11-06-2023, 11:06 AM
इधर शिवा और राजीव को तो नींद आ गयी थी, पर सरला और मालिनी की आँखों से नींद अभी भी ग़ायब थी। वो तो अपने घर रात को ११ बजे ही पहुँची थीं।
सरला अपने बिस्तर पर करवट बदल रही थी। वह अभी नायटी पहनी थी। उसकी आँखों में आज की पूरी घटनाएँ घूम रही थी। वो संतुष्ट थी कि सगाई अच्छी तरह से हो गयी थी। सच में राजीव कितने अच्छें है जिनकी मदद से सब कुछ आराम से निपट गया। और फिर उसे शाम की चुदाई याद आ गयी। बहुत मज़ा आया था। सच में श्याम और राजीव ने क्या मस्त चुदायी की थी। उसका हाथ अपनी नायटी के अंदर से अपने निपल्ज़ पर चला गया और वह राजीव के मस्त लौड़े को याद करने अपना दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपनी बुर को सहलाने लगी।
फिर उसे राजीव की पहली चुदाई की याद आ गयी और वो उन पलों को याद करके अपनी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगी।उसकी ऊँगली clit को भी रगड़ रही थी। अपने निपल को मसलते हुए और अपनी बुर में अंगुलियाँ चलाते हुए वह सीइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर उसे वह पल याद आया जब श्याम उसकी गाँड़ में और राजीव उसकी बुर में अपना अपना गरम माल छोड़ रहे थे। वह अब उइइइइइइइइओओ करके अपनी गीली बुर में और ज़ोर से उँगलियाँ चलाने लगी और फिर उइइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शांत होकर वह करवट बदली और तकिए से चिपक कर सो गयी।
उधर मालिनी का भी यही हाल था। वह आज दिन भर की बातें याद कर रही थी। उसे सगाई की वो रस्म याद आइ जब शिवा ने उसकी ऊँगली में अँगूठी पहनाई थी। उसने वह अँगूठी चूम ली जैसे वह शिवा को चूम रही हो। फिर उसे वह दृश्य याद आया जिसमें वो पार्क में बैठे हुए शिवा से मीठी बातें कर रही थी। फिर उसे अचानक देवर भाभी की चुदाई याद आयी। कैसे वो दोनों एक दूसरे में समाए जा रहे थे। और कैसे वह लड़की उसका लिंग चूस रही थी। उसे याद आया कि वह लड़की प्यासी थी क्योंकि वह बोली थी कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता जो उसका देवर देता है। फिर उसे अपनी माँ का चक्कर याद आया । उसे पता था कि उसकी माँ के अपने जेठ यानी की ताऊजी से सम्बंध हैं। उसने कई बार दोनों को प्यार करते देखा है। वो उन दोनों को दो बार सेक्स करते भी देख चुकी थी। शायद पापा की कमी वो ताऊजी से पूरा करती हैं। यह सब सोचकर उसकी बुर भी गीली होने लगी। वह अपनी नायटी के ऊपर से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। तभी उसको याद आया कि कैसे शिवा ने भी उसकी चूचियाँ दबायीं थीं। अब वो गरम होने लगी और उसने अपनी नायटी सामने से खोली और अपनी ब्रा के अंदर हाथ डालकर अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल्ज़ भी मसलने लगी। उसके मुँह से सीइइइइइ और हाऽऽय्य निकल रही थी।
फिर उसको याद आया किकैसे ससुर अपनी बहूके साथ लगा हुआ था। और कितनी गंदी बातें कर रहा था।
उनकी बातों से साफ़ पता चल रहा था कि ससुर और बहू का खेल कई दिनों से चला आ रहा है। और वो बहू को अपने दोस्त के साथ शेयर करने की बात भी किया जो उसको बहुत हैरान कर गयी थी। ऐसा भी कोई अपनी बहू के साथ करता है भला। फिर उस ससुर और बहू का सेक्स आ गया और वह फिर से गरम होने लगी। अब वह अपना हाथ अपनी पेंटी के अंदर लेकर अपनी बुर के साथ खेलने लगी। एक हाथ से वह बारी बारी से अपने निपल मसल रही थी और दूसरे हाथ से वह अपनी बुर में एक ऊँगली डाल कर रगड़ रही थी। उसकी आँखों के सामने बहू का अपने ससुर के लौड़े पर उछलकर चुदवाना और चिल्लाकर और ज़ोर से चोदो बोलना घूम रहा था। वह अब पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर की clit भी रगड़ कर मस्ती से भर रही थी। अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया कि क्या उसके ससुर भी उसके साथ ऐसा करेंगे? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। पर फिर उसे याद आया किउसने राजीव को उसकी छातियों को घूरता पाया था। पर यह सोचकर कि वो उसका वहम होगा , उसने ध्यान नहीं दिया था। पर अब उसे शक सा होने लगा। तभी उसको ध्यान आया कि आज जब वह उनके पैर छू रही थी तो वह उसकी चूचि को घूर रहे थे। उसने सोचा कि ही भगवान क्या ये भी मुझे ऐसी ही नज़र से देखते हैं? कहीं मेरे ससुर भी मेरा वही हाल तो नहीं करेंगे जैसा कि उस आदमी ने अपनी बहू का किया हुआ है।
फिर वह यह सोचकर कि शिवा के रहते शायद वह ऐसा नहीं कर पाएँगे, वो शिवा के बारे में सोचने लगी। फिर उसे याद आया कि कैसे उसने उसकी छाती सहलायी थी और उसके पिछवाड़े में अपना लिंग रगड़ा था। अब वह बहुत गरम हो चुकी थी और शिवा का बड़ा सा लिंग उसकी आँखों के सामने झूलने लगा। वह रोमांच से भरने लगी। उसकी बुर में ऊँगली अब और तेज़ी से हिल रही थी और वह अब उइइइइइइइइ हाऽऽऽय्य कर रही थी। तभी उसे याद आया कि कैसे उसके लिंग ने सफ़ेद पिचकारी छोड़ी थी गाढ़ी सी । जिस तरह से उसके लिंग ने झटके मारे थे वो याद करके वह झड़ने लगी। उसकी सिसकियाँ गूँज रही थी और वह अपनी कमर उछालकर अपनी ऊँगली के दबाव को बढ़ाकर मस्ती से झड़ी जा रही थी।
झड़ने के बाद वह भी तकिए से चिपक कर सो गयी।
सरला अपने बिस्तर पर करवट बदल रही थी। वह अभी नायटी पहनी थी। उसकी आँखों में आज की पूरी घटनाएँ घूम रही थी। वो संतुष्ट थी कि सगाई अच्छी तरह से हो गयी थी। सच में राजीव कितने अच्छें है जिनकी मदद से सब कुछ आराम से निपट गया। और फिर उसे शाम की चुदाई याद आ गयी। बहुत मज़ा आया था। सच में श्याम और राजीव ने क्या मस्त चुदायी की थी। उसका हाथ अपनी नायटी के अंदर से अपने निपल्ज़ पर चला गया और वह राजीव के मस्त लौड़े को याद करने अपना दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपनी बुर को सहलाने लगी।
फिर उसे राजीव की पहली चुदाई की याद आ गयी और वो उन पलों को याद करके अपनी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगी।उसकी ऊँगली clit को भी रगड़ रही थी। अपने निपल को मसलते हुए और अपनी बुर में अंगुलियाँ चलाते हुए वह सीइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर उसे वह पल याद आया जब श्याम उसकी गाँड़ में और राजीव उसकी बुर में अपना अपना गरम माल छोड़ रहे थे। वह अब उइइइइइइइइओओ करके अपनी गीली बुर में और ज़ोर से उँगलियाँ चलाने लगी और फिर उइइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शांत होकर वह करवट बदली और तकिए से चिपक कर सो गयी।
उधर मालिनी का भी यही हाल था। वह आज दिन भर की बातें याद कर रही थी। उसे सगाई की वो रस्म याद आइ जब शिवा ने उसकी ऊँगली में अँगूठी पहनाई थी। उसने वह अँगूठी चूम ली जैसे वह शिवा को चूम रही हो। फिर उसे वह दृश्य याद आया जिसमें वो पार्क में बैठे हुए शिवा से मीठी बातें कर रही थी। फिर उसे अचानक देवर भाभी की चुदाई याद आयी। कैसे वो दोनों एक दूसरे में समाए जा रहे थे। और कैसे वह लड़की उसका लिंग चूस रही थी। उसे याद आया कि वह लड़की प्यासी थी क्योंकि वह बोली थी कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता जो उसका देवर देता है। फिर उसे अपनी माँ का चक्कर याद आया । उसे पता था कि उसकी माँ के अपने जेठ यानी की ताऊजी से सम्बंध हैं। उसने कई बार दोनों को प्यार करते देखा है। वो उन दोनों को दो बार सेक्स करते भी देख चुकी थी। शायद पापा की कमी वो ताऊजी से पूरा करती हैं। यह सब सोचकर उसकी बुर भी गीली होने लगी। वह अपनी नायटी के ऊपर से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। तभी उसको याद आया कि कैसे शिवा ने भी उसकी चूचियाँ दबायीं थीं। अब वो गरम होने लगी और उसने अपनी नायटी सामने से खोली और अपनी ब्रा के अंदर हाथ डालकर अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल्ज़ भी मसलने लगी। उसके मुँह से सीइइइइइ और हाऽऽय्य निकल रही थी।
फिर उसको याद आया किकैसे ससुर अपनी बहूके साथ लगा हुआ था। और कितनी गंदी बातें कर रहा था।
उनकी बातों से साफ़ पता चल रहा था कि ससुर और बहू का खेल कई दिनों से चला आ रहा है। और वो बहू को अपने दोस्त के साथ शेयर करने की बात भी किया जो उसको बहुत हैरान कर गयी थी। ऐसा भी कोई अपनी बहू के साथ करता है भला। फिर उस ससुर और बहू का सेक्स आ गया और वह फिर से गरम होने लगी। अब वह अपना हाथ अपनी पेंटी के अंदर लेकर अपनी बुर के साथ खेलने लगी। एक हाथ से वह बारी बारी से अपने निपल मसल रही थी और दूसरे हाथ से वह अपनी बुर में एक ऊँगली डाल कर रगड़ रही थी। उसकी आँखों के सामने बहू का अपने ससुर के लौड़े पर उछलकर चुदवाना और चिल्लाकर और ज़ोर से चोदो बोलना घूम रहा था। वह अब पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर की clit भी रगड़ कर मस्ती से भर रही थी। अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया कि क्या उसके ससुर भी उसके साथ ऐसा करेंगे? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। पर फिर उसे याद आया किउसने राजीव को उसकी छातियों को घूरता पाया था। पर यह सोचकर कि वो उसका वहम होगा , उसने ध्यान नहीं दिया था। पर अब उसे शक सा होने लगा। तभी उसको ध्यान आया कि आज जब वह उनके पैर छू रही थी तो वह उसकी चूचि को घूर रहे थे। उसने सोचा कि ही भगवान क्या ये भी मुझे ऐसी ही नज़र से देखते हैं? कहीं मेरे ससुर भी मेरा वही हाल तो नहीं करेंगे जैसा कि उस आदमी ने अपनी बहू का किया हुआ है।
फिर वह यह सोचकर कि शिवा के रहते शायद वह ऐसा नहीं कर पाएँगे, वो शिवा के बारे में सोचने लगी। फिर उसे याद आया कि कैसे उसने उसकी छाती सहलायी थी और उसके पिछवाड़े में अपना लिंग रगड़ा था। अब वह बहुत गरम हो चुकी थी और शिवा का बड़ा सा लिंग उसकी आँखों के सामने झूलने लगा। वह रोमांच से भरने लगी। उसकी बुर में ऊँगली अब और तेज़ी से हिल रही थी और वह अब उइइइइइइइइ हाऽऽऽय्य कर रही थी। तभी उसे याद आया कि कैसे उसके लिंग ने सफ़ेद पिचकारी छोड़ी थी गाढ़ी सी । जिस तरह से उसके लिंग ने झटके मारे थे वो याद करके वह झड़ने लगी। उसकी सिसकियाँ गूँज रही थी और वह अपनी कमर उछालकर अपनी ऊँगली के दबाव को बढ़ाकर मस्ती से झड़ी जा रही थी।
झड़ने के बाद वह भी तकिए से चिपक कर सो गयी।