02-09-2023, 01:22 PM
(This post was last modified: 02-09-2023, 01:23 PM by choduyaarakash. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रात के १०:३० बज रहे है. सोनू, रमेश और उमा अपने अपने कमरों में सोने जा चुके है. उर्मिला रसोई का काम खत्म करके पायल के कमरे के पास आती है. दरवाज़ा थोड़ा खुला पा कर वो अन्दर चली जाती है. सामने पायल अर्थशाश्त्र की किताब लिए पढ़ रही है. उर्मिला को देख कर वो झट से किताब बंद कर लेती है.
पायल : रसोई का काम हो गया भाभी?
उर्मिला : हाँ हो गया. सोने जाने से पहले सोचा एक बार तेरा हाल चाल भी पंच लूँ. (उर्मिला पायल के हाथ की किताब देख कर) तो अर्थशाश्त्र की पढाई हो रही है.
पायल : जी भाभी...
उर्मिला : अच्छा? और अर्थशाश्त्र की किताब के अन्दर कामशाश्त्र का कौन सा पाठ पढ़ा जा रहा है?
पायल : (शर्माते हुए) "पापा के लंड की सवारी"
उर्मिला : (हँसते हुए पायल के गाल खींच देती है) ओ हो..!! पायल रानी...जरा अपना मुखड़ा तो दिखा...
उर्मिला हाथ से पायल की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा उठाती है. पायल पहले तो नज़रे झुका के शर्माती है फीर कहती है.
पायल : (झूठ मुठ का नखरा दिखाते हुए) ओफों भाभी...!! आप हमेशा मुझे छेड़ती रहती है...
उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा बाबा नहीं छेड़ती. पढ़ ले अराम से कहानी.
पायल कहानी पढ़ने लगती है. कुछ समय बाद उर्मिला कहती है.
उर्मिला : अच्छे एक बात बता पायल. तेरे पास वो एक गुलाबी रंग की टॉप थी ना? वही जो तुझे बहुत टाइट हुआ करती थी...
पायल : हाँ भाभी..थी तो. लेकिन बहुत वक़्त से उसे मैंने पहना भी नहीं है. अब पता नहीं कहाँ होगी. लेकिन आप क्यूँ पूछ रहीं हैं?
उर्मिला : जब से तू कॉलेज जाने लगी है सिर्फ छोटे गले वाली टॉप पहनती है. अब कम से कम घर में तो बड़े गले वाली टॉप पहना कर. अब तू सुबह भी जल्दी उठने लगी है, घर का काम भी करने लगी है. रोज सुबह छत पर कपडे सुखाने जाती है. (फिर पायल को देख कर मुस्कुराते हुए) और बाबूजी भी तो सुबह छत पर कसरत करने आते हैं....
उर्मिला की बात समझने में पायल को कुछ क्षण लगते हैं. जैसे ही बात समझ में आती है, पायल का चेहरा लाल हो जाता है और उसके ओठ दाँतों तले अपने आप दब जाते है.
उर्मिला : अब कुछ याद आ रहा है की वो टॉप कहाँ है?
पायल झट से बिस्तर से कूद कर दौड़ती हुई अलमारी के पास पहुँच जाती है. पलड़े खोल कर वो अन्दर कपड़ो को उथल पुथल करने लगती है. कुछ समय बाद वो निचे का दराज खोलती है और देखने लगती है. गुलाबी टॉप पर नज़र पड़ते ही वो झट से उसे निकाल के उर्मिला को दिखाती है.
पायल : (ख़ुशी से) मिल गई भाभी....
उर्मिला : अरे वाह..!! ये हुई ना बात. अब जल्दी से इसे पहन के दिखा.
पायल : (चेहरे पर संकोच के भाव लाते हुए) भाभी...आपके सामने......
उर्मिला : तो ठीक है जा... बाबूजी के सामने जा कर बदला ले. जब वो तेरी बड़ी बड़ी चुचियों को दबोच के पियेंगे तब तुझे पता चलेगा....
पायल : (शर्माते हुए) धत्त भाभी...आप भी ना...रुकिए, अभी पहन के दिखाती हूँ.
पायल टॉप का निचला हिस्सा पकड़ धीरे धीरे ऊपर करने लगती है. टॉप में फंसी पायल की बड़ी बड़ी चूचियां टॉप के साथ ऊपर उठती है फिर उसकी गिरफ्त से छुटकर उच्चलती हुई बाहर आ जाती है. उर्मिला उसकी बड़ी बड़ी कसी हुई गोरी चूचियां आँखे फाड़ के देखने लगती है.
उर्मिला : पायल तेरी चूचियां तो सच में बड़ी और पूरी कसी हुई हैं. सोच....अगर तेरे पापा अभी आ गए और तुझे इस हाल में देख लिया तो?
पायल : (टॉप उतार के कुर्सी पर डाल देती है और नखरा दिखाते हुए कहती है) तो देख ले.... मुझे क्या?
उर्मिला : फिर वो तेरी चुचियों को दबोच के मसल देंगे....
पायल : (नखरे के साथ मुहँ बनाते हुए) दबोच के मसल दें या फिर मुहँ में भर के चूस ले...मुझे कोई फरक नहीं पड़ता...
पायल की ऐसी बेशर्मी देख के उर्मिला मुस्कुरा देती है. पायल गुलाबी टॉप में बाहें डालती है और फिर सर. टॉप को पकड़ के निचे करने लगती है तो वो उसकी बड़ी चुचियों में फंस सी जाती है. थोड़ी मशक्कत के बाद पायल टॉप पहन लेती है.
पायल : कैसी लग रही है भाभी....
उर्मिला टॉप को ऊपर से निचे तक देखती है. बड़ी बड़ी चुचियों पर चिपकी हुई टॉप गजब ढा रही है. बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई बिना झुके ही अच्छे से दिख रही है.
उर्मिला : पायल जरा सामने झुकना...
पायल : (आगे झुक कर) ऐसे भाभी?
उर्मिला : हुम्म...!! एक काम कर...अपनी चुचियों को दोनों तरफ से एक बार जोर से दबा दे.
पायल : (भाभी के निर्देशानुसार चुचियों को हाथों से दोनों तरफ से दबा देती है. दबाव से दोनों चूचियां आपस में चिपक जाती है और बीच की गहराई लम्बी हो जाती है) अब ठीक है भाभी?
उर्मिला : हाँ...!! बिलकुल ठीक है... परफेक्ट....!! अच्छा अब देख... ११ बजने वाले है. सुबह तुझे जल्दी भी उठाना है. देर रात तक कहानियां पढ़ के पापा को याद मत करने लग जाना.
पायल : (हँसते हुए) नहीं भाभी...मैं जल्द ही सो जाउंगी...
उर्मिला : ठीक है अब मैं चलती हूँ....गुड नाईट...
पायल : गुड नाईट भाभी...
उर्मिला कमरें से बाहर निकल के जाने लगती है, तभी उसे एक बात याद आती है. वो मुड़ के पायल के कमरे के पास जाती है और जैसे ही दरवाज़ा को थोड़ा खोलती है, उसके हाथ रुक जाते है. उसकी नज़र पायल पर टिक जाती है. अन्दर पायल आईने के सामने अपने दोनों हाथों को उठाये खड़ी है. उर्मिला की समझ में नहीं आता है की पायल ये कर क्या रही है. वो बड़े ध्यान से पायल को देखने लगती है. पायल अपने हाथों को ऊपर उठा के खड़ी है. फिर अपने आप को आईने में देख के वो एक हाथ से अपने कूल्हों की तरफ से टॉप को बारी बारी से निचे खींचती है. फिर दोंनो हाथों को उठा के आईने में देखती है. कुछ देख कर उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते है. उर्मिला समझने की कोशिश करती है. तभी उसका ध्यान आईने पर जाता है और कुछ देख के उसके भी चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है. "अच्छा पायल रानी...तो अब तू ये करेगी....संभल जाइये बाबूजी...कल आपका लंड लंगोट फाड़ के बाहर आने वाला है", मन में सोचते हुए उर्मिला धीरे से दरवाज़ा लगाती है और मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चल देती है.
[कुछ पाठक समझ ही गए होंगे की पायल क्या करने वाली हैं. जो नहीं समझ पाए, उन्हें अगले अपडेट तक इंतज़ार करना होगा]
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
पायल : रसोई का काम हो गया भाभी?
उर्मिला : हाँ हो गया. सोने जाने से पहले सोचा एक बार तेरा हाल चाल भी पंच लूँ. (उर्मिला पायल के हाथ की किताब देख कर) तो अर्थशाश्त्र की पढाई हो रही है.
पायल : जी भाभी...
उर्मिला : अच्छा? और अर्थशाश्त्र की किताब के अन्दर कामशाश्त्र का कौन सा पाठ पढ़ा जा रहा है?
पायल : (शर्माते हुए) "पापा के लंड की सवारी"
उर्मिला : (हँसते हुए पायल के गाल खींच देती है) ओ हो..!! पायल रानी...जरा अपना मुखड़ा तो दिखा...
उर्मिला हाथ से पायल की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा उठाती है. पायल पहले तो नज़रे झुका के शर्माती है फीर कहती है.
पायल : (झूठ मुठ का नखरा दिखाते हुए) ओफों भाभी...!! आप हमेशा मुझे छेड़ती रहती है...
उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा बाबा नहीं छेड़ती. पढ़ ले अराम से कहानी.
पायल कहानी पढ़ने लगती है. कुछ समय बाद उर्मिला कहती है.
उर्मिला : अच्छे एक बात बता पायल. तेरे पास वो एक गुलाबी रंग की टॉप थी ना? वही जो तुझे बहुत टाइट हुआ करती थी...
पायल : हाँ भाभी..थी तो. लेकिन बहुत वक़्त से उसे मैंने पहना भी नहीं है. अब पता नहीं कहाँ होगी. लेकिन आप क्यूँ पूछ रहीं हैं?
उर्मिला : जब से तू कॉलेज जाने लगी है सिर्फ छोटे गले वाली टॉप पहनती है. अब कम से कम घर में तो बड़े गले वाली टॉप पहना कर. अब तू सुबह भी जल्दी उठने लगी है, घर का काम भी करने लगी है. रोज सुबह छत पर कपडे सुखाने जाती है. (फिर पायल को देख कर मुस्कुराते हुए) और बाबूजी भी तो सुबह छत पर कसरत करने आते हैं....
उर्मिला की बात समझने में पायल को कुछ क्षण लगते हैं. जैसे ही बात समझ में आती है, पायल का चेहरा लाल हो जाता है और उसके ओठ दाँतों तले अपने आप दब जाते है.
उर्मिला : अब कुछ याद आ रहा है की वो टॉप कहाँ है?
पायल झट से बिस्तर से कूद कर दौड़ती हुई अलमारी के पास पहुँच जाती है. पलड़े खोल कर वो अन्दर कपड़ो को उथल पुथल करने लगती है. कुछ समय बाद वो निचे का दराज खोलती है और देखने लगती है. गुलाबी टॉप पर नज़र पड़ते ही वो झट से उसे निकाल के उर्मिला को दिखाती है.
पायल : (ख़ुशी से) मिल गई भाभी....
उर्मिला : अरे वाह..!! ये हुई ना बात. अब जल्दी से इसे पहन के दिखा.
पायल : (चेहरे पर संकोच के भाव लाते हुए) भाभी...आपके सामने......
उर्मिला : तो ठीक है जा... बाबूजी के सामने जा कर बदला ले. जब वो तेरी बड़ी बड़ी चुचियों को दबोच के पियेंगे तब तुझे पता चलेगा....
पायल : (शर्माते हुए) धत्त भाभी...आप भी ना...रुकिए, अभी पहन के दिखाती हूँ.
पायल टॉप का निचला हिस्सा पकड़ धीरे धीरे ऊपर करने लगती है. टॉप में फंसी पायल की बड़ी बड़ी चूचियां टॉप के साथ ऊपर उठती है फिर उसकी गिरफ्त से छुटकर उच्चलती हुई बाहर आ जाती है. उर्मिला उसकी बड़ी बड़ी कसी हुई गोरी चूचियां आँखे फाड़ के देखने लगती है.
उर्मिला : पायल तेरी चूचियां तो सच में बड़ी और पूरी कसी हुई हैं. सोच....अगर तेरे पापा अभी आ गए और तुझे इस हाल में देख लिया तो?
पायल : (टॉप उतार के कुर्सी पर डाल देती है और नखरा दिखाते हुए कहती है) तो देख ले.... मुझे क्या?
उर्मिला : फिर वो तेरी चुचियों को दबोच के मसल देंगे....
पायल : (नखरे के साथ मुहँ बनाते हुए) दबोच के मसल दें या फिर मुहँ में भर के चूस ले...मुझे कोई फरक नहीं पड़ता...
पायल की ऐसी बेशर्मी देख के उर्मिला मुस्कुरा देती है. पायल गुलाबी टॉप में बाहें डालती है और फिर सर. टॉप को पकड़ के निचे करने लगती है तो वो उसकी बड़ी चुचियों में फंस सी जाती है. थोड़ी मशक्कत के बाद पायल टॉप पहन लेती है.
पायल : कैसी लग रही है भाभी....
उर्मिला टॉप को ऊपर से निचे तक देखती है. बड़ी बड़ी चुचियों पर चिपकी हुई टॉप गजब ढा रही है. बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई बिना झुके ही अच्छे से दिख रही है.
उर्मिला : पायल जरा सामने झुकना...
पायल : (आगे झुक कर) ऐसे भाभी?
उर्मिला : हुम्म...!! एक काम कर...अपनी चुचियों को दोनों तरफ से एक बार जोर से दबा दे.
पायल : (भाभी के निर्देशानुसार चुचियों को हाथों से दोनों तरफ से दबा देती है. दबाव से दोनों चूचियां आपस में चिपक जाती है और बीच की गहराई लम्बी हो जाती है) अब ठीक है भाभी?
उर्मिला : हाँ...!! बिलकुल ठीक है... परफेक्ट....!! अच्छा अब देख... ११ बजने वाले है. सुबह तुझे जल्दी भी उठाना है. देर रात तक कहानियां पढ़ के पापा को याद मत करने लग जाना.
पायल : (हँसते हुए) नहीं भाभी...मैं जल्द ही सो जाउंगी...
उर्मिला : ठीक है अब मैं चलती हूँ....गुड नाईट...
पायल : गुड नाईट भाभी...
उर्मिला कमरें से बाहर निकल के जाने लगती है, तभी उसे एक बात याद आती है. वो मुड़ के पायल के कमरे के पास जाती है और जैसे ही दरवाज़ा को थोड़ा खोलती है, उसके हाथ रुक जाते है. उसकी नज़र पायल पर टिक जाती है. अन्दर पायल आईने के सामने अपने दोनों हाथों को उठाये खड़ी है. उर्मिला की समझ में नहीं आता है की पायल ये कर क्या रही है. वो बड़े ध्यान से पायल को देखने लगती है. पायल अपने हाथों को ऊपर उठा के खड़ी है. फिर अपने आप को आईने में देख के वो एक हाथ से अपने कूल्हों की तरफ से टॉप को बारी बारी से निचे खींचती है. फिर दोंनो हाथों को उठा के आईने में देखती है. कुछ देख कर उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते है. उर्मिला समझने की कोशिश करती है. तभी उसका ध्यान आईने पर जाता है और कुछ देख के उसके भी चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है. "अच्छा पायल रानी...तो अब तू ये करेगी....संभल जाइये बाबूजी...कल आपका लंड लंगोट फाड़ के बाहर आने वाला है", मन में सोचते हुए उर्मिला धीरे से दरवाज़ा लगाती है और मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चल देती है.
[कुछ पाठक समझ ही गए होंगे की पायल क्या करने वाली हैं. जो नहीं समझ पाए, उन्हें अगले अपडेट तक इंतज़ार करना होगा]
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )