19-07-2023, 09:03 AM
Update. 5
थी और ना ही कभी रुख्सआना ने ऐसे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल किया था। रुखसाना को बिल्कुल भी बुरा या अजीब नहीं लगा बल्कि सुनील के मुँह से अपनी चूत की इस तरह तारीफ़ सुनकर वो गुदगुदा गयी थी। "ऊँम्म... खुदा के लिये ऐसी बातें ना कर सुनील!" रुखसाना मस्ती में बंद आँखें किये हुए लड़खड़ाती ज़ुबान में बोली।
"क्यों ना करूँ भाभी... ऐसी बातें सुन कर ही तो चुदाई का मज़ा आता है..!" सुनील ने अपने लंड के सुपाड़ा से रुखसाना की चूत की फ़ाँकों के बीच में रगड़ा तो रुखसाना को ऐसा लगा जैसे उसका दिल अभी धड़कना बंद कर देगा। "उफ़्फ़्फ़...!" सुनील के मुँह से निकला और उसने अपने लंड के सुपाड़े को ठीक रुखसाना की चूत के ऊपर रखा और उसके ऊपर झुकते हुए उसके गालों को चूमा। "सीईईई...." रुखसाना के तो रोम-रोम में मस्ती की लहर दौड़ गयी। फिर सुनील उसके गालों को चूमते हुए रुखसाना के होंठों पर आ गया। सुनील उसके होंठों को एक बार फिर से अपने होंठों में लेकर चूमने वाला था... ये सोचते ही रुखसाना की चूत फुदकने लगी... लंड को जैसे अंदर लेने के लिये मचल रही हो। फिर तो जैसे सुनील उसके होंठों पर टूट पड़ा और उसके होंठों को चूसने लगा। सुनील से अपने होंठ चुसवाने में और उसकी ज़ुबान के अपनी ज़ुबान के साथ गुथमगुथा होने से रुखसाना को इस कदर लुत्फ़ मिल रहा था कि वो बेहाल होकर सुनील से लिपटती चली गयी। इसी दौरान सुनील का लंड भी धीरे-धीरे रुख़साना की चूत की गहराइयों में उतरता चला गया। जैसे ही सुनील का लंड रुखसाना की चूत के गहराइयों में उतरा तो उसने रुखसाना के होंठों को छोड़ दिया और झुक कर उसके दांये मम्मे के निप्पल को मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। रुखसाना एक दम मस्त हो गयी और उसकी बाँहें सुनील की पीठ पर थिरकने लगी। सुनील पिछली रात की तरह जल्दबाज़ी में नहीं था। वो कभी रुखसाना के होंठों को चूसता तो कभी उसके मम्मों को! उसने रुखसाना के निप्पलों को निचोड़-निचोड़ कर लाल कर दिया।
रुखसाना के होंठों में भी सरसराहट होने लगी थी और जब सुनील उसके होंठों को चूसना छोड़ता तो खून का दौरा उसके होंठों में तेज हो जाता और तेज सरसराहट होने लगती। रुखसाना का दिल करता कि सुनील उसके होंठों को चूमता ही रहे... उसकी ज़ुबान को अपने मुँह में ले कर सुनील चूसता ही रहे..! रुक़साना की दोनों चूचियों और निप्पलों का भी यही हाल था लेकिन सुनील के लिये उसके होंठों और दोनों चूचियों और निप्पलों को एक वक़्त में एक साथ चूसना तो मुमकिन नहीं था। नीचे रुखसाना की फुद्दी भी फुदफुदा रही थी। रुखसाना इतनी मस्त हो गयी थी कि उसकी फुद्दी सुनील के लंड पे ऐंठने लगी जबकि अभी तक सुनील ने एक भी बार अपने मूसल लंड से उसकी चूत में वार नहीं किया था। वो रुखसाना की चूत में लंड घुसाये हुए उसके मम्मों और होंठों को बारी-बारी चूस रहा था और रुखसाना मस्ती में आँखें बंद किये हुए सिसकती रही और फिर उसकी चूत के सब्र का बाँध टूट गया। रुखसाना काँपते हुए झड़ने लगी पर सुनील तो अभी भी उसके मम्मों और होंठों का स्वाद लेने में ही मगन था। सुनील को भी एहसास हो गया था कि रुखसाना फिर झड़ चुकी है।
फिर सुनील उठा और घुटनों के बल बैठ गया और अपने लंड को सुपाड़े तक रुखसाना की चूत से बाहर निकाल-निकाल कर अंदर बाहर करने लगा। लंड चूत के पानी से चिकना होकर ऐसे अंदर जाने लगा जैसे मक्खन में गरम छुरी। "भाभी देखो ना आपकी चूत मेरे लंड को कैसे चूस रही है..... आहहह देखो ना..!" रुकसाना उसके मुँह से फिर ऐसे अल्फ़ाज़ सुनकर फिर मस्ती में भर गयी। वो पूरी रोशनी में सुनील के सामने अपनी टाँगें फैलाये हुए एक दम नंगी होकर उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी और सुनील उसकी चूत में अपने लंड को अंदर-बाहर कर रहा था। "आहहह देखो ना भाभी... आपकी चूत कैसे मेरे लंड को चूम रही है... देखो आहहह सच भाभी आपकी चूत बहुत गरम है!" सुनील झटके मारते हुए बोले जा रहा था।
रुखसाना की पहाड़ की चोटियों की तरह तनी हुई गुदाज़ चूचियाँ सुनील के धक्कों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। "ऊँऊँहह सुनील... मेरे दिलबर ऐसी बातें ना कर... मुझे शर्म आती है!" रुखसाना की बात सुनकर सुनील ने दो तीन जोरदार झटके मारे और अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया। "देखो ना भाभी... आपकी चूत की गरमी ने मेरे लंड के टोपे को लाल कर दिया है!" सुनील की ये बात सुनकर रुखसाना मस्ती में और मचल गयी। रुखसाना ने अपनी मस्ती और नशे से भरी हुई आँखों से नीचे सुनील की रानों की तरफ़ नज़र डाली तो उसे सुनील के लंड का सुपाड़ा नज़र आया जो किसी टमाटर की तरह फूला हुआ एक दम लाल हो रखा था। रुखसाना मन ही मन सोचने लगी कि सच में चूत के गरमी से उसके लंड का टोपा लाल हो सकता है..!
थी और ना ही कभी रुख्सआना ने ऐसे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल किया था। रुखसाना को बिल्कुल भी बुरा या अजीब नहीं लगा बल्कि सुनील के मुँह से अपनी चूत की इस तरह तारीफ़ सुनकर वो गुदगुदा गयी थी। "ऊँम्म... खुदा के लिये ऐसी बातें ना कर सुनील!" रुखसाना मस्ती में बंद आँखें किये हुए लड़खड़ाती ज़ुबान में बोली।
"क्यों ना करूँ भाभी... ऐसी बातें सुन कर ही तो चुदाई का मज़ा आता है..!" सुनील ने अपने लंड के सुपाड़ा से रुखसाना की चूत की फ़ाँकों के बीच में रगड़ा तो रुखसाना को ऐसा लगा जैसे उसका दिल अभी धड़कना बंद कर देगा। "उफ़्फ़्फ़...!" सुनील के मुँह से निकला और उसने अपने लंड के सुपाड़े को ठीक रुखसाना की चूत के ऊपर रखा और उसके ऊपर झुकते हुए उसके गालों को चूमा। "सीईईई...." रुखसाना के तो रोम-रोम में मस्ती की लहर दौड़ गयी। फिर सुनील उसके गालों को चूमते हुए रुखसाना के होंठों पर आ गया। सुनील उसके होंठों को एक बार फिर से अपने होंठों में लेकर चूमने वाला था... ये सोचते ही रुखसाना की चूत फुदकने लगी... लंड को जैसे अंदर लेने के लिये मचल रही हो। फिर तो जैसे सुनील उसके होंठों पर टूट पड़ा और उसके होंठों को चूसने लगा। सुनील से अपने होंठ चुसवाने में और उसकी ज़ुबान के अपनी ज़ुबान के साथ गुथमगुथा होने से रुखसाना को इस कदर लुत्फ़ मिल रहा था कि वो बेहाल होकर सुनील से लिपटती चली गयी। इसी दौरान सुनील का लंड भी धीरे-धीरे रुख़साना की चूत की गहराइयों में उतरता चला गया। जैसे ही सुनील का लंड रुखसाना की चूत के गहराइयों में उतरा तो उसने रुखसाना के होंठों को छोड़ दिया और झुक कर उसके दांये मम्मे के निप्पल को मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। रुखसाना एक दम मस्त हो गयी और उसकी बाँहें सुनील की पीठ पर थिरकने लगी। सुनील पिछली रात की तरह जल्दबाज़ी में नहीं था। वो कभी रुखसाना के होंठों को चूसता तो कभी उसके मम्मों को! उसने रुखसाना के निप्पलों को निचोड़-निचोड़ कर लाल कर दिया।
रुखसाना के होंठों में भी सरसराहट होने लगी थी और जब सुनील उसके होंठों को चूसना छोड़ता तो खून का दौरा उसके होंठों में तेज हो जाता और तेज सरसराहट होने लगती। रुखसाना का दिल करता कि सुनील उसके होंठों को चूमता ही रहे... उसकी ज़ुबान को अपने मुँह में ले कर सुनील चूसता ही रहे..! रुक़साना की दोनों चूचियों और निप्पलों का भी यही हाल था लेकिन सुनील के लिये उसके होंठों और दोनों चूचियों और निप्पलों को एक वक़्त में एक साथ चूसना तो मुमकिन नहीं था। नीचे रुखसाना की फुद्दी भी फुदफुदा रही थी। रुखसाना इतनी मस्त हो गयी थी कि उसकी फुद्दी सुनील के लंड पे ऐंठने लगी जबकि अभी तक सुनील ने एक भी बार अपने मूसल लंड से उसकी चूत में वार नहीं किया था। वो रुखसाना की चूत में लंड घुसाये हुए उसके मम्मों और होंठों को बारी-बारी चूस रहा था और रुखसाना मस्ती में आँखें बंद किये हुए सिसकती रही और फिर उसकी चूत के सब्र का बाँध टूट गया। रुखसाना काँपते हुए झड़ने लगी पर सुनील तो अभी भी उसके मम्मों और होंठों का स्वाद लेने में ही मगन था। सुनील को भी एहसास हो गया था कि रुखसाना फिर झड़ चुकी है।
फिर सुनील उठा और घुटनों के बल बैठ गया और अपने लंड को सुपाड़े तक रुखसाना की चूत से बाहर निकाल-निकाल कर अंदर बाहर करने लगा। लंड चूत के पानी से चिकना होकर ऐसे अंदर जाने लगा जैसे मक्खन में गरम छुरी। "भाभी देखो ना आपकी चूत मेरे लंड को कैसे चूस रही है..... आहहह देखो ना..!" रुकसाना उसके मुँह से फिर ऐसे अल्फ़ाज़ सुनकर फिर मस्ती में भर गयी। वो पूरी रोशनी में सुनील के सामने अपनी टाँगें फैलाये हुए एक दम नंगी होकर उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी और सुनील उसकी चूत में अपने लंड को अंदर-बाहर कर रहा था। "आहहह देखो ना भाभी... आपकी चूत कैसे मेरे लंड को चूम रही है... देखो आहहह सच भाभी आपकी चूत बहुत गरम है!" सुनील झटके मारते हुए बोले जा रहा था।
रुखसाना की पहाड़ की चोटियों की तरह तनी हुई गुदाज़ चूचियाँ सुनील के धक्कों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। "ऊँऊँहह सुनील... मेरे दिलबर ऐसी बातें ना कर... मुझे शर्म आती है!" रुखसाना की बात सुनकर सुनील ने दो तीन जोरदार झटके मारे और अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया। "देखो ना भाभी... आपकी चूत की गरमी ने मेरे लंड के टोपे को लाल कर दिया है!" सुनील की ये बात सुनकर रुखसाना मस्ती में और मचल गयी। रुखसाना ने अपनी मस्ती और नशे से भरी हुई आँखों से नीचे सुनील की रानों की तरफ़ नज़र डाली तो उसे सुनील के लंड का सुपाड़ा नज़र आया जो किसी टमाटर की तरह फूला हुआ एक दम लाल हो रखा था। रुखसाना मन ही मन सोचने लगी कि सच में चूत के गरमी से उसके लंड का टोपा लाल हो सकता है..!