25-05-2023, 11:39 AM
पड़ोस के दिपक भाईजान 2
इस कहानी के पहले भाग पड़ोस के दीपक भाईजान-1 में आपने पढ़ा कि कैसे आफरीन की नई नई शादी के बाद उसका पति अमेरिका चला गया. आफरीन के घर में एक किरायेदार जोड़ा किराये पर रहने लगा और किरायेदार की कामुक नजर आफरीन के सेक्सी जिस्म पर थी.
आफरीन अब ऐसे आदमी के सामने खड़ी थी जो हमेशा से उसको कामुकता भारी नजरों से देखता था।
आफरीन अब दीपक से दूर जाने लगी। पर अचानक से दीपक ने उसको कस कर बांहों में जकड़ लिया; आफरीन अब उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करने लगी, उसके बड़े बड़े स्तन दिपक की चौड़ी छाती पर रगड़ खा रहे थे। “आज मैं तुमको अपनी बनाऊंगा आफरीन … ऐसा मौका मैं नहीं छोड़ सकता… प्लीज मेरा साथ देना… क्योंकि कुछ भी हुआ तो मैं आज तुमको अपना बना…” दीपक बड़बड़ाने लगा।
दीपक उसको खींच कर बैडरूम में लेकर आ गया और उसको बैड पर लिटा दिया, उसने आफरीन पे कूदते हुए अपने वजन से आफरीन को दबोच लिया। वो अब अपने खुरदरे होठों से आफरीन के चेहरे पे किस करने लगा। बीच में वह अपनी जीभ आफरीन के मुख में घुसाने की कोशिश करने लगता।
दीपक ने अभी गिफ्ट की हुई नाइटी की गांठ खोली और खींच कर नाइटी आफरीन की बदन से अलग कर दी। आफरीन अब उसके सामने सफेद ब्रा और पैंटी में बेड पर लेटी हुई थी। दीपक अब घुटनों पर बैठ कर उसकी सुंदरता का आँखों से रसपान करने लगा; सपनों में देखी हुई सुंदरी को आज भोगने को मिलेगा इस ख़याल से ही खुश हो रहा था।
वह झट से आफरीन के ऊपर जा बैठा और आफरीन के सुडौल स्तन ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। आफरीन को यह अहसास हो गया था कि यह सब होने ही वाला है तो वो इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थी… उसे जरूरत भी थी इसकी क्योंकि उसके सौाहर से अलग हुए कई महीने हो गये थे.
दीपक अभी भी उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था, चूस रहा था, मसल रहा था। बीच बीच में वह उसके होठों को चूम रहा था। उसका दूसरा हाथ आफरीन के पूरे बदन पर घूम रहा था, गले से लेकर पेट तक और चूत तक। जो कुछ हो रहा है, उस सुख से वंचित उसके शरीर ने अब बगावत करनी शुरू कर दी थी। आफरीन को भी यह अहसास होने लगा था.
दीपक भी आफरीन की चुत पे गीलापन महसूस कर रहा था, वह झट से खड़ा हो गया। उसने आफरीन की पैंटी पे वह गीला धब्बा देखा और उसको समझ में आ गया कि यह परी अब तैयार हो गई है।
दीपक ने अब आफरीन की पैंटी में उंगली घुसा दी और नीचे खींचने लगा। आफरीन ने भी अनजाने में अपनी कमर उठा कर उसको पैंटी उतारने में मदद की। दीपक धीरे से पैंटी उतार रहा था तब आफरीन दीपक को देख रही थी। पैंटी घुटनो तक आने के बाद दीपक ने एक झटके में उसको पैरों से उतार दी और बैडरूम के किसी कोने में फेंक दी।
आफरीन को अब आश्चर्य हो रहा था कि कितनी आसानी से उसने दीपक को अपनी पैंटी उतारने दी। वह एक आदर्श बेगम थी, एक पाक़ीज़ा बहू थी, दीपक तो उसे बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उस आदमी को अपनी मर्जी के बगैर वह सब कुछ करने दे रही थी जो सिर्फ उसने अपने सौाहर को करने दिया था।
पैंटी उतरने के बाद आफरीन ने अपने पैर जोर से भींच लिए ताकि उसकी चुत दीपक को ना दिखे। पर दीपक ने ताकत लगा के आफरीन के पैर खोल दिये, उसकी ताकत आफरीन से कही अधिक थी। अपने सामने के दृश्य से दीपक आश्यर्य चकित हो गया; गोरी गोरी टाइट चुत उसके सामने थी; उसकी चुत पर बहुत ही कम बाल थे, उन काले बालों में उसकी गुलाबी पंखुड़ियों का दीदार हो रहा था। सलीम को भी उसकी बालों वाली चुत अच्छी लगती थी।
दीपक अब बेड से नीचे उतरा, आफरीन के पैरों को पकड़ा और खींचते हुए उसको बेड के कोने तक ले आया। वह जमीन पर अपने घुटनों के बल आफरीन के टाँगों के बीच बैठा और अपना सिर उसकी चुत पे ले आया। आफरीन अपने दोनों हाथो से उसको अपने पैरों से दूर धकेलने लगी।
अपने दोनों हाथों से उसकी जांघें सहलाते हुए दीपक ने आफरीन की चुत के इर्द गिर्द अपने बड़े होठों से चूमने लगा, चाटने लगा। चुत के आस पास चाटते चाटते उसने आफरीन के नीचे के खड़े होठों की तरफ जाने लगा। अपनी नाक उसके छेद पे घिसते हुए एक लंबी सांस लेते हुए एक जवान चुत की खुशबू अपने फेफड़ों में भरी। उस खुशबू से उसको नशा होने लगा था। उसने अपनी खुरदरी जीभ बाहर निकाली और उसकी गुलाबी चुत में हल्के से घुसा दी।
जो कुछ भी हो रहा था वो उसके लिए बिल्कुल नया था। उसने पहले कभी यह अनुभव नहीं लिया था। दीपक ने अपनी जीभ से आफरीन की चुत को छेड़ते हुए अपनी जीभ को ऊपर नीचे घुमाना चालू कर दिया फिर उसकी चुत के दाने को अपने मुंह में पकड़ कर चूसने लगा।
आफरीन की चुत का नमकीन स्वीट टेस्ट बहुत मादक था। दीपक ने अपनी जीभ और अंदर घुसाकर आफरीन को जीभ से चोदना शुरु किया। आफरीन की सांसें अब तेज होने लगी, अब वह सब कुछ भूल गयी थी, धीरे धीरे वो जन्नत में पहुँचने लगी, उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसके हाथ अब दीपक को दूर धकेलने के बजाय उसके बालों को पकड़ कर जांघों के बीच दबाने लगे। दीपक की जीभ उसको वो सभी अनुभव दे रही थी जो उसने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं किया था।
आफरीन ने कभी भी ओरल सेक्स का अनुभव नहीं लिया था। शादी के बाद सलीम से जो भी सेक्स हुआ था उसमें उन्होंने कभी भी ओरल सेक्स का प्रयास नहीं किया था। आफरीन अब यह सोच रही थी कि सलीम के साथ उसने यह सब ट्राय क्यों नहीं किया, पर अभी… अपने से दोगुने उम्र का आदमी उसके टाँगों के बीच बैठ कर उसको स्वर्गिक सुख दे रहा था।
उसको अब ऐसे बैठना मुश्किल हो रहा था, उसने अपना हाथ दीपक के कंधों पर से हटा दिया और धीरे धीरे पीछे लेट गयी। उसके पेट में अब खलबली मच गई थी। एक तेज लहर उसके पेट से बाहर निकलने को मचल रही थी। उसे समझ में आ गया था कि वो अब झड़ने वाली है।
दीपक ने फिर से उसके दाने को दाँतों में पकड़कर हल्के से काटा, आफरीन ने हल्के से सिसकी भरी फिर कमर उठाकर अपने बदन को धनुष के आकार में लाते हुए दीपक के चेहरे को अपनी चुत के काम रस से भिगोने लगी। दीपक ने भी पूरा रस लपालप चाट लिया और आफरीन के शांत होने की राह देखने लगा। आफरीन को हर पल एक साल की तरह लग रहा था, अपनी जिंदगी के कामसुख के परम बिंदु को छू के वह वापस लौटी थी।
आंखे बंद करके उस सुख की अनुभूति करती आफरीन सोच रही थी… ‘यह आदमी बिल्कुल राक्षस की तरह लगता है, मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। फिर भी उसने आज मैंने कभी सोचा भी न हो इतना असीमित कामसुख दिया है।’
आफरीन के मुख से कामुकता भरी सिसकारियाँ सुनकर दीपक को यह भरोसा हो गया था कि यह सोनपरी अब उसके वश में आ गयी है। अब वो उसको अपनी जिंदगी का सबसे बढ़िया चोदन सुख देने को तैयार था। दीपक अब आफरीन की टांगों के बीच में से उठा और उसके पास बैठ गया; आफरीन भी उठ कर बैठ गई थी। आफरीन की आंखों में उसके प्रति प्यार देख कर वह अपनी उंगलियाँ उसके होठों पर घूमाने लगा। उसी वक्त उसने अपना दायाँ हाथ कमर से ले जाते हुए उसकी पीठ तक पहुँचाया। उसने बड़ी सफाई से आफरीन की ब्रा खोल दी और आगे से कंधों पर से अलग कर दी।
आफरीन के स्तन अब खुली सांस ले रहे थे, 34सी होते हुए भी गोरे सीने पर तन कर खड़े थे… उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।
दीपक अब उसके दोनों मम्मों को हाथों से पकड़कर मसलने लगा। आफरीन के मम्मे सच में बहुत बड़े थे। दीपक के बड़े बड़े हाथों में भी मुश्किल से समा रहे थे।
दीपक ने अब अपनी जीभ बाहर निकाली और आफरीन के बायें मम्मे पे चलाने लगा। उस ठंडे स्पर्श से आफरीन थरथरा उठी। दीपक उसके ऐरोला के आस पास चाटने लगा, फिर धीरे धीरे पूरा मम्मा चाट, चूस कर पूरा गीला कर दिया। वह जान बूझ कर ऐरोला और निप्पल को छू नहीं रहा था, उसको तरसा रहा था।
आफरीन को यह अब सहन करने के परे था, उसने अपने दोनों हाथों से दीपक के सिर को पकड़ा और अपने निप्पल की तरफ खींचा। दीपक को आफरीन का इशारा समझ में आ गया, उसने झट से उसके निप्पल पर हमला किया, उसके निप्पल को अपने दाँतों से पकड़ कर काटने लगा। वह बेहरमी से उसके निप्पल को चूसने, काटने लगा तो आफरीन और भी सिसकने और तड़पने लगी। दीपक उसके निप्पल को मुँह में पकड़ कर ज़ोरों से खींचता, वह उसके दोनों निप्पल्स को अपनी जीभ से गीला करता और उस पे फूंक मरता। उस ठंडे स्पर्श से उसके निप्पल्स और भी कड़े हो गए थे।
दीपक ने आफरीन के स्तनों पर इस तरह हमला किया था कि सिर्फ उसी उत्तेजना से वह फिर से अपनी कामोत्तेजना के शिखर पर पहुँची। बहुत दिन से सेक्स से दूर रही नवविवाहिता के लिए यह कुछ ज्यादा ही था, कामरस से आफरीन की चुत पूरी भर चुकी थी, जहां वह बैठी थी,वह चादर भी अब गीली हो गई थी।
दीपक ने आफरीन की निप्पल्स को अपने होठों से पकड़ कर चूस काट कर उसके निप्पल्स से दूर हुआ। वह अब बेड से नीचे उतरा और अपने कपड़े उतारने लगा। वह एक एक कपड़ा अपने बलशाली शरीर से उतारने लगा, आफरीन मोहित होकर उसको देख रही थी।
उसने अपना आखिरी कपड़ा अपनी अंडरवीयर उतारी तो उसका बड़ा सा अजगर उछल कर बाहर निकला और उसके पेट पे टकराया।
उसका बड़ा मूसल देख कर आफरीन को शॉक ही लगा, वो उसकी तुलना अपने सौाहर के लंड से करने लगी। सलीम का लंड भी लंबा मोटा था लेकिन दीपक का लंड मानो अजगर ही था। अपनी जिंदगी का दूसरा लंड देख रही थी।
आफरीन का यहाँ से वापस लौटना अब नामुमकिन था, उसके शरीर ने बगावत कर दी थी, वासना ने उसके मन पर कब्जा कर लिया था।
Deepak ke sath maja le.rhi afreen
इस कहानी के पहले भाग पड़ोस के दीपक भाईजान-1 में आपने पढ़ा कि कैसे आफरीन की नई नई शादी के बाद उसका पति अमेरिका चला गया. आफरीन के घर में एक किरायेदार जोड़ा किराये पर रहने लगा और किरायेदार की कामुक नजर आफरीन के सेक्सी जिस्म पर थी.
आफरीन अब ऐसे आदमी के सामने खड़ी थी जो हमेशा से उसको कामुकता भारी नजरों से देखता था।
आफरीन अब दीपक से दूर जाने लगी। पर अचानक से दीपक ने उसको कस कर बांहों में जकड़ लिया; आफरीन अब उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करने लगी, उसके बड़े बड़े स्तन दिपक की चौड़ी छाती पर रगड़ खा रहे थे। “आज मैं तुमको अपनी बनाऊंगा आफरीन … ऐसा मौका मैं नहीं छोड़ सकता… प्लीज मेरा साथ देना… क्योंकि कुछ भी हुआ तो मैं आज तुमको अपना बना…” दीपक बड़बड़ाने लगा।
दीपक उसको खींच कर बैडरूम में लेकर आ गया और उसको बैड पर लिटा दिया, उसने आफरीन पे कूदते हुए अपने वजन से आफरीन को दबोच लिया। वो अब अपने खुरदरे होठों से आफरीन के चेहरे पे किस करने लगा। बीच में वह अपनी जीभ आफरीन के मुख में घुसाने की कोशिश करने लगता।
दीपक ने अभी गिफ्ट की हुई नाइटी की गांठ खोली और खींच कर नाइटी आफरीन की बदन से अलग कर दी। आफरीन अब उसके सामने सफेद ब्रा और पैंटी में बेड पर लेटी हुई थी। दीपक अब घुटनों पर बैठ कर उसकी सुंदरता का आँखों से रसपान करने लगा; सपनों में देखी हुई सुंदरी को आज भोगने को मिलेगा इस ख़याल से ही खुश हो रहा था।
वह झट से आफरीन के ऊपर जा बैठा और आफरीन के सुडौल स्तन ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। आफरीन को यह अहसास हो गया था कि यह सब होने ही वाला है तो वो इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थी… उसे जरूरत भी थी इसकी क्योंकि उसके सौाहर से अलग हुए कई महीने हो गये थे.
दीपक अभी भी उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था, चूस रहा था, मसल रहा था। बीच बीच में वह उसके होठों को चूम रहा था। उसका दूसरा हाथ आफरीन के पूरे बदन पर घूम रहा था, गले से लेकर पेट तक और चूत तक। जो कुछ हो रहा है, उस सुख से वंचित उसके शरीर ने अब बगावत करनी शुरू कर दी थी। आफरीन को भी यह अहसास होने लगा था.
दीपक भी आफरीन की चुत पे गीलापन महसूस कर रहा था, वह झट से खड़ा हो गया। उसने आफरीन की पैंटी पे वह गीला धब्बा देखा और उसको समझ में आ गया कि यह परी अब तैयार हो गई है।
दीपक ने अब आफरीन की पैंटी में उंगली घुसा दी और नीचे खींचने लगा। आफरीन ने भी अनजाने में अपनी कमर उठा कर उसको पैंटी उतारने में मदद की। दीपक धीरे से पैंटी उतार रहा था तब आफरीन दीपक को देख रही थी। पैंटी घुटनो तक आने के बाद दीपक ने एक झटके में उसको पैरों से उतार दी और बैडरूम के किसी कोने में फेंक दी।
आफरीन को अब आश्चर्य हो रहा था कि कितनी आसानी से उसने दीपक को अपनी पैंटी उतारने दी। वह एक आदर्श बेगम थी, एक पाक़ीज़ा बहू थी, दीपक तो उसे बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उस आदमी को अपनी मर्जी के बगैर वह सब कुछ करने दे रही थी जो सिर्फ उसने अपने सौाहर को करने दिया था।
पैंटी उतरने के बाद आफरीन ने अपने पैर जोर से भींच लिए ताकि उसकी चुत दीपक को ना दिखे। पर दीपक ने ताकत लगा के आफरीन के पैर खोल दिये, उसकी ताकत आफरीन से कही अधिक थी। अपने सामने के दृश्य से दीपक आश्यर्य चकित हो गया; गोरी गोरी टाइट चुत उसके सामने थी; उसकी चुत पर बहुत ही कम बाल थे, उन काले बालों में उसकी गुलाबी पंखुड़ियों का दीदार हो रहा था। सलीम को भी उसकी बालों वाली चुत अच्छी लगती थी।
दीपक अब बेड से नीचे उतरा, आफरीन के पैरों को पकड़ा और खींचते हुए उसको बेड के कोने तक ले आया। वह जमीन पर अपने घुटनों के बल आफरीन के टाँगों के बीच बैठा और अपना सिर उसकी चुत पे ले आया। आफरीन अपने दोनों हाथो से उसको अपने पैरों से दूर धकेलने लगी।
अपने दोनों हाथों से उसकी जांघें सहलाते हुए दीपक ने आफरीन की चुत के इर्द गिर्द अपने बड़े होठों से चूमने लगा, चाटने लगा। चुत के आस पास चाटते चाटते उसने आफरीन के नीचे के खड़े होठों की तरफ जाने लगा। अपनी नाक उसके छेद पे घिसते हुए एक लंबी सांस लेते हुए एक जवान चुत की खुशबू अपने फेफड़ों में भरी। उस खुशबू से उसको नशा होने लगा था। उसने अपनी खुरदरी जीभ बाहर निकाली और उसकी गुलाबी चुत में हल्के से घुसा दी।
जो कुछ भी हो रहा था वो उसके लिए बिल्कुल नया था। उसने पहले कभी यह अनुभव नहीं लिया था। दीपक ने अपनी जीभ से आफरीन की चुत को छेड़ते हुए अपनी जीभ को ऊपर नीचे घुमाना चालू कर दिया फिर उसकी चुत के दाने को अपने मुंह में पकड़ कर चूसने लगा।
आफरीन की चुत का नमकीन स्वीट टेस्ट बहुत मादक था। दीपक ने अपनी जीभ और अंदर घुसाकर आफरीन को जीभ से चोदना शुरु किया। आफरीन की सांसें अब तेज होने लगी, अब वह सब कुछ भूल गयी थी, धीरे धीरे वो जन्नत में पहुँचने लगी, उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसके हाथ अब दीपक को दूर धकेलने के बजाय उसके बालों को पकड़ कर जांघों के बीच दबाने लगे। दीपक की जीभ उसको वो सभी अनुभव दे रही थी जो उसने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं किया था।
आफरीन ने कभी भी ओरल सेक्स का अनुभव नहीं लिया था। शादी के बाद सलीम से जो भी सेक्स हुआ था उसमें उन्होंने कभी भी ओरल सेक्स का प्रयास नहीं किया था। आफरीन अब यह सोच रही थी कि सलीम के साथ उसने यह सब ट्राय क्यों नहीं किया, पर अभी… अपने से दोगुने उम्र का आदमी उसके टाँगों के बीच बैठ कर उसको स्वर्गिक सुख दे रहा था।
उसको अब ऐसे बैठना मुश्किल हो रहा था, उसने अपना हाथ दीपक के कंधों पर से हटा दिया और धीरे धीरे पीछे लेट गयी। उसके पेट में अब खलबली मच गई थी। एक तेज लहर उसके पेट से बाहर निकलने को मचल रही थी। उसे समझ में आ गया था कि वो अब झड़ने वाली है।
दीपक ने फिर से उसके दाने को दाँतों में पकड़कर हल्के से काटा, आफरीन ने हल्के से सिसकी भरी फिर कमर उठाकर अपने बदन को धनुष के आकार में लाते हुए दीपक के चेहरे को अपनी चुत के काम रस से भिगोने लगी। दीपक ने भी पूरा रस लपालप चाट लिया और आफरीन के शांत होने की राह देखने लगा। आफरीन को हर पल एक साल की तरह लग रहा था, अपनी जिंदगी के कामसुख के परम बिंदु को छू के वह वापस लौटी थी।
आंखे बंद करके उस सुख की अनुभूति करती आफरीन सोच रही थी… ‘यह आदमी बिल्कुल राक्षस की तरह लगता है, मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। फिर भी उसने आज मैंने कभी सोचा भी न हो इतना असीमित कामसुख दिया है।’
आफरीन के मुख से कामुकता भरी सिसकारियाँ सुनकर दीपक को यह भरोसा हो गया था कि यह सोनपरी अब उसके वश में आ गयी है। अब वो उसको अपनी जिंदगी का सबसे बढ़िया चोदन सुख देने को तैयार था। दीपक अब आफरीन की टांगों के बीच में से उठा और उसके पास बैठ गया; आफरीन भी उठ कर बैठ गई थी। आफरीन की आंखों में उसके प्रति प्यार देख कर वह अपनी उंगलियाँ उसके होठों पर घूमाने लगा। उसी वक्त उसने अपना दायाँ हाथ कमर से ले जाते हुए उसकी पीठ तक पहुँचाया। उसने बड़ी सफाई से आफरीन की ब्रा खोल दी और आगे से कंधों पर से अलग कर दी।
आफरीन के स्तन अब खुली सांस ले रहे थे, 34सी होते हुए भी गोरे सीने पर तन कर खड़े थे… उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।
दीपक अब उसके दोनों मम्मों को हाथों से पकड़कर मसलने लगा। आफरीन के मम्मे सच में बहुत बड़े थे। दीपक के बड़े बड़े हाथों में भी मुश्किल से समा रहे थे।
दीपक ने अब अपनी जीभ बाहर निकाली और आफरीन के बायें मम्मे पे चलाने लगा। उस ठंडे स्पर्श से आफरीन थरथरा उठी। दीपक उसके ऐरोला के आस पास चाटने लगा, फिर धीरे धीरे पूरा मम्मा चाट, चूस कर पूरा गीला कर दिया। वह जान बूझ कर ऐरोला और निप्पल को छू नहीं रहा था, उसको तरसा रहा था।
आफरीन को यह अब सहन करने के परे था, उसने अपने दोनों हाथों से दीपक के सिर को पकड़ा और अपने निप्पल की तरफ खींचा। दीपक को आफरीन का इशारा समझ में आ गया, उसने झट से उसके निप्पल पर हमला किया, उसके निप्पल को अपने दाँतों से पकड़ कर काटने लगा। वह बेहरमी से उसके निप्पल को चूसने, काटने लगा तो आफरीन और भी सिसकने और तड़पने लगी। दीपक उसके निप्पल को मुँह में पकड़ कर ज़ोरों से खींचता, वह उसके दोनों निप्पल्स को अपनी जीभ से गीला करता और उस पे फूंक मरता। उस ठंडे स्पर्श से उसके निप्पल्स और भी कड़े हो गए थे।
दीपक ने आफरीन के स्तनों पर इस तरह हमला किया था कि सिर्फ उसी उत्तेजना से वह फिर से अपनी कामोत्तेजना के शिखर पर पहुँची। बहुत दिन से सेक्स से दूर रही नवविवाहिता के लिए यह कुछ ज्यादा ही था, कामरस से आफरीन की चुत पूरी भर चुकी थी, जहां वह बैठी थी,वह चादर भी अब गीली हो गई थी।
दीपक ने आफरीन की निप्पल्स को अपने होठों से पकड़ कर चूस काट कर उसके निप्पल्स से दूर हुआ। वह अब बेड से नीचे उतरा और अपने कपड़े उतारने लगा। वह एक एक कपड़ा अपने बलशाली शरीर से उतारने लगा, आफरीन मोहित होकर उसको देख रही थी।
उसने अपना आखिरी कपड़ा अपनी अंडरवीयर उतारी तो उसका बड़ा सा अजगर उछल कर बाहर निकला और उसके पेट पे टकराया।
उसका बड़ा मूसल देख कर आफरीन को शॉक ही लगा, वो उसकी तुलना अपने सौाहर के लंड से करने लगी। सलीम का लंड भी लंबा मोटा था लेकिन दीपक का लंड मानो अजगर ही था। अपनी जिंदगी का दूसरा लंड देख रही थी।
आफरीन का यहाँ से वापस लौटना अब नामुमकिन था, उसके शरीर ने बगावत कर दी थी, वासना ने उसके मन पर कब्जा कर लिया था।
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