01-09-2023, 07:26 PM
Update 34
माँ-बेटी को चोदने की इच्छा
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा..
मैंने बोला- बस थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें मज़ा आने लगेगा।
तो वो बोली- अब क्या करने वाले हो?
मैंने बिना बोले ही उसके बायें चूचे के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगा जैसे लोग कोल्ड ड्रिंक में स्ट्रॉ डाल कर चुस्की लगाते हैं और दूसरे चूचे को अपनी हथेली से सहलाने लगा जिससे रूचि इतना मदहोश हो गई कि पूछो ही मत… वो ऐसे सीत्कार ‘शिइइइ शीईईई आह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह’ कर रही थी जैसे रो रही हो !
पर जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो नज़ारा कुछ ओर ही था, वो अपनी गर्दन को पीछे किये हुए अपनी आँखें बंद करके निचले होंठों को दांतों से दबाते हुए मंद सीत्कार कर रही थी जैसे की पक्की रंडी हो!
अब आगे:
फिर मैंने भी अपने हाथों को उसके पीछे ले जाकर उसकी गर्दन को सहारा दिया और उसकी गोरी चिकनी गर्दन को चाटने लगा जिससे उसका खुद पर से काबू टूट गया और वो भी अपने हाथ मेरे पीछे ले जाकर अह्ह अह्ह शिइइई… करती हुई अपने सीने से दबाने लगी जिससे उसकी गठीली चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़ खा रही थी।
मैं इतना गर्म हो गया था कि मुझे लग रहा था कि अबकी तो मैं ऐसे ही बह जाऊँगा।
फिर मैंने सोचा कि कुछ और करके देखते हैं तो मैंने फिर से उसे दबाते हुए पूरी तरह से बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके कान के पास किस करते हुए काट भी रहा था, जिससे उसको भरपूर जवानी का सुख मिल रहा था जो उसने मुझे बाद में बताया।
फिर मैंने धीरे से अपने पैर एडजस्ट कुछ इस तरह किया जिससे उसकी चूत का मिलान मेरे खड़े लौड़े पर होने लगा तो मैंने महसूस किया की उसकी चूत भी पूरी चूत रस से सनी थी और गजब की गर्मी फेंक रही थी।
मैंने सयंम रखा… दोस्तो, मैं चाहता तो उसकी चूत मैं अपना लौड़ा डाल सकता था पर वो कभी चुदी नहीं थी और हम लोग काफी देर से अंदर भी थे इससे माया को शक भी हो सकता था क्योंकि पहली बार चुदने के बाद कोई भी लड़की हो उसकी चाल सब बता देती है कि यह लण्ड खाकर आई है।
इसलिए मैंने ऊपर से अपने लण्ड को उसकी चूत के दाने पर सेट किया और रगड़ने लगा जिससे रूचि मदहोशी में आकर आह… अह्हह करके सीत्कार करने लगी।
फिर मैंने उसके होंठों को मुँह में भर चूसना चालू कर दिया ताकि आवाज़ कुछ काम हो सके और अपने दोनों हाथों को उसकी चूचियों की सेवा में लगा दिया जो जम के उसके चूचों की सेवा कर रहे थे।
रूचि मदहोशी कर इतना भूल चुकी थी कि वो अभी घर पर है और सब लोग बाहर ही बैठे हैं, वो पागलों की तरह अपनी कमर उठा उठा कर तेज़ी से मेरे लण्ड पर रगड़ मारते हुए ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह अह्ह्ह उउम्म्ह्ह ह्ह्ह्हह’ करते हुए अपनी गर्दन इधर उधर पटकने लगी थी।
उसकी इस हरकत को भांप कर मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है तो मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी ताकि मेरा भी पानी निकल जाये और उसकी चूत की चिकनाहट से लौड़ा आराम से रगड़ खा रहा था जिसे हम दोनों मस्ती से एन्जॉय कर रहे थे।
अचानक उसने चादर को अपने दोनों हाथों में भर कर अपने दोनों पैरों को तान कर बेड से चिपका लिया और एक भारी ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ अपना पानी छोड़ दिया जिसका साफ़ एहसास मुझे मेरे लण्ड पर हो रहा था, उसकी चूत के गर्म लावे और उसकी इस अदा को मेरा लौड़ा भी बर्दाश्त न कर सका और मेरा भी माल बह निकला जिसे उसने महसूस करते मेरे गले अपने हाथो से फंडा बनाते हुए मुझे अपने सीने से चिपका लिया और इस बार उसने खुद ही मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़ कर चूसने लगी।
कोई 5 मिनट बाद हमारी होंठ चुसाई छूटी तो उसने मुझे बोला- राहुल.. आई लव यू… यू आर अमेज़िंग… आई एम इन स्काई…I love you… You are amazing… I am in the sky…
फिर हम दोनों उठे तो मैंने बेड की चादर देखी तो बहुत आश्चर्य हुआ कि वो इतना कैसे भीग गई क्योंकि माया के साथ भी ऐसा करता था पर इतना चादर कभी न भीगी थी।
खैर कुछ भी कहो, दोनों को खूब मज़ा आया था और उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि उसको भी बहुत मज़ा आया।
वो उठी- राहुल यार, इतना मज़ा जब ऊपर से आया है तो अंदर जा कर तो यह बवाल ही मचा देगा… कसम से मुझे इतना अच्छा कभी नहीं लगा…
तो मैंने बोला- हाँ ये तो है!
तो वो तुरंत बोली- क्यों न अभी करके दिखाओ तुम?
तो मैंने उसके गालों पर किस किया और बोला- जान थोड़ा इंतज़ार करो अभी तुम्हारी माँ को शक हो सकता है, तुम मेरे साथ बैग पैक करने आई हो, ज्यादा समय लगता है उसमें और हम वैसे ही इतना देर तक समय बिता चुके हैं, अब यह काम मेरा है, तुम फ़िक्र मत करो, जल्द ही तुम्हें वो मज़ा भी दूँगा जो हर लड़की और औरत चाहती है।
तो वो बोली- औरत क्यों चाहेगी? उसका तो हस्बेंड उसे मज़े देता ही होगा!
मैं कुछ नहीं बोला और अपने सारे कपड़े उतार कर जींस टी-शर्ट पहनने लगा और इस बीच रूचि मुझे बराबर छेड़ती रही जैसे कभी मेरी छाती में किस करे, कभी मेरे लौड़े से खेले, उसे किस करे, कभी हल्के हाथों से मेरी पीठ सहलाये…
जिससे मुझे ऐसा लग रहा था कि रूचि मेरे दोस्त की बहन नहीं बल्कि मेरी बीवी है।
मैंने कपड़े पहने और उसे भी बोला- जल्दी से तुम भी कपड़े पहन लो!
पर वो चुहलबाज़ी में पड़ी थी और बोले जा रही थी- मेरा तो अभी और करने का मन कर रहा है।
मैंने बोला- मैं कहीं शहर छोड़ कर नहीं जा रहा हूँ… पहले जल्दी से चादर बदलो।
तो वो उठी और सूंघते हुए बोली- यार क्या खुशबू है मिली जुली सरकार की!
तो हम दोनों ही हंस दिए।
फिर उसने बोला- यह तो धोनी भी पड़ेगी!
कहते हुए बाथरूम में चादर को टब में भिगो के डाल आई और दूसरी चादर बिछा कर अपने कपड़े पहनने के बजाय फिर मेरे गले में अपने हाथों को डालकर मुझे ‘आई लव यू…’ बोलते हुए चूमने लगी जिससे मुझे भी बहुत मज़ा अ रहा था और मेरे हाथ उसके नग्न शरीर पर फिसलने लगे थे।
छोड़ कर जाने का तो मन नहीं था पर प्लान के मुताबिक जाना भी था ताकि दो दिन और समय मिले उन लोगों के साथ वक्त गुजारने के लिए…
और तभी जिस बात का डर था, वही हुआ, बाहर दरवाज़े पर ठक ठक ठक होने लगी, हम दोनों ही घबरा गए कि कौन हो सकता है जो बिना रुके दरवाज़े को ठोके जा रहा है?
फिर मैंने ऊँचे स्वर में बोला- कौन है? अभी आया खोलने!
और रूचि तुरंत ही अपने कपड़े लेकर बाहर भागी, मैंने भी भूसे की तरह बैग भरकर चैन बंद की और पीठ पर टांग के दरवाज़ा खोलने चल दिया।
अब आगे क्या हुआ?
कौन था दरवाजे पर?
हम पर क्या बीती?
जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार करें और मस्ती में रहें।
माँ-बेटी को चोदने की इच्छा
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा..
मैंने बोला- बस थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें मज़ा आने लगेगा।
तो वो बोली- अब क्या करने वाले हो?
मैंने बिना बोले ही उसके बायें चूचे के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगा जैसे लोग कोल्ड ड्रिंक में स्ट्रॉ डाल कर चुस्की लगाते हैं और दूसरे चूचे को अपनी हथेली से सहलाने लगा जिससे रूचि इतना मदहोश हो गई कि पूछो ही मत… वो ऐसे सीत्कार ‘शिइइइ शीईईई आह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह’ कर रही थी जैसे रो रही हो !
पर जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो नज़ारा कुछ ओर ही था, वो अपनी गर्दन को पीछे किये हुए अपनी आँखें बंद करके निचले होंठों को दांतों से दबाते हुए मंद सीत्कार कर रही थी जैसे की पक्की रंडी हो!
अब आगे:
फिर मैंने भी अपने हाथों को उसके पीछे ले जाकर उसकी गर्दन को सहारा दिया और उसकी गोरी चिकनी गर्दन को चाटने लगा जिससे उसका खुद पर से काबू टूट गया और वो भी अपने हाथ मेरे पीछे ले जाकर अह्ह अह्ह शिइइई… करती हुई अपने सीने से दबाने लगी जिससे उसकी गठीली चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़ खा रही थी।
मैं इतना गर्म हो गया था कि मुझे लग रहा था कि अबकी तो मैं ऐसे ही बह जाऊँगा।
फिर मैंने सोचा कि कुछ और करके देखते हैं तो मैंने फिर से उसे दबाते हुए पूरी तरह से बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके कान के पास किस करते हुए काट भी रहा था, जिससे उसको भरपूर जवानी का सुख मिल रहा था जो उसने मुझे बाद में बताया।
फिर मैंने धीरे से अपने पैर एडजस्ट कुछ इस तरह किया जिससे उसकी चूत का मिलान मेरे खड़े लौड़े पर होने लगा तो मैंने महसूस किया की उसकी चूत भी पूरी चूत रस से सनी थी और गजब की गर्मी फेंक रही थी।
मैंने सयंम रखा… दोस्तो, मैं चाहता तो उसकी चूत मैं अपना लौड़ा डाल सकता था पर वो कभी चुदी नहीं थी और हम लोग काफी देर से अंदर भी थे इससे माया को शक भी हो सकता था क्योंकि पहली बार चुदने के बाद कोई भी लड़की हो उसकी चाल सब बता देती है कि यह लण्ड खाकर आई है।
इसलिए मैंने ऊपर से अपने लण्ड को उसकी चूत के दाने पर सेट किया और रगड़ने लगा जिससे रूचि मदहोशी में आकर आह… अह्हह करके सीत्कार करने लगी।
फिर मैंने उसके होंठों को मुँह में भर चूसना चालू कर दिया ताकि आवाज़ कुछ काम हो सके और अपने दोनों हाथों को उसकी चूचियों की सेवा में लगा दिया जो जम के उसके चूचों की सेवा कर रहे थे।
रूचि मदहोशी कर इतना भूल चुकी थी कि वो अभी घर पर है और सब लोग बाहर ही बैठे हैं, वो पागलों की तरह अपनी कमर उठा उठा कर तेज़ी से मेरे लण्ड पर रगड़ मारते हुए ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह अह्ह्ह उउम्म्ह्ह ह्ह्ह्हह’ करते हुए अपनी गर्दन इधर उधर पटकने लगी थी।
उसकी इस हरकत को भांप कर मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है तो मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी ताकि मेरा भी पानी निकल जाये और उसकी चूत की चिकनाहट से लौड़ा आराम से रगड़ खा रहा था जिसे हम दोनों मस्ती से एन्जॉय कर रहे थे।
अचानक उसने चादर को अपने दोनों हाथों में भर कर अपने दोनों पैरों को तान कर बेड से चिपका लिया और एक भारी ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ अपना पानी छोड़ दिया जिसका साफ़ एहसास मुझे मेरे लण्ड पर हो रहा था, उसकी चूत के गर्म लावे और उसकी इस अदा को मेरा लौड़ा भी बर्दाश्त न कर सका और मेरा भी माल बह निकला जिसे उसने महसूस करते मेरे गले अपने हाथो से फंडा बनाते हुए मुझे अपने सीने से चिपका लिया और इस बार उसने खुद ही मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़ कर चूसने लगी।
कोई 5 मिनट बाद हमारी होंठ चुसाई छूटी तो उसने मुझे बोला- राहुल.. आई लव यू… यू आर अमेज़िंग… आई एम इन स्काई…I love you… You are amazing… I am in the sky…
फिर हम दोनों उठे तो मैंने बेड की चादर देखी तो बहुत आश्चर्य हुआ कि वो इतना कैसे भीग गई क्योंकि माया के साथ भी ऐसा करता था पर इतना चादर कभी न भीगी थी।
खैर कुछ भी कहो, दोनों को खूब मज़ा आया था और उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि उसको भी बहुत मज़ा आया।
वो उठी- राहुल यार, इतना मज़ा जब ऊपर से आया है तो अंदर जा कर तो यह बवाल ही मचा देगा… कसम से मुझे इतना अच्छा कभी नहीं लगा…
तो मैंने बोला- हाँ ये तो है!
तो वो तुरंत बोली- क्यों न अभी करके दिखाओ तुम?
तो मैंने उसके गालों पर किस किया और बोला- जान थोड़ा इंतज़ार करो अभी तुम्हारी माँ को शक हो सकता है, तुम मेरे साथ बैग पैक करने आई हो, ज्यादा समय लगता है उसमें और हम वैसे ही इतना देर तक समय बिता चुके हैं, अब यह काम मेरा है, तुम फ़िक्र मत करो, जल्द ही तुम्हें वो मज़ा भी दूँगा जो हर लड़की और औरत चाहती है।
तो वो बोली- औरत क्यों चाहेगी? उसका तो हस्बेंड उसे मज़े देता ही होगा!
मैं कुछ नहीं बोला और अपने सारे कपड़े उतार कर जींस टी-शर्ट पहनने लगा और इस बीच रूचि मुझे बराबर छेड़ती रही जैसे कभी मेरी छाती में किस करे, कभी मेरे लौड़े से खेले, उसे किस करे, कभी हल्के हाथों से मेरी पीठ सहलाये…
जिससे मुझे ऐसा लग रहा था कि रूचि मेरे दोस्त की बहन नहीं बल्कि मेरी बीवी है।
मैंने कपड़े पहने और उसे भी बोला- जल्दी से तुम भी कपड़े पहन लो!
पर वो चुहलबाज़ी में पड़ी थी और बोले जा रही थी- मेरा तो अभी और करने का मन कर रहा है।
मैंने बोला- मैं कहीं शहर छोड़ कर नहीं जा रहा हूँ… पहले जल्दी से चादर बदलो।
तो वो उठी और सूंघते हुए बोली- यार क्या खुशबू है मिली जुली सरकार की!
तो हम दोनों ही हंस दिए।
फिर उसने बोला- यह तो धोनी भी पड़ेगी!
कहते हुए बाथरूम में चादर को टब में भिगो के डाल आई और दूसरी चादर बिछा कर अपने कपड़े पहनने के बजाय फिर मेरे गले में अपने हाथों को डालकर मुझे ‘आई लव यू…’ बोलते हुए चूमने लगी जिससे मुझे भी बहुत मज़ा अ रहा था और मेरे हाथ उसके नग्न शरीर पर फिसलने लगे थे।
छोड़ कर जाने का तो मन नहीं था पर प्लान के मुताबिक जाना भी था ताकि दो दिन और समय मिले उन लोगों के साथ वक्त गुजारने के लिए…
और तभी जिस बात का डर था, वही हुआ, बाहर दरवाज़े पर ठक ठक ठक होने लगी, हम दोनों ही घबरा गए कि कौन हो सकता है जो बिना रुके दरवाज़े को ठोके जा रहा है?
फिर मैंने ऊँचे स्वर में बोला- कौन है? अभी आया खोलने!
और रूचि तुरंत ही अपने कपड़े लेकर बाहर भागी, मैंने भी भूसे की तरह बैग भरकर चैन बंद की और पीठ पर टांग के दरवाज़ा खोलने चल दिया।
अब आगे क्या हुआ?
कौन था दरवाजे पर?
हम पर क्या बीती?
जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार करें और मस्ती में रहें।