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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
भैया मुझे तो अपनी माँ की उमर की औरत को चोदने में मज़ा आता है, विजय- क्यों माँ की उमर की औरत में कुछ खास बात होती है क्या लाखन- अच्छा पहले ये बताओ तुमने कभी अपनी माँ की उमर की औरत को पूरी नंगी देखा है,
विजय- नहीं देखा क्यों
लाखन- अगर देखा होता तो जानता, मैं तो शादी के पहले ऐसी ही औरत को सोच-सोच कर खूब अपना लैंड हिलाता था,
विजय- अच्छा, तो क्या तूने किसी को पूरी नंगी भी देखा था लाखन- नशे में मुस्कुराए हुए, देखो भैया तुमसे बता रहा हूं कि तुम मेरे भाई जैसे हो पर ये बात कहीं और ना करना,
विजय- लाखन क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है
लाखन- भरोसा है तभी तो बता रहा हूं भैया, एक बार मैंने अपनी अम्मा को पूरी नंगी देखा था, क्या बताउ भैया इतने सारे बदन की है मेरी अम्मा की उसकी गदराई उफान खाती जवानी देख कर मेरा लंड किसी डंडे की तरह तन गया था, बस तब से हाय भैया मुझे अपनी अम्मा जैसी औरत हाय अच्छी लगती है और जब भी मैं अपनी औरत को चोदता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी अम्मा को पूरी नंगी करके चोद रहा हूँ,

विजय- लाखन की बात सुन कर हेयरन रह जाता है लेकिन उसका लैंड उसके पेंट में पूरी तरह तन हुआ था,
विजय- पर तूने अपनी अम्मा को पूरी नंगी कैसे देख लिया
लाखन- क्या विजय भैया तुम औरतों को नहीं जानते, उनकी उम्र जितनी बढ़ती है, उनकी जवानी और उतनी लगती है, मेरी अम्मा को चूत में खूब खुल्ली मची होगी इसीलिये वह पूरी नंगी होकर घर के आंगन में नहा रही थी और मैं चुपचप चुप कर उसकी गदराई जवानी देख रहा था,
विजय- तब तो तू रोज अपनी अम्मा को नंगी देखता होगा,

लाखन- अब भैया घर में ऐसा चोदने लायक माल हो तो पूरी नंगी देखे बिना रहा भी तो नहीं जाता, पता नहीं तुम 30 बरस के हो चले हो और तुम्हारा आदमी क्यों नहीं होता, जब तुम्हारी माँ तो.........
.. विजय-बोल-बोल क्या कह रहा था
लाखन- माफ करना भैया गलती से मुंह से निकल गया
विजय- उसकी बात लेकर एक सांस में तीन-चार घूंट खिचते हुए, अरे बोल ना क्या कह रहा था मेरी मां के बारे में, जब मैं तेरी मां के बारे में बताऊं, मैं भी सुन सकता हूं तो अपनी मां के बारे में, मैं भी सुन सकता हूं, बोल तू क्या कहना चाहता है, तू मेरा दोस्त है मैं तेरी बात का बुरा नहीं मानूंगा और अगर मुझे बात बुरी लगी तो मैं तुझे करने के लिए मना कर दूंगा, अब बोल भी दे

लाखन- विजय की बात सुन कर थोड़ा जोश में आ चूका था और भैया मा मैं तो यह कह रहा था कि यह पूरे गांव में , सबसे गदराया बदन और नशीली जवानी अगर किसी की है तो वाह है आपकी मां ठकुराइन की, क्या आपका लंड आपकी मां को देख कर खड़ा नहीं होता है जब कि आप तो हमेशा उनके साथ घर पर ही रहते हैं, ठकुराइन जब गाव में चलती है तो अच्छा - अच्छा के लंड खड़े हो जाते हैं,

विजय- नशे में बहुत मस्त हो रहा था और जब उसने लाखन के मुंह से अपनी मां की गदराई जवानी की बात सुनी तो उसका मोटा लंड झटके खाने लगा, क्या इतनी मस्त लगती है मेरी माँ ।
लाखन- सच कहु विजय भैया अगर तुम्हारी जगह माई ठकुराइन का बेटा होता तो दिन रात ठकुराइन को खूब कस-कस कर चोदता, सच विजय भैया आपकी माँ बहुत मालदार औरत है, कितने सालो से उनको कोई लंड भी नहीं मिला है उनकी चूत तो पूरी कुंवारी लौंडियो जैसी हो गई होगी, ।
विजय- अच्छा तो एक बात बता लाखन तूने कभी अपनी अम्मा को चोदने की कोशिश नहीं की,

लाखन- अरे नहीं विजय भैया मेरी मां बहुत गरम मिजाज की औरत है और इसलिए मेरी गांड फटती है सब कम्मो से,
विजय- तूने ठीक ही किया है, कोई माँ अपने बेटे से अपनी चूत थोड़े ही चुदवा लेगी,

लाखन- हा वो तो है भैया पर जिस औरत को लंबे समय से लंड ना मिला हो वो औरत अगर किसी जवान लंड का मस्त लंड देख ले तो उसकी चूत पिगल सकती है और जब औरत खूब चुदासी हो जाती है तो फिर वहां किसी का भी लंड ले सकती है, विजय बात लाखन से कर रहा था लेकिन लाखन की बातों के करण उसके दिमाग में सिर्फ उसकी मां रुक्मणी का ही ख्याल आ रहा था था और उसका उपयोग कभी रुक्मणी की मोटी लहराती गांड कभी उसके मोटे-मोटे कासे हुए दूध और कभी उसके रसीले होंठ और उबरा हुआ पेट ही नजर आ रहा था,

विजय- अच्छा ये बता लाखन और कौन औरत गाव में सबसे पटाखा लगती है तुझे।

लाखन- अरे भैया हमें लगने से क्या होता है सच कहूं तो असली माल तुम्हारे घर में है और तुम हो कि एक दम नीरस आदमी हो
, विजय- तो मुझे क्या करना चाहिए लाखन


लाखन- भैया औरत की दबी हुई अगर भड़का दो तो फिर तुम्हें कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी औरत खुद ही सब कुछ कर लेगी,

विजय- तूने अपनी बीबी को अपनी अम्मा को नंगी देखने वाली बात बताई है की नहीं

लाखन- अरे वाह तो सब जानती है, कई बार तो वह खुद कहती भैया मुझे तो अपनी माँ की उमर की औरत को चोदने में मज़ा आता है,

विजय- क्यों माँ की उमर की औरत में कुछ खास बात होती है क्या लाखन- अच्छा पहले ये बताओ तुमने कभी अपनी माँ की उमर की औरत को पूरी नंगी देखा है,
विजय- नहीं देखा क्यों लाखन- अगर देखा होता तो जानता, मैं तो शादी के पहले ऐसी ही औरत को सोच-सोच कर खूब अपना लैंड हिलाता था,




विजय- अच्छा, तो क्या तूने किसी को पूरी नंगी भी देखा था लाखन- नशे में मुस्कुराए हुए, देखो भैया तुमसे बता रहा हूं कि तुम मेरे भाई जैसे हो पर ये बात कहीं और ना करना, विजय- लाखन क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है लाखन- भरोसा है तभी तो बता रहा हूं भैया, एक बार मैंने अपनी अम्मा को पूरी नंगी देखा था, क्या बताउ भैया इतने सारे बदन की है मेरी अम्मा की उसकी गदराई उफान खाती जवानी देख कर मेरा लंड किसी डंडे की तरह तन गया था, बस तब से हाय भैया मुझे अपनी अम्मा जैसी औरत हाय अच्छी लगती है और जब भी मैं अपनी औरत को चोदता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी अम्मा को पूरी नंगी करके चोद रहा हूँ, विजय- लाखन की बात सुन कर हेयरन रह जाता है लेकिन उसका लैंड उसके पेंट में पूरी तरह तन हुआ था, विजय- पर तूने अपनी अम्मा को पूरी नंगी कैसे देख लिया लाखन- क्या विजय भैया तुम औरतों को नहीं जानते, उनकी उम्र जितनी बढ़ती है, उनकी जवानी और उतनी लगती है, मेरी अम्मा को छुट माई खूब खुल्ली मची होगी इसीलिये वह पूरी नंगी होकर घर के आंगन में नहा रही थी और मैं चुपचप चुप कर उसकी गदराई जवानी देख रहा था, विजय- तब तो तू रोज अपनी अम्मा को नंगी देखता होगा, लाखन- अब भैया घर में ऐसा चोदने लायक माल हो तो पूरी नंगी देखे बिना रहा भी तो नहीं जाता, पता नहीं तुम 30 बरस के हो चले हो और तुम्हारा आदमी क्यों नहीं होता, जब तुम्हारी माँ तो........... विजय-बोल-बोल क्या कह रहा था लाखन- माफ करना भैया गलती से मुंह से निकल गया विजय- उसकी बात लेकर एक सांस में तीन-चार घूंट खिचते हुए, अरे बोल ना क्या कह रहा था मेरी मां के बारे में, जब मैं तेरी मां के बारे में बताऊं, मैं भी सुन सकता हूं तो अपनी मां के बारे में, मैं भी सुन सकता हूं, बोल तू क्या कहना चाहता है, तू मेरा दोस्त है मैं तेरी बात का बुरा नहीं मानूंगा और अगर मुझे बात बुरी लगी तो मैं तुझे करने के लिए मना कर दूंगा, अब बोल भी डे लाखन- विजय की बात सुन कर थोड़ा जोश में आ चूका था और भैया माई तो यह कह रहा था कि यह प्योर गनव माई अगर है सबसे गदराया बदन और नशीली जवानी अगर किसी की है तो वाह है आपकी मां ठकुराइन की, क्या आपका लंड आपकी मां को देख कर खड़ा नहीं होता है जब कि आप तो हमेशा उनके साथ घर पर ही रहते हैं, ठकुराइन जब गनव माई चलती है तो अच्छा - अच्छा के लंड खड़े हो जाते हैं, विजय- नशे में बहुत मस्त हो रहा था और जब उसने लाखन के मुंह से अपनी मां की गदराई जवानी की बात सुनी तो उसका मोटा लंड झटके खाने लगा, क्या इतनी मस्त लगती है मेरी माँ लाखन- सच कहु विजय भैया अगर तुम्हारी जगह माई ठकुराइन का बेटा होता तो दिन रात ठकुराइन को खूब कस-कस कर चोदता, सच विजय भैया आपकी माँ बहुत मालदार औरत है, कितने सालो से उनको कोई लंड भी नहीं मिला है उनकी चूत तो पूरी कुंवारी लौंडियो जैसी हो गई होगी, विजय- अच्छा तो एक बात बता लाखन तूने कभी अपनी अम्मा को चोदने की कोशिश नहीं की, लाखन- अरे नहीं विजय भैया मेरी मां बहुत गरम मिजाज की औरत है और इसलिए मेरी गांड फटती है सब कम्मो से, विजय- तूने ठीक ही किया है, कोई माँ अपने बेटे से अपनी चूत थोड़े ही चुदवा लेगी, लाखन- हा वो तो है भैया पर जिस औरत को लंबे समय से लंड ना मिला हो वो औरत अगर किसी जवान लंड का मस्त लंड देख ले तो उसकी चूत पिगल सकती है और जब औरत खूब चुदासी हो जाती है तो फिर वहां किसी का भी लंड ले सकती है, विजय बात लाखन से कर रहा था लेकिन लाखन की बातों के करण उसके दिमाग में सिर्फ उसकी मां रुक्मणी का ही ख्याल आ रहा था था और उसका उपयोग कभी रुक्मणी की मोती लहराती गांड कभी उसके मोटे-मोटे कासे हुए दूध और कभी उसके रसीले होंठ और उबरा हुआ पेट ही नजर आ रहा था, विजय- अच्छा ये बता लाखन और कौन औरत गनव में सबसे पटाखा लगती है तुझे। लाखन- अरे भैया हमें लगने से क्या होता है सच कहूं तो असली माल तुम्हारे घर में है और तुम हो कि एक दम नीरस आदमी हो, विजय- तो मुझे क्या करना चाहिए लाखन






लाखन- भैया औरत की दबी हुई अगर भड़का दो तो फिर तुम्हें कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी औरत खुद ही सब कुछ कर लेगी, विजय- तूने अपनी बीबी को अपनी अम्मा को नंगी देखने वाली बात बताई है की नहीं

लाखन- अरे वाह तो सब जानती है, कई बार तो वह खुद कहती है कि मुझे अपनी अम्मा समझ कर चोदो ।जब तुम मुझे अपनी अम्मा समझ कर चोदते हो तो बहुत अच्छे से चोदते हो,

विजय- मुस्कुराता हुआ, सेल अपनी औरत को भी पता लगा लिया है तूने

विजय- चल अब चलते हैं बहुत देर हो रही है, लाखन- फिर कभी साथ का मूड हो भैया तो उसी नाके पर आ जाना जहां तुम्हारी गाड़ी रोकी थी मेरी ड्यूटी उसकी चौकी पर रहती है,

विजय- क्यों नहीं लाखन अब तो तेरे साथ बेथना ही पड़ेगा, तेरी बाते पूरा मूड फ्रेश कर देती है, लाखन- अगर ऐसी बात है भैया तो अगली बार जब हम साथ बैठेंगे तब मैं तुम्हें और भी मस्त बताऊंगा














जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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