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Misc. Erotica भोली भाली शीला और पंडित जी
#8



पंडित & शीला पार्ट--6

गतांक से आगे......................

सारा माल शीला की फुद्दी में गिराने के बाद पंडित ने अपना लिंग बाहर खींचा ..और शीला को प्यासी नजरों से देखा ..शीला उनके देखने के अंदाज से शरमा उठी ..


शीला : क्या देख रहे है पंडितजी ..


पंडित : देख रहा हु की तुम्हारे अन्दर कितनी कामवासना दबी पड़ी थी ..अगर मैंने तुम्हे भोगा नहीं होता तो ये सारा योवन व्यर्थ चला जाता .. कितने सुन्दर केश है तुम्हारे ..और ये स्तन तो मुझे संसार में सबसे सुन्दर प्रतीत होते है ..और तुम्हारी ये मांसल कमर और नितंभ ..सच में शीला तुम काम की मूरत हो ..


शीला अपने शरीर की तारीफ सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी ..उसके गाल लाल सुर्ख हो उठे ..


शीला : आपने मुझे ऐसी अवस्था में पहचानकर मेरा निवारन किया है ..आप ही आज से मेरे गुरु और देवता है ..आप जब भी चाहे मेरे शरीर का अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है ..


जब शीला ने ये कहा तो पंडित का दिमाग घोड़े की तरह से चलने लगा ..


पंडितजी को गहरी सोच में डूबे देखकर शीला उनके पास खिसक कर आई और उनके लिंग को अपने हाथ में पकड़कर उन्हें चेतना में लायी ..


शीला : क्या सोचने लगे पंडित जी ..


पंडित : उम .. नं .कुछ नहीं ...


शीला के हाथो में आकर उनका लंड फिर से अपने प्रचंड रूप में आने लगा ..


पर तभी बाहर *** में किसी ने घंटी बजाई ..पंडित जी ने जल्दी से अपनी धोती पहनी और शीला से बोले : तुम अन्दर जाकर अपने अंगो को पानी से साफ़ कर लो ..मैं अभी वापिस आकर तुम्हे दोबारा स्वर्ग का मजा देता हु ..


पंडित जी की बात सुनकर शीला के स्तनों में फिर से तनाव आ गया,दोबारा चुदने का ख़याल आते ही वो फुर्ती से उठी और नंगी ही अन्दर स्नानघर की तरफ चल दी ..

बाहर पहुंचकर पंडित जी ने देखा की दूसरी गली में रहने वाली माधवी जिसकी उम्र 38 के आस पास थी, वो अपनी बेटी रितु जो 11वीं कक्षा में पड़ती थी, के साथ खड़ी थी .


पंडितजी माधवी को देखते खुश हो गए ..हो भी क्यों न , वो रोज आया करती थी और उसका भरा हुआ जिस्म पंडित जी को हमेशा आकर्षित करता था .. और उसका पति गिरधर जो गली-2 जाकर ठेले पर सब्जियां बेचा करता था, वो पंडितजी का करीबी दोस्त बन चूका था और वो दोनों अक्सर पंडितजी के कमरे में बैठकर शराब पिया करते थे ..और दोनों जब नशे में चूर हो जाते तो अपने-2 मन की बातें एक दुसरे के सामने निकालकर अपना मन हल्का किया करते थे ..और उनका टॉपिक हमेशा सेक्स के आस पास ही घूमता रहता था .. पर उन दोनों की इतनी घनिष्टता के बारे में कोई भी नहीं जानता था, गिरधर की पत्नी माधवी भी नहीं ..


पंडित ने कभी भी गिरधर को ये नहीं बताया था की उनका मन उसकी पत्नी के प्रति आकर्षित है ..गिरधर जब भी पंडित जी के पास आकर बैठता तो वो अपनी जिन्दगी का रोना उनके सामने सुना कर अपना मन हल्का कर लेता था, वो अपनी पत्नी यानी माधवी के सेक्स के प्रति रूचि ना दिखाने को लेकर अक्सर परेशान रहता था ..रंडियों के पास जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे ..पूरा दिन गलियों में सब्जियां बेचकर वो इतना ही कमा सकता था की अपने परिवार का पालन पोषण कर पाए ..इसलिए रोज रात को शराब लेकर वो पंडित जी के पास जाकर अपने दुःख दर्द सुनाता और पंडितजी भी अपने 'ख़ास' दोस्त के साथ कुछ पल बिताकर अपना रूतबा और पहचान भूल जाते और खुलकर मजा करते .



माधवी : नमस्कार पंडित जी ..


पंडित : आओ आओ माधवी नमस्कार ..आज इस समय कैसे आना हुआ ..


वो अक्सर सुबह ही आया करती थी ..और दोपहर के समय उसको देखकर और वो भी उस वक़्त जब अन्दर कमरे में शीला नंगी होकर उनका वेट कर रही थी ..कोई और मौका होता तो वो भी माधवी से गप्पे मारकर अपनी आँखों की सिकाई कर लेते पर अभी तो उसको टरकाने में मूड में थे ., ताकि अन्दर जाकर फिर से शीला के योवन का सेवन कर पाए .

माधवी : पंडित जी ..आप तो जानते ही है इनके (गिरधर) बारे में ..पूरा दिन मेहनत करते है और रात पता नहीं कहाँ जाकर शराब पीते है और अपनी आधी से ज्यादा कमाई फूंक देते है ..ये मेरी बेटी रितु है और ये पड़ने में काफी होशियार है पर कॉलेज में भरने लायक फीस नहीं है इस महीने ..मैं बस आपसे ये कहने आई थी की अगर हो सके तो आप उनको समझाओ ताकि हमारी बेटी आगे पढाई पूरी कर सके ..वो आपकी बात कभी नहीं टालेंगे ..


माधवी जानती तो थी की गिरधर अक्सर पंडितजी के साथ बैठता है पर वो ये नहीं जानती थी की उनके साथ बैठकर ही वो शराब भी पीता है और उसके बारे में बातें भी करता है .

पंडित : अरे माधवी ..तुम परेशान मत हो ..वो बेचारा भी परेशान रहता है अपने और तुम्हारे संबंधों को लेकर ..


ये बात सुनकर माधवी चोंक गयी पर अपनी बेटी के पास खड़ा होने की वजह से वो पंडितजी से कुछ ना पूछ पायी की क्या -2 बात होती है उन दोनों के बीच ..


पंडित जी : और रही बात रितु की पढाई की तो तुम इसकी चिंता मत करो ..ये कोष में आने वाले पैसो से आगे की पढाई करेगी ..और तुम इसे मना मत करना, क्योंकि ऊपर वाले को यही मंजूर है की तुम्हारी बेटी आगे पड़े और तुम इसे एहसान मत समझना , जब भी तुम्हारे पास पैसे हो तो तुम कोष में डाल कर अपना ऋण उतार देना ..


पंडितजी की बात सुनकर माधवी की आँखों में आंसू आ गए और उसने आगे बढकर उनके पैर छु लिए ..पंडितजी ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी ब्रा को फील लिया और अपने हाथ को वहां रगड़कर उसके मांसल जिस्म का मजा लेने लगे ..

माधवी : रितु ...चल जल्दी से यहाँ आ ..पंडितजी के पैर छु ..इनके आशीर्वाद से अब तुझे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, तू आगे पड़ पाएगी ...


अपनी माँ की बात सुनकर रितु भी आगे आई और उसने झुककर पंडितजी के पैर छुए ..


आज पंडितजी ने पहली बार रितु को गौर से देखा था ..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे ..काफी दुबली थी वो ..अपनी माँ से एकदम विपरीत ..पंडितजी ने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके गले से नजरे हटा कर वापिस माधवी के छलकते हुए उरोजों का चक्षु चोदन करने लगे ..


पंडितजी का आशीर्वाद पाकर दोनों उठ खड़े हुए प्रसाद लेकर वापिस चल दिए ..

जाते-2 माधवी रितु को थोडा दूर छोड़कर वापिस आई और पंडितजी से धीरे से बोली : पंडितजी ..इन्होने जो भी आपसे हमारे बारे में बात की है उसके बारे में मैं आपसे विस्तार में बात करने कल दोपहर को आउंगी ..इसी समय ..


इतना कहकर वो चली गयी ..


पंडितजी मन ही मन खुश हो उठे ..पहले शीला और अब ये माधवी ..अगर ये भी मिल जाए तो उनके वारे न्यारे हो जायेंगे ..पर अभी तो उन्हें शीला का सेवन करना था जो अन्दर उनके कमरे में नंगी होकर उनका इन्तजार कर रही थी ..


चुदने के लिए .

पंडितजी वापिस अपने कमरे में आये तो देखा की शीला अभी तक बाथरूम में ही है .

उन्होंने अपने लिंग को धोती में ही मसला और अन्दर जाने के लिए जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो उन्होंने देखा की शीला नहाने के पश्चात अपना बदन पोंछ रही है और उसकी पीठ है उनकी तरफ और वो झुक कर अपनी जांघो और पैरों का पानी साफ़ कर रही है ..

उसकी इस मुद्रा में उभर कर बाहर निकल रही उसकी मोटी गांड बड़ी ही लुभावनी लग रही थी ..और ठीक उसके गुदा द्वार के नीचे उसकी चूत का द्वार भी ऊपर से नीचे की तरफ कटाव में दिख रहे होंठों की तरह दिखाई दे रही थी जिसमे से कुछ तो पानी की बूंदे और कुछ उसके अपने रस की बूंदे निकल कर बाहर आ रही थी ..

इतना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य पंडितजी की सहनशक्ति से बाहर था, उन्होंने झट से उसके पीछे झुक कर अपना मुंह दोनों जाँघों के बीच घुसेड दिया ..

शीला अपनी चूत पर हुए इस अचानकिये हमले से घबरा गयी पर पंडितजी की जिव्हा ने जब उसके रस से भरे सागर में डुबकी लगाई तो शीला के तन बदन में आग सी लग गयी ..वो मचल उठी ..और थोडा पीछे की तरफ होकर अपना भार पंडितजी के मुंह के ऊपर डाल दिया ..


''उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडितजी ....क्या करते हो ...बता तो दिया करो ..मेरी फुद्दी को ऐसे हमलों की आदत नहीं है ..''


पंडित : ''अरे शीला रानी ..अब तो ऐसे हमलों की आदत डाल लो ..मुझे हमला करके शिकार करने की ही आदत है ..ऐसे में शिकार को खाने का मजा दुगना हो जाता है ..जैसे अब हो गया है ..देखा तुम्हारी चूत में से कैसे रसीली चाशनी निकल कर मुझे तृप्त कर रही है ..''


पंडित ने अपने पैर आगे की तरफ कर लिए और खुद अपने चुतड गीले फर्श पर टिका कर बैठ गया ..उसने अपने हाथ ऊपर करके शीला के दो विशाल कलश पकड़ लिए और उनके बीच से रिस रहा अमृत अपने मुंह पर गिराकर उसका सेवन करने लगा ..

शीला ने भी अपना पूरा भार पंडित के चेहरे पर गिरा कर अपने आप को पंडितजी के मुंह पर विराजमान करवा लिया ..जैसे पंडित का मुंह नहीं कोई कुर्सी हो ..

पंडित जी की जीभ किसी सर्प की तरह शीला की शहद की डिबिया के अन्दर जाकर उसका पान कर रही थी ..और जब पंडितजी ने उसकी क्लिट को अपने होंठों के मोहपाश में बाँधा तो वो भाव विभोर होकर पंडित जी के मुख का चोदन करने लगी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....हाँ .....आप कितने निपुण है काम क्रिया में ...अह्ह्ह्ह्ह ऐसा एहसास तो मैंने आज तक नहीं पाया ...अह्ह्ह्ह ....और जोर से चुसो मुझे ...मुझे निगल जाओ ...पंडित ...जॆऎए .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''


और कुछ बोलने की हालत में नहीं बची बेचारी शीला ..पंडित ने उसकी क्लिट को अपने होंठों में नीम्बू की तरह से निचोड़ कर उसका रस पी लिया ...

शीला का शरीर कम्पन के साथ झड़ता हुआ उनके चेहरे पर अपना गीलापन उड़ेल कर शिथिल हो गया ..

पंडित जी ने अपने शरीर को नीचे के गीले फर्श पर पूरा बिछा दिया और शीला को घुमा कर अपनी तरफ किया ..और उसकी ताजा चुसी चूत को अपने लंड महाराज के सपुर्द करके उन्होंने एक सरल और तेज झटके के साथ उसके अन्दर प्रवेश कर लिया ..

शीला अभी तक अपने ओर्गास्म से उभर भी नहीं पायी थी की इस नए हमले से उसकी आँखे उबल कर फिर से बाहर आ गयी ..और सामने पाया पंडित जी को ..जो आनंद उसे आज पंडितजी ने दिया था अब उसका बदला उतारने का समय था ..उसने पंडितजी के रस से भीगे होंठो को अपने मुंह में भरा और उन्हें चूसकर अपने ही रस का स्वाद लेने लगी ..

नीचे से पंडित जी ने अपने लंड के धक्को से उसकी मोटी गांड की थिरकन और बड़ा दी ..अब तो उनके हर धक्के से उसका पूरा बदन हिल उठता और उसके स्तन पंडितजी के चेहरे पर पानी के गुब्बारों की तरह टकरा कर उन्हें और तेजी से चोदने का निमंत्रद देते ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह् शीला ....कितना चिकना है तुम्हारा शरीर ...मन तो करता है अपनी पूरी साधना तुम्हारे शरीर को समर्पित करते हुए करूँ .अह्ह्ह्ह्ह ......तुम्हारी फुद्दी को चूसकर मैंने तो आज अमृत को पी लिया हो जैसे ...अह्ह्ह्ह्ह बड़ा ही नशीला है तुम्हारा हर एक अंग ...और खासकर तुम्हारी ये चूचियां ...''

इतना कहकर पंडित ने उसकी चूचियां अपने मुख में डाली और उन्हें जोर-2 से चूसने लगा ..

पंडित जी को अपने शरीर की प्रशंसा करते पाकर वो मन ही मन खुश हो गयी और उसने भी पंडित को अपनी छातियों से नवजात शिशु की तरह से चिपका कर उन्हें अपना स्तनपान करवाने लगी ..और पंडित जी और तेजी से उसकी चूत का मर्दन अपने लिंग से करने लगे ..

गाडी पूरी चरम सीमा पर चल रही थी ..पंडित जी ने अपने रस को आखिरकार उसकी रसीली डिबिया में उड़ेल कर अपने लंड के नीचे लटकी गोटियों का भार थोडा कम किया ..

''अह्ह्ह्ह्ह शीला ......मजा आ गया ...सच में तुम काम की मूरत हो ..तुम जितने दिन तक इन सब से वंचित रही हो मैं उसकी भरपायी करूँगा और तुम्हे हर रोज दुगना मजा दिया करूँगा ...''

शीला पंडितजी की बात सुनकर आनंदित हो उठी और नीचे झुककर उसने पंडित जी के लिंग को अपने मुंह में भरकर पूरी तरह से साफ़ कर दिया ..और फिर दोनों मिलकर नहाए ..

और उसके बाद शीला ने अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से निकल कर जल्दी-2 अपने घर की तरफ चल दी .

और हमेशा की तरह उसे आज भी किसी ने जाते हुए नहीं देखा ..

रात को 9 बजे सभी कार्य से निवृत होकर पंडित जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे , पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई ..

वो समझ गए की गिरधर ही होगा ..ये समय उसके ही आने का होता था ..उन्होंने दरवाजा खोल दिया और गिरधर अन्दर आ गया ..उसकी सब्जी की रेहड़ी बाहर ही खड़ी थी . और हमेशा की तरह उसके हाथ में शराब की बोतल थी और कागज़ के लिफ़ाफ़े में कुछ नमकीन वगेरह ..

आज तो पंडित जी उसकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे ..दोनों अन्दर जाकर बैठ गए और गिरधर ने दो गिलास बनाए ..और दोनों ने पी डाले ..और उसके बाद दूसरा ..और फिर तीसरा ..

हमेशा की तरह गिरधर 2 गिलास पीने के बाद अपनी पत्नी माधवी के बारे में बोलने लगा ..

गिरधर : ''पंडित जी ..आप कितने सुखी हो ..अकेले रहते हो ..कोई टोकने वाला नहीं , घर ग्रहस्ती के बंधन से आजाद हो आप ..और मुझे देखो ..बीबी तो है पर उसका सुख नहीं ..साली ...अपने पास फटकने भी नहीं देती ..बोलती है ..बेटी बड़ी हो गयी है ...शराब पीकर मत आया करो ..अब ये सब शोभा नहीं देता ..अरे पंडित जी ..एक आदमी पूरा दिन कमाई करके जब घर आता है तो उसे दो ही चीज की तमन्ना होती है ..एक दारु और दूसरी, बीबी की चूत ...पर यहाँ तो साली दोनों के लिए मना करती है ..अब आप ही बताओ पंडित जी ..मैं क्या करूँ .''

अपने साथ पीछे की तरफ अपने कमरे में आने को कहा ..वो बिना किसी अवरोध के उनके पीछे चल दी, वो भी जानती थी की जो बातें उसे और पंडितजी को करनी है उनके बारे में मोहल्ले के किसी भी व्यक्ति को पता न चले ..इसलिए ऐसी बातें छुप कर करना ही लाभदायक है .


अपने कमरे में जाते ही पंडितजी अपने दीवान पर चोकड़ी मारकर बैठ गए ..माधवी हाथ जोड़े उनके छोटे से कमरे के अन्दर आई और उनके सामने जमीन पर पड़े हुए कालीन के ऊपर पालती मारकर, हाथ जोड़कर बैठ गयी ..


पंडितजी : ''ये लो माधवी ..रितु की पढाई के लिए पैसे ..''


पंडितजी ने सबसे पहले उसे पैसे इसलिए दिए ताकि वो उनकी किसी भी बात का विरोध करने की परिस्थिति में ना रहे ..

माधवी ने हाथ जोड़ कर वो पैसे अपने हाथ में ले लिए और अपने ब्लाउस में ठूस लिए ..

पंडितजी की चोदस निगाहें ऊपर आसन पर उसकी गहराईयों का अवलोकन कर रहे थे ..

माधवी : ''धन्यवाद पंडितजी ..आपका ये एहसान मैं कभी नहीं भुला पाऊँगी ..और मैं वादा करती हु की जल्दी ही ये सारे पैसे मैं वापिस कोष में डालकर अपना बोझ कम कर दूँगी ..''

पंडितजी :'' ठीक है माधवी ..मैं तो बस यही चाहता हु की रितु की पढाई में कोई बाधा ना आये ..''

वो अपने हाथ जोड़कर उनके सामने बैठी रही ..और थोड़ी देर चुप रहने के बाद वो धीरे से बोली : ''और ..और पंडितजी ..आप जो बात कल बोल रहे थे ..वो ..वो ..क्या कह रहे थे हमारे बारे में ..''


पंडित तो काफी देर से इसी बात की प्रतीक्षा में बैठा था की कब माधवी उस बात का जिक्र करेगी .... उसकी बात सुनकर वो धीरे से मुस्कुराए ..


पंडितजी : ''देखो माधवी ..वैसे तो मुझे किसी के ग्रहस्त जीवन में बोलने का कोई हक नहीं है ..पर मैं गिरधर को अपने मित्र की तरह मानता हु ..और वो भी मुझे अपने मित्र की तरह मानकर अपनी परेशानियां मुझे बेझिझक सुना देता है ..अब कल की ही बात ले लो ..रात को आकर मुझे बोल रहा था की तुम उसे अपने जिस्म को हाथ नहीं लगाने देती हो ..और पिछले 1 महीने से तो उसने तुम्हारा चुम्बन भी नहीं लिया ..''

माधवी शर्म से गड़ी जा रही थी पंडितजी के मुंह से अपने बारे में ये सब बातें सुनकर ..

पंडित ने आगे कहा : ''देखो माधवी ..तुम चाहे जो भी कहो, है तो आखिर वो तुम्हारा पति ही न ..और पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध उनके साथ रहने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं ..हर इंसान चाहता है की उसकी पत्नी मानसिक और शारीरिक रूप से उसे पूरा प्यार दे ..और अगर तुम ये सब नहीं करोगी तो उसका मन भटक जाएगा ..वो बाहर जाकर शारीरिक सुख को पाने का प्रयत्न करेगा ..और ये तुम्हारे संबंधो के लिए हानिकारक हो सकता है ..''


माधवी काफी देर तक पंडितजी की बातें प्रवचन सुनती रही ..और आखिर में वो बोल ही पड़ी : ''पंडितजी ..आपने सिर्फ उनकी बातें ही सुनी है ..और मुझे दोषी बना डाला .. ''


पंडितजी : ''तो बताओ न मुझे ...क्या परेशानी है तुम्हे ..क्यों तुम ऐसा बर्ताव करती हो गिरधर के साथ ..देखो माधवी ..तुम मुझे भी अपना मित्र समझो और मुझे सब कुछ बता दो ..ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी ..इतना तो विशवास कर ही सकती हो तुम मुझपर ..''


कहते-2 पंडित जी ने आगे झुककर माधवी के कंधे पर हाथ रख दिया जैसे वो उसके शरोर को छुकर अपना भरोसा प्रकट करना चाहते हो ..और मौके का फायेदा उठाकर उन्होंने उसके नंगे कंधे के मांसल हिस्से को धीरे-2 सहलाना शुरू कर दिया ..


माधवी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया ,उसकी आँखों में आंसू थे ..: ''पंडित जी ..जिस दिन से इन्हें शराब पीने की लत लगी है, वो अपने आपे में नहीं रहते ..उन्होंने आपको ये तो बता दिया की मैंने एक महीने से उन्हें अपने पास नहीं आने दिया, पर ये नहीं बताया होगा की उन्होंने क्या हरकत की थी जिसकी वजह से मैंने वो सब किया ..


क्रमशः

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RE: भोली भाली शीला और पंडित जी - by RangilaRaaj - 31-07-2023, 11:48 AM



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