25-05-2023, 06:29 PM
पड़ोस दीपक भाई जान 5
दीपक का लंड अभी तक खड़ा था।
“तुम इसको और कितनी देर खड़ा रखने वाले हो, यह बच्चों का खेल बहुत हुआ अब हमको बड़ों का खेल खेलना चाहिए.” आफरीन ने बेशर्मी से बोला। “हा हा हा रानी… मुझे अच्छा लगा तुम्हारा खुल कर बोलना। तुम तेल लेकर बैडरूम में आओ, अब मैं तुम्हें स्वर्ग की सैर करवाता हूँ.”
दोनों ही सोफे से उठे, दीपक बेडरूम की तरफ जाने लगा, आफरीन ने वहीं पास में टेबल पे रखी तेल की शीशी ली, घड़ी की तरफ देखा तो 2:30 बजे थे, मतलब दूसरा राउंड भी दो घंटे तक चला था। अब उसे यकीन था कि तीसरा राउंड सुबह तक चलेगा। यह सोचकर ही वह हँसने लगी, वह खुद भी सोच रही थी कि उसने इतनी टाइम यह सहन कैसे किया है।
टेबल के पास खड़ी होकर वह सोच रही थी, उसी वक्त दीपक बैडरूम से बाहर देखने को आया के इतना टाइम क्यों लग रहा है। आफरीन के पास जाते ही दीपक ने आफरीन को अपनी तरफ घुमाया और जोर से गले लगाकर ऊपर उठाया। आफरीन ने भी अपने पैरों से उसकी कमर को पकड़ा और अपनी बांहों से उसके गले को पकड़ लिया। दीपक आफरीन को उसी अवस्था में होठों पे चूमते हुए बैडरूम में ले गया, उसे धीरे से बेड पर लिटाते हुए खुद भी बेड पर चढ़ गया।
कुछ समय उसको चूमने, स्तनों से खेलने के बाद उसने आफरीन को नीचे लिटाया, उसके दोनों पैर अपने हाथों से पकड़ कर फैलाते हुए उसके पैरों के बीच में आ गया। उसका लंड अब आफरीन की जांघों से टकरा रहा था- चलो आफरीन, अब हम दोनों जन्नत की सैर करके आते हैं.
दीपक ने एक हाथ की उंगलियों से आफरीन की चुत की पंखुड़ियों को अलग किया तो दूसरे हाथ से अपने लंड का टोपा उसकी चुत में फंसा दिया। तेल की शीशी हाथ में लेकर के उसने तेल की धार अपने लंड पर छोड़ी फिर हाथ से तेल अपने काले लंड पर फैला दिया।
थोड़ा तेल आफरीन की चुत पर छोड़ते हुए उसने चुत को भी चिकना बना दिया। तेल की शीशी साइड में रखते हुए उसने आफरीन के पैर और फैला दिए और नीचे झुकते हुए वह अफर्रवन के एक निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा। धीरे धीरे वह अपना लंड आफरीन की चुत में दबाने लगा; तेल की वजह से चिकनी हुई चुत में धीरे धीरे लंड अंदर घुसने लगा। लंड की वजह से आफरीन की चुत की दीवारें पहले कभी जितनी नहीं तनी थी उतनी तन गयी थी। आफरीन को अपनी चुत तनने का अहसास हो रहा था, सलीम का लंड 5.5 इंच का जरूर था पर इतना मोटा नहीं था। उस वजह से आधा लंड अंदर जाने के बाद दीपक को कोई कुंवारी चुत जैसा ही कसाव महसूस हो रहा था, उसको हर धक्के के लिए जोर लगाना पड़ रहा था।
हर धक्के पर आफरीन चिल्ला उठती, उसको होने वाले दर्द का अहसास दीपक को भी था, वह भी उतने ही दर्द में था। पर दर्द के बावजूद मिलने वाला जन्नत था।
आफरीन ने खुद ही अपने पैर और फैला दिए ताकि दीपक को और जगह मिल जाये। दीपक ने भी अब आफरीन के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
उसका लंड अंदर लेने में आफरीन को बहुत दर्द हो रहा था। उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे थे, उसकी चुत तो मानो फट ही गयी थी। उसका लंड बिल्कुल मूसल की तरह लग रहा था, अभी भी आधे से थोड़ा ज्यादा अंदर घुसा था। इसके आगे की आफरीन की चुत बिल्कुल कोरी थी।
दीपक ने अपने दोनों हाथों से आफरीन की चुचियों को ज़ोरों से भींचा, नीचे झुकते हुए उसके होठों को अपने होठों में कैद किया और अपनी कमर का एक झटका जोर से आफरीन की कमर पर मारा। आफरीन की चीख दीपक के मुख में ही दब गई। दीपक का पूरा लंड आफरीन की चुत में समा गया था। आफरीन को जोर से पकड़ते हुए दीपक उसके शरीर पर ही पड़ा रहा। आफरीन का तो पूरा शरीर थरथराने लगा था, उसकी आँखों से आंसू की धारा बह रही थी। दीपक अब उसके पूरे चेहरे पर किस कर रहा था।
अपनी कमर को जरा भी ना हिलाते हुए उसने अपना सर नीचे किया और आफरीन के निप्पल चूसने लगा। एक निप्पल को बड़े ही प्यार से चूसते समय दूसरे स्तन को दबा रहा था।
आफरीन की चुत का रस अब कम हो रहा था। दीपक की कामुक हरकतों की वजह से उसका बदन फिर से तैयार हो रहा था, उसकी चुत में अब आग लग गयी थी, वह आग अब दीपक के लंड के पानी से ही बुझेगी।
दीपक की पीठ को पकड़े हुए उसके हाथ अब ढीले पड़ गए थे, वह अब उसके बालों को सहलाने लगे। दीपक को यह इशारा काफी था, उसने मुँह ऊपर कर के आफरीन से पूछा- बहुत दर्द हो रहा है क्या? “नहीं मेरे राजा… तुम जो जन्नत दे रहे हो, उसके सामने यह दर्द कुछ भी नहीं है… अब मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं… सिर्फ जन्नत ही दूंगी.
Afreen ko chodte huye deepak
दीपक का लंड अभी तक खड़ा था।
“तुम इसको और कितनी देर खड़ा रखने वाले हो, यह बच्चों का खेल बहुत हुआ अब हमको बड़ों का खेल खेलना चाहिए.” आफरीन ने बेशर्मी से बोला। “हा हा हा रानी… मुझे अच्छा लगा तुम्हारा खुल कर बोलना। तुम तेल लेकर बैडरूम में आओ, अब मैं तुम्हें स्वर्ग की सैर करवाता हूँ.”
दोनों ही सोफे से उठे, दीपक बेडरूम की तरफ जाने लगा, आफरीन ने वहीं पास में टेबल पे रखी तेल की शीशी ली, घड़ी की तरफ देखा तो 2:30 बजे थे, मतलब दूसरा राउंड भी दो घंटे तक चला था। अब उसे यकीन था कि तीसरा राउंड सुबह तक चलेगा। यह सोचकर ही वह हँसने लगी, वह खुद भी सोच रही थी कि उसने इतनी टाइम यह सहन कैसे किया है।
टेबल के पास खड़ी होकर वह सोच रही थी, उसी वक्त दीपक बैडरूम से बाहर देखने को आया के इतना टाइम क्यों लग रहा है। आफरीन के पास जाते ही दीपक ने आफरीन को अपनी तरफ घुमाया और जोर से गले लगाकर ऊपर उठाया। आफरीन ने भी अपने पैरों से उसकी कमर को पकड़ा और अपनी बांहों से उसके गले को पकड़ लिया। दीपक आफरीन को उसी अवस्था में होठों पे चूमते हुए बैडरूम में ले गया, उसे धीरे से बेड पर लिटाते हुए खुद भी बेड पर चढ़ गया।
कुछ समय उसको चूमने, स्तनों से खेलने के बाद उसने आफरीन को नीचे लिटाया, उसके दोनों पैर अपने हाथों से पकड़ कर फैलाते हुए उसके पैरों के बीच में आ गया। उसका लंड अब आफरीन की जांघों से टकरा रहा था- चलो आफरीन, अब हम दोनों जन्नत की सैर करके आते हैं.
दीपक ने एक हाथ की उंगलियों से आफरीन की चुत की पंखुड़ियों को अलग किया तो दूसरे हाथ से अपने लंड का टोपा उसकी चुत में फंसा दिया। तेल की शीशी हाथ में लेकर के उसने तेल की धार अपने लंड पर छोड़ी फिर हाथ से तेल अपने काले लंड पर फैला दिया।
थोड़ा तेल आफरीन की चुत पर छोड़ते हुए उसने चुत को भी चिकना बना दिया। तेल की शीशी साइड में रखते हुए उसने आफरीन के पैर और फैला दिए और नीचे झुकते हुए वह अफर्रवन के एक निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा। धीरे धीरे वह अपना लंड आफरीन की चुत में दबाने लगा; तेल की वजह से चिकनी हुई चुत में धीरे धीरे लंड अंदर घुसने लगा। लंड की वजह से आफरीन की चुत की दीवारें पहले कभी जितनी नहीं तनी थी उतनी तन गयी थी। आफरीन को अपनी चुत तनने का अहसास हो रहा था, सलीम का लंड 5.5 इंच का जरूर था पर इतना मोटा नहीं था। उस वजह से आधा लंड अंदर जाने के बाद दीपक को कोई कुंवारी चुत जैसा ही कसाव महसूस हो रहा था, उसको हर धक्के के लिए जोर लगाना पड़ रहा था।
हर धक्के पर आफरीन चिल्ला उठती, उसको होने वाले दर्द का अहसास दीपक को भी था, वह भी उतने ही दर्द में था। पर दर्द के बावजूद मिलने वाला जन्नत था।
आफरीन ने खुद ही अपने पैर और फैला दिए ताकि दीपक को और जगह मिल जाये। दीपक ने भी अब आफरीन के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
उसका लंड अंदर लेने में आफरीन को बहुत दर्द हो रहा था। उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे थे, उसकी चुत तो मानो फट ही गयी थी। उसका लंड बिल्कुल मूसल की तरह लग रहा था, अभी भी आधे से थोड़ा ज्यादा अंदर घुसा था। इसके आगे की आफरीन की चुत बिल्कुल कोरी थी।
दीपक ने अपने दोनों हाथों से आफरीन की चुचियों को ज़ोरों से भींचा, नीचे झुकते हुए उसके होठों को अपने होठों में कैद किया और अपनी कमर का एक झटका जोर से आफरीन की कमर पर मारा। आफरीन की चीख दीपक के मुख में ही दब गई। दीपक का पूरा लंड आफरीन की चुत में समा गया था। आफरीन को जोर से पकड़ते हुए दीपक उसके शरीर पर ही पड़ा रहा। आफरीन का तो पूरा शरीर थरथराने लगा था, उसकी आँखों से आंसू की धारा बह रही थी। दीपक अब उसके पूरे चेहरे पर किस कर रहा था।
अपनी कमर को जरा भी ना हिलाते हुए उसने अपना सर नीचे किया और आफरीन के निप्पल चूसने लगा। एक निप्पल को बड़े ही प्यार से चूसते समय दूसरे स्तन को दबा रहा था।
आफरीन की चुत का रस अब कम हो रहा था। दीपक की कामुक हरकतों की वजह से उसका बदन फिर से तैयार हो रहा था, उसकी चुत में अब आग लग गयी थी, वह आग अब दीपक के लंड के पानी से ही बुझेगी।
दीपक की पीठ को पकड़े हुए उसके हाथ अब ढीले पड़ गए थे, वह अब उसके बालों को सहलाने लगे। दीपक को यह इशारा काफी था, उसने मुँह ऊपर कर के आफरीन से पूछा- बहुत दर्द हो रहा है क्या? “नहीं मेरे राजा… तुम जो जन्नत दे रहे हो, उसके सामने यह दर्द कुछ भी नहीं है… अब मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं… सिर्फ जन्नत ही दूंगी.
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