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Misc. Erotica मां बेटी को चोदने की इच्छा (copied)
#69
Update 33

माँ-बेटी को चोदने की इच्छा

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा…

मैं तुरंत ही बैठ गया और वो उठी और मेरे सामने अपने घुटनों के बल जमीन पर बैठकर मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में डालकर चूसने लगी।

बीच-बीच में वो अपनी नशीली आँखों से मुझे देख भी लेती थी.. जिससे मुझे भी जोश आने लगा।
और यह क्या.. तभी उसकी बालों की लटें उसके चेहरे को सताने लगी.. जिसे वो अपने हाथों से हटा देती।
तो मैंने खुद ही उसके सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके बालों को एक हाथ से पकड़ लिया।

हय.. क्या सेक्सी सीन लग रहा था.. ओह माय गॉड.. एक सुन्दर परी सी अप्सरा आपके अधीन हो कर.. आपकी गुलामी करे.. तो आपको कैसा लगे.. बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लग रहा था।

फिर मैंने दूसरे हाथ से उसकी ठोड़ी को ऊपर उठाकर उसकी आँखों में झांकते हुए.. उसके मुँह में धक्के देने लगा.. जिससे उसके मुँह से ‘उम्म्म.. उम्म्म्म.. गगग.. गूँ.. गूँ..’ की आवाजें आने लगीं।
इस तरह कुछ देर और चूसने से मेरा भी माल उसके मुँह में ही छूट गया और वो बिना किसी रुकावट के सारा का सारा माल गटक गई।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है.. पहली बार में बिना किसी विरोध के कोई कैसे माल अन्दर ले सकता है?
तो मैं आपको बता दूँ कि जैसे मैंने किया था.. वैसा ही उसने किया.. क्योंकि उसे कुछ मालूम ही नहीं था।

अब आगे:
फिर वो उठी और बाथरूम में जाकर मुँह धोया और वापस आकर मेरे पास बैठ गई और इस समय मैं और रूचि दोनों ही नीचे कुछ नहीं पहने थे जिससे मुझे साफ़ पता चल रहा था कि रूचि का चूत रस अभी भी बह रहा है।
तो मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा- अरे तुम तो बहुत माहिर हो लण्ड चूसने में… कहाँ से सीखा?

तो बोली- और कहाँ से सीखूँगी… बस अभी अभी सीख लिया!
तो मैं बोला- कैसे?
तो वो बोली- जैसे तुम अच्छे से बिना दांत गड़ाए मेरी चूत को अपने मुँह में भर भर कर चूस रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, ऐसा लग रहा था कि तुम बस चूसते ही रहो… मुझे सच में बहुत अच्छा लगा और तुम्हारी उँगलियों ने तो कमाल कर दिया, जैसे तुमने अपनी उंगली नहीं बल्कि मेरे अंदर नई जान डाल दी हो! ठीक वैसे ही मैंने भी सोचा कि क्यों न तुम्हें भी तुम्हारी तरह मज़ा दिया जाये! बस मैंने तुम्हारी नक़ल करके वैसे ही किया और मुझे पता है कि तुम्हें भी बहुत मज़ा आया… पर यार, तुमने मेरी हालत ही बिगाड़ दी थी, मेरी तो सांस ही फूल गई थी पर अब दोबारा ऐसा न करना वरना… मैं नहीं करुँगी।

तो मैं बोला- फिर अभी क्यों किया?
वो बोली- क्योंकि तुमने मुझे इतनी मज़ा दिया था जिसे मैं अपने जीवन में कभी नहीं भुला सकती!

मैंने बोला- अच्छा अगर मैं इसी तरह तुम्हें मज़ा देता रहा तो क्या तुम भी मुझे मज़े देती रहोगी?
वो बोली- यह बाद की बात है पर सच में मेरे गले में दर्द होने लगा था!
मैंने बोला- अच्छा, अब आगे से ध्यान रखूँगा पर तुम्हें बता दूँ कि आने वाले दिनों में मैं बहुत कुछ देने वाला हूँ।
वो बोली- और क्या?



तब मैंने बोला- यह तो सिर्फ शुरुआत है, और अभी सब बता कर मज़ा नहीं खराब करना चाहता, बस देखती जाओ कि आगे आगे होता है क्या?

कहते हुए मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा और वो भी मेरा पूर्ण सहयोग देते हुए मेरे निचले होंठ को पागलों की तरह बेतहाशा चूसे जा रही थी, मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में हूँ, मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतनी जल्दी हो जायेगा।
खैर मैं उसके पंखुड़ी समान होंठों को चूसते हुए उसकी पीठ सहलाने लगा और रूचि की मस्ती वासना से भरने लगी।
मैंने मौके को देखते हुए उसके चूचों पर धीरे से दोनों हाथ रखकर उन्हें सहलाने लगा और हल्का हल्का सा दबा भी देता जिससे रूचि के मुख से सिसकारियाँ ‘शिइइइइइइइ’ फ़ूट पड़ती जो आग में घी का काम कर रही थी।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट ऊपर की ओर उठाते हुए उसे किस करता रहा। तभी अचानक उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया और बोली- यह क्या कर रहे हो? इसकी क्या जरूरत?

तो मैंने बोला- तुम्हें इसके पहले कुछ पता भी था या मुझसे सीखा?
वो बोली- तुमसे… पर तुम्हें तो मेरी चूत पसंद है न… वो तो कब की खुली है।
तो मैं बोला- जान असली मज़ा तो खुले में ही आता है न! मेरी बात मानो!

वो हल्की सी मुस्कान के साथ फिर से मेरी बाँहों में आ गई और मेरे कान के पास मुख ले जाकर फुसफुसाई- यार, मुझे शर्म आ रही है, अगर इसे न उतारा जाये तो क्या काम नहीं चलेगा?

मैं बोला- हम्म… बिल्कुल बिना टॉप उतारे वो मज़ा आ ही नहीं सकता।
तो वो बोली- क्यों?
तो मैंने मन ही मन खुश होते हुए अपने हाथों को ठीक से साध के उसके चूचों पर निशाना साधा और अचानक मैंने उसके गोल और मांसल चूचों को भींचते हुए मसक दिया जिससे उसकी दर्द भरी ‘अह्ह… ह्ह्ह्ह… आह्ह…’ निकल गई और मुझसे अलग हट कर अपने चूचों को सहलाने लगी और मुझसे गुस्सा करते हुए बोली- यार, ये क्या कर दिया तूने? मेरी तो जान ही निकल गई।

तो मैंने भी तुरंत बोला- इसी लिए तो कह रहा था कि बिना टॉप के मज़ा आता है और ऊपर से ग्रिप अच्छी नहीं बन पाती जैसा कि अभी तुमने खुद ही देखा, तुम्हें दर्द हुआ न?
तो बोली- सच में इसमें मज़ा आएगा?

तो मैंने उसको होंठों को चूसते हुए अपने होंठों को उसके कान के पास ले गया और एक लम्बी सांस छोड़ते हुए उसके कान में धीरे से बोला- खुद ही महसूस करके देख लो।
और एक बात मैंने जब सांस छोड़ी थी तो मैंने महसूस किया कि मेरी सांस ने रूचि के बदन की झुरझुरी बढ़ा दी थी जिससे उसके बदन में एक अजीब सा कम्पन महसूस हुआ था।

खैर फिर मैंने दोबारा धीरे से उसके कान के पास चुम्बन लेते हुए अपने हाथ उसकी टॉप में डाले और ऊपर की ओर उठाने लगा जिसमें रूचि ने भी सहयोग देते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर की ओर उठा लिए जिससे उसकी चूचियाँ तन के मेरी आँखों के सामने आ गई।

दोस्तो, क्या गजब का नज़ारा था… जैसे सफ़ेद छेने पर गाढ़ी लाल रंग की चेरी रख दी हो!

मैं तो देख कर इतना मस्त हो गया कि मुझे कुछ होश ही न रहा और मैं उसके चूचों की घुंडियों को प्यार से मसलने लगा जिससे रूचि कुछ कसमसाई तो मैंने उससे धीरे से पूछा- क्या हुआ?

तो बोली- यार अच्छा भी लग रहा है और थोड़ा अजीब सा भी!

मैंने बोला- बस थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें मज़ा आने लगेगा।
तो वो बोली- अब क्या करने वाले हो?

मैंने बिना बोले ही उसके बायें चूचे के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगा जैसे लोग कोल्ड ड्रिंक में स्ट्रॉ डाल कर चुस्की लगाते हैं और दूसरे चूचे को अपनी हथेली से सहलाने लगा जिससे रूचि इतना मदहोश हो गई कि पूछो ही मत… वो ऐसे सीत्कार ‘शिइइइइ शीईईई आह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह’ कर रही थी जैसे रो रही हो !

पर जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो नज़ारा कुछ ओर ही था, वो अपनी गर्दन को पीछे किये हुए अपनी आँखें बंद करके निचले होंठों को दांतों से दबाते हुए मंद सीत्कार कर रही थी जैसे की पक्की रंडी हो!

अब आगे क्या हुआ जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार करें और मस्ती में रहें।
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RE: मां बेटी को चोदने की इच्छा (copied) - by RangilaRaaj - 31-08-2023, 03:34 PM



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