26-07-2023, 10:52 AM
Update 14
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माँ-बेटी को चोदने की इच्छा[/centre]
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा:
हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया।
अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है..
तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया?
तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है।
तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा?
अब आगे..
तो बोली- बहुत सालों पहले मेरी सहेली ने मुझे बताया था कि उसका पति उसे बाथटब में जब चोदता है.. तो उसे बहुत अच्छा लगता है.. उसने मुझे कई बार ट्राई करने के लिए भी बोला.. पर मेरे पति ऐसे हैं कि उन्होंने आज तक मेरी ये इच्छा कभी पूरी नहीं की और जब भी मैं ज्यादा कहती तो लड़ाई हो जाती थी… तो मैंने भी कहना छोड़ दिया था.. पर क्या अब तुम मेरी इस इच्छा को पूरा कर सकते हो…? मैं अनुभव लेना चाहती हूँ कि पानी के अन्दर चुदाई करने में कैसा आनन्द आता है.. क्योंकि ये मैंने सिर्फ अभी तक अपनी सहेली से ही सुना है। आज मैं तुम्हारे साथ ये करना चाहती हूँ.. क्या तुम करोगे?
तो मैंने भी देर न करते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे प्यार से चूमने लगा।
माया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी करीब 10 मिनट तक हमने एक-दूसरे को जम कर चूसा।
फिर माया बोली- रुको यार पानी देख लूँ.. अब तक गर्म हो गया होगा..
ठीक वैसा ही हुआ.. पानी अच्छा-खासा गर्म हो चुका था..
फिर उसने बाथटब में पानी मिक्स किया और मेरी तरफ आकर उसने मुझे पहले जाने का इशारा किया।
तो मैं भी उस टब में जाकर बैठ गया फिर माया ने थोड़ा सा शावर जैल.. टब में डाला और आकर मेरी ओर मुँह करके मेरी बाँहों में आकर मुझे प्यार चूमने-चाटने लगी।
यार कितना मज़ा आ रहा था.. मैं उस अनुभव को शब्दों में पिरोने में नाकाम सा हूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है कि मैं उसके बारे में किस शब्द का इस्तेमाल करूँ।
उसकी इस हरकत से मेरे तन-बदन में एक बार फिर से सुरसुरी सी दौड़ गई और मेरे हाथ अपने आप उसकी पीठ पर चलने लगे।
मैं हल्के हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके नितम्ब तक हाथ ले जाने लगा..
जिससे माया को भी अच्छा लगने लगा और अब वो मुझे बहुत तेज गति के साथ चूमने-चाटने लगी थी।
उसकी तेज़ चलती साँसें.. उसके कामुक होने का साफ़ संकेत देने लगी थीं और मेरा लौड़ा भी अकड़ कर उसके पेट पर चुभने लगा था।
उसके पेट के कोमल अहसास से ऐसा लग रहा था जैसे कुछ देर और ऐसे ही चलता रहा तो मेरा लौड़ा अपने-आप अपना पानी छोड़ देगा।
फिर धीरे से मैंने उसके कन्धों को पकड़ा और अपने नीचे करके उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसते-चूसते उसके चूचों को रगड़ने लगा..
जिससे माया भी कसमसाने लगी और उसे तड़पते हुए देखकर पता नहीं क्यों मुझे और आनन्द आने लगता था।
मैंने उससे थोड़ा ऊपर की ओर उठने को बोला.. ताकि मैं आराम से उसकी चूचियों का रस चूस सकूँ।
तो माया ने अपना ऊपरी हिस्सा थोड़ा एडजस्ट किया और मैंने तुरंत लपक कर उसके एक चूचे को मुँह में भर लिया और दूसरे कबूतर को हाथों से मलने लगा।
जिससे माया के ऊपर एक बार फिर से मस्ती छाने लगी और तेज़ स्वर से सिसकारी ‘सस्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह’ लेते हुए बोलने लगी- ररराहुल सच में.. मैं आज बहुत खुश हूँ.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू..
साथ ही उसने मेरे लौड़े को भी अपने हाथों में भर लिया और उसे सहलाते हुए कहने लगी- प्लीज़ अब और न तड़पा.. मुझे देखो मेरा राजाबाबू भी अंगड़ाइयाँ ले रहा है.. अन्दर जाने के लिए..
तो मैंने भी देर न करते हुए अपने लौड़े को उसकी चूत में सैट किया.. पर सही से कुछ हो नहीं पा रहा था..
जिसे माया ने भांप लिया और अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और जब तक वो उसकी चूत के अन्दर चला नहीं गया तब तक वो वैसे ही पकड़े रही।
यार सच में काफी अच्छा अनुभव था।
फिर मैंने भी धीरे-धीरे से उसे चोदना चालू किया..
जिससे थोड़ी देर बाद माया की आँखें भारी हो गईं और उसके मुख से ‘आआह्ह्ह म्म्म्म आआह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह’ की आवाजें निकलने लगीं..
अब मेरा भी जोश दुगना हो गया और मैं भी उसे बहुत सधे हुए तरीके से तेज़-तेज़ धक्के देकर चोदने लगा जिससे पूरे बाथरूम में पानी के कारण ‘फच फच्च’ का संगीत गुंजायमान होने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे पानी में दो मगरमच्छ भिड़ रहे हों..
फिर थोड़ी देर बाद उसे मैंने अपने ऊपर ले लिया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लौड़े उसकी चूत पर टिकाया और हल्का सा अन्दर को दाब दी..
पर पानी की वजह से लौड़ा फिसल गया.. शायद ये शावर जैल का कमाल था..
उसने फिर से अपने हाथों से लौड़ा पकड़ा और एक ही झटके में मेरे ऊपर बैठ गई.. जिससे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ठन्ड में रज़ाई का काम होता है.. ठीक वैसे ही उसकी चूत मेरे लौड़े पर अपनी गर्मी बरसा रही थी।
यह काफी आनन्ददायक आसन था और मैं जोश में भरकर उसके टिप्पों को नोंचने और रगड़ने लगा.. जिससे उसकी दर्द भरी मादक ‘आआआह’ निकलने लगी।
थोड़ी देर में ही मैंने महसूस किया मेरे लौड़े पर उसकी चूत ने बारिश कर दी और देखते ही देखते वो आँखें बंद करके मेरी बाँहों में सिकुड़ गई.. जैसे उसमें दम ही न बची हो।
अब वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे सीने पर चुम्बन करने लगी..
पर मेरी बरसात होनी अभी बाकी थी..
तो मैंने धीरे से उसके नितम्ब को थोड़ा सा ऊपर उठाया ताकि मैं अपने सामान को नीचे से ही आराम से उसकी चूत में पेल सकूँ..
माया भी बहुत खुश थी उसने बिना देर लगाए.. वैसा ही किया तो मैंने धीरे-धीरे कमर उठा-उठा कर उसकी ठुकाई चालू कर दी.. जिससे उसकी चूत फिर से पनियाने लगी और मेरा सामान एक बार फिर से आनन्द रस के सागर में गोते लगाने लगा।
माया के मुँह से भी चुदासी लौन्डिया जैसी आवाज़ निकलने लगी।
‘आअह्ह्ह्ह आआह बहुत अच्छा लग रहा है जान.. आई लव यू ऐसे ही करते रहो.. दे दो मुझे अपना सब कुछ.. आआआहह आआअह म्मम्म..’
मैं भी बुदबुदाते हुए बोलने लगा- हाँ जान.. तुम्हारा ही है ये.. तुम बस मज़े लो..
और ऐसे ही देखते ही देखते हम दोनों की एक तेज ‘अह्ह्ह’ के साथ-साथ माया और मेरे सामान का पानी छूटने लगा और हम दोनों इतना थक गए कि उठने की हिम्मत ही न बची थी।
कुछ देर माया मेरी बाँहों में जकड़ी हुई ऐसे लेटी रही.. जैसे कि उसमें जान ही न बची हो।
फिर मैंने धीरे से उसे उठाया और दोनों ने शावर लिया और एक-दूसरे के अंगों को पोंछ कर कमरे में आ गए।
मुझे और माया दोनों को ही काफी थकान आ गई थी तो मैंने माया को लिटाया और उससे चाय के लिए पूछा तो उसने ‘हाँ’ बोला।
यार.. कुछ भी बोलो पर मुझे चाय पीने का बहाना चाहिए रहता है बस..
फिर मैं रसोई में गया और उसके और अपने लिए एक अच्छी सी अदरक वाली चाय बना ली और हम दोनों ने साथ-साथ चाय की चुस्कियों का आनन्द लिया।
कुछ देर में हम दोनों की थकान मिट गई और उस रात हमने कई बार चुदाई की..
जो कि सुबह के 7 बजे तक चली..
ऐसा लग रहा था जैसे हमारी सुहागरात हो..
हम दोनों की जांघें दर्द से भर गई थीं तो मैंने और उसने एक-एक दर्द निवारक गोली खाई और एक-दूसरे को बाँहों में लेकर प्यार करते हुए कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला।
आगे की कहानी के लिए थोड़ा इंतज़ार करें जल्द ही अगली कहानी का भाग आएगा।
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माँ-बेटी को चोदने की इच्छा[/centre]
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा:
हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया।
अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है..
तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया?
तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है।
तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा?
अब आगे..
तो बोली- बहुत सालों पहले मेरी सहेली ने मुझे बताया था कि उसका पति उसे बाथटब में जब चोदता है.. तो उसे बहुत अच्छा लगता है.. उसने मुझे कई बार ट्राई करने के लिए भी बोला.. पर मेरे पति ऐसे हैं कि उन्होंने आज तक मेरी ये इच्छा कभी पूरी नहीं की और जब भी मैं ज्यादा कहती तो लड़ाई हो जाती थी… तो मैंने भी कहना छोड़ दिया था.. पर क्या अब तुम मेरी इस इच्छा को पूरा कर सकते हो…? मैं अनुभव लेना चाहती हूँ कि पानी के अन्दर चुदाई करने में कैसा आनन्द आता है.. क्योंकि ये मैंने सिर्फ अभी तक अपनी सहेली से ही सुना है। आज मैं तुम्हारे साथ ये करना चाहती हूँ.. क्या तुम करोगे?
तो मैंने भी देर न करते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे प्यार से चूमने लगा।
माया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी करीब 10 मिनट तक हमने एक-दूसरे को जम कर चूसा।
फिर माया बोली- रुको यार पानी देख लूँ.. अब तक गर्म हो गया होगा..
ठीक वैसा ही हुआ.. पानी अच्छा-खासा गर्म हो चुका था..
फिर उसने बाथटब में पानी मिक्स किया और मेरी तरफ आकर उसने मुझे पहले जाने का इशारा किया।
तो मैं भी उस टब में जाकर बैठ गया फिर माया ने थोड़ा सा शावर जैल.. टब में डाला और आकर मेरी ओर मुँह करके मेरी बाँहों में आकर मुझे प्यार चूमने-चाटने लगी।
यार कितना मज़ा आ रहा था.. मैं उस अनुभव को शब्दों में पिरोने में नाकाम सा हूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है कि मैं उसके बारे में किस शब्द का इस्तेमाल करूँ।
उसकी इस हरकत से मेरे तन-बदन में एक बार फिर से सुरसुरी सी दौड़ गई और मेरे हाथ अपने आप उसकी पीठ पर चलने लगे।
मैं हल्के हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके नितम्ब तक हाथ ले जाने लगा..
जिससे माया को भी अच्छा लगने लगा और अब वो मुझे बहुत तेज गति के साथ चूमने-चाटने लगी थी।
उसकी तेज़ चलती साँसें.. उसके कामुक होने का साफ़ संकेत देने लगी थीं और मेरा लौड़ा भी अकड़ कर उसके पेट पर चुभने लगा था।
उसके पेट के कोमल अहसास से ऐसा लग रहा था जैसे कुछ देर और ऐसे ही चलता रहा तो मेरा लौड़ा अपने-आप अपना पानी छोड़ देगा।
फिर धीरे से मैंने उसके कन्धों को पकड़ा और अपने नीचे करके उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसते-चूसते उसके चूचों को रगड़ने लगा..
जिससे माया भी कसमसाने लगी और उसे तड़पते हुए देखकर पता नहीं क्यों मुझे और आनन्द आने लगता था।
मैंने उससे थोड़ा ऊपर की ओर उठने को बोला.. ताकि मैं आराम से उसकी चूचियों का रस चूस सकूँ।
तो माया ने अपना ऊपरी हिस्सा थोड़ा एडजस्ट किया और मैंने तुरंत लपक कर उसके एक चूचे को मुँह में भर लिया और दूसरे कबूतर को हाथों से मलने लगा।
जिससे माया के ऊपर एक बार फिर से मस्ती छाने लगी और तेज़ स्वर से सिसकारी ‘सस्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह’ लेते हुए बोलने लगी- ररराहुल सच में.. मैं आज बहुत खुश हूँ.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू..
साथ ही उसने मेरे लौड़े को भी अपने हाथों में भर लिया और उसे सहलाते हुए कहने लगी- प्लीज़ अब और न तड़पा.. मुझे देखो मेरा राजाबाबू भी अंगड़ाइयाँ ले रहा है.. अन्दर जाने के लिए..
तो मैंने भी देर न करते हुए अपने लौड़े को उसकी चूत में सैट किया.. पर सही से कुछ हो नहीं पा रहा था..
जिसे माया ने भांप लिया और अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और जब तक वो उसकी चूत के अन्दर चला नहीं गया तब तक वो वैसे ही पकड़े रही।
यार सच में काफी अच्छा अनुभव था।
फिर मैंने भी धीरे-धीरे से उसे चोदना चालू किया..
जिससे थोड़ी देर बाद माया की आँखें भारी हो गईं और उसके मुख से ‘आआह्ह्ह म्म्म्म आआह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह’ की आवाजें निकलने लगीं..
अब मेरा भी जोश दुगना हो गया और मैं भी उसे बहुत सधे हुए तरीके से तेज़-तेज़ धक्के देकर चोदने लगा जिससे पूरे बाथरूम में पानी के कारण ‘फच फच्च’ का संगीत गुंजायमान होने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे पानी में दो मगरमच्छ भिड़ रहे हों..
फिर थोड़ी देर बाद उसे मैंने अपने ऊपर ले लिया और उसके होंठों को चूसते हुए अपने लौड़े उसकी चूत पर टिकाया और हल्का सा अन्दर को दाब दी..
पर पानी की वजह से लौड़ा फिसल गया.. शायद ये शावर जैल का कमाल था..
उसने फिर से अपने हाथों से लौड़ा पकड़ा और एक ही झटके में मेरे ऊपर बैठ गई.. जिससे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ठन्ड में रज़ाई का काम होता है.. ठीक वैसे ही उसकी चूत मेरे लौड़े पर अपनी गर्मी बरसा रही थी।
यह काफी आनन्ददायक आसन था और मैं जोश में भरकर उसके टिप्पों को नोंचने और रगड़ने लगा.. जिससे उसकी दर्द भरी मादक ‘आआआह’ निकलने लगी।
थोड़ी देर में ही मैंने महसूस किया मेरे लौड़े पर उसकी चूत ने बारिश कर दी और देखते ही देखते वो आँखें बंद करके मेरी बाँहों में सिकुड़ गई.. जैसे उसमें दम ही न बची हो।
अब वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे सीने पर चुम्बन करने लगी..
पर मेरी बरसात होनी अभी बाकी थी..
तो मैंने धीरे से उसके नितम्ब को थोड़ा सा ऊपर उठाया ताकि मैं अपने सामान को नीचे से ही आराम से उसकी चूत में पेल सकूँ..
माया भी बहुत खुश थी उसने बिना देर लगाए.. वैसा ही किया तो मैंने धीरे-धीरे कमर उठा-उठा कर उसकी ठुकाई चालू कर दी.. जिससे उसकी चूत फिर से पनियाने लगी और मेरा सामान एक बार फिर से आनन्द रस के सागर में गोते लगाने लगा।
माया के मुँह से भी चुदासी लौन्डिया जैसी आवाज़ निकलने लगी।
‘आअह्ह्ह्ह आआह बहुत अच्छा लग रहा है जान.. आई लव यू ऐसे ही करते रहो.. दे दो मुझे अपना सब कुछ.. आआआहह आआअह म्मम्म..’
मैं भी बुदबुदाते हुए बोलने लगा- हाँ जान.. तुम्हारा ही है ये.. तुम बस मज़े लो..
और ऐसे ही देखते ही देखते हम दोनों की एक तेज ‘अह्ह्ह’ के साथ-साथ माया और मेरे सामान का पानी छूटने लगा और हम दोनों इतना थक गए कि उठने की हिम्मत ही न बची थी।
कुछ देर माया मेरी बाँहों में जकड़ी हुई ऐसे लेटी रही.. जैसे कि उसमें जान ही न बची हो।
फिर मैंने धीरे से उसे उठाया और दोनों ने शावर लिया और एक-दूसरे के अंगों को पोंछ कर कमरे में आ गए।
मुझे और माया दोनों को ही काफी थकान आ गई थी तो मैंने माया को लिटाया और उससे चाय के लिए पूछा तो उसने ‘हाँ’ बोला।
यार.. कुछ भी बोलो पर मुझे चाय पीने का बहाना चाहिए रहता है बस..
फिर मैं रसोई में गया और उसके और अपने लिए एक अच्छी सी अदरक वाली चाय बना ली और हम दोनों ने साथ-साथ चाय की चुस्कियों का आनन्द लिया।
कुछ देर में हम दोनों की थकान मिट गई और उस रात हमने कई बार चुदाई की..
जो कि सुबह के 7 बजे तक चली..
ऐसा लग रहा था जैसे हमारी सुहागरात हो..
हम दोनों की जांघें दर्द से भर गई थीं तो मैंने और उसने एक-एक दर्द निवारक गोली खाई और एक-दूसरे को बाँहों में लेकर प्यार करते हुए कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला।
आगे की कहानी के लिए थोड़ा इंतज़ार करें जल्द ही अगली कहानी का भाग आएगा।