27-10-2024, 10:17 PM
काफी दिन बीते और देखे तो सुप्रिया और गंगू के रिश्तों में मिठास बढ़ने लगी। गंगू ने सुप्रिया का अच्छे से खयाल रखा और सुप्रिया ने गंगू और उसके परिवार की खूब सेवा की। गंगू बहुत इंतजार कर रहा था सुप्रिया से शादी करने के लिए।
सुप्रिया को सरजू की भी याद आ रही थी। आखिर में दिसंबर के बीच में सरजू आया। सरजू को वापिस देख सुप्रिया बहुत खुश हुई। सरजू दोपहर को आ गया था।
"कैसी हो सुप्रिया मुझे याद किया ?" सरजू ने मजाक में पूछा।
"हां लेकिन तुमने याद किया ?"
"क्या सांस लेना इंसान भूल सकता है ? वैसे क्या सरजू सुप्रिया के बिना रह सकता है ?"
आज सुप्रिया ने तय कर लिया था की सरजू को अपना जिस्म देकर रहेगी। सुप्रिया आगे बढ़ी और सरजू के होठ पे होठ रखकर कहा "अगर मैं तुम्हारी सांसे हूं तो तुम मेरी भी।"
"सुप्रिया यह क्या किया तुमने ? क्या तुम मुझसे प्यार करती हो ?"
"हां। और तुम ?"
सरजू सुप्रिया को अपनी ओर खींचा और कहा "बेहद प्यार करता हूं। तब से जब से तुम मेरी जिंदगी में आई। उससे शादी करके।"
"तो मुझे यहां लाने के पीछे तुम्हारा प्यार था ?"
"हां। लेकिन मर्यादा की वजह से न कर पाया।"
"अगर मैं तुम्हे कहूं की मर्यादा तोड़ दो तो ?"
"तो फिर तुम्हे अपना बनाकर रहूंगा।" यह कहकर सरजू ने सुप्रिया का पल्लू गिरा दिया और गले लग गया।
"ओह सरजू क्या हमारा मिलन ही जिंदगी का मकसद था ?"
"पता नही लेकिन सुप्रिया तुम्हे पाने के लिए में कितना बेताब था। जी चाह रहा था की तुमसे पहले ही शादी कर लूं। अगर पता होता की तुम मुझे चाहती हो तो आज हमारे कई बच्चे भी होते।" सरजू ने हंसते हुए कहा।"
बाहों में कसे सुप्रिया को अपने कमरे में ले गया सरजू। सुप्रिया के बदन से कपड़े हटाने लगा। साड़ी उतरकर और फिर एक एक करके सारे कपड़े उतारकर नग्न अवस्था में उसे अपने बिस्तर पे लिटा दिया। खुद भी निर्वस्त्र होकर अपने ऊपर सुप्रिया को लिटाया। सुप्रिया जैसे एक भूखे शेरनी की तरह सरजू पे टूट पड़ी। होठ से हाथ मिलाकर आज सरजू को अपने आगोश में करनेवाली थी। उसके बुड्ढे शरीर को अपने जवानी से भरपूर जिस्म से चिपका लिया। लेकिन अब बारी सरजू की थी। सरजू से तेजी से करवट बदला और पूरी तरह से सुप्रिया के ऊपर लेट गया। मुलायम और गोरे हाथो को ऊपर किया और बगल (armpit) की भीनी खुशबू से उत्तेजित होने लगा। अपने पान से सने लाल लाल जुबान को बाहर निकाला और बगल चाटने लगा। सुप्रिया इतनी गोरी थी तो सरजू कोयले से भी काला। सरजू ने हल्के से अपने दांत सुप्रिया के मुलायम कंधे पे गड़ा लिया और हल्के से काट लिया।
सिसकारी लगाते हुए सुप्रिया की आंखों में मदहोशी छाई थी। सरजू मुलायम स्तन को चूमते हुए अपने जुबान से चाटने लगा। फिर उसके बाद सुप्रिया की गोरी गोरी गहरी नाभी को चूमने लगा। वही सुप्रिया बिस्तर के चादर को मुट्ठी में समेट लिया। सुप्रिया के साफ और गोरे गोरे योनि में अपना लाल जुबान डालते हुए सरजू उसे चूसने लगा। सुप्रिया का शरीर जैसे मचलने लगा। अपने दोनो पैरो को ऊपर करके सरजू के कंधो पे रख दिया और दोनो हाथो से उसके सिर को पकड़ा। सरजू तेजी से जुबान अंदर बाहर कर रहा था। अपने दोनो हाथो से सुप्रिया के स्तन को दबाने लगा।
"हम्म सरजू और जोर से। रुको मत।"
"सुप्रिया तुम सिर्फ मेरी हो।"
"हां सरजू अब जल्दी से अपने प्रेम को वर्षा मेरे अंदर करो."
सरजू समझ गया और अपना काला लिंग हाथ में लिया और योनि में डालकर धक्का मारने लगा। सुप्रिया की आंखे बंद हो गई और धक्के का मजा लेने लगी। उसकी आंखों में एक तस्वीर दिख रही थी जिसमे वो एक शादी के जोड़े में है और उसका दूल्हा गंगू था। तो दूसरे तस्वीर में एक बच्चा उसकी गोद में था को सरजू का था। दोनो बुड्ढों को अपने जिंदगी से जाने देना नही चाहती थी। आंखे खोली तो सामने सरजू धक्का दे रहा था सिर इसके होठ को चाट रहा था।
"आआह्ह सरजू ऐसे क्या देख रहे हो ?"
"देख रहा हूं अपनी मालकिन को जिसका मालिक एक मैं बन गया।"
"मेरे दिल के मालिक।" सुप्रिया ने फिर से सरजू को चूम लिया।
सरजू आखिर में झड़ गया और दोनो एक दूसरे की बाहों में को गए। जब दोनो की आंखे खुली तो अंधेरा हो चुका था। सुप्रिया बिना कपड़े के ही लालटेन जला दी और खुद के जिस्म को चादर में लपेटकर छत पर चली गई। पीछे से उसे देख नंगे शरीर के साथ सरजू भी चाट पहुंचा। दोनो खंडर कमरे में एक दूसरे से लिपटकर खटिया में लेते हुए थे।
सुप्रिया सरजू को प्यार से देख रही थी। सरजू बोला "सुप्रिया तुम्हारी आंखे देखकर लग रहा है की तुम कुछ कहना चाहती हो।"
सुप्रिया ने हिम्मत जुटाते हुए अपने और गंगू के बारे में बात की। उसकी यह बात सुनकर सरजू हंसने लगा और कहा "देखो सुप्रिया। में तुम्हे सालो से चाहता हूं। तुमने नरक भोगा है। अब जो तुम चाहो वो कर सकती हो। घबराओ मत में तुम्हारा साथ दूंगा। लेकिन......."
"लेकिन क्या ? देखो मेरा एक परिवार है और अगर उन्हें पता चला की तुम और मैं जिस्मानी ताल्लुकात रखते है तो कुछ कहेंगे नही लेकिन दिल के अंदर मेरे प्रति मान नहीं रहेगा। तुम समझ रही हो न।"
"हां।"
"देखो सुप्रिया मुझे एक परिवार तुम्हारे साथ बसाना है लेकिन शादी नामुमकिन है। क्यों न हम एक समझौता करे ?"
"क्या ?"
"क्या तुम हम दोनो को प्यार करती हो ?"
"जान से भी ज्यादा।"
"अगर मैं। कहूं कि तुम गंगू से शादी कर लो। लेकिन मुझे भी प्यार दो तो ?"
"में तैयार हूं।"
"सुप्रिया मैं चाहता हूं कि तुम खुश रहो। जाओ सुप्रिया गंगू से शादी करके घर बसाओ। और रही बात मेरी तो जब मैं बुलाऊं तो मेरे पास चली आना। "
सुप्रिया सरजू को होठ को चूमते हुए बोली "जिंदगी के अंत तक मैं तुम्हारा साथ दूंगी। जब तक सरजू है तब तक उसका प्यार सुप्रिया ही रहेगी।"
"वो तो है ही। चलो मेरे साथ।"
"कहां ?"
"जहां अब से तुम्हे होना चाहिए।"
सरजू सुप्रिया को घर से बाहर ले गया और रात के सन्नाटे और अंधेरे में सरजू गांव से बाहर सुप्रिया को गंगू के घर ले गया। गंगू के घर का दरवाजा खटखटाया। नींद में आंखे मसलते हुए गंगू ने जब सुप्रिया और सरजू को देखा तो हैरान हो गया।
गंगू बोला "सुप्रिया इतनी रात को यहां अकेले ? ये क्या हुआ तुम्हे ? पागल हो क्या ?"
तभी पीछे से सरजू बोला "यह अकेली नहीं आई है। में इसे लाया तुम्हारे पास।"
गंगू पूछा "सरजू भाई साहब लेकिन क्यों ?"
"मुझे सब कुछ पता चल गया। पता चल गया कि कैसे तुम मेरी सुप्रिया से प्यार करते हो । कैसे तुमने उसे अपना बनाया।"
गंगू बोला "माफ करना सरजू। मुझे पता नहीं था कि तुम उससे प्यार करते हो वरना मैं ये सब नहीं करता. में अब सुप्रिया से दूर रहूंगा।"
सरजू गुस्सा दिखाते हुए बोला "फिर नामर्द वाली बात। फिर से मेरी सुप्रिया को दर्द पहुंचना चाहते हो ? देख रही हो सुप्रिया इस डरपोक से मुहब्बत करती हो ?"
"तो फिर क्या करूं भाई। आप इससे प्यार करते हो। "
"तो क्या हम दोनो इससे प्यार नही कर सकते ?"
गंगू कुछ न बोला।
"देखो गंगू हम दोनो बूढ़े है और हमे मिली है एक जवान और खूबसूरत औरत। हमे प्यार किया कोई जोर जबर्दस्ती नही। सुप्रिया हम दोनो को प्यार देने को तैयार है फिर रुकावट क्यों ?"
गंगू के चेहरे पर मुस्कान आईं। सरजू ने सुप्रिया का हाथ गंगू के हाथ में थामते हुए कहा "खुश रखोगे मेरी सुप्रिया को ?"
"हां लेकिन आप भी इसे प्यार करना।" गंगू ने कहा।
"करूंगा लेकिन पहले अब ये तुम्हारी है। अब जलसे जल्द इसे भुला दो इसकी पुरानी जिंदगी को। अब इससे शादी कर लो।"
गंगू सुप्रिया की और देखते हुए कहा "करोगी मुझसे शादी ?"
सुप्रिया शरमाते हुए बोली "हां।"
सरजू बोला "गंगू अब तुम दोनो को ये गांव छोड़कर जाना होगा। वहां जाओ जहां कोई तुम्हे न परेशान करे।"
गंगू बोला "मेरी पहली पत्नी के घर रहेंगे। अब उस खंडर में कोई नहीं रहता। वो गांव भी खाली है। चलो सुप्रिया आज रात ही हम यहां से चले जाते है।"
फिर क्या हुआ। सुप्रिया और गंगू अपना सामान बांधकर रातों रात गांव से बाहर चले गए और संचार नाम के गांव में चले गए। उसे गांव में कोई नहीं रहता। एक हफ्ते में गंगू ने एक आदमी को अपनी दुकान में रखा और खुद मालिक की तरह हिसाब किताब लेता। जिस आदमी को गंगू ने काम में रखा वो बिरजू है। बिरजू को शराब से छुड़वाने के लिए सुप्रिया ने ही गंगू को उसे दुकान पर रखने को कहा।
गंगू ने गांव के एक मंदिर में सुप्रिया से शादी कर ली। दोनों संचार में एक खंडर से घर को अपना बना लिया। उसकी साफ सफाई में सरजू ने भी साथ दिया। कुछ दिनों में घर बनाने के बाद सुप्रिया वहीं से कॉलेज जाती और काम करती। गंगू अब सारे दिन घर पर रहता। अपने पोते को रिश्तेदार के पास भेज दिया ताकि वो सुप्रिया के साथ वक्त बिता सके। थोड़ा वक्त लगा लेकिन गंगू के रिश्तेदारों ने खुले मन से सुप्रिया को स्वीकार कर लिया। सिर्फ इतना ही नहीं, घर को ठीक करने में कई रिश्तेदारों ने सुप्रिया की मदद भी की।
अब तो बस सुप्रिया अपने जिंदगी में खुश थी। गंगू का भरपूर प्यार मिलता। सरजू ने शादी के बाद से सुप्रिया को मिला नहीं। सुप्रिया को गंगू ने कहा कि वो कभी कभी कुछ दिनों के लिए सरजू के पास चली जाए और थोड़ा उसका ख्याल रखे।
लग रहा था जैसे खुशियां सुप्रिया के जीवन में च गई हो लेकिन ऐसा न था। शादी के ६ महीने बाद सुप्रिया के जिंदगी में दुःख का सैलाब आया। जी हां। सुप्रिया का प्यार सरजू दिल के दौरे पड़ने से उसकी मौत हुई। सुप्रिया जैसे टूट गई और उसे दुख से बाहर निकलने में गंगू ने बहुत मेहनत की। सुप्रिया को जीना पड़ेगा ऐसा गंगू ने समझाया क्योंकि उसके पेट में गंगू के चार महीने का बच्चा पल रहा था। सुप्रिया को इस दर्द से दूर किया ५ महीने बाद उसके बच्चे सने जो दुनिया में आ चुका था।
सुप्रिया को एक बेटा हुआ था। और वो बच्चा गंगू का ही था। अब देखना ये है कि आगे सुप्रिया की जिंदगी में क्या क्या होगा।
सुप्रिया को सरजू की भी याद आ रही थी। आखिर में दिसंबर के बीच में सरजू आया। सरजू को वापिस देख सुप्रिया बहुत खुश हुई। सरजू दोपहर को आ गया था।
"कैसी हो सुप्रिया मुझे याद किया ?" सरजू ने मजाक में पूछा।
"हां लेकिन तुमने याद किया ?"
"क्या सांस लेना इंसान भूल सकता है ? वैसे क्या सरजू सुप्रिया के बिना रह सकता है ?"
आज सुप्रिया ने तय कर लिया था की सरजू को अपना जिस्म देकर रहेगी। सुप्रिया आगे बढ़ी और सरजू के होठ पे होठ रखकर कहा "अगर मैं तुम्हारी सांसे हूं तो तुम मेरी भी।"
"सुप्रिया यह क्या किया तुमने ? क्या तुम मुझसे प्यार करती हो ?"
"हां। और तुम ?"
सरजू सुप्रिया को अपनी ओर खींचा और कहा "बेहद प्यार करता हूं। तब से जब से तुम मेरी जिंदगी में आई। उससे शादी करके।"
"तो मुझे यहां लाने के पीछे तुम्हारा प्यार था ?"
"हां। लेकिन मर्यादा की वजह से न कर पाया।"
"अगर मैं तुम्हे कहूं की मर्यादा तोड़ दो तो ?"
"तो फिर तुम्हे अपना बनाकर रहूंगा।" यह कहकर सरजू ने सुप्रिया का पल्लू गिरा दिया और गले लग गया।
"ओह सरजू क्या हमारा मिलन ही जिंदगी का मकसद था ?"
"पता नही लेकिन सुप्रिया तुम्हे पाने के लिए में कितना बेताब था। जी चाह रहा था की तुमसे पहले ही शादी कर लूं। अगर पता होता की तुम मुझे चाहती हो तो आज हमारे कई बच्चे भी होते।" सरजू ने हंसते हुए कहा।"
बाहों में कसे सुप्रिया को अपने कमरे में ले गया सरजू। सुप्रिया के बदन से कपड़े हटाने लगा। साड़ी उतरकर और फिर एक एक करके सारे कपड़े उतारकर नग्न अवस्था में उसे अपने बिस्तर पे लिटा दिया। खुद भी निर्वस्त्र होकर अपने ऊपर सुप्रिया को लिटाया। सुप्रिया जैसे एक भूखे शेरनी की तरह सरजू पे टूट पड़ी। होठ से हाथ मिलाकर आज सरजू को अपने आगोश में करनेवाली थी। उसके बुड्ढे शरीर को अपने जवानी से भरपूर जिस्म से चिपका लिया। लेकिन अब बारी सरजू की थी। सरजू से तेजी से करवट बदला और पूरी तरह से सुप्रिया के ऊपर लेट गया। मुलायम और गोरे हाथो को ऊपर किया और बगल (armpit) की भीनी खुशबू से उत्तेजित होने लगा। अपने पान से सने लाल लाल जुबान को बाहर निकाला और बगल चाटने लगा। सुप्रिया इतनी गोरी थी तो सरजू कोयले से भी काला। सरजू ने हल्के से अपने दांत सुप्रिया के मुलायम कंधे पे गड़ा लिया और हल्के से काट लिया।
सिसकारी लगाते हुए सुप्रिया की आंखों में मदहोशी छाई थी। सरजू मुलायम स्तन को चूमते हुए अपने जुबान से चाटने लगा। फिर उसके बाद सुप्रिया की गोरी गोरी गहरी नाभी को चूमने लगा। वही सुप्रिया बिस्तर के चादर को मुट्ठी में समेट लिया। सुप्रिया के साफ और गोरे गोरे योनि में अपना लाल जुबान डालते हुए सरजू उसे चूसने लगा। सुप्रिया का शरीर जैसे मचलने लगा। अपने दोनो पैरो को ऊपर करके सरजू के कंधो पे रख दिया और दोनो हाथो से उसके सिर को पकड़ा। सरजू तेजी से जुबान अंदर बाहर कर रहा था। अपने दोनो हाथो से सुप्रिया के स्तन को दबाने लगा।
"हम्म सरजू और जोर से। रुको मत।"
"सुप्रिया तुम सिर्फ मेरी हो।"
"हां सरजू अब जल्दी से अपने प्रेम को वर्षा मेरे अंदर करो."
सरजू समझ गया और अपना काला लिंग हाथ में लिया और योनि में डालकर धक्का मारने लगा। सुप्रिया की आंखे बंद हो गई और धक्के का मजा लेने लगी। उसकी आंखों में एक तस्वीर दिख रही थी जिसमे वो एक शादी के जोड़े में है और उसका दूल्हा गंगू था। तो दूसरे तस्वीर में एक बच्चा उसकी गोद में था को सरजू का था। दोनो बुड्ढों को अपने जिंदगी से जाने देना नही चाहती थी। आंखे खोली तो सामने सरजू धक्का दे रहा था सिर इसके होठ को चाट रहा था।
"आआह्ह सरजू ऐसे क्या देख रहे हो ?"
"देख रहा हूं अपनी मालकिन को जिसका मालिक एक मैं बन गया।"
"मेरे दिल के मालिक।" सुप्रिया ने फिर से सरजू को चूम लिया।
सरजू आखिर में झड़ गया और दोनो एक दूसरे की बाहों में को गए। जब दोनो की आंखे खुली तो अंधेरा हो चुका था। सुप्रिया बिना कपड़े के ही लालटेन जला दी और खुद के जिस्म को चादर में लपेटकर छत पर चली गई। पीछे से उसे देख नंगे शरीर के साथ सरजू भी चाट पहुंचा। दोनो खंडर कमरे में एक दूसरे से लिपटकर खटिया में लेते हुए थे।
सुप्रिया सरजू को प्यार से देख रही थी। सरजू बोला "सुप्रिया तुम्हारी आंखे देखकर लग रहा है की तुम कुछ कहना चाहती हो।"
सुप्रिया ने हिम्मत जुटाते हुए अपने और गंगू के बारे में बात की। उसकी यह बात सुनकर सरजू हंसने लगा और कहा "देखो सुप्रिया। में तुम्हे सालो से चाहता हूं। तुमने नरक भोगा है। अब जो तुम चाहो वो कर सकती हो। घबराओ मत में तुम्हारा साथ दूंगा। लेकिन......."
"लेकिन क्या ? देखो मेरा एक परिवार है और अगर उन्हें पता चला की तुम और मैं जिस्मानी ताल्लुकात रखते है तो कुछ कहेंगे नही लेकिन दिल के अंदर मेरे प्रति मान नहीं रहेगा। तुम समझ रही हो न।"
"हां।"
"देखो सुप्रिया मुझे एक परिवार तुम्हारे साथ बसाना है लेकिन शादी नामुमकिन है। क्यों न हम एक समझौता करे ?"
"क्या ?"
"क्या तुम हम दोनो को प्यार करती हो ?"
"जान से भी ज्यादा।"
"अगर मैं। कहूं कि तुम गंगू से शादी कर लो। लेकिन मुझे भी प्यार दो तो ?"
"में तैयार हूं।"
"सुप्रिया मैं चाहता हूं कि तुम खुश रहो। जाओ सुप्रिया गंगू से शादी करके घर बसाओ। और रही बात मेरी तो जब मैं बुलाऊं तो मेरे पास चली आना। "
सुप्रिया सरजू को होठ को चूमते हुए बोली "जिंदगी के अंत तक मैं तुम्हारा साथ दूंगी। जब तक सरजू है तब तक उसका प्यार सुप्रिया ही रहेगी।"
"वो तो है ही। चलो मेरे साथ।"
"कहां ?"
"जहां अब से तुम्हे होना चाहिए।"
सरजू सुप्रिया को घर से बाहर ले गया और रात के सन्नाटे और अंधेरे में सरजू गांव से बाहर सुप्रिया को गंगू के घर ले गया। गंगू के घर का दरवाजा खटखटाया। नींद में आंखे मसलते हुए गंगू ने जब सुप्रिया और सरजू को देखा तो हैरान हो गया।
गंगू बोला "सुप्रिया इतनी रात को यहां अकेले ? ये क्या हुआ तुम्हे ? पागल हो क्या ?"
तभी पीछे से सरजू बोला "यह अकेली नहीं आई है। में इसे लाया तुम्हारे पास।"
गंगू पूछा "सरजू भाई साहब लेकिन क्यों ?"
"मुझे सब कुछ पता चल गया। पता चल गया कि कैसे तुम मेरी सुप्रिया से प्यार करते हो । कैसे तुमने उसे अपना बनाया।"
गंगू बोला "माफ करना सरजू। मुझे पता नहीं था कि तुम उससे प्यार करते हो वरना मैं ये सब नहीं करता. में अब सुप्रिया से दूर रहूंगा।"
सरजू गुस्सा दिखाते हुए बोला "फिर नामर्द वाली बात। फिर से मेरी सुप्रिया को दर्द पहुंचना चाहते हो ? देख रही हो सुप्रिया इस डरपोक से मुहब्बत करती हो ?"
"तो फिर क्या करूं भाई। आप इससे प्यार करते हो। "
"तो क्या हम दोनो इससे प्यार नही कर सकते ?"
गंगू कुछ न बोला।
"देखो गंगू हम दोनो बूढ़े है और हमे मिली है एक जवान और खूबसूरत औरत। हमे प्यार किया कोई जोर जबर्दस्ती नही। सुप्रिया हम दोनो को प्यार देने को तैयार है फिर रुकावट क्यों ?"
गंगू के चेहरे पर मुस्कान आईं। सरजू ने सुप्रिया का हाथ गंगू के हाथ में थामते हुए कहा "खुश रखोगे मेरी सुप्रिया को ?"
"हां लेकिन आप भी इसे प्यार करना।" गंगू ने कहा।
"करूंगा लेकिन पहले अब ये तुम्हारी है। अब जलसे जल्द इसे भुला दो इसकी पुरानी जिंदगी को। अब इससे शादी कर लो।"
गंगू सुप्रिया की और देखते हुए कहा "करोगी मुझसे शादी ?"
सुप्रिया शरमाते हुए बोली "हां।"
सरजू बोला "गंगू अब तुम दोनो को ये गांव छोड़कर जाना होगा। वहां जाओ जहां कोई तुम्हे न परेशान करे।"
गंगू बोला "मेरी पहली पत्नी के घर रहेंगे। अब उस खंडर में कोई नहीं रहता। वो गांव भी खाली है। चलो सुप्रिया आज रात ही हम यहां से चले जाते है।"
फिर क्या हुआ। सुप्रिया और गंगू अपना सामान बांधकर रातों रात गांव से बाहर चले गए और संचार नाम के गांव में चले गए। उसे गांव में कोई नहीं रहता। एक हफ्ते में गंगू ने एक आदमी को अपनी दुकान में रखा और खुद मालिक की तरह हिसाब किताब लेता। जिस आदमी को गंगू ने काम में रखा वो बिरजू है। बिरजू को शराब से छुड़वाने के लिए सुप्रिया ने ही गंगू को उसे दुकान पर रखने को कहा।
गंगू ने गांव के एक मंदिर में सुप्रिया से शादी कर ली। दोनों संचार में एक खंडर से घर को अपना बना लिया। उसकी साफ सफाई में सरजू ने भी साथ दिया। कुछ दिनों में घर बनाने के बाद सुप्रिया वहीं से कॉलेज जाती और काम करती। गंगू अब सारे दिन घर पर रहता। अपने पोते को रिश्तेदार के पास भेज दिया ताकि वो सुप्रिया के साथ वक्त बिता सके। थोड़ा वक्त लगा लेकिन गंगू के रिश्तेदारों ने खुले मन से सुप्रिया को स्वीकार कर लिया। सिर्फ इतना ही नहीं, घर को ठीक करने में कई रिश्तेदारों ने सुप्रिया की मदद भी की।
अब तो बस सुप्रिया अपने जिंदगी में खुश थी। गंगू का भरपूर प्यार मिलता। सरजू ने शादी के बाद से सुप्रिया को मिला नहीं। सुप्रिया को गंगू ने कहा कि वो कभी कभी कुछ दिनों के लिए सरजू के पास चली जाए और थोड़ा उसका ख्याल रखे।
लग रहा था जैसे खुशियां सुप्रिया के जीवन में च गई हो लेकिन ऐसा न था। शादी के ६ महीने बाद सुप्रिया के जिंदगी में दुःख का सैलाब आया। जी हां। सुप्रिया का प्यार सरजू दिल के दौरे पड़ने से उसकी मौत हुई। सुप्रिया जैसे टूट गई और उसे दुख से बाहर निकलने में गंगू ने बहुत मेहनत की। सुप्रिया को जीना पड़ेगा ऐसा गंगू ने समझाया क्योंकि उसके पेट में गंगू के चार महीने का बच्चा पल रहा था। सुप्रिया को इस दर्द से दूर किया ५ महीने बाद उसके बच्चे सने जो दुनिया में आ चुका था।
सुप्रिया को एक बेटा हुआ था। और वो बच्चा गंगू का ही था। अब देखना ये है कि आगे सुप्रिया की जिंदगी में क्या क्या होगा।