25-06-2023, 07:26 PM
पार्ट ३४ : मौसेरे ससुरजी धर्मेश की रंडी बन गयी !!
सुबह मैं छत पर टहलने गयी..! इसी बहाने मेरा व्यायाम हो जाता.. मैं छत के चारो कोनो पर टहलने लगी. तभी मैं सर्वेंट रूम के सामने गयी.. तो देखा दरवाजा पूरा खुला था. एक चटाई पर यासीन सिर्फ एक छोटी सी अंडरवियर मैं सोया था. अंडरवियर मैं उसके लण्ड का उभार साफ़ दिख रहा था. लम्बा साढ़े छे फुट का हत्ता कट्टा आदमी था यासीन. एकदम गोरा और बदन पर काले बाल .. बहुत सुन्दर लग रहा था..उसकी मोटी मोटी जांघें ,, उसके ताकत का साबुत दे रही थी... गर्मी के दिन थे..इसलिए खुले में सोया था..
मैंने छत के कई राउंड लगायें और उसको देखते रही .. तभी मेरा पैर थोड़ा लचक गया और मैं दर्द से कराह उठी . आह.. ूई माँ.. गर्भा अवस्था मैं ऐसे पैर लचकना सेहत के लिए बहुत खतरनाक होता है. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. आह...मर गयी मेरी माँ..ोूफ...मेरी आवाज सुन कर यासीन की नींद टूट गयी. वो वैसे ही भागकर मेरे पास आया..
यासीन - क्या हुआ मेमसाब..आप ठीक है..वह मेरे पैर को देखने लगा..जिसको पकड़ कर मैं सहला रही थी..
मैं - मेरा पैर फिसल गया...पैर की नस लचक गयी..बहुत दर्द हो रहा है..
यासीन मेरे सामने अपने दोनों पैरों पर बैठ गया. और मेरा पैर देखने लगा. ऐसे हगने वाली पोजीशन मैं बैठने से उसके लण्ड का उभर बिलकुल मेरे आँखों के सामने था. उसकी बड़ी बड़ी जांघों..और उनकी नसे.. कसीस बॉडीबिल्डर की तरह लग रही थी.. कश्मीरी लिबास में..ढीले कुर्ते और पाजामा में.. उसका कसा हुआ बदन छुप गया था..जो आज निखर के मेरे सामने आया था..उसकी नीली गहरी आंखें..उफ़... कितना सुन्दर मर्द है..कश्मीरी मर्द बहुत सुन्दर होते है.. वह मेरे पैर को मालिश करके सहलाने लगा. पर मेरा दर्द कम नहीं हो रहा था. मैंने कहा - यासीन मुझे निचे लेकर चलो जल्दी..
मेरे से चला नहीं जा रहा था. यासीन ने मुझे वैसे ही अपनी गोदी मैं उठाया और निचे सीढ़ियों से लेकर जाने लगा. मैंने उसके गले में अपने दोनों हात डाल कर कस के पकड लिया. ऐसे करने से मेरा चेहरा उसकी बालों वाली छाती से चिपक गया. आह क्या खुशबू थी उसके जिस्म की..मर्दानी महक,,मेरे ओंठ उसके छाती पर घिसने लगे. मेरे ओंठ अब उसके छातीके निप्पल्स से रगड़ रहे थे...पर मुझे दर्द भी हो रहा था. दर्द कम करने को मैं अपने दांत दबा देती..इससे यासीन के निप्पल मेरे दातों के बीच में २-३ बार आ गए और वहा काटने के निशान भी आये. यासीन ने ..हर बार दर्द से आह किया पर कोई शिकायत नहीं की. जैसे यासीन ने मुझे सोफे पर लिटाया...मेरा एक हात उसके निकर के ऊपर से रगड़कर निचे आया..मेरे शरीर मैं जैसे करंट लग गया..यासीन को भी सनसनी हुई और वह कुछ सेकंड के लिए कांप गया.. मैंने देखा उसका लण्ड पूरा कड़क हो गया और निकर छोटी होने से उसमे से इलास्टिक से बहार आ रहा था.. उसने मेरे तरफ देखा. उसकी झील सी नीली आँखों में मैं खो गयी.. तभी मैंने मेरा हात उसके लण्ड के ऊपर से निकाल डाला..मेरे हैट पर उसके लण्ड का सख्त और मोटापा महसूस हुआ.. जवान लण्ड था.. अपने खूबी पर था.. मैंने शर्मा कर कहा...जाओ पहले कपडे पहन लो..मैंने जल्दी पम्मी मौसी और अनीश को आवाज दी..वो भाग कर आये..
अनीश ने जल्दी से फॅमिली डॉक्टर को बुलाया.डॉक्टर खन्ना एक ७० साल के वयस्क डॉक्टर है. वो आर्मी में डॉक्टर थे. इसलिए एकदम फिट और हट्टे कटे लम्बे..और अपनी उम्र से काफी जवान दिखते है. वो जल्दी आ गये और मेरा चेक उप करने लगे. अब तक यासीन भी कपडे पहन कर निचे आ गया था. डॉक्टर खन्ना ने कहा - संध्या को उसकी बैडरूम में लेकर चलो .. मुझे चेक उप करना पड़ेगा." जैसे मैं सोफे से उठने लगी .. यासीन ने कहा रुको मैडम.. उसने मुझे मेरे पति अनीश और धर्मेश चाचा के सामने अपने गोदी मैं उठा लिया और मेरी बैडरूम में लेकर जाने लगा. मैं उसकी इस ढिटाई से हक्का बक्का होकर उसको देखने लगी. धर्मेश चाचा मुस्करा रहे थे..और अनीश की आँखों मैं अजीब चमक थी. मुझे यासीन के बदन की खुशबू अच्छी लग रही थी..
डॉक्टर खन्ना ने सिर्फ अनीश को अंदर आने की परमिशन दी..
डॉ. खन्ना.. संध्या .. गाउन ऊपर कर दो.. और घुटने भी ऊपर कर लो..
मैंने गाउन ऊपर कर दिया..मैं अंदर पूरी नंगी थी..पैंटी नहीं पहनी थी.. घुटने मोड़ने से अब मेरी चुत डॉ. खन्ना को साफ़ दिख रही थी.
डॉ. खन्ना.. संध्या रिलैक्स रहो. तुम्हे पता हैं अंदर कैसे चेक उप करते है.. घर से आते वक्त जल्दी में मैं ग्लोव्स लाना भूल गया..पर यह इमरजेंसी है..तुम शांत रहो..ठीक है..?
मैंने कहा.. ठीक है डॉक्टर साब , पर दर्द के कारण मैं घुटने मोड़ नहीं पा रही..
डॉ. खन्ना.. अनीश आप संध्या के घुटने पकड़ कर सहारा दो..
अनीश ने मेरे घुटने पकड़ कर ऊपर उठाये और दोनों हातों से पकड़ के रखे..अपनी बीवी की चुत खुलकर डॉक्टर के सामने पेश कर दी. उसकी आँखों मैं अजीब चमक थी. वह बार बार अपनी जीभ अपने ओंठों पर फेर रहा था. उसकी पैंट में उसका लण्ड तम्बू बना रहा था.
डॉ.खन्ना .. ने पहले..मेरी चुत को पास से देखा..सहलाया और एक ऊँगली अंदर डाली..
वैसे मैंने..आह डॉक्टर... दर्द हो रहा..
डॉ.खन्ना..कोई बात नहीं संध्या..मुझे ठीक से देखने दो..बहुत जरुरी हैं
डॉ.खन्ना का हात का पंजा बहुत बड़ा था और उनकी उँगलियाँ भी बड़ी बड़ी और मोटी थी. जैसे हर ऊँगली कोई बड़ा लण्ड. डॉ. खन्ना की एक ऊँगली मेरे चुत मैं आगे पीछे होकर टटोल रही थी.. और अब मुझे अच्छा लग रहा था..मेरी चुत में सनसनी हो रही थी..
मैंने..आह...उह..किया
डॉ. खन्ना.. क्या हुआ संध्या इधर दर्द हो रहा क्या ? उन्होंने मेरे चुत के अंदर उनकी ऊँगली दबायी..वैसे मैंने..आह ! डॉक्टर !
मैंने कहा.. नहीं दर्द नहीं हो रहा..
डॉ. खन्ना - फिर चिल्लाई क्यों?
मै शर्मा गयी.. वह गुदगुदी हुई इसलिए .और आपकी ऊँगली बहुत बड़ी है.. डॉ. खन्ना मुस्करा दिए और खुश हो गये .. मैंने देखा अनीश की आँखों मैं अजीब ख़ुशी थी..उसकी पैंट के अंदर उसका लण्ड फनफना रहा था. अपने बीवी को ऐसे नंगा कर के और डॉक्टर की हरकतों से उसको मजा आ रहा था. डॉ. खन्ना ने पुराणी स्टाइल की लूस ढीली पैंट पहनी थी.. पर उसके कारण उनकी पैंट में ज्यादा बड़ा तम्बू हो गया था..
अनीश ने कहा.. हाँ डॉक्टर सांब..सच में आपकी उँगलियाँ बहुत मोटी और बड़ी हैं..मेरे से डबल साइज लग रहा है..
मैंने सोचा..डॉ. खन्ना का तम्बू भी डबल साइज है..
तभी डॉ. खन्ना ने उनकी ऊँगली निकाली और कहा अनीश ऐसी ही पकडे रहो ..देखो सब ठीक है..अच्छी बात है की ब्लीडिंग नहीं हो रहा है.. मुझे एकबार फिर से ठीक से देखकर कन्फर्म करना पड़ेगा ..वह अनीश को समजा रहे थे.
अनीश.. है डॉक्टर ..मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता ..आप ठीक से चेक करके कन्फर्म करे
डॉ. खन्ना ने फिर से धीरे से .. लिक्विड लुब्रीकेंट लगा कर उनकी बड़ी ऊँगली मेरी चुत मैं डाल दी..और आगे पीछे करने लगे.. फिर उन्होंने दूसरी ऊँगली भी डाल दी..मेरी चुत में अब आग लग गयी.. वह गिल्ली होने लगी.. शर्म के मारे में आहे भी नहीं भर पा रही थी. डॉक्टर की दोनों उंगलिया कोई बड़े १० इंच लण्ड जैसे मोटी लग रही थी..मुझे पता था इस चेक उप की कोई जरुरत नहीं थी. पर डॉक्टर भी अपनी तमन्ना और हवस पूरी कर रहा था..चेक उप के बहाने..वह भी बिना ग्लोव्स के.डॉक्टर उसकी दोनों उँगलियाँ..मेरी चुत में अंदर तक डाल रहा था..और उंगलिया गोल गोल घुमाकर मेरी चुत की हर दिवार को रगड़ रहा था. मेरी चुत के पानी से उसकी उंगलिया गिल्ली हो गयी..और अब उसको और भी आसानी हो गयी. मेरे से अभी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था.. मेरा बांध फूटने में था.. वहा डॉक्टर की उँगलियाँ मेरी चुत मैं जादू कर रही थी.. और मेरी चुत से लगातार पानी बह रहा था..तभी डॉक्टर की उँगलियों ने मेरी चुत के दाने को जोर से रगड़ डाला.. उनकी एक उंगली मेरे दाणे को पकड़ कर गोल गोल रगड़ने लगी. तभी उन्होंने अपने दोनों ऊँगली में मेरे दाणे को पकड़ कर चिमटी ले ली..जिस के कारन मैं सकपका गयी .. और तड़प रही थी..मेरा हात अपने आप..डॉक्टर के पैंट के पास गया और उनका लण्ड मेरी मुट्ठी मैं जोर से पकड़ लिया. और .उह.. आह..करके बेशरम होकर झड़ने लगी. डॉक्टर ने आराम से दोनों उँगलियाँ निकाल ली..वह भी हड़बड़ा गये थे.. मेरे मुट्ठी मैं उनका लण्ड फनफना रहा था..वह आसानी से धर्मेश अंकल जितना मोटा और १० इंच लम्बा लण्ड होगा.. मुझे जब थोड़ा होश आया..मैं शर्मा गयी और अपना हात वापस पीछे ले लिए.. डॉक्टर खन्ना भी जल्दी संभल गये और बोले - अनीश ..सब ठीक है..मैं कुछ गोलिया लिख कर देता हूँ..तुम बहार आ जाओ .. और वह जल्दी से बहार चला गया.
मैं आह..आह..कर के झड़ रही थी.. अब मेरे साथ सिर्फ अनीश था.. मेरे कमीने पति को भी रहा नहीं गया..वह निचे झुक कर मेरे चुत पर अपने ओंठ रखकर मेरा पाणी पिने लगा.. चाट चाट कर उसने मेरी चुत का सारा पाणी पी लिया..वह चाट रहा था और मैं लगातार उसके मुँह में पाणी छोड़ रही थी. मेरी चुत पूरी चाट चाट कर साफ़ करके कुछ देर मैं अनीश बहार डॉक्टर से मिलने चला गया. डॉक्टर ने कुछ दवाई दी और कहा.. संध्या के पैर की मालिश करनी होगी दिन में तीन बार. तभी धर्मेश अंकल ने कहा..कोई दिक्कत नहीं..यासीन बहुत अच्छी मालिश करता है..डॉक्टर को घर के बहार छोड़ कर अनीश भागा हुआ हमारे बेडरूम में आया..मैं बिस्तर पर लेटी थी..वो अपने कपडे निकाल कर पूरा नंगा हो गया..उसका लण्ड अभी भी फड़फड़ा रहा था.. उसने आते ही उसका लण्ड सीधे मेरे मुँह में डाल दिया..आह ! संध्या रानी.. चूस ले मेरा लण्ड..
मैं भी प्यार से मेरे पति का लण्ड चूसने लगी. तभी मेरी नजर दरवाजे पर गयी.. दरवाजा आधा खुला था..वहा से धर्मेश अंकल खड़े होकर सब देख रहे थे..उनकी पाजामे में भी तम्बू बन गया था..वो अपने दोनों हातों से अपने लण्ड को सहला रहे थे. मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे..और उनकी आँखों से मुझे चोद रहे थे. अनीश की पीठ दरवाजे की तरफ थी .. इसलिए उसे दिख नहीं रहा था.
अनीश - आह रानी...क्या मस्त लण्ड चूसती है तू.. डॉ. खन्ना ने क्या मस्त उनकी उँगलियों से तेरी चुत की चुदाई की..बहुत मजा आ रहा था देखने में..
मैं कुछ बोल नहीं सकती थी.. अनीश का लण्ड मेरे मुँह में था. धर्मेश अंकल सब सुन रहे थे..और कमीनी नजरों से मुझे देखकर मुस्करा रहे थे.
अनीश - वाह रानी आज मजा आ गया.. मन कर रहा था की आज डॉक्टर से भी तुझे चुदवा लू.. आह....उफ़...बताओ डॉक्टर का लण्ड पकड़ कर मजा आया ?
मैं: उम्..हां,,, अनीश का लण्ड अभी भी मेरे मुँह मैं था..
अनीश: बोलो कैसे था डॉ. का लुंड..मेरे से बड़ा था..
अनीश ने मुझे जवाब देने के लिए..अपना लण्ड मेरे मुँह से बहार निकाल दिया..बोलो रानी बता..कैसे था डॉ. का लण्ड..
मै: बहुत मोटा और बड़ा था..तुमसे डबल साइज..था..
अनीश.. आह रानी..बोलो क्या मेरे सामने डॉ. के मोटे लुंड से चुदवायेगी ?
मै - हम्म हाँ..
मेरी ऑंखें धर्मेश अंकल को देख रही थी..वह भी बड़े मस्ती मैं थे...और अपना लण्ड सहला रहे थे..और कमीनी स्माइल दे रहे थे..
अनीश जल्दी ही मेरे मुँह में उसके लैंडसे वीर्य की पिचकारी उड़ाने लगा. मैंने भी प्यार से सब निगल लिया.. अनीश ने मुझे किस किया - ी लव यू संध्या डार्लिंग.. और कपडे पेहेन कर ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा. धर्मेश अंकल तब तक चले गये थे.
मुझे अभी भी चलने में दर्द हो रहा था. अनीश ने यासीन को बुलाया और कहा .. देखो यासीन में ऑफिस जा रहा हूँ.. तुम पहले संध्या की मालिश कर देना.. फिर इसको बाथरूम ले जाना..नहाने को.. मैडम को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए..समजे?
यासीन - हाँ साब समज गया..आप चिंता मत करो..मैडम को कोई तकलीफ नहीं होगी.
कुछ देर बाद यासीन..एक कटोरे में गरम तेल लेकर आया...मैडम आप सोये रहिये.. मैं यहाँ बिस्तर पर ही आपकी मालिश कर दूंगा ..
में फिर भी उठ गयी..और बिस्तर एक एक साइड पर पैर निचे जमीं पर रख कर बैठ गयी. वैसे यासीन मेरे पैरों के पास निचे जमीं पर बैठ गया.उसने मेरा लचका हुआ दाया पैर अपनी गोदी में ले लिया..और धीरे धीरे तेल लगाने लगा.. उसके हात बहुत मुलायम पर सख्त मर्दाने थे . उसने मेरी नस पकड़ ली..और मैं आह..करके दर्द से कराह उठी. यासीन - मैडम मैंने नस पकड़ ली..अब आप चिंता मत करो में..इसको ठीक से मालिश करूँगा..
फिर वो उस नस को पाँव से लेकर घुटने टाक मालिश करने लगा.. मुझे अच्छा लगने लगा.. मेरा गाउन बिच मैं आता..वो उसको ऊपर घुटने पर रख देता ..
यासीन - मैडम यह नस ऊपर कमर तक जाती है..इसको ऊपर कमर तक मालिश करनी पड़ेगी...आप गाउन थोड़ा ऊपर उठा लो.
मैंने गाउन थोड़ा ऊपर जांघों तक ले लिया... वैसे यासीन ने फिर से पाँव से लेकर..जांघों तक उस नस को पकड़ कर सहलाने लगा.. मुझे अच्छा लग रहा था. पर दूसरा पैर लटका रहने के कारण थोड़ी परेशानी हो रही थी.. यासीन मेरी परेशानी भांप गया.. उसने मेरा बाया पैर हलके से उठाया और उसके कंधे पर दाये बाजु रख दिया. और मेरे दाये पैर को पकड़ कर वह पाँव से लेकर कमर तक मालिश करने लगा.. इसके कारण मेरा गाउन पूरा कमर तक चला गया..पर मुझे अच्छा लग रहा था...मैंने ऑंखें बंद कर ली...यासीन..के होतों में जादू था...वह पूरा एक ही बार में पाँव से लेकर कमर तक मेरे पैर की नस की गरम तेल से मालिश कर रहा था. मैंने ऑंखें खोली...देखा यासीन लगातार मेरे पैरों के बीच घूर रहा था..उसके आँखों मैं चमक थी.. तभी मेरे को अहसास हुआ के मेरे दोनों पैरों के बिच उसका चेहरा है..और मेरा गाउन कमर के ऊपर चला गया है..जिसके कारण यासीन को मेरी नंगी जाँघे और गुलाबी चुत साफ़ दिखाई दे रही है.. उसका चेहरा मेरे चुत से सिर्फ २ फ़ीट के फासले पर था. चूँकि मेरा एक पैर उसके हात में ऊपर की तरफ था..और दूसरा उसके कंधो पर, मेरी चुत के ओंठ भी खुल गये थे..और उसको चुत की दरार साफ़ दिखाई दे रही थी.. यह देखकर मेरी चुत के ओंठ फड़फड़ाने लगे.. वो..यासीन के ओंठों से मिलने को तड़पने लगे.. यासीन एक हात से मेरी नस की मालिश कर रहा था..और उसका दूसरा हात मेरे जांघ पर था.. मेरी चुत के बिलकुल करीब..तभी यासीन ने ऊपर देखा..मेरी ऑंखें उसकी नीली आँखों मैं डूबने लगी.. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी.. कैसे सम्मोहन था.. तभी मुझे यासीन का हात मेरी चुत पर महसुस हुआ और मेरे शरीर मैं कम्पन होने लगी.. मेरा सम्मोहन टुटा और मैंने जल्दी से गाउन निचे कर दिया और कहा - बस यासीन..आज के लिए इतना काफी है..मुझे अब बाथरूम जाना है..
यासीन एकदम भांप गया जैसे कोई मीठा सपना टूट गया .. उसका मुँह उदास हो गया ..उसने बड़े कष्ट से उसका हात मेरी चुत के ऊपर से उठाया.. जब वो मेरे पैरों से उठा तब मैंने देखा की उसके पाजामे तम्बू बन गया था..और प्रिकम के कारण गिला निशान भी था. उसने मुझे उठाकर शावर के निचे खड़ा कर दिया. कुछ कपडे और टॉवल लेकर दिए. मैंने खड़े खड़े ही शावर के निचे नाहा लिया. फिर टॉवल से अपना बदन पोंछ लिया .. पर बाथरूम मैं निचे पानी था..इसलिए मैं अपने कपडे वहां नहीं पेहेन सकती थी. मैंने मेरा टॉवल..मेरे छाती से बांध लिया ..मेरे मम्मे ढक गये..और बड़ा टॉवल था..इसलिए जांघों तक मेरा बदन ढक गया .. मैंने फिर से यासीन को आवाज दी..
वो बाथरूम मैं आया..मुझे देखता रहा..मेरे गीले बदन पर पानी की बुँदे..मै बहुत सुन्दर लग रही थी..उसने मुझे फिर से गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया . ऐसे करते वक्त मेरे पैर फ़ैल गये .और उसको मेरी चुत के बार बार दर्शन होते रहे.. . उसके जाने के बाद मैंने अपने कपडे बिस्तर पर पहन लिए... नीले रंग का गाउन था...मुझ पर बहुत जचता था .. पैंटी और ब्रा नहीं पहना ..
ब्रेकफास्ट और दोपहर का कहना खाने के बाद..धर्मेश अंकल मेरे बैडरूम में आ गये..उनके हात मैं गरम तेल का कटोरा था.
मैं: अरे धर्मेश अंकल आप..पम्मी आंटी सो गयी क्या ?
धर्मेश अंकल: हाँ मेरी जान वो सो गयी...दोपहर की मालिश मैं करूँगा...और तुझे अपनी मलाई भी खिलाऊंगा..और हंसने लगे
मै : अंकल पहले दरवाजा बंद कर लो
धर्मेश अंकल: हाँ नहीं तो सुबह जैसे दुर्घटना हो जाएगी ..और हम दोनों हसने लगे..
मैंने कहा - अच्छी बात नहीं है अंकल ऐसे मिया - बीवी को छुपकर देखना
धर्मेश अंकल - अच्छा हुआ सपना जान..आज मैंने देख और सुन लिया..अब आगे..हम दोनों को छुपकर कुछ नहीं करना पड़ेगा ..
मैं: क्या मतलब अंकल ? कैसे अंकल ?
धर्मेश अंकल - बताता हूँ..पहले मालिश करने दो..मैं तो तुम्हे पूरा नंगा करके मालिश दूंगा..
धर्मेश अंकल के आँखों मैं वासना भरी चमक थी..कोई भी औरत उनकी आँखों मैं खो जाती..
उन्होंने मेरा गाउन निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया...और वह खुद भी पूरा नंगे हो गये..उनका १० इंच का गोरा मोटा लण्ड..फड़फड़ा रहा था..उसके टोपे से प्रिकम की चिपचिपी बून्द बहार निकल रही थी.
उन्होंने मुझे उठा कर अपनी गोदी मैं बिठा लिया और प्यार से मेरे ओंठों पर अपने ओंठ रख दिए और किस करने लगे. उनका दूसरा हात मेरे चुत को सहला रहा था धर्मेश अंकल: संध्या रानी तुम बहुत सुन्दर हो..इसलिए अनीश तुमसे इतना प्यार करता है..और डॉक्टर भी फिसल जाता है...
मैं हॅसने लगी..क्या अंकल आप भी..
अब धर्मेश अंकल एक हात से मेरे गोल आम दबा रहे थे और दूसरे हात से मेरी चुत के अंदर ऊँगली डाल कर आगे पीछे कर रहे थे.उनके ओंठ अब मेरे गुलाबी निप्पल्स का रसपान कर रहे थे. मैंने भी प्यार से उनका मोटा कड़क लण्ड पकड़ लिया. धर्मेश अंकल का लण्ड बहुत सुन्दर था..इतना सुन्दर लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा था..१० इन्चा का मोटा, गोरा.. लाल लाल सूपड़ा , मस्त केले के आकार जैसे टेढ़ा घुमा हुआ ..एकदम मरदाना लण्ड था..जब भी चोदते हर औरत को खुश कर देते ..मैं भी मस्ती मैं आ गयी.. उनके रंग में बेशरम होकर रंगने लगी. रिश्ते में वह मेरे मौसेरे ससुर थे.. पर मुझे उनकी रंडी बना दिए थे.
वह अब अपनी उँगलियों से मेरे चुत के दाणे को प्यार से सहलाने लगे..और बोले
धर्मेश अंकल - : संध्या लगता हैं सुबह डॉक्टर ने बहुत मजे लिए तेरे से ..और अनीश को भी पसंद आया..
मैं सिसक रही थी..मेरे चुत का दाणा फटने वाला था.मैंने ..उम् .. आह सिसक कर कहा.. कुछ नहीं बोल पा रही थी.
धर्मेश अंकल ने अब मुझे हल्का सा उठाया और अपने लण्ड पर धीरे से पर बिठा दिया...उनका मोटा १० इंच का लण्ड धीरे से मेरी गीली चुत को चीरता अंदर तक चला गया..
आह ! धर्मेश अंकल...और मैं पागलो की तरह उनको किस करने लगी..उनके ओंठ चूमने लगी..और मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर डाल दी
धर्मेश अंकल ने अपने दोनों हातों से मेरी गांड दोनों बाजु से पकड़ी थी ..और मुझे ऊपर निचे उछाल कर अपने लण्ड की सवारी करा रहे थे... वह मेरी आँखों में देख रहे थे..
धर्मेश अंकल; अनीश को तुम्हे दूसरों से चुदवाना अच्छा लगता है न..कितने लोगों से चुदवाया उसने तुम्हे..
अब यह बात मेरे और मेरे पति के बिच की थी..मैं बता नहीं सकती थी...वैसे उन्होंने मुझे उठाया जोर जोर से अपने लण्ड को आगे पीछे कर के मेरी चुत चोदने लगे. मैं उनकी गहरी आँखों में खो रही थी..
मैं..आहा..धर्मेश अंकल..हां...! अनीश को पसंद है..
धर्मेश अंकल - यह तो अच्छी बात है..अनीश ककोल्ड निकला .. अब देखो मैं कैसे उसको दबाकर उसके सामने तुझे चोदता हूँ...वह खुद मेरे पास आकर तुम्हे चोदने के लिए भिक मांगेगा ..मैंने ऐसे कही ककोल्ड पतियों के सामने उनकी बीवियों की चुदाई की हैं. ..अनीश तो बच्चा है..
आह धर्मेश अंकल....मैं...सकपका गयी..और उनके लण्ड पर झड़ने लगी...
मेरे चुत के पानी से उनका लण्ड पूरा गिला हो गया..और उनकी गोटिया भी भीग गयी...उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया...और उनका लण्ड और गोटिया मेरे चहरे के पास लेकर आये...संध्या मेरा लुंड चाट कर साफ़ कर दो..और गोटिया भी.. मैं भी प्यार से उनका लुंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी..और उनके टट्टे भी..क्या खुशबू है..क्या गजब का स्वाद है..
उन्होंने मुझे फिर से किस किया और बोले..मेरी प्यारी संध्या ..तुम तो मेरी सब से प्यारी रंडी हो.. हो ना..बालो ?
मैं: हाँ धर्मेश अंकल मैं सिर्फ आपकी रंडी हूँ.. वह वही मेरे बाजू में लेट गये..और मुझे अपनी बाँहों मैं जकड लिया
मैं भी वैसे नंगी उनकी बाँहों मैं सो गयी..हम दोनों एक दूसरे के बाँहों मैं नंगे सो कर खुश थे. जब आँख खुली तो देखा की ५ बज गये थे..मैंने धर्मेश अंकल को देखा..वो सो रहे थे.. पर उनका लण्ड अभी फिर से फनफना रहा था..मैंने उनको उठाया - धर्मेश अंकल उठो...अभी ५.३० बजे अनीश आ जायेंगे ..
धर्मेश अंकल ने मुझे प्यार से उनकी तरफ खिंच लिया...ऐसे नहीं रानी...कुछ गिफ्ट दो..चला जाऊंगा
मैं: सब कुछ तो दे दिया आपको धर्मेश अंकल..अब जाइये प्लीज..
धर्मेश अंकल..गिफ्ट बिना नहीं जाऊंगा..
मैं डर रही थी..अनीश के आने का टाइम हो रहा था...मैंने कहा - क्या चाहिए गिफ्ट..?
धर्मेश अंकल - बस मेरे खड़े लण्ड को पप्पी दे दो.. और हवसभरी नज़रों से मुझे देखने लगे..
मैंने अपने दोनों हातों से उनका मोटा लम्बा लण्ड पकड़ा...और उनके लाल सुपडे पर पप्पी लेने लगी..वैसे उन्होंने उनकी गांड ऊपर उछाल दी..और उनका लण्ड मेरे मुँह मैं ठूस दिया...दूसरे हातों से उन्होंने मेरा सर पकड़ कर रखा..
धर्मेश अंकल ..आह..संध्या क्या मस्त लण्ड चूसती है..मेरी रंडी..चूस ले..तुझे मेरा पाणी पसंद है ना.. तुम्हे मेरे वीर्य के स्वाद की लालसा है ना..पूरी कर लो...
मुझे उनकी खुशबू और महक बहका गयी.मैं पागलो की तरह उनका लण्ड चूसने लगी.. मैंने देखा ५.२० बज रहे थे.. मुझे जल्दी कुछ करना पड़ेगा..मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया और चूसने लगी...मैंने उनके बड़े बड़े गोल गोल टट्टे हातों से पकड़ लिए और सहलाने लगी... धर्मेश अंकल..आह..उम्..करने लगे..वह गरम हो गये थे...उन्होंने खुद को उल्टा पलट लिया और मेरी जांघों मैं अपना मुँह घुसा दिया..उनकी जीभ मेरी चुत के द्वार को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर गयी..और चाटने लगी..
मेरी चुत भी जवाब दे रही थी..गीली होने लगी थी...धर्मेश अंकल का लण्ड फनफनाकर मरे गले तक मेरा मुँह चोद रहा था..और उनकी जीभ मेरी चुत मैं घुस घुसकर मेरी चुत चोद रही थी. मैंने अपने दोनों हातों से उनकी गांड पकड़ ली., अपनी ऊँगली पर थूका..और उनके गांड में एक ऊँगली डाल दी...
वैसे वह तड़प उठे..आह संध्या......मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया..और उनकी गांड मैं ऊँगली घुसा दी..
वैसे वह..आह..उम्..कर के मेरे मुँह मैं अपना वीर्य पिलाने लगे.. वाह! क्या खुशबू...इसकी दीवानी हो गयी थी मैं..इसके लिए उनकी रंडी बन गयी थी में..
मेरी चुत ने भी..धक्के मार मार कर..उनके मुँह में पाणी बहा दिया..वो बड़े प्यार से मेरा पाणी पिने लगे...बहुत देर तक हम एक दूसरे का पाणी पीते रहे..उन्होंने मेरी चुत सारी चाट कर साफ़ कर दी थी. मैंने भी उनका पूरा वीर्य का रसपान किया था..एक - एक भी बूँद चाट ली थी..
मैंने उनको जल्दी जाने को कहा..तभी घर के बहार अनीश की गाड़ी की आवाज आयी..धर्मेश अंकल जाते जाते बोले - सुनो संध्या .. मुझे अनीश को अपने काबू में करना है..अपना ककोल्ड बनाना है..मैं जैसे बोलू..वैसे तुम करना..
मैंने उनको कहा ..ठीक है..आप जो अच्छा समजे करे..