06-07-2023, 02:02 AM
(This post was last modified: 06-07-2023, 07:13 AM by rohitpal. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भाग-2
PART-5
शीला उसी प्रकार घोड़ी बनी खड़ी रही और मैं उसके उपर छा गया था,इतनी जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों पसीने से लथपथ हो के बुरी तरह हांफ रहे थे...।मैं शीला को सहलाते हुए हर एंगल से चूम रहा था....
कुछ पल उसी पोज में रहने के बाद मैंने देखा पसीनें की बूंदें शीला के टाईट चमकदार काले बूब्स पर से होती हुई निप्पल के रास्ते नीचे टपक रही थी...।मैं तुरंत शीला के नीचे झुका और उसकी चूचीयों पर अपना मुंह लगा दिया और चूसने लगा।उसकी चूचीयों से दूध की बूंदे निकल पड़ी और मैं पसीने की बूंदों व दूध का मिलाजुला खारा सा स्वाद लेते हुए मस्त हो उठा...।
कुछ पलों के बाद हम अलग हुए और फिर शीला को लिये हुए मैं बाथरूम के फर्श पर ही ढेर हो गया,और हम बाथरूम की दीवार से टिक कर बैठ गए....।
हम दोनों का नशा अभी उतरा नहीं था।कुछ मिनट इसी प्रकार बैठने के बाद मैं उठा और शीला को हाथ बढ़ाकर उठाया....
"उई...." शीला थोड़ा उठी फिर धम्म से बैठ गई....।वह दर्द के मारे उठ नहीं पा रही थी...।
'क्या हुआ मालकिन...."
"उफ्फ...".वह मुस्कराई...और झुमते हुए बोली......"तुमने मेरी गांड का भुर्ता जो बना डाला है...
.....बड़ा दर्द हो रहा है....।"
"थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा मालकिन....।"मैने भी हंसते हुए कहा।
कुछ पल ठहर के मैने शीला को बांहों में बांहें डाल कर उठाया....फिर टायलेट पेपर्स से उसके सारे बदन को अच्छे से साफ किया...और शीला भी टट्टी से सने हुए मेेरे लंड को साफ कर रही थी...।
शीला की टट्टी का सौंधा सा स्वाद मैं अभी तक महसूस कर रहा था......मैने वाशबेसिन में अपना मुँह धोया व ब्रश किया फिर बोला....
"चलो मालकिन अब नहा धो कर थकान दूर कर लेते हैं...।"
"मुझे तुमने इतना थका दिया है कि ये थकान चार पांच दिन तक नहीं उतरने वाली..."शीला ईठला कर बोली।
"और तुम्हारे साथ जो मजे आ रहे है इसकी खुमारी भी दस दिनों तक उतरने वाली नहीं...मेरी मालकिन....।"मैने शरारती अंदाज़ में कहा....।
और फिर शीला को बांहों में भर कर शाॅवर के नीचे ले आया और शाॅवर चालू कर दिया....।
और फिर मेरे हाथ शीला के जिस्म पर फिसलने लगे।शीला भी साथ देते हुए उसके हाथ मेरे जिस्म पर फेर रही थी...।मै शीला के पीछे से उसकी बाहों में हाथ डालकर उसकी चूचीयों को मसलने लगा .....शीला आंंखें मूंदें सिसकीयां भर रही थी.....
"स्स्स्..स्सीईईईई....ऊ...ह..ऊई...हँफ्फ..."
और मैने एक हाथ से शीला की चूत को रगड़ना शुरू कर दिया...मैं अपनी उंगलीयां उसकी गांड से चूत तक ले जाते हुए रगड़ता जा रहा था और एक हाथ से शीला की चूचीयां मसल रहा था...।
अब दो उंगलीयां उसकी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करते हुए रगड़ने लगा।
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शीला कसमसा रही थी... "ऊ...ह..ऊई...हँफ्फ...ओ...ह"
अब शीला मेरी तरफ घूम गई और मेरे लंड को हाथ में लेकर ठुमके लगाते हुए मसलने लगी .....
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.....मैने शीला को कसकर भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।शीला भी बराबर साथ दिये जा रही थी.....
हम दोनों सारी दुनिया भूल कर आनंद में गोते लगा रहे थे।और फिर मैने रैक पर से साबुन उठाया और शीला के हाथ में थमा दिया.....।
शीला अपने साथ साथ मेरे शरीर पर भी साबुन मलने लगी .....।
और फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए शाॅवर के निचे खड़े होकर एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर तौलिए से एक दूसरे के बदन पोंछे..... फिर निर्वस्त्र ही शीला को अपनी बांहों में उठा कर बाथरूम से बाहर आ गया...।
और फिर शीला को लिए हुए ही बिस्तर पर धंस गया...।
शेष अगली किस्त में.....
PART-5
शीला उसी प्रकार घोड़ी बनी खड़ी रही और मैं उसके उपर छा गया था,इतनी जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों पसीने से लथपथ हो के बुरी तरह हांफ रहे थे...।मैं शीला को सहलाते हुए हर एंगल से चूम रहा था....
कुछ पल उसी पोज में रहने के बाद मैंने देखा पसीनें की बूंदें शीला के टाईट चमकदार काले बूब्स पर से होती हुई निप्पल के रास्ते नीचे टपक रही थी...।मैं तुरंत शीला के नीचे झुका और उसकी चूचीयों पर अपना मुंह लगा दिया और चूसने लगा।उसकी चूचीयों से दूध की बूंदे निकल पड़ी और मैं पसीने की बूंदों व दूध का मिलाजुला खारा सा स्वाद लेते हुए मस्त हो उठा...।
कुछ पलों के बाद हम अलग हुए और फिर शीला को लिये हुए मैं बाथरूम के फर्श पर ही ढेर हो गया,और हम बाथरूम की दीवार से टिक कर बैठ गए....।
हम दोनों का नशा अभी उतरा नहीं था।कुछ मिनट इसी प्रकार बैठने के बाद मैं उठा और शीला को हाथ बढ़ाकर उठाया....
"उई...." शीला थोड़ा उठी फिर धम्म से बैठ गई....।वह दर्द के मारे उठ नहीं पा रही थी...।
'क्या हुआ मालकिन...."
"उफ्फ...".वह मुस्कराई...और झुमते हुए बोली......"तुमने मेरी गांड का भुर्ता जो बना डाला है...
.....बड़ा दर्द हो रहा है....।"
"थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा मालकिन....।"मैने भी हंसते हुए कहा।
कुछ पल ठहर के मैने शीला को बांहों में बांहें डाल कर उठाया....फिर टायलेट पेपर्स से उसके सारे बदन को अच्छे से साफ किया...और शीला भी टट्टी से सने हुए मेेरे लंड को साफ कर रही थी...।
शीला की टट्टी का सौंधा सा स्वाद मैं अभी तक महसूस कर रहा था......मैने वाशबेसिन में अपना मुँह धोया व ब्रश किया फिर बोला....
"चलो मालकिन अब नहा धो कर थकान दूर कर लेते हैं...।"
"मुझे तुमने इतना थका दिया है कि ये थकान चार पांच दिन तक नहीं उतरने वाली..."शीला ईठला कर बोली।
"और तुम्हारे साथ जो मजे आ रहे है इसकी खुमारी भी दस दिनों तक उतरने वाली नहीं...मेरी मालकिन....।"मैने शरारती अंदाज़ में कहा....।
और फिर शीला को बांहों में भर कर शाॅवर के नीचे ले आया और शाॅवर चालू कर दिया....।
और फिर मेरे हाथ शीला के जिस्म पर फिसलने लगे।शीला भी साथ देते हुए उसके हाथ मेरे जिस्म पर फेर रही थी...।मै शीला के पीछे से उसकी बाहों में हाथ डालकर उसकी चूचीयों को मसलने लगा .....शीला आंंखें मूंदें सिसकीयां भर रही थी.....
"स्स्स्..स्सीईईईई....ऊ...ह..ऊई...हँफ्फ..."
और मैने एक हाथ से शीला की चूत को रगड़ना शुरू कर दिया...मैं अपनी उंगलीयां उसकी गांड से चूत तक ले जाते हुए रगड़ता जा रहा था और एक हाथ से शीला की चूचीयां मसल रहा था...।
अब दो उंगलीयां उसकी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करते हुए रगड़ने लगा।
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शीला कसमसा रही थी... "ऊ...ह..ऊई...हँफ्फ...ओ...ह"
अब शीला मेरी तरफ घूम गई और मेरे लंड को हाथ में लेकर ठुमके लगाते हुए मसलने लगी .....
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.....मैने शीला को कसकर भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।शीला भी बराबर साथ दिये जा रही थी.....
हम दोनों सारी दुनिया भूल कर आनंद में गोते लगा रहे थे।और फिर मैने रैक पर से साबुन उठाया और शीला के हाथ में थमा दिया.....।
शीला अपने साथ साथ मेरे शरीर पर भी साबुन मलने लगी .....।
और फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए शाॅवर के निचे खड़े होकर एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर तौलिए से एक दूसरे के बदन पोंछे..... फिर निर्वस्त्र ही शीला को अपनी बांहों में उठा कर बाथरूम से बाहर आ गया...।
और फिर शीला को लिए हुए ही बिस्तर पर धंस गया...।
शेष अगली किस्त में.....