26-09-2023, 11:05 AM
(This post was last modified: 26-09-2023, 11:31 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
लाखन- भैया बुरा मत मानना पर एक दिन मैंने देखा कि मनोहर काका अपना लैंड निकाल कर मूत रहा था और गुड़िया ,झड़ियों के पीछे छुप कर उसका मोटा लंड देख रही थी, अब वह बड़ी हो गई है, उसका भी मन अब इन चीज़ों की तरफ जाने लगा है,
विजय- अरे लाखन तूने बहुत अच्छा किया जो मुझे पहले से ही इन बातों के बारे में बताया मैंने कल ही गुड़िया को यहाँ के माहोल से शहर ले जाता हूं वहां कुछ सिलाई बुनई सीख लेगी तो ससुराल में उसके काम आएगी, दोनों बातें करते हुए गांव पाहुच जाते हैं और फिर लाखन अपने और विजय अपने घर की और आ जाता है
, विजय का लैंड अभी-अभी बैठा ही था कि घाघरा चोली पहनकर गुड़िया दौड़ कर आती है और विजय के सीने से लग जाती है, विजय के सीने में गुड़िया की पपीते जैसी बड़ी-बड़ी, वह छतिया पूरी तरह से छूने लगती है, विजय गुड़िया को पहली बार इस तरह से कर रहा था और वह गुड़िया को अपने सीने से पूरी तरह कस कर उसके गालों को चूम लेता है, गुड़िया उसके सीने से अलग होकर उसके सीने पर मुक्के मार कर जल्दबाजी हुई, गुड़िया- क्या भैया आपने तो कहा था कि दिन में ही आ जाओगे और आप आधी रात को आ रहे हो मैं कब से आपका रास्ता देखूंगा राही थी. विजय शराब के नशे में पूरी तरह मदहोश था और गुड़िया की गदराई जवानी को पहली बार इतनी गौर से देख रहा था था, गुड़िया के मोटे-मोटे दूध मस्त कर रहे थे कि वाह अपनी नज़र अपनी बहन के दूध से हटा ही नहीं पा रहा था,
विजय- अरे लाखन तूने बहुत अच्छा किया जो मुझे पहले से ही इन बातों के बारे में बताया मैंने कल ही गुड़िया को यहाँ के माहोल से शहर ले जाता हूं वहां कुछ सिलाई बुनई सीख लेगी तो ससुराल में उसके काम आएगी, दोनों बातें करते हुए गांव पाहुच जाते हैं और फिर लाखन अपने और विजय अपने घर की और आ जाता है
, विजय का लैंड अभी-अभी बैठा ही था कि घाघरा चोली पहनकर गुड़िया दौड़ कर आती है और विजय के सीने से लग जाती है, विजय के सीने में गुड़िया की पपीते जैसी बड़ी-बड़ी, वह छतिया पूरी तरह से छूने लगती है, विजय गुड़िया को पहली बार इस तरह से कर रहा था और वह गुड़िया को अपने सीने से पूरी तरह कस कर उसके गालों को चूम लेता है, गुड़िया उसके सीने से अलग होकर उसके सीने पर मुक्के मार कर जल्दबाजी हुई, गुड़िया- क्या भैया आपने तो कहा था कि दिन में ही आ जाओगे और आप आधी रात को आ रहे हो मैं कब से आपका रास्ता देखूंगा राही थी. विजय शराब के नशे में पूरी तरह मदहोश था और गुड़िया की गदराई जवानी को पहली बार इतनी गौर से देख रहा था था, गुड़िया के मोटे-मोटे दूध मस्त कर रहे थे कि वाह अपनी नज़र अपनी बहन के दूध से हटा ही नहीं पा रहा था,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
