07-09-2023, 12:12 PM
अब जावेद मिताली के निप्पलो के छेड़खानी में लग गया। उसने अब दातो में निप्पलो को पकड़ कर उन्हें खींचना शुरू किया। इससे मिताली के निप्पल फूल गए और बड़े हो गए। उन निप्पलो को देखकर मेरे भी मुह में पानी आ गया अब तो मई भी उधर जाकर उन्हें चूसना चाह रहा था। निप्पल मुंह में लेकर अब वो जबान से निप्पलो के साथ खेल रहा था।
मिताली : ह्म्म…। ह्म्म्म्म्म्म………। आह्ह्ह्ह……… और जोर से। …… प्लीज
मिताली अब जावेद का सर और से खींचकर अपने मम्मो पर दबा रही थी। मिताली की उंगलिया अब जावेद के सर के बालो में घूम रही थी।
जावेद एक चुचीं से दूसरी चुचीं पर शिफ्ट हो रहा था। और अब वो पूरा जोर लगा कर किसी जंगली जानवर की तरह मिताली की नंगी चूचियों को चूस रहा था। मिताली अब जावेद के कंधो पर, पीठ पर, और जावेद की छाती पर अपने हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी। इसी दौरान जावेद फिर से उठकर खड़ा हो गया और मिताली के होठों पर जोर से अपने होठ रख दिए और ऐसे चूसने लगा मानो जैसे अब होठों से खून ही निकल जाये। और पूरी तरह कसकर मिताली को बाँहों में भर लिया।
मैंने अब ये सब रोकने का फैसला किया। और उन्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए चल दिया।
इस लिए मैंने अब मिताली के मोबाईल पर कॉल किया। जैसे ही मोबाईल की रिंग बजी वो दोनों अचानक एक दूसरे से अलग हो गए और उनकी खोई हुई दुनिया से असल दुनिया में लौट आये। मिताली को अब अपने पोसिशन का और अपनी अवस्था और परिस्थिति का ध्यान आया और उसने शर्म के मारे अपना सर झुका दिया। उसने अपना टी-शर्ट उठाया और अपने मम्मो पर इस तरह रखा जैसा वो इसे छुपाना चाहती हो जावेद से। यह देखकर मुझे हंसी आई। मेरी हंसी में दुख भी था और गुस्सा भी। अब तक मई मोबाईल पर दो बार रिंग दे चूका था। इस बार मिताली ने मोबाईल लेने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन जावेद ने मिताली का हाथ पकड़ा और कॉल लेने से उसे रोका।
मिताली : क्या हुआ ?
जावेद : थोड़ा ठहरो। तुम्हे बताऊंगा।
मिताली : मुझे ये कॉल लेना चाहिए।
जावेद : मुझे पता है , लेकिन वेट करो।
मिताली इससे काफी कन्फ्यूज हो गयी। फोन कुछ देर तक बजा और बाद में बंद हो गया। मुझे अब ये समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। मुझे ये डर सता रहा था की कहनी उन्हें ये पता न चल जाये की मई वहां छुपा हुआ हु। मुझे अब पसीना आने लगा था पर थोड़ी देर बाद मेरा मन शांत हो गया। अगर मै उन्हें डिरेक्टली नहीं सुन पा रहा था तो ये कैसे शक्य था की वो मुझे डिरेक्टली सुने। जावेद के मन में कुछ अलग ही खिचड़ी शिज रही थी। थोड़ा कन्फ्यूजन में ही मैंने एक बार फिर मिताली को कॉल किया।
इस समय भी जावेद ने मिताली को फोन लेने नहीं दिया। अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। उस फाइल रूम से निकल कर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। वो दोनों किसी भी समय रिसेप्शन एरिया में आ सकते थे। तो मैंने फाइल्स उठकर वापस जहाँ थे वहां रख दिए। और रूम से निकल कर बाहर चला गया जहांपर मेरी बाइक पार्क की हुई थी। वहां से फिर से एक बार मैंने कॉल किया लेकिन मिताली ने रिप्लाय नहीं दिया। तो फिर मैंने कुछ देर तक बाहर इंतज़ार किया। अब जिम के अंदर घुसकर देखने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। इसलिए मई वापस मेरी बाइक लेकर जिम पार्किंग में पहुँच गया। और बाइक पार्क करके जिम के अंदर चला गया।
वहांपर वो जिम ट्रेनर रिसेप्शन एरिया में बैठा हुआ था। उसे देखकर मेरे दिमाग की नस फटने लगी लेकिन मैंने अपने आप को शांत किया। उसने मेरी तरफ ऐसा देखा जैसा वो किसि चीज़ में उलझ गया हो। मैंने उसे जाकर मिताली के बारे में पूछा। उसने मेरे तरफ अपमानित करनेवाली आँखों से देखा और बातो में एक तरह की जरब लाकर कहा, "कुछ देर पहले ही वो यहाँ से चली गयी। वो यहाँ जिम में उसकी की किसी स्कुल की सहेली से मिल गयी थी। उसकी सहेली यहां पर ट्रेनिंग प्लान के बारे में जानने आई थी। और तुम्हारी बीवी उसीके साथ चली गयी। "
मुझे उसके झूठ पर गुस्सा आ रहा था। लेकिन जावेद मुझसे ज्यादा तगड़ा था और इस वक्त गुस्से में भी था। इसलिए मैंने उससे कहा की, "मैंने आज ज्यादा वर्कऑउट किये नहीं, इसलिए मई अब अंदर जाकर थोडासा वर्कऑउट करता हु। "
इससे जावेद थोडासा बौखला गया, लेकिन ज्यादा गुस्सा दिखाते हुए उसने कहा, "तुम पर वर्कऑउट का कुछ असर तो होता नहीं। एक्स्ट्रा वर्कऑउट करके क्या उखाड़ लोगे। अब मेरा घर जाने का समय हो गया है। मैं तुम्हे अंदर जाने नहीं दे सकता। बेहतर होगा की अगर तुम यहाँ से जल्दी चले जाओ। "
आखरी वाली बात उसने धमकी के अंदाज़ में कही थी। इससे मुझे बहुत टेंशन आ गया। मै अब अपने आप को बहुत कमजोर और मजबूर महसूस करने लगा। मुझे ये पता था की अभी भी मेरी बीवी अंदर अधनंगी होकर खड़ी है और हमारी बाते सुन रही है। मै अभी उन्हें अंदर जाकर पकड़ सकता था। लेकिन मई यह सोचने पे मजबूर था की इससे मुझे क्या फायदा होगा। मेरी बीवी अब पूरी तरह जावेद के कंट्रोल में जा चुकी थी। और जावेद जैसे मुझे पीटने के इंतज़ार में था। ये सब मुझे और अपमानित महसूस होने लगा। मुझे अब ये समझ नहीं आ रहा था की मई क्या करू इसलिए मई कुछ देर तक वैसेही वहांपर खड़ा रहा।
वहां से निकालकर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास कोई पर्याय नहीं था। मैंने फिर से मिताली के मोबाईल पर कॉल किया लेकिन उसने फोन लिया नहीं। मै बाहर आया अपनी बाइक ली और कुछ दूर चले जाकर पार्क कर दी। मै कुछ देर तक वहां रुका रहा और वापस पहले की तरह जिम पर चला गया और जिम के गेट के बाहर बाइक पार्क कर दी। मै अब यही सोच रहा था की जावेद वापस अंदर चला गया हो। वैसे अगर वो रिसेप्शन में मिल भी जाता तो मैंने उस कंडीशन के लिए अपने आप को तैयार किया था। मेरा नसीब अच्छा था की वो रिसेप्शन एरिया में नहीं था।
इसलिए फिर से मै अंदर घुस गया और फाइल रूम में चला गया। और वहां से फिर से कुछ फाइल हटा दी। वो वहां पर खड़े थे और आपस में बाते कर रहे थे। मेरी बीवी अभी भी टॉपलेस खड़ी थी लेकिन इस समय उसने अपनी चूचियों को टी-शर्ट से ऐसे ढका हुआ था जैसे सतिसावित्री बनने की कोशिश कर रही हो। हाँ लेकिन उसकी उत्तेजना अब कम हो गयी थी। लेकिन उसकी इस अवस्था से जावेद खुश नहीं था उसका गुस्सा इसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था।
जावेद के पुरे प्रयत्न अब पानी में जाते हुए दिख रहे थे। क्यूंकि मिताली का मूड उतर चूका था और मिताली अब थोडासा शर्म भी दिखा रही थी।
मिताली : मुझे अब जाना चाहिए। मै अब अपने पति को कॉल करती हु।
जावेद : जरूर। तुम जरूर जा सकती हो, लेकिन अभी नहीं।
(जावेद के बातो में अब एक जरब थी। उसने मिताली के हाथों से उसका टी-शर्ट खिंच दिया। अब मिताली के मम्मे फिर से नंगे दिखाई देने लगे )
मिताली : ह्म्म…। ह्म्म्म्म्म्म………। आह्ह्ह्ह……… और जोर से। …… प्लीज
मिताली अब जावेद का सर और से खींचकर अपने मम्मो पर दबा रही थी। मिताली की उंगलिया अब जावेद के सर के बालो में घूम रही थी।
जावेद एक चुचीं से दूसरी चुचीं पर शिफ्ट हो रहा था। और अब वो पूरा जोर लगा कर किसी जंगली जानवर की तरह मिताली की नंगी चूचियों को चूस रहा था। मिताली अब जावेद के कंधो पर, पीठ पर, और जावेद की छाती पर अपने हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी। इसी दौरान जावेद फिर से उठकर खड़ा हो गया और मिताली के होठों पर जोर से अपने होठ रख दिए और ऐसे चूसने लगा मानो जैसे अब होठों से खून ही निकल जाये। और पूरी तरह कसकर मिताली को बाँहों में भर लिया।
मैंने अब ये सब रोकने का फैसला किया। और उन्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए चल दिया।
इस लिए मैंने अब मिताली के मोबाईल पर कॉल किया। जैसे ही मोबाईल की रिंग बजी वो दोनों अचानक एक दूसरे से अलग हो गए और उनकी खोई हुई दुनिया से असल दुनिया में लौट आये। मिताली को अब अपने पोसिशन का और अपनी अवस्था और परिस्थिति का ध्यान आया और उसने शर्म के मारे अपना सर झुका दिया। उसने अपना टी-शर्ट उठाया और अपने मम्मो पर इस तरह रखा जैसा वो इसे छुपाना चाहती हो जावेद से। यह देखकर मुझे हंसी आई। मेरी हंसी में दुख भी था और गुस्सा भी। अब तक मई मोबाईल पर दो बार रिंग दे चूका था। इस बार मिताली ने मोबाईल लेने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन जावेद ने मिताली का हाथ पकड़ा और कॉल लेने से उसे रोका।
मिताली : क्या हुआ ?
जावेद : थोड़ा ठहरो। तुम्हे बताऊंगा।
मिताली : मुझे ये कॉल लेना चाहिए।
जावेद : मुझे पता है , लेकिन वेट करो।
मिताली इससे काफी कन्फ्यूज हो गयी। फोन कुछ देर तक बजा और बाद में बंद हो गया। मुझे अब ये समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। मुझे ये डर सता रहा था की कहनी उन्हें ये पता न चल जाये की मई वहां छुपा हुआ हु। मुझे अब पसीना आने लगा था पर थोड़ी देर बाद मेरा मन शांत हो गया। अगर मै उन्हें डिरेक्टली नहीं सुन पा रहा था तो ये कैसे शक्य था की वो मुझे डिरेक्टली सुने। जावेद के मन में कुछ अलग ही खिचड़ी शिज रही थी। थोड़ा कन्फ्यूजन में ही मैंने एक बार फिर मिताली को कॉल किया।
इस समय भी जावेद ने मिताली को फोन लेने नहीं दिया। अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। उस फाइल रूम से निकल कर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। वो दोनों किसी भी समय रिसेप्शन एरिया में आ सकते थे। तो मैंने फाइल्स उठकर वापस जहाँ थे वहां रख दिए। और रूम से निकल कर बाहर चला गया जहांपर मेरी बाइक पार्क की हुई थी। वहां से फिर से एक बार मैंने कॉल किया लेकिन मिताली ने रिप्लाय नहीं दिया। तो फिर मैंने कुछ देर तक बाहर इंतज़ार किया। अब जिम के अंदर घुसकर देखने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। इसलिए मई वापस मेरी बाइक लेकर जिम पार्किंग में पहुँच गया। और बाइक पार्क करके जिम के अंदर चला गया।
वहांपर वो जिम ट्रेनर रिसेप्शन एरिया में बैठा हुआ था। उसे देखकर मेरे दिमाग की नस फटने लगी लेकिन मैंने अपने आप को शांत किया। उसने मेरी तरफ ऐसा देखा जैसा वो किसि चीज़ में उलझ गया हो। मैंने उसे जाकर मिताली के बारे में पूछा। उसने मेरे तरफ अपमानित करनेवाली आँखों से देखा और बातो में एक तरह की जरब लाकर कहा, "कुछ देर पहले ही वो यहाँ से चली गयी। वो यहाँ जिम में उसकी की किसी स्कुल की सहेली से मिल गयी थी। उसकी सहेली यहां पर ट्रेनिंग प्लान के बारे में जानने आई थी। और तुम्हारी बीवी उसीके साथ चली गयी। "
मुझे उसके झूठ पर गुस्सा आ रहा था। लेकिन जावेद मुझसे ज्यादा तगड़ा था और इस वक्त गुस्से में भी था। इसलिए मैंने उससे कहा की, "मैंने आज ज्यादा वर्कऑउट किये नहीं, इसलिए मई अब अंदर जाकर थोडासा वर्कऑउट करता हु। "
इससे जावेद थोडासा बौखला गया, लेकिन ज्यादा गुस्सा दिखाते हुए उसने कहा, "तुम पर वर्कऑउट का कुछ असर तो होता नहीं। एक्स्ट्रा वर्कऑउट करके क्या उखाड़ लोगे। अब मेरा घर जाने का समय हो गया है। मैं तुम्हे अंदर जाने नहीं दे सकता। बेहतर होगा की अगर तुम यहाँ से जल्दी चले जाओ। "
आखरी वाली बात उसने धमकी के अंदाज़ में कही थी। इससे मुझे बहुत टेंशन आ गया। मै अब अपने आप को बहुत कमजोर और मजबूर महसूस करने लगा। मुझे ये पता था की अभी भी मेरी बीवी अंदर अधनंगी होकर खड़ी है और हमारी बाते सुन रही है। मै अभी उन्हें अंदर जाकर पकड़ सकता था। लेकिन मई यह सोचने पे मजबूर था की इससे मुझे क्या फायदा होगा। मेरी बीवी अब पूरी तरह जावेद के कंट्रोल में जा चुकी थी। और जावेद जैसे मुझे पीटने के इंतज़ार में था। ये सब मुझे और अपमानित महसूस होने लगा। मुझे अब ये समझ नहीं आ रहा था की मई क्या करू इसलिए मई कुछ देर तक वैसेही वहांपर खड़ा रहा।
वहां से निकालकर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास कोई पर्याय नहीं था। मैंने फिर से मिताली के मोबाईल पर कॉल किया लेकिन उसने फोन लिया नहीं। मै बाहर आया अपनी बाइक ली और कुछ दूर चले जाकर पार्क कर दी। मै कुछ देर तक वहां रुका रहा और वापस पहले की तरह जिम पर चला गया और जिम के गेट के बाहर बाइक पार्क कर दी। मै अब यही सोच रहा था की जावेद वापस अंदर चला गया हो। वैसे अगर वो रिसेप्शन में मिल भी जाता तो मैंने उस कंडीशन के लिए अपने आप को तैयार किया था। मेरा नसीब अच्छा था की वो रिसेप्शन एरिया में नहीं था।
इसलिए फिर से मै अंदर घुस गया और फाइल रूम में चला गया। और वहां से फिर से कुछ फाइल हटा दी। वो वहां पर खड़े थे और आपस में बाते कर रहे थे। मेरी बीवी अभी भी टॉपलेस खड़ी थी लेकिन इस समय उसने अपनी चूचियों को टी-शर्ट से ऐसे ढका हुआ था जैसे सतिसावित्री बनने की कोशिश कर रही हो। हाँ लेकिन उसकी उत्तेजना अब कम हो गयी थी। लेकिन उसकी इस अवस्था से जावेद खुश नहीं था उसका गुस्सा इसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था।
जावेद के पुरे प्रयत्न अब पानी में जाते हुए दिख रहे थे। क्यूंकि मिताली का मूड उतर चूका था और मिताली अब थोडासा शर्म भी दिखा रही थी।
मिताली : मुझे अब जाना चाहिए। मै अब अपने पति को कॉल करती हु।
जावेद : जरूर। तुम जरूर जा सकती हो, लेकिन अभी नहीं।
(जावेद के बातो में अब एक जरब थी। उसने मिताली के हाथों से उसका टी-शर्ट खिंच दिया। अब मिताली के मम्मे फिर से नंगे दिखाई देने लगे )