04-07-2023, 12:30 PM
भाग2
PART-4
बाथरूम में जा के शीला को उपर से नीचे तक निहारा...मदमस्त आंखें, कसा हुआ चिकना बदन,सुराहीदार गरदन,काली चमकती हुई चिकनी त्वचा,पुुष्ट जांघें व उन्नत सुडौल उरोजो के उपर उसके लंबे बालों की लटें काली नागिन की तरह लहरा रहीं थी..वह किसी अजंता की मूरत की तरह लग रही थी...मेरी मिस्ट्रेस शीला...।
आज मै उसे अपनी मालकिन बना कर अपनी फैंटासी पूरी कर रहा था बिल्कुल स्केट फैमडम पोर्न मूवी की तरह.....
उसकी टट्टी का स्वाद अभी भी मेरे मुंह में था....अब मैं अपने को नहीं रोक सका.....।
"चलो मालकिन एक राउंड और हो जाए...."इतना कहकर मै बाथरूम के फर्श पर सीधा लेट गया।शीला भी अपनेआप को बहुत कंट्रोल किए हुए थी....और मै उसे आमंत्रण दे रहा था... फिर उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी.और फिर उसने अपने पांव फैला कर मेरे मुंह के दोनों और किए...और अपने पैरो पर इस प्रकार बैठ गई कि उसकी गांड का छेद सीधा मेरे मुंह पर था....और अब वह कंट्रोल नहीं कर सकी व उसकी टट्टी निकल पड़ी....सीधी मेरे मुंह में......
short poems for september
......और मै
....अपनी अधखुली आंखों से इस अद्भुत स्कैट फैंटासी को हकीकत में देख रहा था...। मैने थपथपाकर उसे रुकने के लिए कहा और उसी पोजीशन में कुछ देर आंखें मूंदे पोर्न फिल्म वाली फैंटासी को याद करते हुए लेटा रहा....अब वह कंट्रोल नहीं कर पाई और अपना सारा लोड मेरे मुंह में डाल दिया.....और उसी पोजीशन में घुटनों के बल बैठ गई....
और मैं भी उसी पोजीशन में कुछ देर और लेटा रहा....अब वास्तव में मैं अपनी मिस्ट्रेस के साथ ड्रिम सिक्वैंस का आनंद उठा रहा था.....मेेरा लंड पूूरी तरह तन चुका था....मैं बहुत उत्तेजित था....कछ पलों के बाद..मैंने उसे इशारों से उठने के लिए कहा....और हम उठ खड़े हुए.....।
उठते ही सबसे पहले मैने टायलेट पेपर से अपनेआप को अच्छे से साफ किया....और फिर शीला को निहारते हुए कहा....
"आओ मालकिन तुम्हारी गांड को साफ करता हूं"
"हां,मैं पानी से क्लीन कर लूंगी ।
"नहीं मालकीन मै तो सेवक हूं इसे अच्छे से साफ करूंगा।यह तो मेरी ड्यूटी है....।"
अब शीला मुस्कुराने लगी ।
अब मैने शीला के पीछे गया और उसकी गांड को चौड़ा करके निहारने लगा....उस पर टट्टी लगी हुई थी.....मैं भी नशे में मदमस्त हो रहा था.....शीला की गांड भी बहुत ही सेक्सी लग रही थी....
मैने धीरे से शीला की गांड में एक इंच उंगली घुसा दी...।
"उ..ई..."..शीला अपनी गांड सिकोड़ने लगी...।मैं धीरे धीरे गांड में उंगली गोल गोल गोल घुमाने लगा ...।
"आ..ह..ऊ..ह..."शीला कराह रही थी।
फिर मैंने उंगली बाहर निकाली और उसे सूंघने लगा ...।
क्या मस्त खुशबू थी...मैने अपनी आंखें बंद करली।
अब मैं बेताब हो उठा और शीला की गांड में जीभ घुसा घुसा के चाटने लगा.....शीला भी मस्ती से कराह उठी....
"ऊ..ह....आ..ह"...।
वह भी नशे की हालत में थी इसलिए सहजता से मजे ले रही थी।
मैं जोरों से उसकी गांड चाट रहा था...आज तो इसके गदराये शरीर का एक-एक इंच चाट डालूंगा ।
धीरे धीरे वह भी उत्तेजित हो उठी...और मैं भी उसकी गांड में जीभ घुसा घुसा के चाट रहा था....
अब मुझ पर जैसे शीला की गांड का सम्मोहन सा छा गया...मै वाइल्ड होता जा रहा था......आज तो इसका वो हाल करूंगा कि बस...पूरी चौड़ी कर डालूंगा...।
और फिर मैंने हाथ बढ़ा कर तेल की शीशी उठाई और अपने लंड पर थोड़ा तेल लगा लिया और थोड़ा तेल शीला की गांड पे भी लगा दिया...
फिर सुपाड़ा शीला की गांड के सुराख पर रख दिया....
शीला भी गांड चटवाते हुए मस्त हो गई थी इसलिए उसने कोई विरोध नहीं किया...
और अब मेरा लंड फनफना रहा था....
मै बेसब्र हो उठा और शीला की गांड में धीरे से लंड को धकेल दिया....।
"ऊ..ई..ई...ई...ई...ई"....शीला की चीख निकल आई.....।
"आ..ह..मालकिन बस थोड़ा सब्र रखो...अभी तो सुपाड़ा ही गया है...
...कुछ नहीं होगा।
"आ..ह.."शीला अपनी गांड सिकोड़ने लगी ...।मैं कुछ पल ठहरा....शीला को कुछ राहत मिली।
फिर मैने धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बाहर करना शुरू किया....।अब शीला धीरे धीरे नाॅर्मल हो रही थी कि....मैने हल्के से लंड का दबाव बढ़ा दिया....और लंड थोड़ा और अंदर चला गया...
"ऊ...ई...मां...ऊ...ह"।
"बस अब थोड़ा और मालकिन...."
और मै लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा ...।
चूंकि शीला पहले भी गांड मरवा चुकी थी इसलिए धीरे धीरे बर्दाश्त करती जा रही थी...।
"आ..ह...ऊ...ह...धी..रे...क..रो...।"
हां मेेरी मालकिन...जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करुंगा ...।कुछ देर इसी प्रकार चोदता रहा...अब तक शीला की गांड थोड़ी ढीली होने लगी थी...।
अब शीशी से दो बूंद तेल शीला की गांड पे टपका दिया...अब शीला की गांड एकदम चिकनी हो गई....फिर मैने लंड का जोरदार प्रेशर लगा दिया...
"आ..ई..ई..ईईईई...मां....म..र... गई...ऊ...ह....नि..का..लो....।"
अब लंड आधे से ज्यादा अंदर चला गया था...।
हां...मालकिन....अब कुछ ही देर में तुमको जन्नत की सैर कराउंगा ....।
और फिर मैं पहले धीमे धीमे..फिर तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा ....
शीला गनगना रही थी.....
"आ.आ...ह........ऊ...ऊऊऊ....ईईई...उ..फ्फ...अं.ह.....हि..श्श...हँ...अं..अं.."
sare jahan se achha song written by
मैं भी आनंद के सागर में गोते लगा रहा था...।शीला की टाईट गांड ने मेरे लंड को जकड़ के रखा हुआ था।
थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद मैं वाइल्ड होने लगा.....और जोर का धक्का देकर पूरा लंड अंदर घुसा दिया.....।
आ...आ...आ..आ...ई....ई..ईईईई...हँ...अ...अं..अं...ईईईईईई.....ऊ...ईईई...मां....मा..र...डा..ला....।
शीला का मुंह खुला का खुला रह गया...आंखें फट गयी....।मेरा आठ इंच का लंड पूरा शीला की गांड में घुस गया था....।
बस मालकिन अब मैं तुम्हें जन्नत की सैर कराता हूं....
और फिर मैने थोड़ा सा लंड निकाल के वापिस अंदर डाल दिया...और फिर से धीरे धीरे चोदने लगा ...
शीला कसमसा रही थी....
ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह..।
अब मेरी जांघें शीला की गांड से टकरा रही थी....और फिर मैने तेजी से चोदना शुरू किया और मेरी जांघें शीला की गांड पे जोरों से टकराने लगी .....
शीला कराह रही थी.....
आ...आ...आ..आ...ई....ई..ईईईई...हँ...अ...अं..अं...ईईईईईई.....ऊ...ईईई...मां....मा..र...डा..ला....उ..फ्..फ....ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह..हुम्म।
और मेरी जांघों के उसकी गांड के टकराने की आवाजें बाथरूम में गूंज रही थी.....
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...।
"ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह.."
"ओ...ह...फ...ट...ग...ई...धी...रे...मा...रो...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह...।
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...
.....पूूरे बाथरूम में गूंज रही थी..।
मै और वाइल्ड होने लगा ....
"आज तो इसका भोंसड़ा बना डालूंगा ...मैं...हँ...अ..अ..." मैं बुदबुदाया....और....शीला के बाल पकड़े...और....पूरा लंड निकाल के जोर से घुसा दिया
...
"आ....ईईईई....ईईईई....मां....म...र...गई....मे...री...गांड....फ
.टे...जा...र...ही...है....ह...रा...मी...धी...रे...डा...ल..."
शीला की गांड ढीली हो गई थी....
मुझ पर वहशियत सी सवार थी.....मैं उसकी कहां सुनने वाला था....।
वह चिल्ला रही थी और मैं पूरी ताकत से ठोंके मार रहा था।
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...।
उसी धक्के के रिदम में शीला की आवाज निकल रही थी..
"अ..ई...अ...ई...अ...ई...अ...ई...अ...ई....अ....ई...अ...ई"
"अ....ईईईई....ईईईई....मां....मे...री...गांड..उ..फ्..फ....।"
और फिर उसके बाल खिंच के एक जोर का ठोंका मारा.....
"आ..आ...आ...आ...ऊ...च् च...।"
और फिर शीला की ढीली हो चुकी गांड में से एकाएक...
......फिस्स्स्स्स्....फचड़ड़ड़ड़....आवाज निकली....और....फचड़ड़..करके टट्टी बाहर आ गई....।
leave me o love which reachest but to dust theme
मै ठोंके पे ठोंके मार रहा था...
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....मेरे लंड के साथ साथ शीला की गांड के छेद से टट्टी भी अंदर बाहर हो रही थी....फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....
मेरा लंड शीला की टट्टी में पूरा सना हुआ था।
"ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह.."
"ओ...ह...फा....ड...डा...ल...औ...र......मा...र...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ....ह...म...जा...आ...र...हा...है"...
"कै..सा...ल...ग ..र..हा.. है..मा..ल..कि..न।"
"हां...म...जा...आ...र...हा..है...औ...र....जो...र...से..."
....फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....
और मुझे लगा मै झड़ रहा हूं...
मैने शीला के बाल कसकर पकड़ लिए...और परी ताकत से धक्के मारते हुए बोला....
"ले..मे..री...मा..ल..कि..न...सं...भा...ल...मै...झ...ड़...र...हा...हूं.....
फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..
और.....मैं झड़ रहा था.....
"ओ..ओ..ओ...ह....हँ..अ...आ...आ...ऊ...च......मा..ल..कि..न...सं..भा...ल...मु..झे..."
और मैं शीला के उपर ही ढेर हो गया...।
शेष अगली किस्त में...
PART-4
बाथरूम में जा के शीला को उपर से नीचे तक निहारा...मदमस्त आंखें, कसा हुआ चिकना बदन,सुराहीदार गरदन,काली चमकती हुई चिकनी त्वचा,पुुष्ट जांघें व उन्नत सुडौल उरोजो के उपर उसके लंबे बालों की लटें काली नागिन की तरह लहरा रहीं थी..वह किसी अजंता की मूरत की तरह लग रही थी...मेरी मिस्ट्रेस शीला...।
आज मै उसे अपनी मालकिन बना कर अपनी फैंटासी पूरी कर रहा था बिल्कुल स्केट फैमडम पोर्न मूवी की तरह.....
उसकी टट्टी का स्वाद अभी भी मेरे मुंह में था....अब मैं अपने को नहीं रोक सका.....।
"चलो मालकिन एक राउंड और हो जाए...."इतना कहकर मै बाथरूम के फर्श पर सीधा लेट गया।शीला भी अपनेआप को बहुत कंट्रोल किए हुए थी....और मै उसे आमंत्रण दे रहा था... फिर उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी.और फिर उसने अपने पांव फैला कर मेरे मुंह के दोनों और किए...और अपने पैरो पर इस प्रकार बैठ गई कि उसकी गांड का छेद सीधा मेरे मुंह पर था....और अब वह कंट्रोल नहीं कर सकी व उसकी टट्टी निकल पड़ी....सीधी मेरे मुंह में......
short poems for september
......और मै
....अपनी अधखुली आंखों से इस अद्भुत स्कैट फैंटासी को हकीकत में देख रहा था...। मैने थपथपाकर उसे रुकने के लिए कहा और उसी पोजीशन में कुछ देर आंखें मूंदे पोर्न फिल्म वाली फैंटासी को याद करते हुए लेटा रहा....अब वह कंट्रोल नहीं कर पाई और अपना सारा लोड मेरे मुंह में डाल दिया.....और उसी पोजीशन में घुटनों के बल बैठ गई....
और मैं भी उसी पोजीशन में कुछ देर और लेटा रहा....अब वास्तव में मैं अपनी मिस्ट्रेस के साथ ड्रिम सिक्वैंस का आनंद उठा रहा था.....मेेरा लंड पूूरी तरह तन चुका था....मैं बहुत उत्तेजित था....कछ पलों के बाद..मैंने उसे इशारों से उठने के लिए कहा....और हम उठ खड़े हुए.....।
उठते ही सबसे पहले मैने टायलेट पेपर से अपनेआप को अच्छे से साफ किया....और फिर शीला को निहारते हुए कहा....
"आओ मालकिन तुम्हारी गांड को साफ करता हूं"
"हां,मैं पानी से क्लीन कर लूंगी ।
"नहीं मालकीन मै तो सेवक हूं इसे अच्छे से साफ करूंगा।यह तो मेरी ड्यूटी है....।"
अब शीला मुस्कुराने लगी ।
अब मैने शीला के पीछे गया और उसकी गांड को चौड़ा करके निहारने लगा....उस पर टट्टी लगी हुई थी.....मैं भी नशे में मदमस्त हो रहा था.....शीला की गांड भी बहुत ही सेक्सी लग रही थी....
मैने धीरे से शीला की गांड में एक इंच उंगली घुसा दी...।
"उ..ई..."..शीला अपनी गांड सिकोड़ने लगी...।मैं धीरे धीरे गांड में उंगली गोल गोल गोल घुमाने लगा ...।
"आ..ह..ऊ..ह..."शीला कराह रही थी।
फिर मैंने उंगली बाहर निकाली और उसे सूंघने लगा ...।
क्या मस्त खुशबू थी...मैने अपनी आंखें बंद करली।
अब मैं बेताब हो उठा और शीला की गांड में जीभ घुसा घुसा के चाटने लगा.....शीला भी मस्ती से कराह उठी....
"ऊ..ह....आ..ह"...।
वह भी नशे की हालत में थी इसलिए सहजता से मजे ले रही थी।
मैं जोरों से उसकी गांड चाट रहा था...आज तो इसके गदराये शरीर का एक-एक इंच चाट डालूंगा ।
धीरे धीरे वह भी उत्तेजित हो उठी...और मैं भी उसकी गांड में जीभ घुसा घुसा के चाट रहा था....
अब मुझ पर जैसे शीला की गांड का सम्मोहन सा छा गया...मै वाइल्ड होता जा रहा था......आज तो इसका वो हाल करूंगा कि बस...पूरी चौड़ी कर डालूंगा...।
और फिर मैंने हाथ बढ़ा कर तेल की शीशी उठाई और अपने लंड पर थोड़ा तेल लगा लिया और थोड़ा तेल शीला की गांड पे भी लगा दिया...
फिर सुपाड़ा शीला की गांड के सुराख पर रख दिया....
शीला भी गांड चटवाते हुए मस्त हो गई थी इसलिए उसने कोई विरोध नहीं किया...
और अब मेरा लंड फनफना रहा था....
मै बेसब्र हो उठा और शीला की गांड में धीरे से लंड को धकेल दिया....।
"ऊ..ई..ई...ई...ई...ई"....शीला की चीख निकल आई.....।
"आ..ह..मालकिन बस थोड़ा सब्र रखो...अभी तो सुपाड़ा ही गया है...
...कुछ नहीं होगा।
"आ..ह.."शीला अपनी गांड सिकोड़ने लगी ...।मैं कुछ पल ठहरा....शीला को कुछ राहत मिली।
फिर मैने धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बाहर करना शुरू किया....।अब शीला धीरे धीरे नाॅर्मल हो रही थी कि....मैने हल्के से लंड का दबाव बढ़ा दिया....और लंड थोड़ा और अंदर चला गया...
"ऊ...ई...मां...ऊ...ह"।
"बस अब थोड़ा और मालकिन...."
और मै लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा ...।
चूंकि शीला पहले भी गांड मरवा चुकी थी इसलिए धीरे धीरे बर्दाश्त करती जा रही थी...।
"आ..ह...ऊ...ह...धी..रे...क..रो...।"
हां मेेरी मालकिन...जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करुंगा ...।कुछ देर इसी प्रकार चोदता रहा...अब तक शीला की गांड थोड़ी ढीली होने लगी थी...।
अब शीशी से दो बूंद तेल शीला की गांड पे टपका दिया...अब शीला की गांड एकदम चिकनी हो गई....फिर मैने लंड का जोरदार प्रेशर लगा दिया...
"आ..ई..ई..ईईईई...मां....म..र... गई...ऊ...ह....नि..का..लो....।"
अब लंड आधे से ज्यादा अंदर चला गया था...।
हां...मालकिन....अब कुछ ही देर में तुमको जन्नत की सैर कराउंगा ....।
और फिर मैं पहले धीमे धीमे..फिर तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा ....
शीला गनगना रही थी.....
"आ.आ...ह........ऊ...ऊऊऊ....ईईई...उ..फ्फ...अं.ह.....हि..श्श...हँ...अं..अं.."
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मैं भी आनंद के सागर में गोते लगा रहा था...।शीला की टाईट गांड ने मेरे लंड को जकड़ के रखा हुआ था।
थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद मैं वाइल्ड होने लगा.....और जोर का धक्का देकर पूरा लंड अंदर घुसा दिया.....।
आ...आ...आ..आ...ई....ई..ईईईई...हँ...अ...अं..अं...ईईईईईई.....ऊ...ईईई...मां....मा..र...डा..ला....।
शीला का मुंह खुला का खुला रह गया...आंखें फट गयी....।मेरा आठ इंच का लंड पूरा शीला की गांड में घुस गया था....।
बस मालकिन अब मैं तुम्हें जन्नत की सैर कराता हूं....
और फिर मैने थोड़ा सा लंड निकाल के वापिस अंदर डाल दिया...और फिर से धीरे धीरे चोदने लगा ...
शीला कसमसा रही थी....
ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह..।
अब मेरी जांघें शीला की गांड से टकरा रही थी....और फिर मैने तेजी से चोदना शुरू किया और मेरी जांघें शीला की गांड पे जोरों से टकराने लगी .....
शीला कराह रही थी.....
आ...आ...आ..आ...ई....ई..ईईईई...हँ...अ...अं..अं...ईईईईईई.....ऊ...ईईई...मां....मा..र...डा..ला....उ..फ्..फ....ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह..हुम्म।
और मेरी जांघों के उसकी गांड के टकराने की आवाजें बाथरूम में गूंज रही थी.....
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...।
"ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह.."
"ओ...ह...फ...ट...ग...ई...धी...रे...मा...रो...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह...।
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...
.....पूूरे बाथरूम में गूंज रही थी..।
मै और वाइल्ड होने लगा ....
"आज तो इसका भोंसड़ा बना डालूंगा ...मैं...हँ...अ..अ..." मैं बुदबुदाया....और....शीला के बाल पकड़े...और....पूरा लंड निकाल के जोर से घुसा दिया
...
"आ....ईईईई....ईईईई....मां....म...र...गई....मे...री...गांड....फ
.टे...जा...र...ही...है....ह...रा...मी...धी...रे...डा...ल..."
शीला की गांड ढीली हो गई थी....
मुझ पर वहशियत सी सवार थी.....मैं उसकी कहां सुनने वाला था....।
वह चिल्ला रही थी और मैं पूरी ताकत से ठोंके मार रहा था।
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...।
उसी धक्के के रिदम में शीला की आवाज निकल रही थी..
"अ..ई...अ...ई...अ...ई...अ...ई...अ...ई....अ....ई...अ...ई"
"अ....ईईईई....ईईईई....मां....मे...री...गांड..उ..फ्..फ....।"
और फिर उसके बाल खिंच के एक जोर का ठोंका मारा.....
"आ..आ...आ...आ...ऊ...च् च...।"
और फिर शीला की ढीली हो चुकी गांड में से एकाएक...
......फिस्स्स्स्स्....फचड़ड़ड़ड़....आवाज निकली....और....फचड़ड़..करके टट्टी बाहर आ गई....।
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मै ठोंके पे ठोंके मार रहा था...
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....मेरे लंड के साथ साथ शीला की गांड के छेद से टट्टी भी अंदर बाहर हो रही थी....फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....
मेरा लंड शीला की टट्टी में पूरा सना हुआ था।
"ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह.."
"ओ...ह...फा....ड...डा...ल...औ...र......मा...र...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ....ह...म...जा...आ...र...हा...है"...
"कै..सा...ल...ग ..र..हा.. है..मा..ल..कि..न।"
"हां...म...जा...आ...र...हा..है...औ...र....जो...र...से..."
....फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....
और मुझे लगा मै झड़ रहा हूं...
मैने शीला के बाल कसकर पकड़ लिए...और परी ताकत से धक्के मारते हुए बोला....
"ले..मे..री...मा..ल..कि..न...सं...भा...ल...मै...झ...ड़...र...हा...हूं.....
फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..
और.....मैं झड़ रहा था.....
"ओ..ओ..ओ...ह....हँ..अ...आ...आ...ऊ...च......मा..ल..कि..न...सं..भा...ल...मु..झे..."
और मैं शीला के उपर ही ढेर हो गया...।
शेष अगली किस्त में...