25-08-2023, 10:19 PM
(This post was last modified: 25-08-2023, 10:20 PM by choduyaarakash. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सोनू : भाभी...मैं कॉलेज से आ गया.
उर्मिला समझ जाती है की सोनू कॉलेज से आने के बाद उसके साथ बैठ के बातें करने वाला था. लेकिन वो सोनू को थोड़ा परेशान करने के लिए कहती है.
उर्मिला : तो इसमें नया क्या है सोनू? वो तो तू रोज ही आता है (उर्मिला सोनू की तरफ बिना देखे अपना काम करते हुए कहती है)
सोनू : ह..हाँ भाभी रोज तो आता हूँ ... लेकिन वो... वो आज सुबह हमारी बात हुई थी ना? वो..वो आप बोल रही थीं की तू जब कॉलेज से आएगा तो हम बातें करेंगे?
उर्मिला : (सर ऊपर उठा के याद करने का नाटक करती है) मैंने कहा था? मुझे तो याद नहीं?
उर्मिला की बात सुन के सोनू मायूस हो जाता है और घूम के जाने लगता है. तभी उसके कान में उर्मिला की आवाज़ पड़ती है.
उर्मिला : ओ मेरे प्यारे देवरजी...!! सब याद है मुझे.... अब जल्दी से हाथ मुहँ धो के खाना खा लो. १० मिनट में मैं छत पर कपड़े डालने जा रही हूँ. जल्दी से आ जाना. पायल का पिछवाड़ा देखने में वक़्त गवां दिया तो फिर मुझसे बात नहीं कर पाओगे....
सोनू : (ख़ुशी से भाभी को देख के कहता है) थैंक्यू भाभी. मैं १० मिनट में पक्का छत पे आ जाऊंगा (और भाग के कमरे से निकल जाता है)
उर्मिला सोनू का उतावलापन देखती है. "पायल के पीछे बावला हो गया है. उसे देख के हमेशा इसका लंड खड़ा ही रहता है. लगता है जल्द ही कुछ कर के पायल को इसके खड़े लंड पे बिठाना ही पड़ेगा". और उर्मिला बिस्तर ठीक करने लगती है.
घड़ी में ५:२५ का समय हो रहा है. उर्मिला कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर छत पे आती है और एक एक कपड़े निकाल के बारी बारी से रस्सी पर फैलाने लगती है. २ मिनट के बाद सोनू भी छत पर आता है. उर्मिला उसे देख लेती है.
उर्मिला : आ गया मेरा लाड़ला देवर...
सोनू : हाँ भाभी.. जैसे ही मैंने आपको ऊपर जाते देखा, फटाफट खाना खत्म किया और दौड़ता हुआ आपके पीछे ऊपर आ गया.
उर्मिला : और तेरी पायल दीदी क्या कर रही है? देखा की नहीं?
सोनू : हाँ भाभी. देख कर आ रहा हूँ. वो अपने कमरे में सो रही है.
उर्मिला : (उर्मिला मुस्कुराते हुए कहती है) अपनी चुतड उठा के सो रही होगी... हैं ना?
भाभी की बात सुन के सोनू मुस्कुराते हुए नज़रे झुका के निचे देखने लगता है.
उर्मिला : तू अगर यहाँ शर्माने के लिए आया है तो आराम से बैठ के जी भर के शर्मा ले. मैं निचे जा कर रसोई में अपना काम कर लेती हूँ.
सोनू : नहीं नहीं भाभी....(सोनू उर्मिला को देखते हुए) हाँ.... दीदी अपनी चुतड उठा के सो रही है.
उर्मिला : (हँसते हुए) वो ऐसे ही अपनी चुतड उठा के सोती है (फिर सोनू की तरफ देखते हुए) ना जाने किस के लिए?, और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां टॉप फाड़ के बाहर आने के लिए उतावली होगी ना?
सोनू वैसे तो था बड़ा कमीना लेकिन उसने कभी भी घर वालो के सामने ये बात जाहिर नहीं होने दी थी. पहली बार वो किसी परिवार के सदस्य के सामने इस तरह से बातें कर रहा था. और वो सदस्य और कोई नहीं उसकी अपनी प्यारी उर्मिला भाभी थी. उर्मिला भाभी के मुहँ से ऐसी बातें सुन कर सोनू और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा था.
सोनू : (सोनू दांतों तले एक बार अपनी जीभ दबा देता है) हाँ भाभी... मैंने गौर से देखा था. दीदी की टॉप उनकी चुचियों से पूरी चिपकी हुई थीं. दीदी की साँसों के साथ उनकी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर निचे हो रही थीं. मेरा तो बुरा हाल हो गया था भाभी.
उर्मिला : तो अपनी दीदी पर छलांग लगा देता. सोते वक़्त वो ब्रा नहीं पहनती. उसकी टॉप निचे से उठा के देख लेता की दीदी की गोल मटोल चूचियां नंगी कैसी दिखती है. किसने रोका था तुझे?
सोनू : दिल तो मेरा भी किया था भाभी की दीदी की टॉप उठा के उनकी चुचियों को हाथों में भर के मसल दूँ. लेकिन दीदी पूरे घर में हल्ला मचा देगी और पापा मुझे जुते मार के घर से निकाल देंगे. बस येही सोच कर मैं रुक गया.
सोनू की बात सुन के उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो हँसते हुए कहती है.
उर्मिला : हाहाहा...ये बात तो तुमने सही कही सोनू. पर जरा सोच... ऐसा कुछ हो जाए की तू पायल की टॉप उठा के उसकी नंगी चूचियां देखे और वो फिर भी किसी से कुछ ना कहे तो?
सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू उच्चल के खड़ा हो जाता है. खुले मुहँ से उर्मिला को कुछ पल के लिए वैसे ही देखता रहता है, फिर कहता है) सच भाभी...!! ऐसा भी हो सकता है क्या?
उर्मिला : (इतराते हुए) तेरी भाभी चाहे तो कुछ भी हो सकता है देवरजी...
सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू अपने घुटनों पे आ जाता है और उर्मिला के सामने हाथ जोड़ के गिडगिडाने लगता है) भाभी ...मेरी प्यारी भाभी ....प्लीज...प्लीज...मेरे लिए पायल दीदी को मना दो ना...मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा भाभी... आप जो बोलोगे वो मैं करूँगा...बस पायल दीदी से मेरी सेटिंग करा दीजिये प्लीज भाभी....!!
सोनू का ये रूप देख के पायल को मजा भी आता है और आशचर्य भी होता है, "कोई अपनी सगी बहन के लिए इतना पागल भी हो सकता है?", वो मन में सोचती है. फिर हँसते हुए कहती है.
उर्मिला : अरे अरे अरे...!! ये क्या सोनू ? मैं क्या कोई साहूकार हूँ? तुमने कोई क़र्ज़ लिया है मुझसे जो इस तरह से गिदगिड़ा रहा है ? (फिर प्यार से उसके बालों में हाथ फेरते हुए) पागल...तू मेरा प्यारा छोटा देवर है. तेरी ख्वाइश का ख़याल मैं नहीं रखूंगी तो और कौन रखेगा?
सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू का दिल जोर से धड़कने लगता है और चेहरे पे बड़ी से मुस्कान छा जाती है) सच भाभी..?? आप मेरे लिए पायल दीदी को सेट कर दोगी ना?
उर्मिला : कर तो मैं दूँ सोनू , लेकिन एक दिक्कत है... (कह के उर्मिला रुक जाती है)
सोनू : (चेहरे की हँसी गायब हो जाती है) दिक्कत ? कैसी दिक्कत भाभी ?
उर्मिला : देख सोनू... तू जैसे मेरा देवर है, पायल भी मेरी ननद है. दोनों से मैं एक जैसा प्यार करती हूँ. मैं सिर्फ इस बात के भरोसे तेरी और पायल की सेटिंग नहीं करा सकती की वो तझे अच्छी लगती है. तुम दोनों सगे भाई बहन हो, कोई कॉलेज या कॉलेज के बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड नहीं. भाई बहन के ऐसे गंदे रिश्ते में सिर्फ प्यार से काम नहीं चलता. प्यार के साथ कुछ और चीज़े भी होना जरुरी है.
सोनू : भाभी ... मैं दीदी से सिर्फ प्यार ही नहीं करता. दीदी के लिए मैं पागल भी हूँ, हद से ज्यादा पागल भाभी. दीवाना हूँ मैं पायल दीदी का (सोनू अपनी बातों से उर्मिला को यकीन दिलाने की कोशिश करता है)
उर्मिला : तेरा प्यार और दीवानापन तो मैं देख चुकी हूँ सोनू, और इस पर मुझे कोई शक नहीं है. टेंशन तो मुझे तेरे पागलपन की है. प्यार और दीवानगी में तू पायल के साथ चुदाई तो कर लेगा लेकिन बिना पागलपन के ये भाई बहन का रिश्ता अधुरा है. जब तक भाई और बहन के बीच पागलपन और हवास ना हो, उनके मिलन का कोई मतलब नहीं है.
पायल इस खेल की पुरानी खिलाड़ी थीं. उसने अपनी बातों के जाल में अच्छे अच्छों को फसाया था तो ये १८ साल का सोनू किस खेत की मुली था. उर्मिला की बातें सुन के सोनू और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है क्यूंकि वो जानता है की पायल के लिए उसके दिल में प्यार से कहीं ज्यादा हवस और पागलपन है. वो जानता है की उर्मिला भाभी जो ढूंड रही है वो सोनू के अन्दर पायल के लिए कूट कूट के भरी है - हवस और पागलपन. लेकिन सोनू ये नहीं जानता था की उर्मिला का खेल क्या था. उर्मिला ने बड़ी चालाकी से सोनू को अपनी उस हवस और पागलपन को उसके सामने ज़ाहिर करने पर मजबूर कर दिया था जिसकी झलक वो आज सुबह सीढ़ियों के पास खड़ी हो कर देख चुकी थीं.
सोनू : (अब और भी ज्यादा उत्तेजित हो चूका था) भाभी मेरा यकीन मानिये. पायल दीदी के लिए मेरे अन्दर हवस और पागलपन के अलावा कुछ नहीं है. पायल दीदी को देखता हूँ तो हवस से मेरा लंड खड़ा हो जाता है. जी करता है की दीदी को वहीँ ज़मीन पर पटक के अपना पूरा लंड उनकी बूर में ठूँस दूँ.
उर्मिला : (ये सुन कर उर्मिला खुश हो जाती है. वो जो चाह रही थी सोनू वही कर रहा है. पायल अब आग में घी डालने का काम करती है) अच्छा ? ऐसे ही अपना लंड पायल की बूर में ठूँस देगा? पायल ने टॉप और पजामा पहना हो तो?
सोनू : (पायल को याद करके उसकी आँखे हवस से लाल हो गई है. वो बेशर्मी से उर्मिला के सामने ही पैंट के ऊपर से अपना लंड दबाते हुए कहता है) तो मैं दीदी की टॉप फाड़ दूंगा भाभी. उसका पजामा खींच के उतार दूंगा और फिर अपना मोटा लंड दीदी की बूर में पूरा ठूँस दूंगा.
उर्मिला : हु...पूरा ठूँस दूंगा..!! तेरा है ही कितना बड़ा जो पायल की बूर में ठूँस देगा. पायल जैसी जवान और गदरायी लड़कियों की बूर मोटे तगड़े लंड के लिए होती है, तेरे जैसे छोटे बच्चों के भींडी जैसी नुन्नी के लिए नहीं.
उर्मिला की इस बात ने सीधा सोनू के अपने लंड के बड़े होने के अहंकार पर वार किया था. इस से भी ज्यादा सोनू को इस बात से ठेस पहुंची थी की भाभी उसके लंड को पायल की बूर के काबिल नहीं समझ रही थी.
सोनू : मेरी नुन्नी नहीं, मोटा लंड है भाभी. और इतना मोटा और लम्बा है की दीदी की बूर में डालूं तो बच्चेदानी तक पहुँच जाए.
सोनू ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए अपनी शॉर्ट्स को एक झटके से निचे कर दिया. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चल के उर्मिला को सलामी देना लगा. लंड के उच्चलने से उसके चिपचिपे पानी की कुछ बूंदे उर्मिला के चेहरे और ब्लाउज पर उड़ जाती है.
सोनू : देखा भाभी...!! अब बोलिए, क्या ये नुन्नी है ? पायल इसे अराम से ले लेगी या मुझे दबा के ठूंसना होगा ?
सोनू के विकराल लंड को उर्मिला आँखे फाड़ फाड़ के देख रही थी. वैसे रौनक का लंड भी कुछ कम नहीं था लेकिन सोनू के पूरे लंड पर फूल कर उभरी हुई नसें उसके लंड को बेहद मजा देना वाला बना रही थीं. सोनू का लंड देख के कुछ पल के लिए उर्मिला की बोलती बंद हो गई. फिर उसने छत के चारों तरफ अपनी नज़रे दौड़ाई और देखा की कोई पड़ोसी तो आसपास नहीं है. किसी के ना होने की बात पक्की कर के उर्मिला सोनू की तरफ देखा और बड़े प्यार से कहा.
उर्मिला : सचमुच सोनू... तेरा तो पूरा का पूरा मरदाना लंड है. इसे जब तू पायल की कसी हुई बूर में डालेगा तो वो कसमसा जाएगी.
फिर उर्मिला दौड़ कर छत के दरवाज़े के पास जाती है और एक नज़र सीढ़ियों पर डाल कर दरवाज़े की कुण्डी बाहर से लगा देती है. वो सोनू के पास आती है और उसका हाथ पकड़ के छत के कोने में रखी पानी की टंकी के पीछे ले जाती है.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
उर्मिला समझ जाती है की सोनू कॉलेज से आने के बाद उसके साथ बैठ के बातें करने वाला था. लेकिन वो सोनू को थोड़ा परेशान करने के लिए कहती है.
उर्मिला : तो इसमें नया क्या है सोनू? वो तो तू रोज ही आता है (उर्मिला सोनू की तरफ बिना देखे अपना काम करते हुए कहती है)
सोनू : ह..हाँ भाभी रोज तो आता हूँ ... लेकिन वो... वो आज सुबह हमारी बात हुई थी ना? वो..वो आप बोल रही थीं की तू जब कॉलेज से आएगा तो हम बातें करेंगे?
उर्मिला : (सर ऊपर उठा के याद करने का नाटक करती है) मैंने कहा था? मुझे तो याद नहीं?
उर्मिला की बात सुन के सोनू मायूस हो जाता है और घूम के जाने लगता है. तभी उसके कान में उर्मिला की आवाज़ पड़ती है.
उर्मिला : ओ मेरे प्यारे देवरजी...!! सब याद है मुझे.... अब जल्दी से हाथ मुहँ धो के खाना खा लो. १० मिनट में मैं छत पर कपड़े डालने जा रही हूँ. जल्दी से आ जाना. पायल का पिछवाड़ा देखने में वक़्त गवां दिया तो फिर मुझसे बात नहीं कर पाओगे....
सोनू : (ख़ुशी से भाभी को देख के कहता है) थैंक्यू भाभी. मैं १० मिनट में पक्का छत पे आ जाऊंगा (और भाग के कमरे से निकल जाता है)
उर्मिला सोनू का उतावलापन देखती है. "पायल के पीछे बावला हो गया है. उसे देख के हमेशा इसका लंड खड़ा ही रहता है. लगता है जल्द ही कुछ कर के पायल को इसके खड़े लंड पे बिठाना ही पड़ेगा". और उर्मिला बिस्तर ठीक करने लगती है.
घड़ी में ५:२५ का समय हो रहा है. उर्मिला कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर छत पे आती है और एक एक कपड़े निकाल के बारी बारी से रस्सी पर फैलाने लगती है. २ मिनट के बाद सोनू भी छत पर आता है. उर्मिला उसे देख लेती है.
उर्मिला : आ गया मेरा लाड़ला देवर...
सोनू : हाँ भाभी.. जैसे ही मैंने आपको ऊपर जाते देखा, फटाफट खाना खत्म किया और दौड़ता हुआ आपके पीछे ऊपर आ गया.
उर्मिला : और तेरी पायल दीदी क्या कर रही है? देखा की नहीं?
सोनू : हाँ भाभी. देख कर आ रहा हूँ. वो अपने कमरे में सो रही है.
उर्मिला : (उर्मिला मुस्कुराते हुए कहती है) अपनी चुतड उठा के सो रही होगी... हैं ना?
भाभी की बात सुन के सोनू मुस्कुराते हुए नज़रे झुका के निचे देखने लगता है.
उर्मिला : तू अगर यहाँ शर्माने के लिए आया है तो आराम से बैठ के जी भर के शर्मा ले. मैं निचे जा कर रसोई में अपना काम कर लेती हूँ.
सोनू : नहीं नहीं भाभी....(सोनू उर्मिला को देखते हुए) हाँ.... दीदी अपनी चुतड उठा के सो रही है.
उर्मिला : (हँसते हुए) वो ऐसे ही अपनी चुतड उठा के सोती है (फिर सोनू की तरफ देखते हुए) ना जाने किस के लिए?, और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां टॉप फाड़ के बाहर आने के लिए उतावली होगी ना?
सोनू वैसे तो था बड़ा कमीना लेकिन उसने कभी भी घर वालो के सामने ये बात जाहिर नहीं होने दी थी. पहली बार वो किसी परिवार के सदस्य के सामने इस तरह से बातें कर रहा था. और वो सदस्य और कोई नहीं उसकी अपनी प्यारी उर्मिला भाभी थी. उर्मिला भाभी के मुहँ से ऐसी बातें सुन कर सोनू और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा था.
सोनू : (सोनू दांतों तले एक बार अपनी जीभ दबा देता है) हाँ भाभी... मैंने गौर से देखा था. दीदी की टॉप उनकी चुचियों से पूरी चिपकी हुई थीं. दीदी की साँसों के साथ उनकी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर निचे हो रही थीं. मेरा तो बुरा हाल हो गया था भाभी.
उर्मिला : तो अपनी दीदी पर छलांग लगा देता. सोते वक़्त वो ब्रा नहीं पहनती. उसकी टॉप निचे से उठा के देख लेता की दीदी की गोल मटोल चूचियां नंगी कैसी दिखती है. किसने रोका था तुझे?
सोनू : दिल तो मेरा भी किया था भाभी की दीदी की टॉप उठा के उनकी चुचियों को हाथों में भर के मसल दूँ. लेकिन दीदी पूरे घर में हल्ला मचा देगी और पापा मुझे जुते मार के घर से निकाल देंगे. बस येही सोच कर मैं रुक गया.
सोनू की बात सुन के उर्मिला को हंसी आ जाती है. वो हँसते हुए कहती है.
उर्मिला : हाहाहा...ये बात तो तुमने सही कही सोनू. पर जरा सोच... ऐसा कुछ हो जाए की तू पायल की टॉप उठा के उसकी नंगी चूचियां देखे और वो फिर भी किसी से कुछ ना कहे तो?
सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू उच्चल के खड़ा हो जाता है. खुले मुहँ से उर्मिला को कुछ पल के लिए वैसे ही देखता रहता है, फिर कहता है) सच भाभी...!! ऐसा भी हो सकता है क्या?
उर्मिला : (इतराते हुए) तेरी भाभी चाहे तो कुछ भी हो सकता है देवरजी...
सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू अपने घुटनों पे आ जाता है और उर्मिला के सामने हाथ जोड़ के गिडगिडाने लगता है) भाभी ...मेरी प्यारी भाभी ....प्लीज...प्लीज...मेरे लिए पायल दीदी को मना दो ना...मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा भाभी... आप जो बोलोगे वो मैं करूँगा...बस पायल दीदी से मेरी सेटिंग करा दीजिये प्लीज भाभी....!!
सोनू का ये रूप देख के पायल को मजा भी आता है और आशचर्य भी होता है, "कोई अपनी सगी बहन के लिए इतना पागल भी हो सकता है?", वो मन में सोचती है. फिर हँसते हुए कहती है.
उर्मिला : अरे अरे अरे...!! ये क्या सोनू ? मैं क्या कोई साहूकार हूँ? तुमने कोई क़र्ज़ लिया है मुझसे जो इस तरह से गिदगिड़ा रहा है ? (फिर प्यार से उसके बालों में हाथ फेरते हुए) पागल...तू मेरा प्यारा छोटा देवर है. तेरी ख्वाइश का ख़याल मैं नहीं रखूंगी तो और कौन रखेगा?
सोनू : (भाभी की बात सुन के सोनू का दिल जोर से धड़कने लगता है और चेहरे पे बड़ी से मुस्कान छा जाती है) सच भाभी..?? आप मेरे लिए पायल दीदी को सेट कर दोगी ना?
उर्मिला : कर तो मैं दूँ सोनू , लेकिन एक दिक्कत है... (कह के उर्मिला रुक जाती है)
सोनू : (चेहरे की हँसी गायब हो जाती है) दिक्कत ? कैसी दिक्कत भाभी ?
उर्मिला : देख सोनू... तू जैसे मेरा देवर है, पायल भी मेरी ननद है. दोनों से मैं एक जैसा प्यार करती हूँ. मैं सिर्फ इस बात के भरोसे तेरी और पायल की सेटिंग नहीं करा सकती की वो तझे अच्छी लगती है. तुम दोनों सगे भाई बहन हो, कोई कॉलेज या कॉलेज के बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड नहीं. भाई बहन के ऐसे गंदे रिश्ते में सिर्फ प्यार से काम नहीं चलता. प्यार के साथ कुछ और चीज़े भी होना जरुरी है.
सोनू : भाभी ... मैं दीदी से सिर्फ प्यार ही नहीं करता. दीदी के लिए मैं पागल भी हूँ, हद से ज्यादा पागल भाभी. दीवाना हूँ मैं पायल दीदी का (सोनू अपनी बातों से उर्मिला को यकीन दिलाने की कोशिश करता है)
उर्मिला : तेरा प्यार और दीवानापन तो मैं देख चुकी हूँ सोनू, और इस पर मुझे कोई शक नहीं है. टेंशन तो मुझे तेरे पागलपन की है. प्यार और दीवानगी में तू पायल के साथ चुदाई तो कर लेगा लेकिन बिना पागलपन के ये भाई बहन का रिश्ता अधुरा है. जब तक भाई और बहन के बीच पागलपन और हवास ना हो, उनके मिलन का कोई मतलब नहीं है.
पायल इस खेल की पुरानी खिलाड़ी थीं. उसने अपनी बातों के जाल में अच्छे अच्छों को फसाया था तो ये १८ साल का सोनू किस खेत की मुली था. उर्मिला की बातें सुन के सोनू और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है क्यूंकि वो जानता है की पायल के लिए उसके दिल में प्यार से कहीं ज्यादा हवस और पागलपन है. वो जानता है की उर्मिला भाभी जो ढूंड रही है वो सोनू के अन्दर पायल के लिए कूट कूट के भरी है - हवस और पागलपन. लेकिन सोनू ये नहीं जानता था की उर्मिला का खेल क्या था. उर्मिला ने बड़ी चालाकी से सोनू को अपनी उस हवस और पागलपन को उसके सामने ज़ाहिर करने पर मजबूर कर दिया था जिसकी झलक वो आज सुबह सीढ़ियों के पास खड़ी हो कर देख चुकी थीं.
सोनू : (अब और भी ज्यादा उत्तेजित हो चूका था) भाभी मेरा यकीन मानिये. पायल दीदी के लिए मेरे अन्दर हवस और पागलपन के अलावा कुछ नहीं है. पायल दीदी को देखता हूँ तो हवस से मेरा लंड खड़ा हो जाता है. जी करता है की दीदी को वहीँ ज़मीन पर पटक के अपना पूरा लंड उनकी बूर में ठूँस दूँ.
उर्मिला : (ये सुन कर उर्मिला खुश हो जाती है. वो जो चाह रही थी सोनू वही कर रहा है. पायल अब आग में घी डालने का काम करती है) अच्छा ? ऐसे ही अपना लंड पायल की बूर में ठूँस देगा? पायल ने टॉप और पजामा पहना हो तो?
सोनू : (पायल को याद करके उसकी आँखे हवस से लाल हो गई है. वो बेशर्मी से उर्मिला के सामने ही पैंट के ऊपर से अपना लंड दबाते हुए कहता है) तो मैं दीदी की टॉप फाड़ दूंगा भाभी. उसका पजामा खींच के उतार दूंगा और फिर अपना मोटा लंड दीदी की बूर में पूरा ठूँस दूंगा.
उर्मिला : हु...पूरा ठूँस दूंगा..!! तेरा है ही कितना बड़ा जो पायल की बूर में ठूँस देगा. पायल जैसी जवान और गदरायी लड़कियों की बूर मोटे तगड़े लंड के लिए होती है, तेरे जैसे छोटे बच्चों के भींडी जैसी नुन्नी के लिए नहीं.
उर्मिला की इस बात ने सीधा सोनू के अपने लंड के बड़े होने के अहंकार पर वार किया था. इस से भी ज्यादा सोनू को इस बात से ठेस पहुंची थी की भाभी उसके लंड को पायल की बूर के काबिल नहीं समझ रही थी.
सोनू : मेरी नुन्नी नहीं, मोटा लंड है भाभी. और इतना मोटा और लम्बा है की दीदी की बूर में डालूं तो बच्चेदानी तक पहुँच जाए.
सोनू ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए अपनी शॉर्ट्स को एक झटके से निचे कर दिया. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चल के उर्मिला को सलामी देना लगा. लंड के उच्चलने से उसके चिपचिपे पानी की कुछ बूंदे उर्मिला के चेहरे और ब्लाउज पर उड़ जाती है.
सोनू : देखा भाभी...!! अब बोलिए, क्या ये नुन्नी है ? पायल इसे अराम से ले लेगी या मुझे दबा के ठूंसना होगा ?
सोनू के विकराल लंड को उर्मिला आँखे फाड़ फाड़ के देख रही थी. वैसे रौनक का लंड भी कुछ कम नहीं था लेकिन सोनू के पूरे लंड पर फूल कर उभरी हुई नसें उसके लंड को बेहद मजा देना वाला बना रही थीं. सोनू का लंड देख के कुछ पल के लिए उर्मिला की बोलती बंद हो गई. फिर उसने छत के चारों तरफ अपनी नज़रे दौड़ाई और देखा की कोई पड़ोसी तो आसपास नहीं है. किसी के ना होने की बात पक्की कर के उर्मिला सोनू की तरफ देखा और बड़े प्यार से कहा.
उर्मिला : सचमुच सोनू... तेरा तो पूरा का पूरा मरदाना लंड है. इसे जब तू पायल की कसी हुई बूर में डालेगा तो वो कसमसा जाएगी.
फिर उर्मिला दौड़ कर छत के दरवाज़े के पास जाती है और एक नज़र सीढ़ियों पर डाल कर दरवाज़े की कुण्डी बाहर से लगा देती है. वो सोनू के पास आती है और उसका हाथ पकड़ के छत के कोने में रखी पानी की टंकी के पीछे ले जाती है.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )