01-06-2023, 04:07 PM
Update-29
और वो बड़े प्यार मेरे ऊपर से उठी और फिर बिस्तर पर हाथ-घुटनों के सहारे झुक गई। वो अब सानिया के बिल्कुल पास झुकी हुई थी। उसकी खुली हुई चुत अपने भीतर की गुलाबी कली के दर्शन करा रही थी।
मैं भी बिस्तर से उठ कर पास आ गया और सानिया से पूछा- मस्ती तो आ रही होगी, कम से कम अपनी उंगली से ही कर लो
मैंने प्यार से उसके गाल सहला दिए।
फिर रागिनी पर सवार हो गया। मेरा लण्ड अब मजे से उसकी गीली चूत के भीतर की दुनिया का मजा ले रहा था। करीब 40 मिनट हो गए थे, हम दोनों को खेलते हुए। रागिनी एक बार और परम आनन्द प्राप्त कर चुकी थी।
मेरा भी अब झड़ने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ रागिनी?
वो तपाक से बोली- मेरे मुँह में ! मेरे मुँह में अंकल ! आपका एक बूंद भी बेकार नहीं करुँगी।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल और उसके मुँह की तरफ़ आया। उसने अपना मुँह खोला और मैं उसके मुँह को अब चोदने लगा। दस-बारह धक्के के बाद मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी, जिसे रागिनी अपने होंठ दबा कर मुँह में लेने लगी और फ़िर मैंने लण्ड बाहर खींच लिया तब उसने मुँह खोल कर मेरे माल को अपने मुँह में दिखाया और फिर मुँह बन्द करके निगल गई।
मैंने उसको जमीन से उठाया और फ़िर अपने गले लगा लिया और कहा- तुम बहुत अच्छी हो रागिनी, मैंने जो गालियाँ तुम्हें दी, उसके लिए माफ़ करना। चोदते समय यह सब तो होता ही है।
वो भावुक हो गई, उसकी आँखों में आँसू तैर गए, भरी आवाज में बोली- नहीं सर, आप बहुत अच्छे हैं। मैं रन्डी हूँ, पर आपने इतनी इज्ज्त दी, वरना बाकी लोग तो मेरे बदन से सिर्फ़ पैसा वसूल करते हैं। थैंक्यू सर।
उसकी यह बात दिल से निकली थी, मैंने उसकी पीठ थपथपाई- सर नहीं अंकल। अब मैं तुम्हारा अंकल हीं हूँ। जब भी परेशानी में रहो, मुझे बताना। मैं पूरी मदद करुँगा।
और वो बड़े प्यार मेरे ऊपर से उठी और फिर बिस्तर पर हाथ-घुटनों के सहारे झुक गई। वो अब सानिया के बिल्कुल पास झुकी हुई थी। उसकी खुली हुई चुत अपने भीतर की गुलाबी कली के दर्शन करा रही थी।
मैं भी बिस्तर से उठ कर पास आ गया और सानिया से पूछा- मस्ती तो आ रही होगी, कम से कम अपनी उंगली से ही कर लो
मैंने प्यार से उसके गाल सहला दिए।
फिर रागिनी पर सवार हो गया। मेरा लण्ड अब मजे से उसकी गीली चूत के भीतर की दुनिया का मजा ले रहा था। करीब 40 मिनट हो गए थे, हम दोनों को खेलते हुए। रागिनी एक बार और परम आनन्द प्राप्त कर चुकी थी।
मेरा भी अब झड़ने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ रागिनी?
वो तपाक से बोली- मेरे मुँह में ! मेरे मुँह में अंकल ! आपका एक बूंद भी बेकार नहीं करुँगी।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल और उसके मुँह की तरफ़ आया। उसने अपना मुँह खोला और मैं उसके मुँह को अब चोदने लगा। दस-बारह धक्के के बाद मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी, जिसे रागिनी अपने होंठ दबा कर मुँह में लेने लगी और फ़िर मैंने लण्ड बाहर खींच लिया तब उसने मुँह खोल कर मेरे माल को अपने मुँह में दिखाया और फिर मुँह बन्द करके निगल गई।
मैंने उसको जमीन से उठाया और फ़िर अपने गले लगा लिया और कहा- तुम बहुत अच्छी हो रागिनी, मैंने जो गालियाँ तुम्हें दी, उसके लिए माफ़ करना। चोदते समय यह सब तो होता ही है।
वो भावुक हो गई, उसकी आँखों में आँसू तैर गए, भरी आवाज में बोली- नहीं सर, आप बहुत अच्छे हैं। मैं रन्डी हूँ, पर आपने इतनी इज्ज्त दी, वरना बाकी लोग तो मेरे बदन से सिर्फ़ पैसा वसूल करते हैं। थैंक्यू सर।
उसकी यह बात दिल से निकली थी, मैंने उसकी पीठ थपथपाई- सर नहीं अंकल। अब मैं तुम्हारा अंकल हीं हूँ। जब भी परेशानी में रहो, मुझे बताना। मैं पूरी मदद करुँगा।