से उठ गया। राज के पसीने छूट गए। 


राज " इसका मतलब नानी ने जो आईने की कहानी सुनाई थी वो सच थी।"


राज टेंशन मैं था थोड़ा डरा हुआ भी था लेकिन राज अब पीछे नही हट सकता था। अचानक से वो महारानी जो नदी के तलहट मैं मिली थी। उस आईने में नज़र आती है। वो राज से बोलती है।


"इस आईने को अपनी सबसे प्रिय चीज दो और अपने सवालों का जवाब पाओ। राज अगर हो सके तो... उस औरत ने इतना ही कहा था कि आईने ने अपना रंग बदल लिया और वो औरत तुरंत गायब हो गयी।

राज मन ही मन विचार करता है" नानी ने कहा था कि ये आईना काली बुरी शक्तियों का मालिक है। जिसने उस महारानी के ऊपर भी बहुत बुरा असर डाला था। लेकिन कैसा असर? आखिर क्या शक्तियां है इस आईने की? नानी भी ना कभी भी पूरी बात नही बताती। अब इस आईने को मैं अपनी कोनसी पसंदीदा चीज़ दूँ? अगर मैं इसे अपनी पसंद की चीज देकर उसे करता रहा तो मेरी पसंद का क्या बाख जाएगा? कौन जाने ये आईना क्या कर सकता है?



इसी प्रकार का अंतर्द्वंद्व राज के मन में चल रहा था। एक मन तो कह रहा था कि एक बार इस्तेमाल करने से राज कोनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? बड़ी मुश्किल से ये आईना हाथ लगा है क्या पता ये ही अपनी किश्मत चमका दे। और दूसरा मन कहता है राज बेटा ज़हर तो आखिर ज़हर होता है फिर उसका थोड़ा क्या और ज्यादा क्या?



काफी दिमाग बाजी के बाद राज एक निर्णय पर पहुंचता है कि मैं इस आईने को अपनी पसंद की चीज दूंगा। एक बार इस्तेमाल करने के बाद में इस आईने के टुकड़े टुकड़े करके इसे दफना दूंगा। 


खूब सोचने समझने के बाद भी राज निर्णय नहीं कर पा रहा था कि आखिर ऐसी क्या चीज दूँ जो ये आईना स्वीकार कर ले। क्या पता छोटी मोटी चीज ये स्वीकार करेगा कि नहीं। 


तभी राज को उस लड़की की बात याद आती है जो नदी से लौटते वक्त राज को हिदायत देती है कि अपने नाना जी की किताब पढ़ो।


लेकिन राज के लिए अब ये मुसीबत थी कि कौनसी किताब पढ़े? यहां तो लगभग 50 से भी ऊपर किताबे है। ऊपर से पिछली बार गांव आया था तब भी नानाजी की काफी किताबें लेकर चल गया था?



राज के सोचते सोचते दिन ढलने को आ गया। शाम के 5 बज रहे थे। राज को वापस नानी जी के पास जाना ही उचित लगा। राज अपनी नानी के पास जाने के लिए बाहर निकलने की कोशिश करता है लेकिन बाहर से दरवाजा बंद था। तब राज को याद आता है कि वो अंदर आईने की मदद से आया था तो बाहर भी आईने की मदद से जाया जा सकता है।


राज तकरीबन एक घंटे से कोशिश कर रहा था कि वो आईना उसे बाहर निकाल दे लेकिन राज बाहर नहीं निकल पा रहा था। तभी राज की नज़र उस किताब पर पड़ी जिसे राज कुछ समय पहले तक पढ़ रहा था। उस किताब में जो चित्र थे राज उन्हें समझने की कोशिश करने लगा। 


चित्रों को समझते समझते राज को मालूम होता है कि ये आईना सूर्य और चंद्रमा की रोशनी में कार्य करता है। इसके अलावा यदि इस आईने का उपयोग करना है तो उसे अपने दिल के करीब किसी चीज का त्याग करके आईने को भेंट करनी होगी। उसके पश्चात आईने के धारक को आईना पकड़ कर उस आईने में देखते हुए अपने मन उस स्थान , वस्तु व्यक्ति के बारे में सोचना होता है ये आईना उस का प्रत्यक्षिकरण कर देता है। प्रत्यक्षिकरण के पश्चात आईने के धारक को आईने को कोई दरवाजा समझ कर उसमें प्रवेश करने से आईना धारक को उक्त स्थान पर पहुंचा देता है। किन्तु इस मैं याद रखने की एक बात है यदि आईने का धारक आईने को कोई वस्तु रात्रि 12 बजने से पहले देता है तो आईना केवल रात्रि 12 बजने तक ही कार्य करेगा। रात्रि 12 बजट ही आईने को कोई नई वस्तु दान देनी होगी। दूसरे दिन की शुरुआत के साथ आईने के धारक का प्रतिभूति स्वरूप दिया हुआ दान रात्रि बढ़ बजट ही बाईट हुए दिन का हो जाता है। ये समय काल के साथ जुड़ा है इसलिए इसे झुटलाया या बदला नही जा सकता।



राज काफी सोचने के बाद ठीक है तो मैं इसे अपनी पसंदीदा ड्रेस दे दूंगा लेकिन कैसे दूँ। राज आईने को हाथ में लेकर ऐसा सोचता है कि एक लाल शर्ट और जेड ब्लैक जीन्स आईने में आ जाती है। ऐसा होते ही राज समझ जाता है कि इस आईने को विचार करके हमे सिर्फ दान के बारे में बोलना है बाकी दान कैसे लेना है इसका उपाय आईना स्वयं ढूंड लेगा।


राज आईने को हाथ में पकड़ कर बोलता है " मैं राज अपनी पसन्दीदा ड्रेस लाल शर्ट और ब्लैक जीन्स आईने को दान देता हूँ।"


राज के ऐसा बोलते ही उस तिलिस्मी आईने में मिट्टी का सा एक भंवर पैदा होता है जो राज की ड्रेस को स्वीकार कर लेता है।


राज अपनी ड्रेस के दान को स्वीकार होते देख कर बहुत खुश होता है। अब राज यहां से बाहर भी निकल सकता था और अपने सवालों का जवाब भी पा सकता था।


राज: ए आईने मुझे इस झोपड़ी से बाहर निकलने का रास्ता बता। 


आईने को जैसे ही राज का हुक्म मिला आईने ने राज को तुरंत झोपड़े के बाहर का दृश्य दिखाया जिसे देखते ही राज अपना सर आईने में डाल देता है और मन ही मन सोचता है यही वो रास्ता है जिस से बाहर निकला जा सकता है। 



राज ने अभी आंखें खोली भी नहीं थी कि उसकी आँखों पर एक अजीब सी रोशनी पड़ती है। राज आंखें खोलता है देखता है वो अब झोपड़े में नही बल्कि झोपड़े के बाहर था। और जो लाल रंग की रोशनी राज की आंखों पर पड़ रही थी वो डूबते सूर्य की रोशनी थी।


राज बाहर निकलने के बाद आईने को अपने शर्ट में छिपा कर नानी के घर को तरफ बढ़ जाता है। नाना जी का झोपड़ा नानी के घर से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए राज पांच ही मिनट में अपने नानाजी के घर से नानी के घर पहुंच गया। राज जैसे ही घर पहुंचता है तो राज चोंक जाता है।


राज जैसे ही नानी के घर पहुंचता है तो राज देखता है कि सामने नानी और उसके पापा बैठे बातें कर रहें है। 


राज: पापा? आप? यहां? कैसे? मेरा मतलब कब आये?


नानी: लो आ गया तुम्हारा लाडला। 


गिरधारी: हैं बेटा वो क्या है ना कि अब जुलाई शुरू हो गया है। तुम्हे तो खैर मालूम नही होगा है ना? (ताना मारते हुए) तो सोचा तुम्हे याद दिला दूँ की तुम्हारा कॉलेज शुरू हो गया है। अब तुम स्कूल के बच्चे नहीं रहे? 


राज: इतनी जल्दी?


गिरधारी: नही बीटा जल्दी तो कुछ भी नही है। सब समय पर हुआ है।


नानी: जो हुआ सो हुआ अब क्या इसकी जान लोगे तुम! बच्चा है गांव मन लग गया नहीं याद आया शहर इसे?


गिरधारी: जी कोई बात नहीं मैं तो सिर्फ इतना बोल रहा हूँ कि तैयार हो जा हम लोग अभी शहर निकल।रहें है।


राज: अभी? अभी तो रात हो जाएगी?


गिरधारी: राज बहस मत करो मुझसे! तुम्हे मालूम है ना कल सुबह मुझे ड्यूटी भी जाना है। जाओ तैयार हो जाओ। वैसे भी ड्राइव मैं करूँगा तुम नही! जाओ अब!


राज: जी पापा! 


राज इतना बोल कर अपना सामान तैयार करने लगता है।सारा सामान पैक करने के बाद राज बाहर अपनी नानी के पास आता है तो...



राज की नानी राज और गिरधारी के तिलक निकाल कर मीठा मुह करवा के उन्हें थोडे बहुत पैसे देकर विदा कर देती है।


गिरधारी गाड़ी चला रहा था और राज बड़े उदास मन से अपने घर की तरफ निकल रहा था। अभी घड़ी में कुछ 7 बज कर 15 मिनट हो रहे थे। करीब 11 बजे तक राज और गिरधारी शहर अपने घर पहुंच जाते है।
बर्बादी को निमंत्रण
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
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Hawas ka ghulam
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RE: द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} - by Rocksanna999 - 11-06-2019, 07:49 PM



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