28-06-2023, 04:28 PM
UPDATE
भाग 2 PART-2
घर पहुंच कर मैने कुछ जरूरी काम निपटाये।फैमिली को आज रात की ट्रेन से जाना था,सो उनकी जरूरत की कुछ शाॅपिंग करवाई।
रात को स्टेशन जा के उन्हें ड्रॉप किया, फिर घर आ के आराम से सो गया।
सुबह......
रात में जल्दी सोने के कारण निंद सुबह चार बजे अचानक ही खुल गई....
एवं शीला की चूत और गांड के छेद का खयाल आते ही लंड किसी राॅकेट की तरह तन गया।अब इंतजार था शीला का....
थोड़ी देर यूं ही करवट बदलता रहा...
अब सहन नहीं हो रहा था।लेकिन तुरंत ही खयाल आया कि सुबह भरपूर लुत्फ उठाना है तो अभी कंट्रोल कर ले एवं फुल रेडी हो के फिर इत्मीनान से इंतजार करो।
थोड़ी देर और करवटें बदलकर आखिरकार मै उठा किचन में चाय चढ़ाई फिर चाय पी कर फ्रैश होने बाथरूम में घुस गया।नहा धो कर चाय नाश्ता करके कोई साढ़े छह बजे तक फ्री हो गया एवं सोफे पर बैठ कर सीगरेट के हल्के कश लगाने लगा।
सात बजे....
डोअर बेल बज उठी....
मै भी सोफे से उछल पड़ा...सारे बदन में करंट सा दौड़ गया...
तपाक से दरवाजा खोला....
शीला खड़ी थी...
मैैने तुरंत बाहर आ के देखा...कोई है तो नहीं....हमारी सोसाइटी थोड़ी अलग हट के है और सुुबह का वक्त था इसलिए कोई खास आवाजाही नहीं थी...चारों और देख कर जब मै संतुष्ट हो गया कि कोई नहीं है तब शीला को अंदर बुला कर दरवाजा तपाक से बंद कर दिया...
और फिर शीला को कसकर बाहों में जकड़ लिया....
'ओह...'.शीला कसमसा उठी।
"शीला बहुत इंतजार कर लिया मैने।
तूझे याद नहीं आई? "
"आई थी..."
अब मैं शीला को कसकर चूमने लगा ...
वह भी मेरा साथ देने लगी।
दो तीन मिनट इसी प्रकार हम एक दूसरे को चूमते रहे...।
फिर अलग होकर मै शीला को उपर से नीचे तक निहारता रहा...
पीच कलर के सलवार सूट में वह निहायत ही खूबसूरत लग रही थी।
बिना मेक अप के बिल्कुल सादगी के साथ आई थी ताकि किसी का कोई ध्यान ना जाए। सिर पर बड़ा सा जूड़ा बांध रखा था।फिर उसे पकड़कर बैडरूम में ले गया।
फिर उसे बैड पर खींच लिया और चुंबनों की बौछार कर दी।
शीला भी कसमसा उठी...
उसके मुंह से भी कराहें निकल रही थी..
आ...ह...उह...!
फिर मैने झटके से उसके जूड़े का क्लिप हटा दिया....और उसकी काली नागिन सी काली जुल्फे लहरा उठी...और मेरे चेहरे पर छाने लगी...
मै भी मदहोश हो चला था।
अचानक मझे कुछ याद आया...मै उठा और किचन में से दो बीयर की बोतल और दो ग्लास एवं कुछ नाश्ता
ले कर आ गया।
'ये क्या है...?" वह कुतुहल से पूछ बैठी।
"अरे ये भी पानी की तरह ही ड्रिंक है...लेकिन इसको पीकर अलग ही मजा आता है....।
आज हम दोनों मिलकर अच्छे से एंजाॅय करेंगे।"
"लेकिन ये तो शराब है।"
"नहीं मेरी जान ये शराब नहीं हैं...पी के तो देखो बड़ा अच्छा लगेगा ।"
फिर मैने बियर के दो ग्लास बनाए व एक शीला की ओर बढ़ा दिया।
"लेकिन..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं...विश्वास तो रखो...ऐसा वैसा कुछ नहीं है....बस थोड़ा अच्छा लगेगा व मजा आएगा।
आखिर ना नुकुर करते हुए भी शीला ने एक सिप मार ही लिया....
थोड़ा मुंह बिगाड़ा...
मैं बोल पड़ा...
"एक सिप से कुछ नहीं होगा,पूरी पियो फिर अच्छा लगेगा...।
अब शीला धीरे धीरे सिप मारने लगी।
शााद पहले थोड़ा स्वाद ठीक नहीं लग रहा था लेकिन अब वो नाॅर्मल थी।
धीरे धीरे मैं उसे बातों में लगाने लगा...
"अच्छा एक बात बताओ इतनी सुबह यहां आई तो किसी ने कुछ पूछा तो नहीं...जबकि आज संडे है...."
"कह दिया आज ऑफिस में कोई प्रोग्राम है बाहर से गैस्ट भी आएंगे....
इसलिए सफाई के लिए बुलाया है..."
"क्या बात है तुम तो बहुत अच्छा मैनेज कर लेती हो।"....
"हां आपके लिए करना पड़ता है....।"वह मुस्कराते हुए ठंडी सांस ले के बोली।
"शीला,मैं भी तुम्हारा ख्याल रखता ही हूं और आगे भी कोई कसर बाकी नहीं रखूंगा ये मेरा वादा है"कहकर मैंने शीला को बाहों में भर लिया...।
इसी प्रकार बातें करते हुए हम बीयर का घूंट लेते रहे और शीला के ना नुकुर करते हुए भी मैंने उसे बीयर का दूसरा गिलास भी पिला दिया।
अब शीला हल्के हल्के झूम रही थी।
अब मैं उसे बाहों में लेकर उसके मदमस्त होठों का चूमने लगा....
वह भी मस्त हो कर साथ देने लगी।
और मैंने अपने साथ साथ उसके सारे कपड़े उतार दिये....
अब हम दोनों आदम अवस्था में बिल्कुल निर्वस्त्र पड़े हुए थे।
मैंने उसे कस कर बांहो में जकड़ लिया....।
"आह....इतने क्या बेसब्र हो रहे हो...।"
"हां मेरी मालकिन तुम्हें पास पा कर तो मैं सब कुछ भूल जाता हूं।"
"आज हम जन्नत की सैर करेंगे...पूरा दिन है हमारे पास।"मैने उसके हाथ में अपना लंड देते हुए कहा।
वह भी प्यार से मेरे लंड के सुपाड़े की चमड़ी उपर नीचे करने लगी...
और मेरा लंड राॅकेट की तरह तन गया...।
अब मैं अपनी उंगलियों में थोड़ा थूक लेकर उसकी चूत पे मलने लगा....
शीला गनगना उठी... "आ...ह....ऊ...ह..".।
और मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी....और अंदर बाहर करने लगा।
"उ..ई...मां.....ओ....ह...उफ्फ.."
शीला मस्त हो चुकी थी।
अब मैने उसकी दोनों टांगें फैला दी और चूत की फांकों में अपनी जीभ घुसा दी....और चाटने लगा।
"अ...आ....ह.....उ..उ...ह...हां..ब..हु..त...अ..च्छा....ल...ग.....र...हा...है।"औ..र... क...रो...जो...र....से...।"
अब शीला पूरी तरह गरम हो गई थी...।
अब मैं अपने घुटने के बल बैठ गया
और अपने लंड पे थोड़ा थूक लगाया...और शीला की चूत पर रगड़ने लगा....।
"उ....ह.....अ...ब...म..त...त...ड़...पा...ओ....डा....ल...दो..अं...द...र।"
शीला की चूत आग उगल रही थी....।
और फिर मैने लंड का टोपा शीला की चूत पे रख दिया और धीरे से धक्का दे दिया....और पूूरा का पूरा लंड शीला की गीली चूत के अंदर सरसराता हुआ चला गया।
"आ....ह...."
"ह...अँ.....ओ....ह.....उफ्...ह..म्म...आ...."शीला का मुंह फटा का फटा रह गया...।और मैने फिर से आधा लंड निकाल के दोबारा जोर का धक्का लगाया....।
"ओ...ह...."
शीला गनगना उठी...अँ...ह..हुम्म...
आ..ह...हँ...अ...।
अब मैने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया....
"ओ....ह.....उफ्...ह..म्म....उ..ई....मां...हां....ऊ...ह...ओ...ह..."
मैने पूछा...कैसा लग रहा है....।
अ..च्छा...ल...ग...र...हा...है...रा...जा....क...रो..मे..रे...रा...जा
मैंने धक्के लगाते हुए कहा...."अरे राजा नहीं मैं तो तुम्हारी चूत का गुलाम हूं मेरी महारानी..तुुम मेरी..मालकिन...हो...
बोलो".....मैंने उसकी ठोड़ी को पकड़ कर हिलाते हुए कहा।
शीला पर नशे का सुरूर छा गया था।
"हां...मे...री...चू..त...के.....गु..ला..म..अच्छे से करो...औ...र...जो...र
..से....फा..ड़...डा..लो....भो...स...ड़ा...ब...ना...डा...लो...ओ
..ह...।"
और मैं जोर जोर से झटके मारने लगा...फट्ट....फट्ट....फट्ट...फट्ट...
शीला चिख उठी....
"आ...ह....औ...र....जो...र....से..करो....जो...र....से....फा...ड़...दे.....आ....ज....तो...।"
अब शीला उन्मादी हो उठी थी....नशा सर चढ़ के बोल रहा था...और मैं धक्के पे धक्के लगाऐ जा रहा था।
"पू...रा...घु...सा...दे....फा...ड़...डा..ल...इ..स...क..मी..नी...चू...त...को।"
"जैसा हुकुम मेरी मालकीन"....उसे तू तडांग वाली भाषा बोलते देख
मैं भी जोश में आ गया...और पूरी ताकत से जोर का धक्का लगा दिया।
वह चिल्लाई....आ...ई....मा..
र....डा...ला....औ..र...जो...र...से...चो...द....औ...र....चो....द...आ...ई..मैं....झ...ड़ ...र...ही....हूं....ऊ...ह....ऊ....ह....ऊ...ह....
और शीला झड़ गयी....
मैं तुरंत झुका और शीला की चूत पे मुंह लगा के उसकी चूत का पानी पीने लगा...उसके चूत रस का रसपान करने लगा....लेकिन मैने अपने आपको पूरा कंट्रोल में र⁵खा और अपने को झड़ने नहीं दिया।
शीला लंबी लंबी सांसें ले रही थी।मैं शीला के उपर झुक गया....थोड़ी देर में शीला नार्मल होने लगी....
लेकिन नशा अभी भी सवार था....
फिर मैं शीला को बाहों में ले कर लेट गया और तेजी से आगे की प्लानिंग करने लगा।
शेष अगली किस्त में...
भाग 2 PART-2
घर पहुंच कर मैने कुछ जरूरी काम निपटाये।फैमिली को आज रात की ट्रेन से जाना था,सो उनकी जरूरत की कुछ शाॅपिंग करवाई।
रात को स्टेशन जा के उन्हें ड्रॉप किया, फिर घर आ के आराम से सो गया।
सुबह......
रात में जल्दी सोने के कारण निंद सुबह चार बजे अचानक ही खुल गई....
एवं शीला की चूत और गांड के छेद का खयाल आते ही लंड किसी राॅकेट की तरह तन गया।अब इंतजार था शीला का....
थोड़ी देर यूं ही करवट बदलता रहा...
अब सहन नहीं हो रहा था।लेकिन तुरंत ही खयाल आया कि सुबह भरपूर लुत्फ उठाना है तो अभी कंट्रोल कर ले एवं फुल रेडी हो के फिर इत्मीनान से इंतजार करो।
थोड़ी देर और करवटें बदलकर आखिरकार मै उठा किचन में चाय चढ़ाई फिर चाय पी कर फ्रैश होने बाथरूम में घुस गया।नहा धो कर चाय नाश्ता करके कोई साढ़े छह बजे तक फ्री हो गया एवं सोफे पर बैठ कर सीगरेट के हल्के कश लगाने लगा।
सात बजे....
डोअर बेल बज उठी....
मै भी सोफे से उछल पड़ा...सारे बदन में करंट सा दौड़ गया...
तपाक से दरवाजा खोला....
शीला खड़ी थी...
मैैने तुरंत बाहर आ के देखा...कोई है तो नहीं....हमारी सोसाइटी थोड़ी अलग हट के है और सुुबह का वक्त था इसलिए कोई खास आवाजाही नहीं थी...चारों और देख कर जब मै संतुष्ट हो गया कि कोई नहीं है तब शीला को अंदर बुला कर दरवाजा तपाक से बंद कर दिया...
और फिर शीला को कसकर बाहों में जकड़ लिया....
'ओह...'.शीला कसमसा उठी।
"शीला बहुत इंतजार कर लिया मैने।
तूझे याद नहीं आई? "
"आई थी..."
अब मैं शीला को कसकर चूमने लगा ...
वह भी मेरा साथ देने लगी।
दो तीन मिनट इसी प्रकार हम एक दूसरे को चूमते रहे...।
फिर अलग होकर मै शीला को उपर से नीचे तक निहारता रहा...
पीच कलर के सलवार सूट में वह निहायत ही खूबसूरत लग रही थी।
बिना मेक अप के बिल्कुल सादगी के साथ आई थी ताकि किसी का कोई ध्यान ना जाए। सिर पर बड़ा सा जूड़ा बांध रखा था।फिर उसे पकड़कर बैडरूम में ले गया।
फिर उसे बैड पर खींच लिया और चुंबनों की बौछार कर दी।
शीला भी कसमसा उठी...
उसके मुंह से भी कराहें निकल रही थी..
आ...ह...उह...!
फिर मैने झटके से उसके जूड़े का क्लिप हटा दिया....और उसकी काली नागिन सी काली जुल्फे लहरा उठी...और मेरे चेहरे पर छाने लगी...
मै भी मदहोश हो चला था।
अचानक मझे कुछ याद आया...मै उठा और किचन में से दो बीयर की बोतल और दो ग्लास एवं कुछ नाश्ता
ले कर आ गया।
'ये क्या है...?" वह कुतुहल से पूछ बैठी।
"अरे ये भी पानी की तरह ही ड्रिंक है...लेकिन इसको पीकर अलग ही मजा आता है....।
आज हम दोनों मिलकर अच्छे से एंजाॅय करेंगे।"
"लेकिन ये तो शराब है।"
"नहीं मेरी जान ये शराब नहीं हैं...पी के तो देखो बड़ा अच्छा लगेगा ।"
फिर मैने बियर के दो ग्लास बनाए व एक शीला की ओर बढ़ा दिया।
"लेकिन..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं...विश्वास तो रखो...ऐसा वैसा कुछ नहीं है....बस थोड़ा अच्छा लगेगा व मजा आएगा।
आखिर ना नुकुर करते हुए भी शीला ने एक सिप मार ही लिया....
थोड़ा मुंह बिगाड़ा...
मैं बोल पड़ा...
"एक सिप से कुछ नहीं होगा,पूरी पियो फिर अच्छा लगेगा...।
अब शीला धीरे धीरे सिप मारने लगी।
शााद पहले थोड़ा स्वाद ठीक नहीं लग रहा था लेकिन अब वो नाॅर्मल थी।
धीरे धीरे मैं उसे बातों में लगाने लगा...
"अच्छा एक बात बताओ इतनी सुबह यहां आई तो किसी ने कुछ पूछा तो नहीं...जबकि आज संडे है...."
"कह दिया आज ऑफिस में कोई प्रोग्राम है बाहर से गैस्ट भी आएंगे....
इसलिए सफाई के लिए बुलाया है..."
"क्या बात है तुम तो बहुत अच्छा मैनेज कर लेती हो।"....
"हां आपके लिए करना पड़ता है....।"वह मुस्कराते हुए ठंडी सांस ले के बोली।
"शीला,मैं भी तुम्हारा ख्याल रखता ही हूं और आगे भी कोई कसर बाकी नहीं रखूंगा ये मेरा वादा है"कहकर मैंने शीला को बाहों में भर लिया...।
इसी प्रकार बातें करते हुए हम बीयर का घूंट लेते रहे और शीला के ना नुकुर करते हुए भी मैंने उसे बीयर का दूसरा गिलास भी पिला दिया।
अब शीला हल्के हल्के झूम रही थी।
अब मैं उसे बाहों में लेकर उसके मदमस्त होठों का चूमने लगा....
वह भी मस्त हो कर साथ देने लगी।
और मैंने अपने साथ साथ उसके सारे कपड़े उतार दिये....
अब हम दोनों आदम अवस्था में बिल्कुल निर्वस्त्र पड़े हुए थे।
मैंने उसे कस कर बांहो में जकड़ लिया....।
"आह....इतने क्या बेसब्र हो रहे हो...।"
"हां मेरी मालकिन तुम्हें पास पा कर तो मैं सब कुछ भूल जाता हूं।"
"आज हम जन्नत की सैर करेंगे...पूरा दिन है हमारे पास।"मैने उसके हाथ में अपना लंड देते हुए कहा।
वह भी प्यार से मेरे लंड के सुपाड़े की चमड़ी उपर नीचे करने लगी...
और मेरा लंड राॅकेट की तरह तन गया...।
अब मैं अपनी उंगलियों में थोड़ा थूक लेकर उसकी चूत पे मलने लगा....
शीला गनगना उठी... "आ...ह....ऊ...ह..".।
और मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी....और अंदर बाहर करने लगा।
"उ..ई...मां.....ओ....ह...उफ्फ.."
शीला मस्त हो चुकी थी।
अब मैने उसकी दोनों टांगें फैला दी और चूत की फांकों में अपनी जीभ घुसा दी....और चाटने लगा।
"अ...आ....ह.....उ..उ...ह...हां..ब..हु..त...अ..च्छा....ल...ग.....र...हा...है।"औ..र... क...रो...जो...र....से...।"
अब शीला पूरी तरह गरम हो गई थी...।
अब मैं अपने घुटने के बल बैठ गया
और अपने लंड पे थोड़ा थूक लगाया...और शीला की चूत पर रगड़ने लगा....।
"उ....ह.....अ...ब...म..त...त...ड़...पा...ओ....डा....ल...दो..अं...द...र।"
शीला की चूत आग उगल रही थी....।
और फिर मैने लंड का टोपा शीला की चूत पे रख दिया और धीरे से धक्का दे दिया....और पूूरा का पूरा लंड शीला की गीली चूत के अंदर सरसराता हुआ चला गया।
"आ....ह...."
"ह...अँ.....ओ....ह.....उफ्...ह..म्म...आ...."शीला का मुंह फटा का फटा रह गया...।और मैने फिर से आधा लंड निकाल के दोबारा जोर का धक्का लगाया....।
"ओ...ह...."
शीला गनगना उठी...अँ...ह..हुम्म...
आ..ह...हँ...अ...।
अब मैने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया....
"ओ....ह.....उफ्...ह..म्म....उ..ई....मां...हां....ऊ...ह...ओ...ह..."
मैने पूछा...कैसा लग रहा है....।
अ..च्छा...ल...ग...र...हा...है...रा...जा....क...रो..मे..रे...रा...जा
मैंने धक्के लगाते हुए कहा...."अरे राजा नहीं मैं तो तुम्हारी चूत का गुलाम हूं मेरी महारानी..तुुम मेरी..मालकिन...हो...
बोलो".....मैंने उसकी ठोड़ी को पकड़ कर हिलाते हुए कहा।
शीला पर नशे का सुरूर छा गया था।
"हां...मे...री...चू..त...के.....गु..ला..म..अच्छे से करो...औ...र...जो...र
..से....फा..ड़...डा..लो....भो...स...ड़ा...ब...ना...डा...लो...ओ
..ह...।"
और मैं जोर जोर से झटके मारने लगा...फट्ट....फट्ट....फट्ट...फट्ट...
शीला चिख उठी....
"आ...ह....औ...र....जो...र....से..करो....जो...र....से....फा...ड़...दे.....आ....ज....तो...।"
अब शीला उन्मादी हो उठी थी....नशा सर चढ़ के बोल रहा था...और मैं धक्के पे धक्के लगाऐ जा रहा था।
"पू...रा...घु...सा...दे....फा...ड़...डा..ल...इ..स...क..मी..नी...चू...त...को।"
"जैसा हुकुम मेरी मालकीन"....उसे तू तडांग वाली भाषा बोलते देख
मैं भी जोश में आ गया...और पूरी ताकत से जोर का धक्का लगा दिया।
वह चिल्लाई....आ...ई....मा..
र....डा...ला....औ..र...जो...र...से...चो...द....औ...र....चो....द...आ...ई..मैं....झ...ड़ ...र...ही....हूं....ऊ...ह....ऊ....ह....ऊ...ह....
और शीला झड़ गयी....
मैं तुरंत झुका और शीला की चूत पे मुंह लगा के उसकी चूत का पानी पीने लगा...उसके चूत रस का रसपान करने लगा....लेकिन मैने अपने आपको पूरा कंट्रोल में र⁵खा और अपने को झड़ने नहीं दिया।
शीला लंबी लंबी सांसें ले रही थी।मैं शीला के उपर झुक गया....थोड़ी देर में शीला नार्मल होने लगी....
लेकिन नशा अभी भी सवार था....
फिर मैं शीला को बाहों में ले कर लेट गया और तेजी से आगे की प्लानिंग करने लगा।
शेष अगली किस्त में...