09-06-2023, 02:28 PM
(This post was last modified: 09-06-2023, 03:08 PM by IndianUSA. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
भाग ४
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काफ़ी दिन ऐसे ही चलता रहा -- कभी मौक़ा होने पर अंधेरे में कुछ होता विक्रम और प्रिया के बीच , पर बात कभी वहाँ तक नहीं पहुची जो पहली बार हुआ था !
पर एक दिन तो होना ही था - और हुआ भी ।
उस रात भी बस विक्रम और प्रिया सोये थे छत वाले कमरे में - बाक़ी सब लोग नीचे सोये थे और सीढ़ियों का दरवाज़ा भी ऊपर से ही बंद था । देर रात हुई और विक्रम जब पानी पीने उठा ! उसे थोड़ी गर्मी लग रही थी ! उसके उठने की आवाज़ से प्रिया भी जाग गई । उसने अंधेरे में ही पूछा की क्या हुआ नींद क्यों खुल गई ! विक्रम बोला थोड़ी गर्मी लग रही थी पानी पीना था ! प्रिया पंखे के ठीक नीचे वाले बेड पर थी अपने बच्चे के साथ । प्रिया ने उसे पानी की बॉटल पास की और धीरे से बोली - वहाँ गर्मी लग रही है तो यही आ जाओ ना ।
थोड़ी देर कोई कुछ नहीं बोला आगे -- और फिर धीरे से विक्रम जाके प्रिया के बराबर में पहुँचा और लेटते हुए प्रिया के कान में बोला -- लो आ गया !
दोनों के अंदर की बेचैनी कई दिनों से दबी हुई थी -- और दोनों को एहसास हो चुका था कि आज कोई नहीं आने वाला ! विक्रम की सांसे प्रिया कि साँसों से टकरा रही थी और विक्रम ने जल्दी ही अपना एक हाथ प्रिया की कमर पर रख दिया और ऐसा होते ही प्रिया ने दोनों होठों के बीच की थोड़ी सी दूरी भी ख़त्म कर दी !! पिछली बार किस बहुत हल्के हल्के हुई थी -- पर आज होठ से होठ मिलते ही बड़े जोश में चूसना शुरू हो गया । साँसों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी ! जल्दी ही किस के साथ साथ विक्रम के हाथ प्रिया के बूब्स पर पहुँच गये और बूब्स मसलने लगा अच्छे से । फिर से हल्के से कान में बोला -- खोलो ना इसे । प्रिया ने सोचा नहीं था विक्रम ऐसे बोलेगा -- पर उसके मुँह से ऐसे शब्द सुनके प्रिया का रोमांच और बढ़ गया और उसने भी एक रोमांचक जवाब दिया -- तुम ही खोल दो ना ।।
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काफ़ी दिन ऐसे ही चलता रहा -- कभी मौक़ा होने पर अंधेरे में कुछ होता विक्रम और प्रिया के बीच , पर बात कभी वहाँ तक नहीं पहुची जो पहली बार हुआ था !
पर एक दिन तो होना ही था - और हुआ भी ।
उस रात भी बस विक्रम और प्रिया सोये थे छत वाले कमरे में - बाक़ी सब लोग नीचे सोये थे और सीढ़ियों का दरवाज़ा भी ऊपर से ही बंद था । देर रात हुई और विक्रम जब पानी पीने उठा ! उसे थोड़ी गर्मी लग रही थी ! उसके उठने की आवाज़ से प्रिया भी जाग गई । उसने अंधेरे में ही पूछा की क्या हुआ नींद क्यों खुल गई ! विक्रम बोला थोड़ी गर्मी लग रही थी पानी पीना था ! प्रिया पंखे के ठीक नीचे वाले बेड पर थी अपने बच्चे के साथ । प्रिया ने उसे पानी की बॉटल पास की और धीरे से बोली - वहाँ गर्मी लग रही है तो यही आ जाओ ना ।
थोड़ी देर कोई कुछ नहीं बोला आगे -- और फिर धीरे से विक्रम जाके प्रिया के बराबर में पहुँचा और लेटते हुए प्रिया के कान में बोला -- लो आ गया !
दोनों के अंदर की बेचैनी कई दिनों से दबी हुई थी -- और दोनों को एहसास हो चुका था कि आज कोई नहीं आने वाला ! विक्रम की सांसे प्रिया कि साँसों से टकरा रही थी और विक्रम ने जल्दी ही अपना एक हाथ प्रिया की कमर पर रख दिया और ऐसा होते ही प्रिया ने दोनों होठों के बीच की थोड़ी सी दूरी भी ख़त्म कर दी !! पिछली बार किस बहुत हल्के हल्के हुई थी -- पर आज होठ से होठ मिलते ही बड़े जोश में चूसना शुरू हो गया । साँसों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी ! जल्दी ही किस के साथ साथ विक्रम के हाथ प्रिया के बूब्स पर पहुँच गये और बूब्स मसलने लगा अच्छे से । फिर से हल्के से कान में बोला -- खोलो ना इसे । प्रिया ने सोचा नहीं था विक्रम ऐसे बोलेगा -- पर उसके मुँह से ऐसे शब्द सुनके प्रिया का रोमांच और बढ़ गया और उसने भी एक रोमांचक जवाब दिया -- तुम ही खोल दो ना ।।