15-07-2023, 04:35 PM
Part 3
सामने कुर्सी पर बैठ गया और रुखसाना भी बेड पर टाँगें नीचे लटका कर बैठ गयी। दोनों ने इधर उधर की बात की। इस दौरान सुनील ने रुख्सना से पूछा, "भाभी अब आपकी कमर का दर्द कैसा है?"
रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, "अरे अब तो मैं बिल्कुल ठीक हूँ... कल तूने इतनी अच्छी मालिश जो की थी!"
अपना शर्बत का खाली गिलास साइड टेबल पे रखते हुए सुनील उससे बोला, "भाभी आप उल्टी लेट जाओ... मैं एक बार और बाम से आपकी मालिश कर देता हूँ...!"
रुखसाना मना किया कि, "नहीं सुनील! मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ..!" लेकिन सुनील भी फिर इसरार करते हुए बोला, "भाभी आप मेरे लिये इतना कुछ करती है... मैं क्या आपके लिये इतना भी नहीं कर सकता... चलिये लेट जाइये!"
रुखसाना सुनील के बात टाल ना सकी और अपना खाली गिलास टेबल पे रखते हुए बोली, "अच्छा बाबा... तू मानेगा नहीं... लेटती हूँ... पहले सैंडल तो खोल के उतार दूँ!"
"सैंडल खोलने की जरूरत नहीं है भाभी... इतने खूबसूरत सैंडल आपके हसीन गोरे पैरों की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ा रहे हैं... आप ऐसे ही लेट जाइये!" सुनील किसी बच्चे की तरह मचलते हुए बोला तो रुखसान को हंसी आ गयी और वो उसकी बात मान कर बेड पर लेट गयी। क्योंकि आज उसने साड़ी पहनी हुई थी इसलिये उसकी कमर पीछे से सुनील की आँखों के सामने थी। सुनील ने बाम को पहले अपनी उंगलियों पर लगाया और रुखसाना की कमर को दोनों हाथों से मालिश करना शुरू कर दिया। "एक बात बता सुनील! तुझे मेरा ऊँची हील वाले सैंडल काफ़ी पसंद है ना?" रुखसाना ने पूछा तो इस बार सुनील का चेहरा शरम से लाल हो गया। वो झेंपते हुए बोला, "जी... जी भाभी आप सही कह रही हैं... आपको अजीब लगेगा लेकिन मुझे लेडिज़ के पैरों में हाई हील वाले सैडल बेहद अट्रैक्टिव लगते हैं... और संयोग से आप तो हमेशा हाई हील की सैंडल या चप्पल पहने रहती हैं!"
"अरे इसमें शर्माने वाली क्या बात है... और मुझे बिल्कुल अजीब नहीं लगा... मैं तेरे जज़्बात समझती हूँ... कुछ कूछ होता है... है ना?" रुखसाना हंसते हुए हुए बोली। सुनील के हाथों की मालिश से पिछले दिन की तरह ही बेहद मज़ा आ रहा था। सुनील के हाथ अब धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ बढ़ने लगे। रुखसाना को मज़ाक के मूड में देख कर सुनील भी हिम्मत करते हुए बोला, "भाभी... आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है एक दम मुलायम... भाभी आप अपनी साड़ी थोड़ा नीचे सरका दो... पूरी कमर पे नीचे तक अच्छे से मालिश हो जायेगी और साड़ी भी गंदी नहीं होगी।" रुखसाना ने थोड़ा शर्माते हुए अपनी साड़ी में हाथ डाला और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट और साड़ी ढीली कर दी। रुखसाना को पिछली रात मालिश से बहुत सुकून मिला था और बहुत अच्छी नींद भी आयी थी इसलिये उसने ना-नुक्कर नहीं की। जैसे ही रुखसाना की साड़ी ढीली हुई तो सुनील ने उसकी साड़ी और पेटीकोट के अंदर अपनी उंगलियों को डाल कर उसे नीचे सरका दिया पर रुखसाना को तभी एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है। रुखसाना ने नीचे पैंटी ही नहीं पहनी हुई थी... पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसके आधे से ज्यादा चूतड़ अब सुनील की नज़रों के सामने थे।
सुनील ने कोई रीऐक्शन नहीं दिखाया और धीरे-धीरे कमर से मालिश करते हुए अपने हाथों को रुखसाना के चूतड़ों की ओर बढ़ाना शुरू कर दिया। उसके हाथों का लम्स रुखसाना के जिस्म के हर हिस्से को ऐसा सुकून पहुँचा रहा था जैसे बरसों के प्यासे को पानी पीने के बाद सुकून मिलता है। वो चाहते हुए भी एतराज नहीं कर पा रही थी। वो बस लेटी हुई उसके छुने के एहसास का मज़ा ले रही थी। रुखसाना की तरफ़ से कोई ऐतराज़ ना देख कर सुनील की हिम्मत बढ़ी और अब उसने रुखसाना के आधे से ज्यादा नंगे हो चुके गुदाज़ चूतड़ों को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया। रुखसाना की साड़ी और पेटीकोट सुनील के हाथ से टकराते हुए थोड़ा-थोड़ा और नीचे सरक जाते। रुखसाना को एहसास हो रहा था कि अब सुनील को उसके चूतड़ों के बीच की दरार भी दिखायी दे रही होगी। उसने शरम के मारे अपने चेहरे को तकिये में छुपा लिया और अपने होंठों को अपने दाँतों में भींच लिया ताकि कहीं वो मस्ती में आकर सिसक ना पड़े और उसकी बढ़ती हुई शहवत और मस्ती का एहसास सुनील को हो। सुनील उसके दोनों गोरे-गोरे गोल-गोल चूतड़ों को बाम लगाने के बहाने से सहला रहा था। रुखसाना को भी एहसास हो रहा था कि सुनील बाम कम लगा रहा था और सहला ज्यादा रहा था। जब रुखसाना ने फिर भी ऐतराज ना किया तो सुनील और नीचे बढ़ा और चूतड़ों को जोर-जोर से मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसके हाथों की उंगलियाँ रुखसाना की गाँड की दरार में थी। फिर उसने अचानक से रुखसाना के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा करते हुए फैला कर बीच की जगह देखी तो रुखसाना साँस लेना ही भूल गयी। रुखसाना को एहसास हुआ की शायद सुनील ने उसके चूतड़ों के फैला कर उसकी गाँड का छेद और चूत तक देख ली होगी लेकिन रुखसाना अब तक सुनील हाथों के सहलाने और मसलने से बहुत ज्यादा मस्त हो गयी थी और उसकी चूत गीली और गीली होती चली जा रही थी। वो ये सोच कर और शरमा गयी कि सुनील उसकी बिल्कुल मुलायम और चिकनी चूत को देख रहा होगा जिसे उसने आज सुबह ही शेव किया था। उसकी चिकनी चूत को देखने वाला आज तक था ही कौन लेकिन उसके घर में रहने वाला किरायेदार आज उसके चूतड़... उसकी गाँड और उसकी चिकनी चूत को देख रहा था और वो भी पड़े-पड़े नुमाईश कर रही थी। ये सोच कर उसका दिल जोर-जोर से धक-धक करने लगा कि कहीं सुनील को उसकी चूत के गीलेपन का एहसास ना हो जाये।
सामने कुर्सी पर बैठ गया और रुखसाना भी बेड पर टाँगें नीचे लटका कर बैठ गयी। दोनों ने इधर उधर की बात की। इस दौरान सुनील ने रुख्सना से पूछा, "भाभी अब आपकी कमर का दर्द कैसा है?"
रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, "अरे अब तो मैं बिल्कुल ठीक हूँ... कल तूने इतनी अच्छी मालिश जो की थी!"
अपना शर्बत का खाली गिलास साइड टेबल पे रखते हुए सुनील उससे बोला, "भाभी आप उल्टी लेट जाओ... मैं एक बार और बाम से आपकी मालिश कर देता हूँ...!"
रुखसाना मना किया कि, "नहीं सुनील! मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ..!" लेकिन सुनील भी फिर इसरार करते हुए बोला, "भाभी आप मेरे लिये इतना कुछ करती है... मैं क्या आपके लिये इतना भी नहीं कर सकता... चलिये लेट जाइये!"
रुखसाना सुनील के बात टाल ना सकी और अपना खाली गिलास टेबल पे रखते हुए बोली, "अच्छा बाबा... तू मानेगा नहीं... लेटती हूँ... पहले सैंडल तो खोल के उतार दूँ!"
"सैंडल खोलने की जरूरत नहीं है भाभी... इतने खूबसूरत सैंडल आपके हसीन गोरे पैरों की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ा रहे हैं... आप ऐसे ही लेट जाइये!" सुनील किसी बच्चे की तरह मचलते हुए बोला तो रुखसान को हंसी आ गयी और वो उसकी बात मान कर बेड पर लेट गयी। क्योंकि आज उसने साड़ी पहनी हुई थी इसलिये उसकी कमर पीछे से सुनील की आँखों के सामने थी। सुनील ने बाम को पहले अपनी उंगलियों पर लगाया और रुखसाना की कमर को दोनों हाथों से मालिश करना शुरू कर दिया। "एक बात बता सुनील! तुझे मेरा ऊँची हील वाले सैंडल काफ़ी पसंद है ना?" रुखसाना ने पूछा तो इस बार सुनील का चेहरा शरम से लाल हो गया। वो झेंपते हुए बोला, "जी... जी भाभी आप सही कह रही हैं... आपको अजीब लगेगा लेकिन मुझे लेडिज़ के पैरों में हाई हील वाले सैडल बेहद अट्रैक्टिव लगते हैं... और संयोग से आप तो हमेशा हाई हील की सैंडल या चप्पल पहने रहती हैं!"
"अरे इसमें शर्माने वाली क्या बात है... और मुझे बिल्कुल अजीब नहीं लगा... मैं तेरे जज़्बात समझती हूँ... कुछ कूछ होता है... है ना?" रुखसाना हंसते हुए हुए बोली। सुनील के हाथों की मालिश से पिछले दिन की तरह ही बेहद मज़ा आ रहा था। सुनील के हाथ अब धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ बढ़ने लगे। रुखसाना को मज़ाक के मूड में देख कर सुनील भी हिम्मत करते हुए बोला, "भाभी... आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है एक दम मुलायम... भाभी आप अपनी साड़ी थोड़ा नीचे सरका दो... पूरी कमर पे नीचे तक अच्छे से मालिश हो जायेगी और साड़ी भी गंदी नहीं होगी।" रुखसाना ने थोड़ा शर्माते हुए अपनी साड़ी में हाथ डाला और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट और साड़ी ढीली कर दी। रुखसाना को पिछली रात मालिश से बहुत सुकून मिला था और बहुत अच्छी नींद भी आयी थी इसलिये उसने ना-नुक्कर नहीं की। जैसे ही रुखसाना की साड़ी ढीली हुई तो सुनील ने उसकी साड़ी और पेटीकोट के अंदर अपनी उंगलियों को डाल कर उसे नीचे सरका दिया पर रुखसाना को तभी एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है। रुखसाना ने नीचे पैंटी ही नहीं पहनी हुई थी... पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसके आधे से ज्यादा चूतड़ अब सुनील की नज़रों के सामने थे।
सुनील ने कोई रीऐक्शन नहीं दिखाया और धीरे-धीरे कमर से मालिश करते हुए अपने हाथों को रुखसाना के चूतड़ों की ओर बढ़ाना शुरू कर दिया। उसके हाथों का लम्स रुखसाना के जिस्म के हर हिस्से को ऐसा सुकून पहुँचा रहा था जैसे बरसों के प्यासे को पानी पीने के बाद सुकून मिलता है। वो चाहते हुए भी एतराज नहीं कर पा रही थी। वो बस लेटी हुई उसके छुने के एहसास का मज़ा ले रही थी। रुखसाना की तरफ़ से कोई ऐतराज़ ना देख कर सुनील की हिम्मत बढ़ी और अब उसने रुखसाना के आधे से ज्यादा नंगे हो चुके गुदाज़ चूतड़ों को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया। रुखसाना की साड़ी और पेटीकोट सुनील के हाथ से टकराते हुए थोड़ा-थोड़ा और नीचे सरक जाते। रुखसाना को एहसास हो रहा था कि अब सुनील को उसके चूतड़ों के बीच की दरार भी दिखायी दे रही होगी। उसने शरम के मारे अपने चेहरे को तकिये में छुपा लिया और अपने होंठों को अपने दाँतों में भींच लिया ताकि कहीं वो मस्ती में आकर सिसक ना पड़े और उसकी बढ़ती हुई शहवत और मस्ती का एहसास सुनील को हो। सुनील उसके दोनों गोरे-गोरे गोल-गोल चूतड़ों को बाम लगाने के बहाने से सहला रहा था। रुखसाना को भी एहसास हो रहा था कि सुनील बाम कम लगा रहा था और सहला ज्यादा रहा था। जब रुखसाना ने फिर भी ऐतराज ना किया तो सुनील और नीचे बढ़ा और चूतड़ों को जोर-जोर से मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसके हाथों की उंगलियाँ रुखसाना की गाँड की दरार में थी। फिर उसने अचानक से रुखसाना के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा करते हुए फैला कर बीच की जगह देखी तो रुखसाना साँस लेना ही भूल गयी। रुखसाना को एहसास हुआ की शायद सुनील ने उसके चूतड़ों के फैला कर उसकी गाँड का छेद और चूत तक देख ली होगी लेकिन रुखसाना अब तक सुनील हाथों के सहलाने और मसलने से बहुत ज्यादा मस्त हो गयी थी और उसकी चूत गीली और गीली होती चली जा रही थी। वो ये सोच कर और शरमा गयी कि सुनील उसकी बिल्कुल मुलायम और चिकनी चूत को देख रहा होगा जिसे उसने आज सुबह ही शेव किया था। उसकी चिकनी चूत को देखने वाला आज तक था ही कौन लेकिन उसके घर में रहने वाला किरायेदार आज उसके चूतड़... उसकी गाँड और उसकी चिकनी चूत को देख रहा था और वो भी पड़े-पड़े नुमाईश कर रही थी। ये सोच कर उसका दिल जोर-जोर से धक-धक करने लगा कि कहीं सुनील को उसकी चूत के गीलेपन का एहसास ना हो जाये।


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