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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
उड़ा जा रहा था, तभी अचानक तीन-चार सुरक्षा अधिकारियों ने डर से विजय की बायक को हाथ देकर रोक लिया और विजय ने अपनी बायक की रफ्तार से काम करके एक तरफ खड़ी कर ली, विजय- क्या हुआ साहब सुरक्षा अधिकारी- गाड़ी के पेपर और लाइसेंस दिखाओ, विजय ने अपनी जेब से लाइसेंस निकल कर दिया तब सुरक्षा अधिकारी वाले ने पेपर मांगे तब विजय ने कहा गाड़ी के पेपर तो उसके घर पर ही रह गए हैं, सुरक्षा अधिकारी वालो ने विजय को गाड़ी एक और लगाने को कहा और तभी एक सिपाही जिसका नाम लाखन सिंह ने साहेब से कहा अरे साहेब या हमारे गांव का है इसे जाने दो, और साहेब आप कहो तो मैं भी गांव तक इसके साथ चला जाउ बड़ा जरूरी काम है।

 विजय- धन्यवाद लाखन तुम ना आते तो पता नहीं मुझे कितनी देर परेशान होना पड़ता लाखन- अरे नहीं विजय भैया हमरे रहते आप कैसे परेशान होंगे, पर ये बताओ आज गांव की तरफ कैसे चल दिए विजय- अरे लाखन भैया मेरी नौकरी शहर में है और वहां से 50-60 किमी दूर जाना पड़ता है तो मैं हर रविवार गांव आ जाता हूं आखिर मां और गुड़िया से भी तो मिलना पड़ता है ना। लाखन-अच्छा चलो मुझे भी गाँव  तक चलना है, मैं तुम्हारे साथ ही चलता हूं साहेब से भी छुट्टी मांग ली है विजय- क्यों नहीं लाखन बैठो विजय लाखन को लेकर गांव की और चल देता है, विजय एक 30 साल का हट्टा-कट्टा जवान था और शहर में सरकारी नौकरी करता था और अपना पूरा नाम विजय सिंह ठाकुर लिखता था, गांव में उसकी माँ रुक्मणि और बहन गुड़िया रहते थे, रुक्मणी करीब 48 साल की एक भरे बदन की औरत थी और करीब 10 साल पहले ही उसके पति की मौत हो चुकी थी उसके इस्तेमाल के लोग गाँव  में ठकुराइन के नाम से ही पुकारते थे, विजय की बहन गुड़िया अब 25 बरस की हो चली थी, लेकिन अभी तक दोनों भाई बहन माई से किसी की शादी नहीं हुई थी, लेकिन सभी की कामनाएं दबी हुई थी, लाखन- विजय भैया कहो तो आज थोड़ा मदिरापान हो जाए, कहो तो एक बोतल ले लू गाव के हरेभरे पेड़ो के नीचे बैठ कर पीने  का मजा ही कुछ और आता है। विजय जनता था कि लाखन एक रंगीन मिजाज का आदमी है और विजय एक दो बार पहले भी लाखन और एक दो लोगो के साथ मिलकर काम कर चुका था, उसने सोचा चलो अब शाम भी हो रही है और गांव भी 10 किमी होगा थोड़ा मूड फ्रेश कर  लिया जाए लाखन और विजय गांव से 3-4 किमी दूर एक तालाब के किनारे लगे पेड़ो के नीचे बेथ कर पीना शुरू कर देते हैं, लाखन- अच्छा विजय भैया कोई माल वगैहरा पटाया है कि नहीं शहर में हां ऐसे ही नीरस जिंदगी जी रहे हो, विजय- बिना औरत के क्या जिंदगी नीरस रहती है, लाखन- अरे और नहीं तो क्या, अब हमको ही देख लो तुमसे 2 साल छूटे हैं पर जबसे हमारी शादी हुई है तब से हमको अपनी औरत को छोड़े बिना नींद ही नहीं आती है, विजय को लाखन की बातो में बड़ा मजा आ रहा था और उसका नशा चढ़ता ही जा रहा था, उधर लाखन की यह कामजोरी थी की वाह पीने के बाद सिर्फ और सिर्फ चूत और चुदाई की ही बात करता था, - तो क्या तुम अपनी औरत को रोज चोदते हो लाखन- शराब का बड़ा सा घूंट गटकते हुए, हा भैया मुझे तो बिना अपनी औरत की चूत मारे नींद ही नहीं आती है,



 विजय- लगता है तेरी बीबी बहुत सुंदर है लाखन- सुंदर तो है भैया, लेकिन जैसा माल कि हमें चाहत थी वैसा माल नहीं है, विजय- क्यों तुझे कैसी माल की चाहत थी लाखन- अब क्या बताउ भैया मुझे लंडियो को चोदने में उतना मजा नहीं आता है जितना मजा बड़ी उमर की औरत को चोदने में आता है, विजय- बड़ी उमर का मतलब, किस तरह की औरत लाखन- भैया मुझे तो अपनी माँ की उमर की औरत को चोदने में मजा आता है, विजय- क्यों माँ की उमर की औरत में कुछ खास बात होती है क्या लाखन- अच्छा पहले ये बताओ तुमने कभी अपनी माँ की उमर की औरत को पूरी नंगी देखा है, विजय- नहीं देखा क्यों लाखन- अगर देखा होता तो जानता, मैं तो शादी के पहले ऐसी ही औरत को सोच-सोच कर खूब अपना लैंड हिलाता था, विजय- अच्छा, तो क्या तूने किसी को पूरी नंगी भी देखा था लाखन- नशे में मुस्कुराए हुए, देखो भैया तुमसे बता रहा हूं कि तुम मेरे भाई जैसे हो पर ये बात कहीं और ना करना, विजय- लाखन क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है लाखन- भरोसा है तभी तो बता रहा हूं भैया, एक बार मैंने अपनी अम्मा को पूरी नंगी देखा था, क्या बताउ भैया इतने सारे बदन की है मेरी अम्मा की उसकी गदराई उफान खाती जवानी देख कर मेरा लंड किसी डंडे की तरह तन गया था, बस तब से हाय भैया मुझे अपनी अम्मा जैसी औरत हाय अच्छी लगती है और जब भी मैं अपनी औरत को चोदता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी अम्मा को पूरी नंगी करके चोद रहा हूँ, विजय- लाखन की बात सुन कर हेयरन रह जाता है लेकिन उसका लैंड उसके पेंट में पूरी तरह तन हुआ था, विजय- पर तूने अपनी अम्मा को पूरी नंगी कैसे देख लिया लाखन- क्या विजय भैया तुम औरतों को नहीं जानते, उनकी उम्र जितनी बढ़ती है, उनकी जवानी और उतनी लगती है, मेरी अम्मा को चूत में  खूब खुल्ली मची होगी इसीलिये वह पूरी नंगी होकर घर के आंगन में नहा रही थी और मैं चुपचप चुप कर उसकी गदराई जवानी देख रहा था, विजय- तब तो तू रोज अपनी अम्मा को नंगी देखता होगा, लाखन- अब भैया घर में ऐसा चोदने लायक माल हो तो पूरी नंगी देखे बिना रहा भी तो नहीं जाता, पता नहीं तुम 30 बरस के हो चले ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Pahli bar bahan k sath picnic - by neerathemall - 14-02-2019, 03:18 AM
RE: Soni Didi Ke Sath Suhagraat - by neerathemall - 26-04-2019, 12:23 AM
didi in waterfall - by neerathemall - 04-06-2019, 01:34 PM
Meri Didi Ki Garam Jawani - by neerathemall - 29-01-2020, 11:22 AM
RE: पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ - by neerathemall - 26-09-2023, 10:14 AM



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