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Misc. Erotica भोली भाली शीला और पंडित जी
#39
Update 22



पंडित & शीला पार्ट--22

***********
गतांक से आगे ......................

***********

गिरधर के अन्दर आने की वजह से अब जो भी बात होनी थी वो बाथरूम में छुपी हुई रितु आसानी से सुन सकती थी ...और पंडित को इसी बात का डर था ..वो नहीं चाहते थे की गिरधर कोई ऐसी बात कह दे जिसकी वजह से रितु को माधवी के बारे में भी पता चल जाए ..अभी तक जो माधवी से चुदाई की बात पंडित से गिरधर ने कही थी वो रितु नहीं सुन पायी थी पर अब जो भी वो कहेगा वो सुन लेगी ...उनके दिमाग ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया ..


गिरधर आगे कुछ बोलने ही वाला था की पंडित ने उससे कहा : "अरे वो बातें तो होती ही रहेंगी ...अभी तुम्हे इस लड़की को देखकर कुछ नहीं हो रहा क्या ..."


गिरधर : "अरे पंडित जी ...आप भी कैसी बातें करते हैं ..इस कमसिन सी लड़की को देखकर तो मुझे सच में रितु की याद आ गयी ...उसी की उम्र की लगती है ..है ना ..."


पंडित ने मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाया ...


गिरधर का लंड उसकी धोती में खड़ा होकर बाहर निकलने को आतुर था ..


उसने एक नजर पंडित पर डाली और उन्होंने स्वीकृति में सर हिला दिया ..


अगले ही पल गिरधर की धोती जमीन पर थी और उसने अपना कच्छा भी उतार कर नीचे सरका दिया ..


पंडित ने एक नजर बाथरूम की तरफ डाली उन्हें पूरी आशा थी की वहां छिपी हुई रितु छेद में से सार खेल देख रही होगी ...अपने बाप की रंगरेलियां .


और ये सच भी था ..पहले तो रितु को लगा था की पंडित जी उसके पिताजी को किसी भी तरह बाहर से ही टरका देंगे ..पर उन्हें अन्दर आते पाकर और उनकी बातें सुनकर रितु को विशवास हो गया की जिस तरह उसके पिताजी संगीता के बारे में पूछ रहे हैं वो दोनों काफी अच्छी तरह से एक दुसरे को जानते हैं और जब उसके पिताजी ने संगीता के ऊपर से चादर निकाल कर फेंकी तो वो सकते में आ गयी ..और ना चाहते हुए भी उसकी चूत में से पानी की एक बूँद ये सोचते हुए निकल गयी की अगर वो संगीता के बदले में वहां पर होती तो आज अपने बाप के सामने वो नंगी लेटी होती और शायद उसका ठरकी बाप उसे बुरी तरह से चोद डालता जैसे अब वो तैयार हो रहा था संगीता को चोदने के लिए ..

अपनी पिताजी का लंड तो वो पहले महसूस भी कर चुकी थी जब उन्होंने उसे अपनी गोद में बिठाकर उसकी चूचियां मसली थी ..और उसने देखा भी था जब वो उसकी माँ को बुरी तरह से चोद रहे थे ..पर हर बार पिछली बार से ज्यादा क्लेरिटी मिल रही थी ..आज दिन के समय जब उसने अपने पिताजी का उफनता हुआ लंड देखा तो वो बूँद निकल कर बाहर टपक ही गयी ..जिसे वो अपनी उँगलियों में लेकर चूसने की सोच रही थी .


और दूसरी तरफ अपनी बेटी के अन्दर होने से अनभिज्ञ गिरधर पूरा नंगा होकर संगीता को चोदने को तैयार था ..


पर पंडित के मन में कुछ और ही चल रहा था ..उन्होंने कुछ सोचा और धीरे से गिरधर से बोले : "मैं देख रहा हु तुम इस लड़की को कैसी नजरों से देख रहे हो ...रितु की उम्र की लड़की है तो इसे कहीं रितु समझ के चोदने के मूड में तो नहीं हो ना ..."


पंडित ने जैसे उसे कुछ याद दिलाया ..


और अगले ही पल गिरधर ने अपना देहाती लंड मसलते हुए दबी आवाज में रितु का नाम लिया ...''ओह्ह्ह्ह्ह रितु ....उम्म्म्म ...''


अपने बाप को ऐसी हरकत करता देखकर अंदर घोड़ी बनकर सारा खेल देख रही रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..उसे अपने पिताजी से तो ये उम्मीद थी पर पंडित से ऐसी आशा कतई नहीं थी की वो भी उसके पिताजी का साथ देंगे ..

खेर आगे क्या होता है वो ये देखने के लिए और ज्यादा छेद के अन्दर घुस सी गयी ..


गिरधर बिस्तर के कोने पर बैठा और आगे बढकर संगीता की चिकनी टांगो को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया ..वो नींद में सोती हुई कुनमुना उठी ...गिरधर की नजरों में संगीता के मोटे मुम्मे खटक से रहे थे ..वो ऊपर खिसका और उसके एक मुम्मे को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और जोरों से चूसने लगा ...


थोड़ी देर तक चूसने के बाद संगीता के जिस्म में से भी लहरें उठने लगी ...उसकी टाँगे अपने आप एक दुसरे को घिसने लगी ...वो पगली शायद नींद की मदहोशी में अभी तक यही सोच रही थी की पंडित जी दोबारा उसका उद्धार करने आये हैं ..पर वो ये नहीं जानती थी की ये पंडित नहीं उनका दूत है जो उसे एक और लंड का मजा देने के लिए आया है .


संगीता ने गिरधर के सर को पकड़ कर ऊपर खींचा और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर से चूम लिया ...


बस यही गिरधर पकड़ा गया ..क्योंकि पंडित जी का मुंह सफाचट था और गिरधर के चेहरे पर घनी मूंछे थी ..अपने मुंह में गिरधर की मूंछों के बाल आने से वो एकदम से हडबडा कर उठ बैठी और गिरधर को सामने देखते ही वो जोर से चिल्ला पड़ी ...


''कौन ...कौन हो तुम ...''

और इधर उधर नजर घुमा कर जैसे ही उसे पंडित जी दिखाई दिए वो भागकर उनसे लिपट गयी ..नंगी .

और धीरे से पंडित जी के कान में फुसफुसाई ...''पंडित जी ...ये ये कौन है ...और ...और रितु कहाँ है ...''


पंडित ने भी धीरे से उसके कानो में कहा : "रितु अन्दर है ...बाथरूम में ...और ये उसके पिताजी है ..इसलिए वो वहां जाकर छुप गयी है ...तुम्हे मेरा साथ देना होगा वर्ना वो बेचारी पकड़ी जायेगी ...अपने पिताजी के सामने वो अगर ऐसी हालत में आई तो वो उसे कॉलेज से निकलवा कर घर बिठा देंगे ...इसलिए मैंने ही गिरधर को तुम्हारे साथ सब कुछ करने की छूट दे दी ..यही तरीका है जिससे तुम अपनी सहेली को बचा सकती हो ..और वैसे भी ..एक नए लंड से चुदने का अनुभव भी तो मिल रहा है ना तुम्हे ...''


पंडित की आखिरी बात सुनकर वो शर्म से झेंप गयी ..वैसे जो भी पंडित ने कहा था उसका कोई मतलब तो नहीं बनता था पर उनकी आखिरी बात उसकी समझ में आ गयी थी ..इसलिए वो धीरे से पंडित से अलग हुई और गिरधर की तरफ मुड़ गयी ..और धीरे-२ उसकी तरफ चल दी ..


पंडित ने उसके कान में क्या कहा ये ना तो रितु को सुनाई दिया और ना ही गिरधर को ...पर संगीता को अपनी तरफ आता हुआ देखकर गिरधर समझ गया की पंडित ने उसे सब समझा दिया है ...वो पंडित जी का ऋणी हो गया ...अपनी बेटी की उम्र की नंगी और मदमस्त लड़की को अपने सामने पाकर और वो भी चुदने को तैयार , वो फूला नहीं समाया ..वो अपनी जगह से उठा और एक ही झटके में संगीता को पकड़कर वापिस बेड पर पटक दिया और जानवरों की तरह उसके मुम्मों और होंठों को अपने मुंह से नोच खसोट कर चूसने लगा ..

संगीता ने ऐसा शायद एक दो ब्लू फिल्मों में देखा था की आदमी ज्यादा उत्तेजित होकर बुरी तरह से लड़की को चूमता और चोदता है ...उसी को याद करते हुए वो भी उत्तेजित हो गयी और गिरधर का साथ देते हुए उसने एक पलटी खाकर उसे नीचे लिटा दिया और जोरदार आवाज करते हुए अपना दांया मुम्मा पकड़कर उसके मुंह में ठूस दिया ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म ....चूस इसे ...साले .....चूस ...''


संगीता को ऐसा करता देखकर गिरधर के अन्दर का भी आदमी जाग उठा ..उसने अपनी बलिष्ट बाजुओं का प्रयोग करते हुए संगीता को वापिस नीचे पटका और उसके दोनों हाथों को अपने पंजों से दबा कर उसे चित्त कर दिया ...संगीता किसी पागल बिल्ली की तरह अपनी लम्बी जीभ निकाल कर अपना मुंह ऊपर करके गिरधर के होंठों को चूसने का प्रयत्न कर रही थी ...पर गिरधर उसकी टांगो को अपने पैरों से फेला कर उसे सही आसन में लाने की कोशिश कर रहा था ...और जैसे ही उसे लगा की वो निशाने पर है ..उसने गोली चला दी और उसका लंड रूपी गोला सीधा संगीता की कच्ची चूत को फाड़ता हुआ अन्दर दाखिल हो गया ...


''अय्य्यीईईइ ......मरररर गयी .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ...........मार डाला ....''


दरअसल उसकी चूत के चारों तरफ फेले हुए होंठ भी लंड के इस प्रहार के साथ अन्दर चले गए थे ..इसलिए उसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी ...उसने किसी तरह से अपने हाथ छुडवाये और हाथ नीचे लेजाकर गिरधर का लंड बाहर निकाला ...और फिर अपने हाथों से अपनी चूत की पंखुड़ियों को फेलाकर उसे वापिस अन्दर आने को कहा ..और जैसे ही उसके लंड का सुपाड़ा अन्दर घुसा संगीता ने गिरधर की गांड पर अपने पंजे जमा कर और अपनी टाँगे उसके चारों तरफ लपेट कर उसे पूरा अन्दर निगल लिया ...

और उसके मुंह से एक अजीब सी हुंकार निकल गयी ..


पूरा लंड अन्दर महसूस करने की हुंकार ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .......क्या लंड है आपका .....अंकल .....उम्म्म्म ......''


गिरधर : ''अह्ह्ह्ह ....अंकल नहीं ....पिताजी कहो ...पिताजी ....और तू है मेरी रितु ....समझी ...''


गिरधर ने उसे रोल प्ले करने को कहा ..


और गिरधर की ये बात सुनकर संगीता भी समझ गयी की उसके मन में उसकी सहेली यानि अपनी ही बेटी रितु के लिए क्या भाव है ...पर या सब जानते हुए भी पंडित जी ने उसे ऐसा करने को क्यों कहा ...सीधा ही रितु को बाहर निकलवा कर उसे उसके बाप से चुदवा देते ..


पर इस समय इन बातों को सोचकर कोई फायेदा नहीं था ..उसे तो बस अभी मजा आना शुरू ही हुआ था ..


और इस मजे को वो ज्यादा देर तक लेना चाहती थी ..

उसने नीचे से तेजी से धक्के मारकर गिरधर के झटकों से लय मिलानी शुरू कर दी ...और अपना रोल प्ले करना भी शुरू कर दिया ..


''अह्ह्ह .अह्ह्ह्ह ...ओह्ह्ह्ह ... पिताजी ....अह्ह्ह ....क्या लंड है आपका ....इतना मोटा ...इतना लंबा ...अह्ह्ह .....चोदो ...चोदो अपनी बेटी को ....अह्ह्ह्ह जोर से चोदो अपनी रितु को ...अह्ह्ह्ह्ह ...हाँ ...ऐसे ही ....अह्ह्ह्ह्ह .इताजी ....उम्म्म्म .....चुसो मेरी ब्रेस्ट ....अयीई ..धीरे ....अह्ह्ह्ह ...उम्म्म्म .....हां ....ऐसे ही ....ओह्ह्ह पिताजी ....उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ....आई .....एम् ....कमिंग ....''


और अपनी चूत से निकलने वाले बाँध का एलान करते ही उसके अन्दर से एक ज्वालामुखी फुट गया ..और वो निढाल सी होकर बेहोशी की हालत में पहुँच गयी ...इतना जोरदार ओर्गास्म हुआ था उसके अन्दर की उसका होश ही चला गया ...

और उसे बेहोश सा होता देखकर गिरधर ने अपने धक्के और तेज कर दिये ..और जैसे ही उसके लंड का गर्म पानी संगीता की चूत में निकला वो जाग उठी ..उसे लगा उसकी चूत में आग लग गयी है ...इतना ज्यादा और गर्म था गिरधर के लंड का पानी ..वो चिल्ला रहा था ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ...मेरी बेटी ....मेरी प्यारी रितु ....अह्ह्ह्ह .......ले ...ले अपने पिताजी का रस ....अपनी चूत के अन्दर ले ....अह्ह्ह्ह .....''


और वो भी उसके ऊपर निढाल सा होकर गिर गया ..


पंडित का मिशन सफल हो चुका था ..


रितु को ये सब दिखाकर उसने उसके मन में भी गिरधर के लिए एक चुदाई का रास्ता खोल दिया था ..और उससे भी ज्यादा उसे चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया था ...


पंडित ने गिरधर और रितु को धीरे से कहा ..


''सुनो ...अब तुम दोनों जल्दी से जाओ ...भक्तों के आने का समय हो गया है ...''


दोनों समझ गए और जल्दी -२ कपडे पहन कर पहले गिरधर और फिर संगीता भी पीछे के दरवाजे से निकल गए ..


और जाते -२ संगीता ने पंडित से धीरे से कहा ..''पंडित जी ...आल द बेस्ट ..प्लीस धीरे से करना रितु के साथ ...पहली बार है न उसका ..''

वो शायद जानती थी की पंडित अब रितु की बुरी तरह से चुदाई करने वाले हैं ..


पंडित : "मुझे पता है ..तुम्हे तकलीफ हुई क्या ...जो उसे होने दूंगा ...''

और इतना कहकर उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया ...


अब उनके घर में रितु और पंडित के सिवाए कोई नहीं था ..

पंडित ने होले से मुस्कुराते हुए जैसे ही दरवाजा बंद किया ..पीछे से रितु भागकर आई और उनसे लिपट गयी ...पंडित जी की बगलों से हाथ निकाल कर उसने उनके कंधे अपने हाथों से दबोच लिए और अपने ठन्डे और गीले होंठ उनकी कमर से लगा दिये ..


पहले पंडित के हाथों से अपने बदन की मालिश और फिर अपने ही बाप को संगीता की चुदाई करते हुए देखने के बाद तो इतना गर्म होना स्वाभाविक ही था ..और सबसे बड़ी बात पंडित की दी हुई विद्या यानी काम ज्ञान को अपने ऊपर महसूस करने की चाहत अब रितु से ये सब करवा रही थी ..और शायद यही पंडित जी भी चाहते थे ...उन्होंने अपनी चालाकी से रितु के अन्दर काम की अग्नि इतनी भड़का दी थी की वो अपने आप ही चुदने के लिए मरी जा रही थी ..


पंडित जी ने रितु के हाथों को पकड़ कर आगे किया और अपनी पीठ से और जोर से दबा दिया ...तब पंडित को महसूस हुआ की वो ऊपर से नंगी है ...सालि… ...नंगी होकर आई और लिपट गयी मुझसे ....ये सोचते हुए जैसे ही पंडित ने पीछे मुड़कर उसे देखना चाहा वो शरमा गयी और पंडित जी से अपनी ब्रेस्ट को छुपाते हुए उनकी छाती से लिपट गयी ...


लड़कियां चाहे जितनी भी एडवांस हो जाएँ पहली बार किसी मर्द के सामने नंगे होने पर शरम जरुर आती है ...

उत्तेजना के आवेग में आकर वो बाथरूम में अपनी फ़्रोक को उतार फेंक तो आई पर पंडित जी से लिपटने के बाद उसे अपने नंगे होने पर काफी शरम आई ...पर अब काफी देर हो चुकी थी ...वो सिर्फ एक सफ़ेद कच्छी पहने हुए पंडित जी के गले लगकर खड़ी थी ..पंडित जी ने भी उसकी भावनाओ को समझा और उसकी चिकनी कमर को सहलाते हुए उसे चुदाई के लिए तैयार करने लगे ...


पंडित : "लगता है अब तुम पूरी तरह से तेयार हो ..."


वो कुछ ना बोली ..

पंडित ने उसके चेहरे को पकड़ कर ऊपर उठाया ..उसकी आँखे बंद थी ..पंडित जी ने अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें गीला किया ..और फिर नीचे झुककर उन्होंने धीरे से अपने तपते हुए होंठ रितु के होंठों पर रख दिए ...


उफ्फ्फ्फ़ ...क्या होंठ थे उसके ...इतने मुलायम ..इतने मीठे ...जैसे शहद लगाकर आई हो वो उनपर ...पंडित ने धीरे से अपनी जीभ निकाल कर उसके मुंह में धकेल दी ..और तब तक रितु भी अपनी तरफ से हरकत करने लगी थी ...उसने जैसे ही पंडित जी की जीभ को अपने मुंह में आते देखा वो बुरी तरह से उसपर टूट पड़ी ..और अपने पैने दांतों और रसीली जीभ की मिलीभगत से उनके होंठों और जीभ की पूरी तरह से सेवा करने लगी ...


तब तक पंडित जी के हाथ उसके छोटे -२ स्तनों पर आ चुके थे ..जितने छोटे थे वो उतने ही सख्त ..जैसे अमरुद छोटे होने पर ज्यादा सख्त होते हैं ठीक वैसे ही ..वो उन्हें बुरी तरह से मसलने लगे ...उसके निप्पलस को कचोट कर बाहर निकालने लगे ...


इसी बीच रितु ने होसला दिखाते हुए पंडित जी की धोती की गाँठ खोल दी और उन्हें नीचे से भी नंगा कर दिया ...और अपना हाथ नीचे करके उसने पंडित जी के लंड को अपने हाथ में लिया तो उसका पूरा शरीर झनझना उठा ...


पंडित ने मौका देखकर उसे नीचे धकेल दिया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके चेहरे के सामने परोस दिया ...अब पंडित जी से इतनी शिक्षा लेकर वो इतना तो समझ ही चुकी थी की आगे करना क्या है ...उसने अपने हाथों से उनके मस्ताने लंड को पकड़ा और अपनी पूरी जीभ निकाल कर उसे चाट लिया ...पंडित जी के मुख से एक तीखी सी सिसकारी निकल गयी और वो अपने पंजों के बल पर ऊपर हवा में उठ से गए ...

और फिर पंडित जी की आँखों में देखते हुए उसने धीरे से अपना मुंह खोल और उनके बलिष्ट और बलशाली पट्ठे को निगल लिया ...और ऐसा करते हुए उसकी आँखे बंद होती चली गयी ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......रितु .....उम्म्म्म ......बहुत अच्छे .....से ....सीखा है ....तुमने सब ...कुछ ...अह्ह्ह्ह ....अब उन्हें आजमाने का वक़्त आ गया है ....दिखाओ मुझे ....आज ...सब कुछ ... क्या सीखा है ...तुमने इतने दिनों में ..."


किसी अच्छे मोटिवेटर की तरह पंडित जी ने उसे जैसे कोई चुनोती दी ...और रितु ने उनकी चुनोती को स्वीकार भी कर लिया और किसी खरगोश की तरह से उनकी गाजर को वो अपने पंजों में दबाकर अपने दांतों और जीभ से कुतरने लगी ...


पंडित जी की हालत खराब कर दी उसने अगले पांच मिनट में ...कभी उनके लंड का अगला हिस्सा लेकर चूसती कभी उनके लंड को बीच में से अपने मुंह में लेकर चाटती और कभी उनकी गोटियों से खेलती और फिर उन्हें भी चूस लेती ...आज पंडित जी को वो सब भी महसुसू हो रहा था जो उन्होंने उसे सिखाया भी नहीं था ..पर जो भी था उन्हें इन सबमे काफी मजा आ रहा था ..


अचानक उन्हें लगा की वो झड़ने वाले हैं ...तो उन्होंने जल्दी से अपना हथेयार युद्ध छेत्र से बाहर निकाला और रितु को ऊपर उठा कर उसके होंठों को फिर से चूसने लगे ....


रितु के स्तनों पर जैसे कोई खारिश हो रही थी ...उसने पंडित जी के सर को पकड़ कर नीचे धकेल और अपनि बांयी ब्रेस्ट उनके मुंह में डाल दी ...और खुद उचक कर उनकी गोद में चढ़ गयी ...और जोर से चिल्ला पड़ी ...


"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ......उम्म्म्म्म ....मार ही डालोगे आप तो मुझे ....अह्ह्ह्ह्ह .......कितना तड़पाया है आपने मुझे ....कितनी रातें बितादी आपके बारे में सोचते हुए ...की क्या करोगे आप मेरे साथ ...ऐसा करोगे ....वो करोगे ...अह्ह्ह्ह ...आज ..मुझे तृप्त कर दो ...पंडित जी ....चुसो इन्हें ...खा जाओ मेरी ब्रेस्ट को ....बड़ी तरसी हैं ये आपसे मिलने के लिए ...अह्ह्ह ...."

और पंडित जी सच में उसकी ब्रेस्ट से बुरी तरह से मिलने में लगे हुए थे ...वो उनके मुंह में पूरी समा गयी थी ...इसलिए कभी वो उसे चूसते ...कभी बाहर निकाल कर सिर्फ निप्पल मुंह में लगाते और उसे पीते ...और कभी दूसरी ब्रेस्ट को मुह्ह में लेकर पहली वाली से ज्यादा मसलते ....रितु को गोद में उठा कर उन्होंने जन्नत की सेर करवा दी थी 2 मिनट के अन्दर ही ...


पंडित जी से अब और बर्दाश नहीं हो पा रहा था ...उन्होंने अपने बिस्तर का रुख किया और रितु को आराम से लेजाकर वहां लिटा दिया ...और फिर नीचे झुककर उन्होंने उसकी पेंटी को पकड़ा और नीचे खिसका दिया ...


वा ह…क्या नजारा था ...अनछुई सी चूत थी उसकी ...बिलकुल सफाचट ....चिकनी ....सफ़ेद ....रस निकालती हुई ...जैसे संतरे की नारंगी फांको के बीच चीरा लगा कर उसे सजा दिया हो ..

पंडित ने अपनी जीभ निकाली और कूद पड़े उसकी चूत की मालिश करने ...


''अह्ह्ह्ह ....पंडित जी ...उम्म्म्म्म ....''


ऋतू ने पंडित जी के चोटी वाले सर को पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया ...आज तक जैसा उसने सोचा था ठीक वैसा ही एहसास था पंडित जी की जीभ का वहां पर. ...


पंडित जी ने अपने मुंह के गीलेपन और उसकी चूत से निकले रस को मिलाकर ऐसा रसायन तेयार किया जिसका उपयोग करके वो आसानी से अपने लंड को उसकी कुंवारी चूत में प्रवेश दिला सकते थे ...


वो उठे और उसकी टांगो को चोडा करके उसे फेला दिया ...वो भी समझ गयी की अब वो हसीं पल आ चुका है जिसके बारे में सोचकर उसने ना जाने कितनी रातें बिता दी थी ...पर वो भी अब तेयार थी पूरी तरह से ...


पंडित जी नीचे झुके और उन्होंने अपना फनफनाता हुआ सा लंड उसकी सफ़ेद बिल्ली के मुंह पर लेजाकर रख दिया और थोडा सा दबा कर कर अपना भार उसपर डाल दिया ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....धीरे ....दर्द हो रहा है ...''

पंडित : "वो तो होगा ही ...बस अब तुम अपनी आँखे बंद करो ...और कुछ ऐसा सोचो जिसे सोचकर आज तक तुम सबसे ज्यादा उत्तेजित हुई थी ...''


पंडित जी की बात सुनकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अगले एक मिनट में ही उसकी पूरी जिन्दगी के वो सारे इरोटिक पल उसकी आँखों के सामने किसी पिक्चर की तरह से घूम गए जिनमे उसे सबसे ज्यादा मजा आया था ...और अंत में एक सीन उसकी आँखों में आकर ठहर सा गया ...जिसमे उसके पिताजी ने उसे अपनी गोद में बिठा रखा था ...और उसके अमरूदों को वो बुरी तरह से मसल रहे थे ....


''अह्ह्ह्ह्ह .......पिताजी .......धीरे ......करो ...''

उसके मुंह से निकल गया ...पंडित समझ गया की वो क्युआ सोच रही होगी ....पर जो भी सोच रही थी ...उसकी वजह से उन्हें उसकी चूत मारने में ज्यादा तकलीफ नहीं होने वाली थी ...


और ऐसा सोचते हुए उसकी चूत के अन्दर से गाड़े रस की एक ताजा लहर बाहर की तरफ चल दी ...


और ऐसा सोचते हुए उन्होंने अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग किया और एक ही बार में उन्होंने अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कमसिन सी चूत के अन्दर धकेल दिया ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...अय्य्यीईई .......मरररर .....गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......ये क्याआअ ........किया .....मर गयी रे ....दर्द हो रहा है ...पंडित जी ....बहुत ज्यादा .....अह्ह्ह्ह ....''

क्रमशः......


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RE: भोली भाली शीला और पंडित जी - by RangilaRaaj - 05-09-2023, 02:48 PM



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