27-08-2023, 09:13 PM
(This post was last modified: 27-08-2023, 10:47 PM by choduyaarakash. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अगली सुबह उर्मिला अंगडाई लेते हुए आँखे खोलती है. बहुत दिनों के बाद उसे ऐसी नींद आई थी. ये सब पिछली शाम सोनू के मोटे लंड से चुदने का कमाल था. उर्मिला बिस्तर पर बैठ जाती है और अपनी नाइटी उठा के बूर को देख मुस्कुरा देती है. फिर वो उठ के बाथरूम में चली जाती है.
सुबह के ६:३० बज रहे है. उर्मिला रसोई में बर्तन धो रही है और गैस पर चाय चढ़ी है. तभी उसे पायल की आवाज़ आती है.
पायल : गुड मोर्निंग भाभी....
उर्मिला : (मुड़ के देखती है तो सामने पायल टॉप और पजामा पहने खड़ी है) अरे पायल ? आज सूरज किस दिशा से निकला है? तू आज इतनी सुबह कैसे उठ गई ?
पायल : पता नहीं भाभी ऐसा क्यूँ होता है ? कॉलेज था तो नींद आती थी. अब बंद है तो सुबह सुबह ही नींद खुल गई.
उर्मिला : (हँसते हुए) ऐसा सब के साथ होता है पायल. येही तो कॉलेज और कॉलेज के हर स्टूडेंट की कहानी है. (उर्मिला की नज़र पायल की टॉप में कैद उसकी चुचियों पर जाती है. बिना ब्रा के ऐसी लग रही है की अगर किसी ने उसकी टॉप पर ब्लेड रख भी दी तो अभी टॉप फाड़ के बाहर आ जायेंगी. पायल फ्रिज खोल के पानी की बोतल उठाने के लिए झुकती है तो उसकी चुतड उठ के दिखने लगती है. "सोनू सही करता है. ऐसी चौड़ी चुतड के पीछे तो हर कोई लंड पकडे घूमता रहे", पायल मन में सोचती है)
पायल : (एक घूंट पानी पीने के बाद) लाईये भाभी... मैं बर्तन धो दूँ..
उर्मिला : अरे मैं धो लुंगी. तू एक काम कर. वाशिंग मशीन में कुछ कपड़े है. तू उन्हें छत पर ले जार कर डाल दे.
पायल : ओके भाभी... एज़ यू विश...
पायल वाशिंग मशीन से कपड़ों को निकाल के एक बाल्टी में डाल देती है और सीढ़ियों की और बढ़ने लगती है. पिछसे उर्मिला उसे आवाज़ देती है.
उर्मिला : और हाँ पायल... कपड़ों को पहले एक बार अच्छे से निचोड़ लेना....
पायल : हाँ भाभी... (और वो छत पर चली जाती है)
पायल के जाते ही रमेश रसोई में आता है.
रमेश : क्या कर रही हो बहु?
उर्मिला : (बाबूजी को देख कर) अरे बाबूजी आप? (वो आगे बढ़ कर पैर पढ़ने के लिए झुकती है. रमेश एक नज़र उर्मिला की नाईटी के ढील गले से दिख रही उसकी चुचियों के बीच की गली पर मार लेता है. उर्मिला पैर पढ़ के खड़ी हो जाती है) कुछ नहीं बाबूजी. बस बर्तन साफ़ कर रही थी. चाय बन जाएगी तो मैं छत पर ले कर आ जाउंगी.
रमेश : नहीं बहु. आज घुटनों में दर्द सा हो रहा है. आज कसरत नहीं करूँगा. तुम मेरी चाय ड्राइंग रूम में ही ला देना. वैसे बच्चे तो अभी सो ही रहे होंगे?
उर्मिला : सोनू तो सो रहा है बाबूजी लेकिन पायल उठ गई है.
रमेश : (आश्चर्यचकित होता हुआ) पायल उठ गई है? ये कैसे हो गया? अब तो उसका कॉलेज भी बंद है ना?
उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबूजी बंद है. मुझसे कह रही थी की जब कॉलेज था तो सुबह नींद आती थी, अब बंद है तो जल्दी खुल गई.
रमेश : (वो भी हसने लगता है) ये आजकल के बच्चे भी ना..! पायल है कहाँ? दिखाई नहीं दे रहीं?
उर्मिला : वो छत पर गई है बाबूजी कपड़े डालने. थोड़ी देर में आ जाएगी.
रमेश : (कुछ पल की ख़ामोशी के बाद) मैं सोच रहा हूँ बहु की कसरत कर ही लूँ. एक दिन ना करूँ तो कल दिक्कत हो जाएगी. तुम एक काम करो. मेरी चाय छत पर ही ला दो. (नज़रे उठा के गैस पर चढ़े बर्तन को देखते हुए) चाय बन गई या अभी वक़्त है?
उर्मिला : थोडा वक़्त लगेगा बाबूजी. आप जाइये, मैं आपकी चाय ले कर आ जाउंगी.
रमेश : हाँ...! तब तक मैं भी छत पर जा कर अपनी तैयारी कर लेता हूँ.
रमेश के जाते ही उर्मिला पीछे घुमती है तो चाय उबल के गिरने को है. वो दौड़ कर गैस बंद करती है. "अभी गिर जाती. लगता है गैस ज्यादा ही खोल दिया था मैंने". फिर उर्मिला चाय को कप में डालती है और सीढ़ियों पर चलते हुए छत पर जाने लगती है. चढ़ते हुए उर्मिला को छत के दरवाज़े के पास बाबूजी दिखाई पड़ते हैं. उनका चेहरा छत की तरफ है. वो सोचने लगती है की बाबूजी यहाँ क्या कर रहे हैं?waha babuji lund nikalkr usko proper adjust kr rhe hote h ki tbhi payal achanak se unke samne aajati h
बाबूजी के सामने जिसको देख बाबूजी बोचक्के रह जाते हैं
पायल-बाबूजी माफ करना वो गलती से अगली और टेढ़ी नजर से बाबूजी के लंड की टीआरएफ़ देखती है जो कि 11 इंच का लुंबा नाग की तरह खड़ा था
बाबूजी लंड सेट करते हुए- कोई नी बिटिया वो मेरी गलती थी मैंने तुम्हें देखा नी यहां हो तुम
खैर बाबू जी जल्दी से लंड सेट कर ऊपर कसरत करने चले जाते एच और नीचे उर्मिला ये नजारा देख बीएसएस मन मन मुस्कुरा देती hai
सुबह के ६:३० बज रहे है. उर्मिला रसोई में बर्तन धो रही है और गैस पर चाय चढ़ी है. तभी उसे पायल की आवाज़ आती है.
पायल : गुड मोर्निंग भाभी....
उर्मिला : (मुड़ के देखती है तो सामने पायल टॉप और पजामा पहने खड़ी है) अरे पायल ? आज सूरज किस दिशा से निकला है? तू आज इतनी सुबह कैसे उठ गई ?
पायल : पता नहीं भाभी ऐसा क्यूँ होता है ? कॉलेज था तो नींद आती थी. अब बंद है तो सुबह सुबह ही नींद खुल गई.
उर्मिला : (हँसते हुए) ऐसा सब के साथ होता है पायल. येही तो कॉलेज और कॉलेज के हर स्टूडेंट की कहानी है. (उर्मिला की नज़र पायल की टॉप में कैद उसकी चुचियों पर जाती है. बिना ब्रा के ऐसी लग रही है की अगर किसी ने उसकी टॉप पर ब्लेड रख भी दी तो अभी टॉप फाड़ के बाहर आ जायेंगी. पायल फ्रिज खोल के पानी की बोतल उठाने के लिए झुकती है तो उसकी चुतड उठ के दिखने लगती है. "सोनू सही करता है. ऐसी चौड़ी चुतड के पीछे तो हर कोई लंड पकडे घूमता रहे", पायल मन में सोचती है)
पायल : (एक घूंट पानी पीने के बाद) लाईये भाभी... मैं बर्तन धो दूँ..
उर्मिला : अरे मैं धो लुंगी. तू एक काम कर. वाशिंग मशीन में कुछ कपड़े है. तू उन्हें छत पर ले जार कर डाल दे.
पायल : ओके भाभी... एज़ यू विश...
पायल वाशिंग मशीन से कपड़ों को निकाल के एक बाल्टी में डाल देती है और सीढ़ियों की और बढ़ने लगती है. पिछसे उर्मिला उसे आवाज़ देती है.
उर्मिला : और हाँ पायल... कपड़ों को पहले एक बार अच्छे से निचोड़ लेना....
पायल : हाँ भाभी... (और वो छत पर चली जाती है)
पायल के जाते ही रमेश रसोई में आता है.
रमेश : क्या कर रही हो बहु?
उर्मिला : (बाबूजी को देख कर) अरे बाबूजी आप? (वो आगे बढ़ कर पैर पढ़ने के लिए झुकती है. रमेश एक नज़र उर्मिला की नाईटी के ढील गले से दिख रही उसकी चुचियों के बीच की गली पर मार लेता है. उर्मिला पैर पढ़ के खड़ी हो जाती है) कुछ नहीं बाबूजी. बस बर्तन साफ़ कर रही थी. चाय बन जाएगी तो मैं छत पर ले कर आ जाउंगी.
रमेश : नहीं बहु. आज घुटनों में दर्द सा हो रहा है. आज कसरत नहीं करूँगा. तुम मेरी चाय ड्राइंग रूम में ही ला देना. वैसे बच्चे तो अभी सो ही रहे होंगे?
उर्मिला : सोनू तो सो रहा है बाबूजी लेकिन पायल उठ गई है.
रमेश : (आश्चर्यचकित होता हुआ) पायल उठ गई है? ये कैसे हो गया? अब तो उसका कॉलेज भी बंद है ना?
उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबूजी बंद है. मुझसे कह रही थी की जब कॉलेज था तो सुबह नींद आती थी, अब बंद है तो जल्दी खुल गई.
रमेश : (वो भी हसने लगता है) ये आजकल के बच्चे भी ना..! पायल है कहाँ? दिखाई नहीं दे रहीं?
उर्मिला : वो छत पर गई है बाबूजी कपड़े डालने. थोड़ी देर में आ जाएगी.
रमेश : (कुछ पल की ख़ामोशी के बाद) मैं सोच रहा हूँ बहु की कसरत कर ही लूँ. एक दिन ना करूँ तो कल दिक्कत हो जाएगी. तुम एक काम करो. मेरी चाय छत पर ही ला दो. (नज़रे उठा के गैस पर चढ़े बर्तन को देखते हुए) चाय बन गई या अभी वक़्त है?
उर्मिला : थोडा वक़्त लगेगा बाबूजी. आप जाइये, मैं आपकी चाय ले कर आ जाउंगी.
रमेश : हाँ...! तब तक मैं भी छत पर जा कर अपनी तैयारी कर लेता हूँ.
रमेश के जाते ही उर्मिला पीछे घुमती है तो चाय उबल के गिरने को है. वो दौड़ कर गैस बंद करती है. "अभी गिर जाती. लगता है गैस ज्यादा ही खोल दिया था मैंने". फिर उर्मिला चाय को कप में डालती है और सीढ़ियों पर चलते हुए छत पर जाने लगती है. चढ़ते हुए उर्मिला को छत के दरवाज़े के पास बाबूजी दिखाई पड़ते हैं. उनका चेहरा छत की तरफ है. वो सोचने लगती है की बाबूजी यहाँ क्या कर रहे हैं?waha babuji lund nikalkr usko proper adjust kr rhe hote h ki tbhi payal achanak se unke samne aajati h
बाबूजी के सामने जिसको देख बाबूजी बोचक्के रह जाते हैं
पायल-बाबूजी माफ करना वो गलती से अगली और टेढ़ी नजर से बाबूजी के लंड की टीआरएफ़ देखती है जो कि 11 इंच का लुंबा नाग की तरह खड़ा था
बाबूजी लंड सेट करते हुए- कोई नी बिटिया वो मेरी गलती थी मैंने तुम्हें देखा नी यहां हो तुम
खैर बाबू जी जल्दी से लंड सेट कर ऊपर कसरत करने चले जाते एच और नीचे उर्मिला ये नजारा देख बीएसएस मन मन मुस्कुरा देती hai