25-05-2023, 12:50 PM
पड़ोस के दीपक भाईजान-4
कहानी का पिछला भाग: पड़ोस के दीपक भाईजान-3
दीपक ने केबल पर लगी हुई हिंदी ब्लू फिल्म चालू कर दी तो आफरीन शर्मा गयी। उसको शर्माते हुए देख कर दीपक हंसने लगा।
आफरीन ने पहले कभी हिंदी ब्लू फिल्म नहीं देखी थी। सलीम भी इतना रोमान्टिक नहीं था कि उनके साथ बैठ कर पोर्न फिल्म देखे। उसकी हमेशा से ही ऐसी फ़िल्म देखने की चाहत थी और दीपक उसकी यह इच्छा भी पूरी कर रहा था।
सोचते सोचते उसे यह अहसास हुआ कि दीपक अपना हाथ कंधों पर से लाते हुए उनके दोनों स्तनों को पकड़ कर दबा रहा है। उसने दीपक की तरफ देखा; उसकी ओर देखते ही आफरीन शर्मा गयी, उसके शर्माने से दीपक मचल उठा और आफरीन को अपने तरफ घुमाया। अब उसने आफरीन के स्तन मसलने शुरू कर दिए; वह वो गोल गोल मम्मे दबा रहा था, उनको अपने हाथों से तोल रहा था, उसके चॉकलेटी निप्पल्स को मसल रहा था। उसकी इन हरकतों का आफरीन पे असर होने लगा, उसकी सांसें तेज होने लगी।
दीपक अब नीचे झुककर दोनों निप्पल्स को बारी बारी चूसने लगा। आफरीन ने अपने शरीर को पीछे ले जाते हुए सोफे पर पीठ के बल लेट गयी, हैंड रेस्ट पर अपना सर रख कर। दीपक छोटे बच्चे की तरह उसके दोनों निप्पल्स को चूस रहा था; मगर इस बार बड़े ही प्यार से, पिछली बार की तरह वहशीपन से नहीं।
आफरीन भी अपने हाथों को उसके पूरे शरीर पर घूमा रही थी। उसके सीने के बाल, उसका वो मर्दाना शरीर, कसरती आकार, उसके मसल्स, उसकी कसी गांड सब पर हाथ घुमाकर उसको प्रोत्साहित कर रही थी। “आह… राजा… तुम को सच में पता है कि मुझे कहाँ कहाँ स्पर्श करना है। तुमसे मिलने के पहले मुझे सच में पता नहीं था कि सेक्स में इतना मजा मिलता है। मैं बहुत खुश हूं यह सब करके। सच में तुम मेरी जिंदगी का पहला सौाहर से भि जायदा प्यारे हो!”
दीपक ने अपना मुँह निप्पल्स से हटाते हुए आफरीन के होठों की तरफ ले जाते हुए उसको एक प्यार भरा किस किया; आफरीन ने भी वापस उसको किस किया। दीपक बोला- जान… जब से तुम्हें देखा है तब से मैं तुम्हें चोदना चाहता था, आज मेरी यह इच्छा पूरी होने जा रही है। तुम बेपनाह हुस्न की मल्लिका हो और तुम्हारे हुस्न की अच्छे से सेवा होनी ही चाहिए। अब मैं तुम्हारी चूत को कभी भी भूखा नहीं रखूंगा, तुम्हारे बदन की सारी भूख मैं शांत करूँगा, जब भी तुम्हें चाहिए और जब भी मुझे चाहिये! यह कहकर उसने फिर से आफरीन को एक लंबा किस किया.
उसके मुँह से अपनी तारीफ आफरीन को अच्छी लगने लगी थी; सच में आफरीन अब पूरी तरह दिपक से प्यार करने लगी थी। दिपक ने ऊपर के होंठ छोड़ कर अब नीचे के खड़े होठों को अपने मुँह में लिया। आफरीन के दाने को अपने होठों में पकड़कर जीभ से उसके साथ खेल रहा था। उसकी इसी हरकत से आफरीन का बांध छुटा, काम रस झरने की तरह बहते हुए दीपक के मुंह के अंदर जाने लगा। वह उत्तेजना में ज़ोरों से सिसकारती हुई सोफे पे गिर गई।
शांत होने के बाद उसने दीपक की तरफ देखा और बोली- दीपक भाई, मुझे यह उधार चुकाना है!
‘ आफरीन को क्या चाहिए’ यह समझ में आते ही दीपक सोफे के पास उठ कर खड़ा हुआ; उसका खड़ा लंड आफरीन के मुँह पर टकरा रहा था; आफरीन ने भी अपने दोनों हाथों से दीपक के लंड को जड़ से पकड़ा और पिछली बार जहाँ से ख़त्म किया था वही से अपनी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू कर दी। पिछली बार की तुलना में वह अब अधिक अच्छी तरह से लंड को चूस रही थी। उसके मुँह का नर्म, गर्म स्पर्श पाते ही उसका लंड और फूल गया। आफरीन भी उसका लंड ज्यादा से ज्यादा अंदर ले रही थी; आधे से ज्यादा लंड अपने मुह में ले कर कर चूस रही थी, उसके आकार की अब आदि हो रही थी।
थोड़ी देर की चुसाई के बाद दीपक ने आफरीन को रोका और आफरीन को अपने ऊपर इस तरह सोने को बोला कि आफरीन की चुत बराबर उसके मुंह के सामने हो और दीपक ला लंड आफरीन के मुख के सामने- जान इसे 69 पोजीशन कहते हैं, इसमें हम दोनों को मजा आएगा।
सामने शोकेस में दोनों की छवि देख कर उसको समझ में आ गया कि 69 क्यों कहते हैं। आफरीन अब दीपक का लंड जितना हो उतना मुँह में लेकर चूसने लगी; वह कुछ भी कर के अपने प्रियतम को खुश करना चाहती थी। दीपक भी उतनी ही मेहनत कर रहा था। दोनों में कम्पीटीशन होने लगा था कि कौन किसको पहले खुश करता है।
दीपक ने आफरीन की गोल गोल गोरी गोरी गांड हाथों में पकड़ कर फैला दी थी और चुत में जीभ डाल कर चोद रहा था। दीपक की अनुभवी जुबान आफरीन को अपने अंजाम तक पहुँचा रही थी पर दीपक झड़ने के करीब भी नहीं था। आफरीन को दीपक का स्टैमिना देख कर आश्चर्य लगा, सलीम तो अब तक झड़ कर सो भी चुका होता।
दीपक ने एक उंगली आफरीन की चुत में डाल कर अंदर बाहर करनी शुरू कर दी तो दूसरी उंगली से उसके गांड के छेद की मालिश करने लगा। फिर हल्के से वह उंगली उसकी गांड में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। उसका चूसना और उंगली से चुत और गांड को चोदना आफरीन के लिए बहुत था अपने मुकाम तक पहुँचाने के लिए। अपने मुख से दिपक का लंड निकालकर वह जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। उसकी चुत का रस ज़ोरों से बहते हुए दीपक के मुंह में जा रहा था।
आफरीन थक कर दीपक के शरीर पर गिर गयी, उसका मुंह दीपक की जांघों के बीच था। दीपक ने भी चूसना रोक दिया।
शांत होने के बाद आफरीन उठ कर साइड में बैठ गयी; दीपक भी उठ कर बैठ गया और आफरीन की और देख कर मुस्कुराने लगा- हा हा हा… तुम हार गई! उस पे आफरीन बोली- तुम्हारी जुबान का कोई मुकाबला ही नहीं… मेरा उसके सामने टिक पाना असंभव
Afreen aur deepak
कहानी का पिछला भाग: पड़ोस के दीपक भाईजान-3
दीपक ने केबल पर लगी हुई हिंदी ब्लू फिल्म चालू कर दी तो आफरीन शर्मा गयी। उसको शर्माते हुए देख कर दीपक हंसने लगा।
आफरीन ने पहले कभी हिंदी ब्लू फिल्म नहीं देखी थी। सलीम भी इतना रोमान्टिक नहीं था कि उनके साथ बैठ कर पोर्न फिल्म देखे। उसकी हमेशा से ही ऐसी फ़िल्म देखने की चाहत थी और दीपक उसकी यह इच्छा भी पूरी कर रहा था।
सोचते सोचते उसे यह अहसास हुआ कि दीपक अपना हाथ कंधों पर से लाते हुए उनके दोनों स्तनों को पकड़ कर दबा रहा है। उसने दीपक की तरफ देखा; उसकी ओर देखते ही आफरीन शर्मा गयी, उसके शर्माने से दीपक मचल उठा और आफरीन को अपने तरफ घुमाया। अब उसने आफरीन के स्तन मसलने शुरू कर दिए; वह वो गोल गोल मम्मे दबा रहा था, उनको अपने हाथों से तोल रहा था, उसके चॉकलेटी निप्पल्स को मसल रहा था। उसकी इन हरकतों का आफरीन पे असर होने लगा, उसकी सांसें तेज होने लगी।
दीपक अब नीचे झुककर दोनों निप्पल्स को बारी बारी चूसने लगा। आफरीन ने अपने शरीर को पीछे ले जाते हुए सोफे पर पीठ के बल लेट गयी, हैंड रेस्ट पर अपना सर रख कर। दीपक छोटे बच्चे की तरह उसके दोनों निप्पल्स को चूस रहा था; मगर इस बार बड़े ही प्यार से, पिछली बार की तरह वहशीपन से नहीं।
आफरीन भी अपने हाथों को उसके पूरे शरीर पर घूमा रही थी। उसके सीने के बाल, उसका वो मर्दाना शरीर, कसरती आकार, उसके मसल्स, उसकी कसी गांड सब पर हाथ घुमाकर उसको प्रोत्साहित कर रही थी। “आह… राजा… तुम को सच में पता है कि मुझे कहाँ कहाँ स्पर्श करना है। तुमसे मिलने के पहले मुझे सच में पता नहीं था कि सेक्स में इतना मजा मिलता है। मैं बहुत खुश हूं यह सब करके। सच में तुम मेरी जिंदगी का पहला सौाहर से भि जायदा प्यारे हो!”
दीपक ने अपना मुँह निप्पल्स से हटाते हुए आफरीन के होठों की तरफ ले जाते हुए उसको एक प्यार भरा किस किया; आफरीन ने भी वापस उसको किस किया। दीपक बोला- जान… जब से तुम्हें देखा है तब से मैं तुम्हें चोदना चाहता था, आज मेरी यह इच्छा पूरी होने जा रही है। तुम बेपनाह हुस्न की मल्लिका हो और तुम्हारे हुस्न की अच्छे से सेवा होनी ही चाहिए। अब मैं तुम्हारी चूत को कभी भी भूखा नहीं रखूंगा, तुम्हारे बदन की सारी भूख मैं शांत करूँगा, जब भी तुम्हें चाहिए और जब भी मुझे चाहिये! यह कहकर उसने फिर से आफरीन को एक लंबा किस किया.
उसके मुँह से अपनी तारीफ आफरीन को अच्छी लगने लगी थी; सच में आफरीन अब पूरी तरह दिपक से प्यार करने लगी थी। दिपक ने ऊपर के होंठ छोड़ कर अब नीचे के खड़े होठों को अपने मुँह में लिया। आफरीन के दाने को अपने होठों में पकड़कर जीभ से उसके साथ खेल रहा था। उसकी इसी हरकत से आफरीन का बांध छुटा, काम रस झरने की तरह बहते हुए दीपक के मुंह के अंदर जाने लगा। वह उत्तेजना में ज़ोरों से सिसकारती हुई सोफे पे गिर गई।
शांत होने के बाद उसने दीपक की तरफ देखा और बोली- दीपक भाई, मुझे यह उधार चुकाना है!
‘ आफरीन को क्या चाहिए’ यह समझ में आते ही दीपक सोफे के पास उठ कर खड़ा हुआ; उसका खड़ा लंड आफरीन के मुँह पर टकरा रहा था; आफरीन ने भी अपने दोनों हाथों से दीपक के लंड को जड़ से पकड़ा और पिछली बार जहाँ से ख़त्म किया था वही से अपनी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू कर दी। पिछली बार की तुलना में वह अब अधिक अच्छी तरह से लंड को चूस रही थी। उसके मुँह का नर्म, गर्म स्पर्श पाते ही उसका लंड और फूल गया। आफरीन भी उसका लंड ज्यादा से ज्यादा अंदर ले रही थी; आधे से ज्यादा लंड अपने मुह में ले कर कर चूस रही थी, उसके आकार की अब आदि हो रही थी।
थोड़ी देर की चुसाई के बाद दीपक ने आफरीन को रोका और आफरीन को अपने ऊपर इस तरह सोने को बोला कि आफरीन की चुत बराबर उसके मुंह के सामने हो और दीपक ला लंड आफरीन के मुख के सामने- जान इसे 69 पोजीशन कहते हैं, इसमें हम दोनों को मजा आएगा।
सामने शोकेस में दोनों की छवि देख कर उसको समझ में आ गया कि 69 क्यों कहते हैं। आफरीन अब दीपक का लंड जितना हो उतना मुँह में लेकर चूसने लगी; वह कुछ भी कर के अपने प्रियतम को खुश करना चाहती थी। दीपक भी उतनी ही मेहनत कर रहा था। दोनों में कम्पीटीशन होने लगा था कि कौन किसको पहले खुश करता है।
दीपक ने आफरीन की गोल गोल गोरी गोरी गांड हाथों में पकड़ कर फैला दी थी और चुत में जीभ डाल कर चोद रहा था। दीपक की अनुभवी जुबान आफरीन को अपने अंजाम तक पहुँचा रही थी पर दीपक झड़ने के करीब भी नहीं था। आफरीन को दीपक का स्टैमिना देख कर आश्चर्य लगा, सलीम तो अब तक झड़ कर सो भी चुका होता।
दीपक ने एक उंगली आफरीन की चुत में डाल कर अंदर बाहर करनी शुरू कर दी तो दूसरी उंगली से उसके गांड के छेद की मालिश करने लगा। फिर हल्के से वह उंगली उसकी गांड में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। उसका चूसना और उंगली से चुत और गांड को चोदना आफरीन के लिए बहुत था अपने मुकाम तक पहुँचाने के लिए। अपने मुख से दिपक का लंड निकालकर वह जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। उसकी चुत का रस ज़ोरों से बहते हुए दीपक के मुंह में जा रहा था।
आफरीन थक कर दीपक के शरीर पर गिर गयी, उसका मुंह दीपक की जांघों के बीच था। दीपक ने भी चूसना रोक दिया।
शांत होने के बाद आफरीन उठ कर साइड में बैठ गयी; दीपक भी उठ कर बैठ गया और आफरीन की और देख कर मुस्कुराने लगा- हा हा हा… तुम हार गई! उस पे आफरीन बोली- तुम्हारी जुबान का कोई मुकाबला ही नहीं… मेरा उसके सामने टिक पाना असंभव
Afreen aur deepak