11-06-2023, 11:19 AM
अगले दिन सुबह रानी आयी और राजीव को चाय बना कर दी। राजीव ने रानी को कहा: आज तुम मुझसे पैसे ले लेना और डॉक्टर को दिखा देना । अब तुमको समय समय पर डॉक्टर को दिखाना होगा, समझी?
रानी: जी अच्छा दिखा दूँगी। आप ये तो बताओ कि कल सरला को ठोके कि नहीं?
राजीव हँसते हुए: अरे उसे ठोके बिना मुझे चैन कहाँ। वैसे कल उसकी मैंने और उसके जेठ दोनों ने मिलकर चुदाई की।
रानी: दोनों ने एक साथ ? हे भगवान ! आप भी ना क्या क्या करते रहते हो? वो तय्यार हो गई इसके लिए?
राजीव: अरे वो तो मस्त मज़े से चुदवाई किसी रँडी की तरह। मज़ा आ गया।
रानी: और वो रीमा का क्या चक्कर था, आप उसकी तरफ़ भी बहुत गंदी नज़रों से देख रहे थे ?
राजीव: अरे कुछ नहीं उसकी बुर चाटी और कुछ ख़ास नहीं।
रानी: एक बात बोलूँ ? नाराज़ मत होना!
राजीव: बोलो।
रानी: मैंने देखा था कि आप बहु की भी छाती को अजीब नज़रों से देख रहे थे। आपके मन में उसके लिए भी कहीं कुछ तो नहीं चल रहा?
राजीव: नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वह असल में क्या हुआ था कि सरला ने उसकी ब्रा का साइज़ ३४ बताया था। मुझे लगा कि वह बढ़ाकर बोल रही है, इसलिए मैं चेक कर रहा था कि क्या वाक़ई उसके इतने बड़े हैं क्या। और कुछ नहीं ।
रानी: वाह जी वाह क्या ससुर हैं जो बहू की ब्रा का नाप चेक कर रहे हैं वो भी सगाई के दिन। तो क्या परिणाम निकला जाँच का?
राजीव: हाँ उसके बड़े हैं ३४ से कम नहीं होंगे।
रानी: हाथ से पकड़कर देख लेते क्या साइज़ है?
राजीव झल्लाकर उसके पिछवाड़े पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोला: साली मेरा मज़ाक़ उड़ाती है? चल जा एक कप और चाय ला। रानी हँसती हुई अपने चूतर सहलाते हुए भाग गयी।
शिवा भी उठा और तय्यार होकर दुकान चला गया।
राजीव नहाकर सरला को फ़ोन लगाया: हाय मेरी जान कैसी हो?
सरला: ठीक हूँ, आपका बहुत धन्यवाद सगाई अच्छी तरह से हो गयी। सब कुछ बहुत बढ़िया रहा।
राजीव: हाँ सब कुछ बढ़िया था , तुम्हारी चुदाई भी।
सरला: छि आपको तो बस एक ही बात आती है। और कल जो आप उस बच्ची रीमा के साथ करने जा रहे थे ना वो आपको हवालात की सैर करा देती।
राजीव: अरे जिसे तुम बच्ची कह रही हो वह कार में एक बार फिर से मुझे मज़ा दी। चालू चीज़ है। जल्दी ही चोदूंग़ा उसे। छोड़ो उसे, तुम बताओ तुमको तो मज़ा आया ना डबल धमाके का?
सरला हँसते हुए: इसका जवाब तो मैंने कल ही दे दिया था कि मुझे बहुत मज़ा आया।
राजीव: तो फिर कब इस मज़े को रीपीट करेंगे? एक बार फिर से वही मज़ा अपने घर पर लेंगे, प्रोग्राम बनाओ श्याम के साथ?
सरला: ठीक है बात करूँगी और बताऊँगी। शिवा कैसा है?
राजीव: ठीक है और दुकान चला गया है। मालिनी बेटी कैसी है?
सरला: वह भी ठीक है किचन में कुछ बना रही है। चलिए मैं रखती हूँ।
राजीव: अरे मेरी जान एक पप्पी तो दे दो और फिर वह एक चुम्बन की आवाज़ निकाला। उधर से सरला ने भी वही पुच्हह मी आवाज़ निकाली और फ़ोन रख दिया।
उधर मालिनी किचन में आकर खाना बनाने लगी, तभी उसको याद आया कि उसने अपने ज़ेवरों का डिब्बा तायी जी को दिया था , वो उसे वापस माँ को देना है। वह श्याम के कमरे की ओर चल पड़ी। जैसे ही वह उनके कमरे के पास पहुँची उसे माँ की आवाज़ सुनाई दी। वह हंस रही थी और धीमी आवाज़ में बात कर रही थी। उसने खिड़की से देखा कि ताऊजी ने मम्मी को अपनी बाँहों में जकड़ रखा था और उनके हाथ उनकी चूतरों पर घूम रहे थे। बग़ल में बिस्तर पर ताई जो सोई हुई थी या पता नहीं सोने का नाटक कर रहीं थीं। जब ताऊजी की उँगलियाँ उनके पिछवाड़े से होकर नीचे उनकी बुर या गाँड़ में जाने लगी तो मालिनी शर्म से वहाँ से हट गई। वह सोच रही थी कि इस उम्र में भी मम्मी को कितनी गरमी चढ़ी हुई है।
ये अच्छा ही हुआ कि मालिनी वहाँ से चली आयी वरना वो जो उनकी बातें सुन लेती तो उसका दिमाग़ ही घूम जाता।
सरला फुसफुसाकर बोली: राजीव जी का फ़ोन आया था, वह हम दोनों को फिर से बुला रहे हैं वही थ्रीसम के लिए।
श्याम उसकी चूचियाँ दबाते हुए: हाँ यार जल्दी ही प्रोग्राम बनाते है। सच बहुत मज़ा आया था कल। हैं ना?
सरला: हाँ आया तो था, पर ऐसे रोज़ रोज़ थोड़े ही जा सकते हैं? अगले हफ़्ते का प्रोग्राम बनाएँगे।
श्याम: ठीक है जैसा तुम कहो। तभी श्याम का फ़ोन बजा और सरला भी बाहर आ गयी और अपने काम में लग गयी।
उधर शिवा ने दुकान से सरला को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान?
सरला: ठीक हूँ मेरे जानू , आप कैसे हैं?
शिवा: कल की सगाई का नशा अभी भी नहीं उतरा।
सरला: अच्छा सगाई का या पार्क का?
शिवा हँसते हुए: पार्क का भी नहीं उतरा। क्या लोग हैं इस दुनिया में? ससुर बहु से लगा हुआ है और देवर भाभी से।
सरला: रिश्तों का तो जैसे महत्व ही नहीं रह गया हो। यह बोलते हुए इसे थोड़ी देर पहले का माँ और ताऊजी का आलिंगन याद आ गया। वह सकपका गयी।
शिवा: मुझे तो ऐसा लगता है कि वासना इंसान को रिश्तों को भूलने के लिए मज़बूर कर देती है , तुमको क्या लगता है?
सरला: सिर्फ़ वासना नहीं कभी कभी मजबूरियाँ भी हो सकती हैं। अब जिसने जो करना है करे , हम कौन होते हैं दूसरों की ज़िंदगी का फ़ैसला करने वाले, है कि नहीं?
शिवा: सही कहा तुमने। हर कोई फ़्री है अपने जीवन के फ़ैसले लेने के लिए? जिसे जो सही लगे वह वही करेगा। चलो छोड़ो ये सब , पर कल तुम साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी। बहुत प्यार आ रहा था तुमपर।
मालिनी हँसते हुए: तभी शायद अपने प्यार को मेरे पिछवाड़े से रगड़ रहे थे।
शिवा झेंपकर बोला: अरे वो तो ऐसे ही पार्क में वो सब देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया था वरना मैं ऐसा करने का सोच भी नहीं सकता ।
मालिनी: कोई बात नहीं फिर क्या हुआ? अब तो मैं आपकी ही होने वाली हूँ , थोड़ी बहुत शरारत कर भी ली तो क्या हुआ? वैसे आपने एक बार मेरी छाती ज़रा ज़ोर से ही दबा दी थी, मुझे दुःख गया था।
शिवा: सॉरी वो पार्क में साला वो सब देखकर मैं ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया था। अच्छा एक बात बताओ , मैंने सुना है कि लड़कियाँ एक दूसरे की छातियाँ दबाती है मज़ाक़ मज़ाक़ में ,ये सही है क्या?
मालिनी: सब ऐसी नहीं होतीं पर हाँ कुछ को ज़्यादा ही गरमी रहती है। मेरी भी एक दो लड़कियों ने दबाई थीं पर ज़ोर से नहीं।
शिवा: कई बार बदमाश लड़के भीड़ का फ़ायदा उठाकर दबा देते हैं, ऐसा कभी हुआ तुम्हारे साथ?
मालिनी: हाँ हुआ है जब मैं ट्रेन से उतर रही थी तो एक अधेड़ आदमी ने भीड़ का फ़ायदा उठाकर बहुत ज़ोर से दबा दिया। मैं तो मारे दर्द के रोने लगी थी। तब मेरे साथ में ताऊजी भी थे । मम्मी मुझे संभाल रही थी और ताऊजी ने उसकी बहुत पिटायी की थी। आपको बताऊँ लड़कों से ज़्यादा कमीने बड़ी उम्र के आदमी होते हैं। मेरा और मेरी सहेलियों का तो यही अनुभव है।
शिवा: ओह तुम्हारी सहेलियों के साथ भी ये हुआ है ?
मालिनी: हाँ सबके साथ कुछ ना कुछ हुआ ही है। कई सहेलियों को तो घर के आदमी भी ग़लत तरीक़े से छूते हैं।
जैसे पद्मा बता रही थी उसके मामा ही उसकी छाती और नीचे भी सहलाने की कोशिश करते हैं। वो जब छोटी थी तो उनके गोद में बैठती थी पर अब जब वो जवान हो चुकी है तब भी वो उसे अपनी गोद में बैठा लेते हैं और फिर यहाँ वहाँ छूते हैं।
शिवा: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। चलो दूसरों का छोड़ो और ये बताओ की मैं तुमको कैसा लगा?
मालिनी: बहुत अच्छे है आप। सच कह रही हूँ।
शिवा : और मेरा कैसा है?
मालिनी: आपका क्या कैसा है?
शिवा शरारत से हँसते हुए: हथियार और क्या?
मालिनी: छि आप बहुत बिगड़ रहे हैं। मैं आपको शरीफ़ समझती थी। कोई लड़की से ऐसे पूछता है भला?
शिवा: अरे मैं तो तुम्हारा इम्प्रेशन पूछ रहा हूँ उसके बारे में? और कुछ नहीं।
मालिनी: तो सुनिए मुझे तो वह ज़्यादा ही भयानक लगा है। और वो मेरी फाड़ ही देगा। आप ऐसा करना सुहाग रात को एक डॉक्टर बुला कर रखना क्योंकि बाद में सिलाई की ज़रूरत पड़ेगी। यह कहते हुए वह हँसने लगी और शिवा को भी हँसी आ गयी। फिर मालिनी ने आइ लव यू कहकर फ़ोन काट दिया। फिर उसे अहसास हुआ कि शिवा से बात करते करते उसकी बुर गीली हो गई थी। उधर दुकान में काउंटर के नीचे से शिवा ने भी अपना खड़ा लौड़ा अजस्ट किया। शिवा सोच रहा था कि अभी शादी में १५ दिन हैं कैसे कटेंगे ये दिन?
राजीव आज बहुत ध्यान से काम कर रहा था क्योंकि शादी में बस सिर्फ़ १५ दिन बचे थे। बहुत लिस्ट वो बना चुका था पर जब लड़की और उसके रिश्तेदारों को क्या उपहार देना है सोचा तब उसका दिमाग़ चलना बन्द हो गया। काश आज सविता होती तो कुछ भी परेशानी नहीं होती। तभी उसको अपनी बेटी का ख़याल आया और वह उसी समय उसको फ़ोन लगाया।
राज उसके दामाद ने फ़ोन उठाया: नमस्ते पापा जी।
राजीव : नमस्ते बेटा, फिर क्या प्रोग्राम बना?
राज: पापा मेरा अभी भी डांवाडोल है ओर महक की बुकिंग हो गयी है। लो महक से बात करो।
महक: नमस्ते पापा जी, मैं आऽऽऽऽऽऽ रही हूँ एक हफ़्ते में। ख़ूब मज़ा आएगा शिवा की शादी में। ख़ूब धमाल करेंगे।
राजीव: बेटी जल्दी से आओ और सब सम्भालो, तुम्हारी माँ के बिना बड़ी दिक़्क़त हो रही है। वैसे भी अपने परिवार की शायद आख़री शादी है। क्योंकि तुमने तो शायद बच्चे पैदा करने नहीं है और पता नहीं शिवा भी क्या सोचता है इस बारे में। तो मेरे जीवन में तो पोता पोती की शादी का नसीब होगा ही नहीं।
महक: क्या पापा आप क्या उलटा पुल्टा सोच रहे हैं। आप नाती पोता की शादी ज़रूर देखेंगे।
राजीव : हाँ अगर होंगे तो ही ना देखूँगा। तुम लोग अब ये फ़ैमिली प्लानिंग बंद करो मुझे नाती चाहिए समझी?
महक की आवाज़ इस बार थोड़ी सी उदास होकर आइ: ठीक है पापा। अब रखती हूँ, बाई।
राजीव ने भी बाई करके फ़ोन काटा और सोचने लगा कि महक अचानक उदास क्यों हो गयी? फिर वह ख़ुश होकर शिवा को फ़ोन कर बताया कि महक अगले हफ़्ते ही आ रही है। शिवा भी इस समाचार से ख़ुश हो गया।
तभी रानी आइ और बोली: मैंने खाना बना दिया है, आप खा लेना।
राजीव: बड़ी जल्दी है जाने की। चल जाते जाते अपनी गाँड़ दिखा कर जा।
रानी हँसने लगी और बोली: देखने से क्या होगा?
राजीव: मैंने कहा ना दिखा। वह हँसते हुए अपनी साड़ी लहंगे के साथ उठा दी और घूम गयी। अब उसकी पैंटी में क़ैद चूतर राजीव के सामने थे। वह अपना लौड़ा मसलते हुए बोला: चल पैंटी नीचे कर ताकि उनको नंगा देख सकूँ।
रानी ने मुस्कुरा कर पैंटी को नीचे किया और उसके गोल गोल चूतर उसके सामने थे। रानी का रंग गहुआं था पर चूतर काफ़ी गोरे थे।
![[Image: 95029718_060_d962.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/535/95029718/95029718_060_d962.jpg)
राजीव: सामने झुक और चूतरों को फैला।
रानी ने सोफ़े का सहारा लिया और आगे झुकी और फिर हाथ पीछे करके अपने चूतरों को फैलाया। आह क्या दृश्य था उसकी सूजी हुई बुर और टाइट गाँड़ का छेद मस्त लग रहा था। वह अब अपना संयम खो दिया और अपने नीचे का हिस्सा नंगा करके अपने लौड़े को मसल कर झुकी हुई रानी के गाँड़ के सामने घुटने के बल बैठा और अपना मुँह उसकी दरार ने डाल कर उसकी बुर को चूसने लगा और जीभ से चोदने लगा।
![[Image: 95029718_079_ccc0.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/535/95029718/95029718_079_ccc0.jpg)
रानी उइइइइइइइइइइ कर उठी और फिर वह अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने किया और वो उसे भूक़े की तरह चूसने लगी। फिर वह थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में फ़िट किया और पीछे से दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। अब ठप ठप की आवाज़ के साथ उसकी मज़बूत जाँघें रानी के चूतरों से टकरा रही थीं और फ़च फ़च की आवाज़ भी बुर से आ रही थी।
![[Image: 64695664_080_95fe.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/347/64695664/64695664_080_95fe.jpg)
रानी भी हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओओओओर सेएएएएएए चोओओओओओओओदो कहकर चिल्लाई जा रही थी। अब जैसे जैसे वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने लगी वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न हुन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह अपनी जाँघों को आपस में भींचकर उसके लौड़े को जकड़ ली और राजीव भी इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो दोनों झड़ने लगे।
रानी बाथरूम से बाहर आयी और बोली: अब जाऊँ?
राजीव ने उसे प्यार से चूमा और कहा: जाओ मेरी जान, पर डॉक्टर को शाम को ज़रूर दिखा देना और ये लो पैसे।
रानी भी उसको चूमकर पैसे लेकर चली गयी।
राजीव अब आराम करने लगा।
अगले दो दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। रानी डॉक्टर को दिखा आइ थी और टोनिक और दूसरी दवाइयाँ लेने लगी थी । राजीव दिन में एक बार उसको चोद देता था।
उस दिन राजीव नाश्ता करके रानी से शादी के कपड़े संभलवा रहा था तभी फ़ोन बजा। उसने हेलो कहा और दूसरी तरफ़ से एक लड़की की पतली सी आवाज़ आयी: हेलो, कौन बोल रहे हैं?
राजीव: मैं राजीव बोल रहा हूँ, आप कौन बोल रही हैं?
लड़की: अंकल जी मैं रीमा बोल रही हूँ।
राजीव हैरानी से फ़ोन को देखा और बोला: अरे रीमा बेटी, कैसी हो? बोलो आज हमारी याद कैसे आ गयी।
रीमा: अंकल वो आपने अपना विज़िटिंग कार्ड रख दिया था ना मेरे पर्स में , वहीं से आपका नम्बर मिला है। इसलिए फ़ोन किया है।
रानी: जी अच्छा दिखा दूँगी। आप ये तो बताओ कि कल सरला को ठोके कि नहीं?
राजीव हँसते हुए: अरे उसे ठोके बिना मुझे चैन कहाँ। वैसे कल उसकी मैंने और उसके जेठ दोनों ने मिलकर चुदाई की।
रानी: दोनों ने एक साथ ? हे भगवान ! आप भी ना क्या क्या करते रहते हो? वो तय्यार हो गई इसके लिए?
राजीव: अरे वो तो मस्त मज़े से चुदवाई किसी रँडी की तरह। मज़ा आ गया।
रानी: और वो रीमा का क्या चक्कर था, आप उसकी तरफ़ भी बहुत गंदी नज़रों से देख रहे थे ?
राजीव: अरे कुछ नहीं उसकी बुर चाटी और कुछ ख़ास नहीं।
रानी: एक बात बोलूँ ? नाराज़ मत होना!
राजीव: बोलो।
रानी: मैंने देखा था कि आप बहु की भी छाती को अजीब नज़रों से देख रहे थे। आपके मन में उसके लिए भी कहीं कुछ तो नहीं चल रहा?
राजीव: नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वह असल में क्या हुआ था कि सरला ने उसकी ब्रा का साइज़ ३४ बताया था। मुझे लगा कि वह बढ़ाकर बोल रही है, इसलिए मैं चेक कर रहा था कि क्या वाक़ई उसके इतने बड़े हैं क्या। और कुछ नहीं ।
रानी: वाह जी वाह क्या ससुर हैं जो बहू की ब्रा का नाप चेक कर रहे हैं वो भी सगाई के दिन। तो क्या परिणाम निकला जाँच का?
राजीव: हाँ उसके बड़े हैं ३४ से कम नहीं होंगे।
रानी: हाथ से पकड़कर देख लेते क्या साइज़ है?
राजीव झल्लाकर उसके पिछवाड़े पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोला: साली मेरा मज़ाक़ उड़ाती है? चल जा एक कप और चाय ला। रानी हँसती हुई अपने चूतर सहलाते हुए भाग गयी।
शिवा भी उठा और तय्यार होकर दुकान चला गया।
राजीव नहाकर सरला को फ़ोन लगाया: हाय मेरी जान कैसी हो?
सरला: ठीक हूँ, आपका बहुत धन्यवाद सगाई अच्छी तरह से हो गयी। सब कुछ बहुत बढ़िया रहा।
राजीव: हाँ सब कुछ बढ़िया था , तुम्हारी चुदाई भी।
सरला: छि आपको तो बस एक ही बात आती है। और कल जो आप उस बच्ची रीमा के साथ करने जा रहे थे ना वो आपको हवालात की सैर करा देती।
राजीव: अरे जिसे तुम बच्ची कह रही हो वह कार में एक बार फिर से मुझे मज़ा दी। चालू चीज़ है। जल्दी ही चोदूंग़ा उसे। छोड़ो उसे, तुम बताओ तुमको तो मज़ा आया ना डबल धमाके का?
सरला हँसते हुए: इसका जवाब तो मैंने कल ही दे दिया था कि मुझे बहुत मज़ा आया।
राजीव: तो फिर कब इस मज़े को रीपीट करेंगे? एक बार फिर से वही मज़ा अपने घर पर लेंगे, प्रोग्राम बनाओ श्याम के साथ?
सरला: ठीक है बात करूँगी और बताऊँगी। शिवा कैसा है?
राजीव: ठीक है और दुकान चला गया है। मालिनी बेटी कैसी है?
सरला: वह भी ठीक है किचन में कुछ बना रही है। चलिए मैं रखती हूँ।
राजीव: अरे मेरी जान एक पप्पी तो दे दो और फिर वह एक चुम्बन की आवाज़ निकाला। उधर से सरला ने भी वही पुच्हह मी आवाज़ निकाली और फ़ोन रख दिया।
उधर मालिनी किचन में आकर खाना बनाने लगी, तभी उसको याद आया कि उसने अपने ज़ेवरों का डिब्बा तायी जी को दिया था , वो उसे वापस माँ को देना है। वह श्याम के कमरे की ओर चल पड़ी। जैसे ही वह उनके कमरे के पास पहुँची उसे माँ की आवाज़ सुनाई दी। वह हंस रही थी और धीमी आवाज़ में बात कर रही थी। उसने खिड़की से देखा कि ताऊजी ने मम्मी को अपनी बाँहों में जकड़ रखा था और उनके हाथ उनकी चूतरों पर घूम रहे थे। बग़ल में बिस्तर पर ताई जो सोई हुई थी या पता नहीं सोने का नाटक कर रहीं थीं। जब ताऊजी की उँगलियाँ उनके पिछवाड़े से होकर नीचे उनकी बुर या गाँड़ में जाने लगी तो मालिनी शर्म से वहाँ से हट गई। वह सोच रही थी कि इस उम्र में भी मम्मी को कितनी गरमी चढ़ी हुई है।
ये अच्छा ही हुआ कि मालिनी वहाँ से चली आयी वरना वो जो उनकी बातें सुन लेती तो उसका दिमाग़ ही घूम जाता।
सरला फुसफुसाकर बोली: राजीव जी का फ़ोन आया था, वह हम दोनों को फिर से बुला रहे हैं वही थ्रीसम के लिए।
श्याम उसकी चूचियाँ दबाते हुए: हाँ यार जल्दी ही प्रोग्राम बनाते है। सच बहुत मज़ा आया था कल। हैं ना?
सरला: हाँ आया तो था, पर ऐसे रोज़ रोज़ थोड़े ही जा सकते हैं? अगले हफ़्ते का प्रोग्राम बनाएँगे।
श्याम: ठीक है जैसा तुम कहो। तभी श्याम का फ़ोन बजा और सरला भी बाहर आ गयी और अपने काम में लग गयी।
उधर शिवा ने दुकान से सरला को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान?
सरला: ठीक हूँ मेरे जानू , आप कैसे हैं?
शिवा: कल की सगाई का नशा अभी भी नहीं उतरा।
सरला: अच्छा सगाई का या पार्क का?
शिवा हँसते हुए: पार्क का भी नहीं उतरा। क्या लोग हैं इस दुनिया में? ससुर बहु से लगा हुआ है और देवर भाभी से।
सरला: रिश्तों का तो जैसे महत्व ही नहीं रह गया हो। यह बोलते हुए इसे थोड़ी देर पहले का माँ और ताऊजी का आलिंगन याद आ गया। वह सकपका गयी।
शिवा: मुझे तो ऐसा लगता है कि वासना इंसान को रिश्तों को भूलने के लिए मज़बूर कर देती है , तुमको क्या लगता है?
सरला: सिर्फ़ वासना नहीं कभी कभी मजबूरियाँ भी हो सकती हैं। अब जिसने जो करना है करे , हम कौन होते हैं दूसरों की ज़िंदगी का फ़ैसला करने वाले, है कि नहीं?
शिवा: सही कहा तुमने। हर कोई फ़्री है अपने जीवन के फ़ैसले लेने के लिए? जिसे जो सही लगे वह वही करेगा। चलो छोड़ो ये सब , पर कल तुम साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी। बहुत प्यार आ रहा था तुमपर।
मालिनी हँसते हुए: तभी शायद अपने प्यार को मेरे पिछवाड़े से रगड़ रहे थे।
शिवा झेंपकर बोला: अरे वो तो ऐसे ही पार्क में वो सब देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया था वरना मैं ऐसा करने का सोच भी नहीं सकता ।
मालिनी: कोई बात नहीं फिर क्या हुआ? अब तो मैं आपकी ही होने वाली हूँ , थोड़ी बहुत शरारत कर भी ली तो क्या हुआ? वैसे आपने एक बार मेरी छाती ज़रा ज़ोर से ही दबा दी थी, मुझे दुःख गया था।
शिवा: सॉरी वो पार्क में साला वो सब देखकर मैं ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया था। अच्छा एक बात बताओ , मैंने सुना है कि लड़कियाँ एक दूसरे की छातियाँ दबाती है मज़ाक़ मज़ाक़ में ,ये सही है क्या?
मालिनी: सब ऐसी नहीं होतीं पर हाँ कुछ को ज़्यादा ही गरमी रहती है। मेरी भी एक दो लड़कियों ने दबाई थीं पर ज़ोर से नहीं।
शिवा: कई बार बदमाश लड़के भीड़ का फ़ायदा उठाकर दबा देते हैं, ऐसा कभी हुआ तुम्हारे साथ?
मालिनी: हाँ हुआ है जब मैं ट्रेन से उतर रही थी तो एक अधेड़ आदमी ने भीड़ का फ़ायदा उठाकर बहुत ज़ोर से दबा दिया। मैं तो मारे दर्द के रोने लगी थी। तब मेरे साथ में ताऊजी भी थे । मम्मी मुझे संभाल रही थी और ताऊजी ने उसकी बहुत पिटायी की थी। आपको बताऊँ लड़कों से ज़्यादा कमीने बड़ी उम्र के आदमी होते हैं। मेरा और मेरी सहेलियों का तो यही अनुभव है।
शिवा: ओह तुम्हारी सहेलियों के साथ भी ये हुआ है ?
मालिनी: हाँ सबके साथ कुछ ना कुछ हुआ ही है। कई सहेलियों को तो घर के आदमी भी ग़लत तरीक़े से छूते हैं।
जैसे पद्मा बता रही थी उसके मामा ही उसकी छाती और नीचे भी सहलाने की कोशिश करते हैं। वो जब छोटी थी तो उनके गोद में बैठती थी पर अब जब वो जवान हो चुकी है तब भी वो उसे अपनी गोद में बैठा लेते हैं और फिर यहाँ वहाँ छूते हैं।
शिवा: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। चलो दूसरों का छोड़ो और ये बताओ की मैं तुमको कैसा लगा?
मालिनी: बहुत अच्छे है आप। सच कह रही हूँ।
शिवा : और मेरा कैसा है?
मालिनी: आपका क्या कैसा है?
शिवा शरारत से हँसते हुए: हथियार और क्या?
मालिनी: छि आप बहुत बिगड़ रहे हैं। मैं आपको शरीफ़ समझती थी। कोई लड़की से ऐसे पूछता है भला?
शिवा: अरे मैं तो तुम्हारा इम्प्रेशन पूछ रहा हूँ उसके बारे में? और कुछ नहीं।
मालिनी: तो सुनिए मुझे तो वह ज़्यादा ही भयानक लगा है। और वो मेरी फाड़ ही देगा। आप ऐसा करना सुहाग रात को एक डॉक्टर बुला कर रखना क्योंकि बाद में सिलाई की ज़रूरत पड़ेगी। यह कहते हुए वह हँसने लगी और शिवा को भी हँसी आ गयी। फिर मालिनी ने आइ लव यू कहकर फ़ोन काट दिया। फिर उसे अहसास हुआ कि शिवा से बात करते करते उसकी बुर गीली हो गई थी। उधर दुकान में काउंटर के नीचे से शिवा ने भी अपना खड़ा लौड़ा अजस्ट किया। शिवा सोच रहा था कि अभी शादी में १५ दिन हैं कैसे कटेंगे ये दिन?
राजीव आज बहुत ध्यान से काम कर रहा था क्योंकि शादी में बस सिर्फ़ १५ दिन बचे थे। बहुत लिस्ट वो बना चुका था पर जब लड़की और उसके रिश्तेदारों को क्या उपहार देना है सोचा तब उसका दिमाग़ चलना बन्द हो गया। काश आज सविता होती तो कुछ भी परेशानी नहीं होती। तभी उसको अपनी बेटी का ख़याल आया और वह उसी समय उसको फ़ोन लगाया।
राज उसके दामाद ने फ़ोन उठाया: नमस्ते पापा जी।
राजीव : नमस्ते बेटा, फिर क्या प्रोग्राम बना?
राज: पापा मेरा अभी भी डांवाडोल है ओर महक की बुकिंग हो गयी है। लो महक से बात करो।
महक: नमस्ते पापा जी, मैं आऽऽऽऽऽऽ रही हूँ एक हफ़्ते में। ख़ूब मज़ा आएगा शिवा की शादी में। ख़ूब धमाल करेंगे।
राजीव: बेटी जल्दी से आओ और सब सम्भालो, तुम्हारी माँ के बिना बड़ी दिक़्क़त हो रही है। वैसे भी अपने परिवार की शायद आख़री शादी है। क्योंकि तुमने तो शायद बच्चे पैदा करने नहीं है और पता नहीं शिवा भी क्या सोचता है इस बारे में। तो मेरे जीवन में तो पोता पोती की शादी का नसीब होगा ही नहीं।
महक: क्या पापा आप क्या उलटा पुल्टा सोच रहे हैं। आप नाती पोता की शादी ज़रूर देखेंगे।
राजीव : हाँ अगर होंगे तो ही ना देखूँगा। तुम लोग अब ये फ़ैमिली प्लानिंग बंद करो मुझे नाती चाहिए समझी?
महक की आवाज़ इस बार थोड़ी सी उदास होकर आइ: ठीक है पापा। अब रखती हूँ, बाई।
राजीव ने भी बाई करके फ़ोन काटा और सोचने लगा कि महक अचानक उदास क्यों हो गयी? फिर वह ख़ुश होकर शिवा को फ़ोन कर बताया कि महक अगले हफ़्ते ही आ रही है। शिवा भी इस समाचार से ख़ुश हो गया।
तभी रानी आइ और बोली: मैंने खाना बना दिया है, आप खा लेना।
राजीव: बड़ी जल्दी है जाने की। चल जाते जाते अपनी गाँड़ दिखा कर जा।
रानी हँसने लगी और बोली: देखने से क्या होगा?
राजीव: मैंने कहा ना दिखा। वह हँसते हुए अपनी साड़ी लहंगे के साथ उठा दी और घूम गयी। अब उसकी पैंटी में क़ैद चूतर राजीव के सामने थे। वह अपना लौड़ा मसलते हुए बोला: चल पैंटी नीचे कर ताकि उनको नंगा देख सकूँ।
रानी ने मुस्कुरा कर पैंटी को नीचे किया और उसके गोल गोल चूतर उसके सामने थे। रानी का रंग गहुआं था पर चूतर काफ़ी गोरे थे।
![[Image: 95029718_060_d962.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/535/95029718/95029718_060_d962.jpg)
राजीव: सामने झुक और चूतरों को फैला।
रानी ने सोफ़े का सहारा लिया और आगे झुकी और फिर हाथ पीछे करके अपने चूतरों को फैलाया। आह क्या दृश्य था उसकी सूजी हुई बुर और टाइट गाँड़ का छेद मस्त लग रहा था। वह अब अपना संयम खो दिया और अपने नीचे का हिस्सा नंगा करके अपने लौड़े को मसल कर झुकी हुई रानी के गाँड़ के सामने घुटने के बल बैठा और अपना मुँह उसकी दरार ने डाल कर उसकी बुर को चूसने लगा और जीभ से चोदने लगा।
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रानी उइइइइइइइइइइ कर उठी और फिर वह अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने किया और वो उसे भूक़े की तरह चूसने लगी। फिर वह थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में फ़िट किया और पीछे से दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। अब ठप ठप की आवाज़ के साथ उसकी मज़बूत जाँघें रानी के चूतरों से टकरा रही थीं और फ़च फ़च की आवाज़ भी बुर से आ रही थी।
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रानी भी हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओओओओर सेएएएएएए चोओओओओओओओदो कहकर चिल्लाई जा रही थी। अब जैसे जैसे वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने लगी वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न हुन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह अपनी जाँघों को आपस में भींचकर उसके लौड़े को जकड़ ली और राजीव भी इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो दोनों झड़ने लगे।
रानी बाथरूम से बाहर आयी और बोली: अब जाऊँ?
राजीव ने उसे प्यार से चूमा और कहा: जाओ मेरी जान, पर डॉक्टर को शाम को ज़रूर दिखा देना और ये लो पैसे।
रानी भी उसको चूमकर पैसे लेकर चली गयी।
राजीव अब आराम करने लगा।
अगले दो दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। रानी डॉक्टर को दिखा आइ थी और टोनिक और दूसरी दवाइयाँ लेने लगी थी । राजीव दिन में एक बार उसको चोद देता था।
उस दिन राजीव नाश्ता करके रानी से शादी के कपड़े संभलवा रहा था तभी फ़ोन बजा। उसने हेलो कहा और दूसरी तरफ़ से एक लड़की की पतली सी आवाज़ आयी: हेलो, कौन बोल रहे हैं?
राजीव: मैं राजीव बोल रहा हूँ, आप कौन बोल रही हैं?
लड़की: अंकल जी मैं रीमा बोल रही हूँ।
राजीव हैरानी से फ़ोन को देखा और बोला: अरे रीमा बेटी, कैसी हो? बोलो आज हमारी याद कैसे आ गयी।
रीमा: अंकल वो आपने अपना विज़िटिंग कार्ड रख दिया था ना मेरे पर्स में , वहीं से आपका नम्बर मिला है। इसलिए फ़ोन किया है।