05-06-2019, 09:28 PM
(This post was last modified: 05-06-2019, 09:35 PM by vijayveg. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
प्रियम उसकी तरफ जाने वाला था , रीमा ने उसे घुड़क दिया | प्रियम फिर से चुपचाप अपने लंड को मसलने लगा | जग्गू का धैर्य जवाब दे रहा था - मैडम मेरे हाथ खोलो, मुझे भी आपको स्वर्ग की सैर करनी है |
रीमा - बस कुछ देर और बच्चे, राजू को निपटा लू फिर तेरे पास ही आ रही हूँ |
जग्गू रीमा की मादक आवाज से फ्लैट हो गया, उसने कुछ नहीं कहा | रीमा फिर से और ज्यदा सख्त हाथो और ओठो से राजू के लंड को चूसने लगी | राजू इस जादुई पल को जीवन भर के समेत लेना चाहता था वो चाहता था ये जादुई सफ़र कभी ख़त्म ही न हो | कामवासना के समद्र में गोते लगाते हुए उसने मादकता से कराहते हुए - रीमा आंटी थोडा स्लो, प्लीज |
रीमा समझ गयी राजू को क्या चाहिए | रीमा ने आइस्ते आइस्ते उसके लंड को चुसना शुरू कर दिया |
राजू अभी अभी झड़ा था इसलिए इस बार इतनी जल्दी झड़ना संभव नहीं था दुसरे वो रीमा के इस स्वर्गदायी आनंद को जीभर के महसूस करना चाहता था | वो चाहता था ये सफ़र कभी खतम ही न हो, रीमा चाची उसके लंड की यू ही जादुई चुसाई करती रहे | रीमा अभी भी लंड चूसते समय राजू की ही आँखों में देख रही थी, उसने राजू की बात मानकर उसकी स्पीड जरुर थोड़ी कम कर दी | रीमा की गीला नरम मुहँ और राजू का कठोर सख्त गरम लंड का फूला सुपाडा, आह क्या जादुई अनुभव था राजू के लिए | कभी प्रियम भी ऐसे ही मैजिकल मोमेंट से गुजरा था | आज राजू के लिए भी वैसा ही जादुई पल था, कोई इतने कलात्मक तरीके से, इतने सलीके से, इतनी बेहतरीन और अलग अंदाज में भी लंड चूस सकता है ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था |
राजू अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगा था | उसकी सांसो की गति और मुहँ से निकलती कराहे और शरीर के हव भाव बता रहे थे अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है | रीमा आराम से धेरे धीरे उसके लंड के सुपाडे से खेल रही थी लेकिन राजू के लिए अब अन्दर उमड़ते लावे को रोक पाना मुश्किल हो गया था | उसकी झील का बांध टूट गे अता उर उसमे से तेज धार के साथ सफ़ेद गरम गाढ़ा लावा बाहर की तरफ बह निकला | एक तेज पिचकारी रीमा के ओंठो से टकराती हुई हवा में उछाल गयी | राजू के म्यहं से बस इतना ही निकला - रीम्म्म्मम्म्मम्म्म्म आंटी मैमैमैमैअमिया गयाआआआ आआआआआआआआआआआअ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्ह |
रीमा ने राजू के टूटे बांध की धार अपने नरम हाथो की सख्त सख्त जकड़न से रोक ली और राजू के मुहँ की तरफ लंड सीधा करके हल्का सा हाथ हिलाया, दूसरी पिचकारी सीधे राजू के सीने से लेकर मुहँ तक उसी को भीगो गयी |
सामने रीमा के गोल गोल सुडौल पुष्ट उरोज धीरे धीरे हिल रहे थे, रीमा एकटक राजू की आँखों में ही देख रही थी बिना किसी अतिरिक्त उत्तेजना के और उसका हाथ राजू के लंड को हलके हाथो से हिला रहा था पिचकारी की बौछार उसमे से निकल कर राजू को ही तरबतर किये से रही थी | राजू बस अपने लंड से निकलते सफ़ेद लावे के कारन कराह रहा था | प्रियम और जग्गू दोनों ही हैरानी से ये सब देख रहे थे | वो एक एक पल को अपने दिलो दिमाग में हमेशा के लिए संजो लेना चाहते थे | उन्होंने ऐसा कभी न देखा था न सोचा था |
राजू की पिचकारियाँ निकालनी बंद हो गयी थी | रीमा ने उसके लंड को छोड़ दिया और बस उठने को हुई, तभी उसने देखा जग्गू ने किसी तरह अपने हाथो की गांठ लगभग लगभग खोल ली | ये देखकर रीमा सिहर गयी | उसने जल्दी से अपने दोनों लाये पैकेट में से एक को खोला और गन निकल ली, पाना मोबाइल उठाया | पलक झपकते ही गन को लोड किया और जग्गू की तरफ तान दिया | जग्गू को लगा रीमा मजाक कर रही है उसने जोश में आकर कहा - ईइस्स्स आआऐईस्स्स्स अब आएगा मजा | राजू और प्रियम दोनों चौंक गए | आंखे फाड़ फाड़ कर देखने लगे आखिर अचानक ये क्या हो गया | किसी को कुछ समझ नहीं आया |
रीमा जग्गू की तरफ गन ताने ताने चिल्लाई - हिलना मत लड़के, ये असली गन है लोडेड भी | हाथ बांध फिर से अपने | .................कुछ सोचकर - प्रियम इसके हाथ बांध जैसे पहले बांधे थे |
प्रियम बिलकुल शुन्य हो गया, उसे समझ ही आया ये माजरा क्या है | रीमा फिर चिल्लाई - हाथ बांध जग्गू के मादरचोद |
अब प्रियम को करंट जैसा लगा - बिना कुछ सोचे, बिना दिमाग लगाये वो बेड पर चढ़ गया |
जग्गू ने प्रतिरोध किया, तो प्रियम बोला - मरवाएगा क्या साले, मान जा न | प्रियम जग्गू के हाथ बांधने में असफल रहा, रीमा ने राजू को इशारा किया, जो अभी भी अपनी उखड़ी सासें नार्मल करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा खिड़की पर से ही गन ताने धमकाने लगी - राजू मदद कर प्रियम की जग्गू को बांधने, वरना आज सब के सब मरोगो | ये गन भी अलसी है, इसमें गोली भी है | चुपचाप बांध इसके हाथ और जैसा मै कहती हूँ वैसा करता जा |
रीमा के हाव भाव देखकर प्रियम और राजू दोनों को लगा मामला सीरियस है लेकिन उन्हें समझ नहीं आया अचानक ऐसा क्या हो गया | कही जग्गू ने अपने हाथ खोलकर रीमा चाची का प्लान तो नहीं बिगड़ दिया | लेकिन इतना ज्यादा गुस्सा करने की जरुरत क्या है |
राजू भी वही पंहुच गया, प्रियम जग्गू से - मान जा न यार, काहे पंगे ले रहा है , रीमा चाची का कुछ प्लान होगा, तूने बिगड़ दिया है इसलिए गुस्सा कर रही है |
जग्गू मानने को तैयार नहीं था | रीमा एक झटके में कमरे से बाहर निकल गयी और कमरे को बाहर से बंद कर दिया |
रीमा - बस कुछ देर और बच्चे, राजू को निपटा लू फिर तेरे पास ही आ रही हूँ |
जग्गू रीमा की मादक आवाज से फ्लैट हो गया, उसने कुछ नहीं कहा | रीमा फिर से और ज्यदा सख्त हाथो और ओठो से राजू के लंड को चूसने लगी | राजू इस जादुई पल को जीवन भर के समेत लेना चाहता था वो चाहता था ये जादुई सफ़र कभी ख़त्म ही न हो | कामवासना के समद्र में गोते लगाते हुए उसने मादकता से कराहते हुए - रीमा आंटी थोडा स्लो, प्लीज |
रीमा समझ गयी राजू को क्या चाहिए | रीमा ने आइस्ते आइस्ते उसके लंड को चुसना शुरू कर दिया |
राजू अभी अभी झड़ा था इसलिए इस बार इतनी जल्दी झड़ना संभव नहीं था दुसरे वो रीमा के इस स्वर्गदायी आनंद को जीभर के महसूस करना चाहता था | वो चाहता था ये सफ़र कभी खतम ही न हो, रीमा चाची उसके लंड की यू ही जादुई चुसाई करती रहे | रीमा अभी भी लंड चूसते समय राजू की ही आँखों में देख रही थी, उसने राजू की बात मानकर उसकी स्पीड जरुर थोड़ी कम कर दी | रीमा की गीला नरम मुहँ और राजू का कठोर सख्त गरम लंड का फूला सुपाडा, आह क्या जादुई अनुभव था राजू के लिए | कभी प्रियम भी ऐसे ही मैजिकल मोमेंट से गुजरा था | आज राजू के लिए भी वैसा ही जादुई पल था, कोई इतने कलात्मक तरीके से, इतने सलीके से, इतनी बेहतरीन और अलग अंदाज में भी लंड चूस सकता है ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था |
राजू अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगा था | उसकी सांसो की गति और मुहँ से निकलती कराहे और शरीर के हव भाव बता रहे थे अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है | रीमा आराम से धेरे धीरे उसके लंड के सुपाडे से खेल रही थी लेकिन राजू के लिए अब अन्दर उमड़ते लावे को रोक पाना मुश्किल हो गया था | उसकी झील का बांध टूट गे अता उर उसमे से तेज धार के साथ सफ़ेद गरम गाढ़ा लावा बाहर की तरफ बह निकला | एक तेज पिचकारी रीमा के ओंठो से टकराती हुई हवा में उछाल गयी | राजू के म्यहं से बस इतना ही निकला - रीम्म्म्मम्म्मम्म्म्म आंटी मैमैमैमैअमिया गयाआआआ आआआआआआआआआआआअ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्ह |
रीमा ने राजू के टूटे बांध की धार अपने नरम हाथो की सख्त सख्त जकड़न से रोक ली और राजू के मुहँ की तरफ लंड सीधा करके हल्का सा हाथ हिलाया, दूसरी पिचकारी सीधे राजू के सीने से लेकर मुहँ तक उसी को भीगो गयी |
सामने रीमा के गोल गोल सुडौल पुष्ट उरोज धीरे धीरे हिल रहे थे, रीमा एकटक राजू की आँखों में ही देख रही थी बिना किसी अतिरिक्त उत्तेजना के और उसका हाथ राजू के लंड को हलके हाथो से हिला रहा था पिचकारी की बौछार उसमे से निकल कर राजू को ही तरबतर किये से रही थी | राजू बस अपने लंड से निकलते सफ़ेद लावे के कारन कराह रहा था | प्रियम और जग्गू दोनों ही हैरानी से ये सब देख रहे थे | वो एक एक पल को अपने दिलो दिमाग में हमेशा के लिए संजो लेना चाहते थे | उन्होंने ऐसा कभी न देखा था न सोचा था |
राजू की पिचकारियाँ निकालनी बंद हो गयी थी | रीमा ने उसके लंड को छोड़ दिया और बस उठने को हुई, तभी उसने देखा जग्गू ने किसी तरह अपने हाथो की गांठ लगभग लगभग खोल ली | ये देखकर रीमा सिहर गयी | उसने जल्दी से अपने दोनों लाये पैकेट में से एक को खोला और गन निकल ली, पाना मोबाइल उठाया | पलक झपकते ही गन को लोड किया और जग्गू की तरफ तान दिया | जग्गू को लगा रीमा मजाक कर रही है उसने जोश में आकर कहा - ईइस्स्स आआऐईस्स्स्स अब आएगा मजा | राजू और प्रियम दोनों चौंक गए | आंखे फाड़ फाड़ कर देखने लगे आखिर अचानक ये क्या हो गया | किसी को कुछ समझ नहीं आया |
रीमा जग्गू की तरफ गन ताने ताने चिल्लाई - हिलना मत लड़के, ये असली गन है लोडेड भी | हाथ बांध फिर से अपने | .................कुछ सोचकर - प्रियम इसके हाथ बांध जैसे पहले बांधे थे |
प्रियम बिलकुल शुन्य हो गया, उसे समझ ही आया ये माजरा क्या है | रीमा फिर चिल्लाई - हाथ बांध जग्गू के मादरचोद |
अब प्रियम को करंट जैसा लगा - बिना कुछ सोचे, बिना दिमाग लगाये वो बेड पर चढ़ गया |
जग्गू ने प्रतिरोध किया, तो प्रियम बोला - मरवाएगा क्या साले, मान जा न | प्रियम जग्गू के हाथ बांधने में असफल रहा, रीमा ने राजू को इशारा किया, जो अभी भी अपनी उखड़ी सासें नार्मल करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा खिड़की पर से ही गन ताने धमकाने लगी - राजू मदद कर प्रियम की जग्गू को बांधने, वरना आज सब के सब मरोगो | ये गन भी अलसी है, इसमें गोली भी है | चुपचाप बांध इसके हाथ और जैसा मै कहती हूँ वैसा करता जा |
रीमा के हाव भाव देखकर प्रियम और राजू दोनों को लगा मामला सीरियस है लेकिन उन्हें समझ नहीं आया अचानक ऐसा क्या हो गया | कही जग्गू ने अपने हाथ खोलकर रीमा चाची का प्लान तो नहीं बिगड़ दिया | लेकिन इतना ज्यादा गुस्सा करने की जरुरत क्या है |
राजू भी वही पंहुच गया, प्रियम जग्गू से - मान जा न यार, काहे पंगे ले रहा है , रीमा चाची का कुछ प्लान होगा, तूने बिगड़ दिया है इसलिए गुस्सा कर रही है |
जग्गू मानने को तैयार नहीं था | रीमा एक झटके में कमरे से बाहर निकल गयी और कमरे को बाहर से बंद कर दिया |