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Adultery रीमा की दबी वासना
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रीमा के मुहँ में प्रियम का लंड फिसलने लगा, रीमा भी अपन सर लहरा लहरा कर गहराई तक प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | ये सब राजू और जग्गू  लाइव देख रहे थे जो प्रियम ने उसे बताया था | अपनी आँखों से अपने सामने वो तो अपनी किस्मत पर यकीं ही नहीं कर पा रहे थे | एक ही कमरे में तीनो और उनके सामने लगभग लगभग नंगी रीमा का गोरा गुलाबी बदन, सचमुच की रियल रीमा चाची मौजूद थी | जिसके बारे में सोचकर न जाने कितनी  बार पेंट में तम्बू तना था, आज उस चूत को चोदने की चाहत उन्हें यहाँ खीच लायी और वो चूत बस कुछ दूरी के कदमो पर थी | एक पैंटी उतारने की देर थी और वो जन्नत की ओर जाने वाली मखमली गुलाबी सुरंग उनके सामने होगी | 
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जग्गू की उत्तेजना तो रीमा के बारे में सोच सोचकर काबू ही नहीं हो रही थी | साली के एक झटके में इसकी चूत में पूरा लंड घुसा दूंगा | कितना मजा आएगा, साली जब मेरे चोदने पर चीखेगी | अभी चूस ले लंड प्रियम का, अभी लंड तो मै पेलुगां तेरी चूत में | साला तेरे चक्कर में क्या क्या दिन देखने पड़ गए |  राजू का भी यही हाल था, उसने तो इस तरह से पूरी नंगी औरत अपने जिंदगी में कभी देखि नहीं थी, वो तो बस रीमा को देखे के अपने लंड को मुथियाये जा रहा था | चाहता तो वो भी रीमा को चोदना था लेकिन उसके लिए रीमा के जिस्म को नंगा देखना ही बहुत बड़ी बात थी, वो उत्तेजना की रौ में बहता चला जा रहा था | उसकी उत्तेजना उसके काबू में नहीं थी और जितना वो रीमा को देखता उतनी तेज उसका हाथ लंड पर आगे पीछे होता | वो उत्तेजना के कारन बढ़ता बढ़ता रीमा की तरफ चला गया | सभी वासना की उत्तेजना के भंवर में थे इसलिए किसी का भी खुद पर काबू नहीं था | जग्गू ने रोकना चाहा लेकिन वो खुद रीमा को देखकर पगला रहा था | राजू को पास आया देख रीमा एक हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी और जैसे ही रीमा ने राजू के लंड पर चार पांच स्ट्रोक लगाये, राजू उत्तेजना में बह निकला | इतनी देर लंड मथने से बना सफ़ेद गाढ़ा लावा उसके शरीर से पिचकारी के रूप में बह निकला | 
रीमा के हाथ राजू के लंड रस से सन गए | रीमा भावहीन चहेरे से राजू के ढके मुहँ की तरफ देखती रही | राजू पिच्ज्कारी छुटते ही हांफने लगा | 

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रीमा ने राजू के लंड रस से सना हाथ प्रियम के लंड पर दौड़ना शुरू किया | रास्ता स्मूथ था इसलिए पिस्टन की तरह प्रियम का लंड रीमा के हाथो में अन्दर बाहर हो रहा था और आखिर कब तक प्रियम रीमा के आगे टिक  पाता, उसने भी रीमा के हाथ से मथकर तैयार किये गए लंड को रीमा के ऊपर ही उडेलना शुरू कर दिया | रीमा के ओंठो के आस पास का इलाका प्रियम के लंड रस से बुरी तरह सन गया | रीमा प्रियम को देख रही थी और प्रियम रीमा को देख रहा था | दोनों में से किसी ने भी नजरे नहीं हटाई, शायद झड़ता प्रियम रीमा के सौंदर्य के किसी और रूप के ही दर्शन कर रहा था | रीमा भी प्रियम में कुछ तलाशने में लगी थी | प्रियम के लंड से गरम लावे की आखिरी बूंद निचोड़ने को रीमा के हाथ पुरजोर कोशिश कर रहे थे | तभी राजू उत्साह में बोल पड़ा - जग्गू भाई मजा आ गया | 
रीमा की एकाग्रता भंग हुई, उसने कुछ सुना जग्गू, ये नाम तो जाना पहचाना है | प्रियम को लगा अब खेल ख़त्म, जग्गू ने बात संभालते हुए कहा - अबे गधे कितनी बार बोला है, मुझे पता है ये तेरा मुस्किल टाइम है, मुश्किल वक्त में दिमाग का इस्तेमाल किया कर |
राजू - जी बॉस जगदेव प्रसाद |


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रीमा को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे संजीवनी बूटी पिला दी हो | अपने मुहँ पर लगे प्रियम के लंड रस को पोछते हुए तेजी से पीछे की तरफ उठी और जग्गू के हाथ से बन्दूक छीन ली, और जग्गू राजू की तरफ तान दी |

रीमा दहाड़ी - चलो अपने मास्क उतार दो, कोई फायदा नहीं, तुम पकडे जा चुके हो बच्चे जग्गू |
प्रियम चौंक गया, उसे लगा अब सचमे गेम ख़त्म | जग्गू अपनी जगह से इंच भर नहीं हिला |
रीमा दहाड़ी - मास्क उतारो वरना जीतनी गोली उसमे है सब के सब उतार दूँगी |
जग्गू अपने लंड को मसलते हुए हंसने लगा - हा हा हा हा उसमे कोई गोली नहीं है रीमा मैडम, ज्यादा लाल पीला नहीं होने का |
राजू ने अपना मास्क उतार दिया - जग्गू तू मरवाएगा मुझे, खाली पिस्टल लेकर चला आया, साले मुझे बताया तक नहीं | भला ऐसा कोई करता है क्या |
जग्गू उसे धमकाता हुआ बोला - अबे फट्टू, साले इन मैडम की हालत देखि थी | बिना गोली के ये हाल था सोच गोलिया होती तो क्या हाल होता |
जग्गू ने भी अपना नकाब उतार दिया और अपने लंड को मसलते हुए रीमा के करीब जा पंहुचा - उसके हाथ से पिस्टल छीन ली - मेरा लंड तो अभी खड़ा का खड़ा ही है मैडम, इसकी भी पिचकारी निकाल दो | अब बताओ प्यार से करोगी या जबरदस्ती करनी पड़ेगी |
राजू के तरफ देखकर - राजी मैडम की फोटो तो खींच दो चार |
रीमा एक थके हारे इंसान की तरह से बिस्तर पर बैठ गयी, उसको अन्दर ही अन्दर जोर से रोना आ रहा था लेकिन तभी जग्गू का डायलोग याद आ गया | मुसीबत के वक्त दिमाग लगावो | उसने खुद की भावनाओ की काबू करते हुए, जग्गू राजू और प्रियम तीनो को बारी बारी से देखा | प्रियम ने सर झुका लिया | रीमा समझ गयी ये सब इन तीनो का मिलकर किया धरा है |
प्रियम की तरफ लपककर तेजी से गयी और एक तेज झन्नाटेदार झापड़ रसीद कर दिया - रंडी की औलाद, दिखा दी ना अपनी औकात |
राजू की फट के हाथ में आ गयी, उसे लगा अब हड्डी पसली एक होनी है, कांपते हाथो से वो रीमा की जो सिर्फ  पैंटी पहने थी फोटो खीचे जा रहा था, रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ उसे भी रसीद कर दिया | फ़ोन राजू से दूर छिटक कर जा गिरा | राजू पर ताड़बतोड़ हाथ बरसाने लगी |
रीमा रुन्वासी हो आई, राजू की भी आवाज भर्रा गयी | रीमा बड़ी हिकारत से - राजू तुम भी, मै ही मिली थी तुम सबको, यही सब अपनी माँ के साथ कर सकते हो | कुछ अरमान थे एक बार प्यार से आकर दिल की बात कहते तो सही | घिन आती है तुम सबसे मुझे, तुम सब भी इस सड़क छाप की तरह निकले  |
प्रियम सर झुकाए बैठा रहा लेकिन राजू सिबुकने लगा - उसे रोते रोते एक साँस में सारी कहानी रीमा को सुना डाली | इन सबकी जड़ में जग्गू और प्रियम थे जो उससे अपना बदला लेने आये थे |
रीमा माथा पकड़कर बैठ गयी | तभी जग्गू अपना लंड मसलता हुआ रीमा के करीब आया - बड़ा अफ़सोस हो रह है न मैडम रीमा जी | उस दिन नहीं हुआ था जब मेरी शिकायत करने कॉलेज गयी थी | अब ले लंड ले मेरा मुहँ में इसको चूस, नहीं तो गन में गोलियां नहीं लेकिन चाकू असली है | उसने पेंट के जेब से एक खतरनाक चाकू निकाला | इसको चूस, अंदर तक गले तक ले जा | आज तुझे जमकर चोदूगा, एक बार में ही पूरा लंड घुसा दूगां, हचक हचक के इतना चोदूगा की तुमारी कमर में दर्द कर दूगां, पूरी रात तुझे कुतिया बनाकर ऊपर से नीचे से पीछे आगे से हर तरह से चोदूगा | तेरी जिस्म की जवानी के रस की जब तक एक एक बूंद नहीं निचोड़ लूँगा तब तक तुझे चोदता रहूगां और तुमारी नाजुक चूत को अपने लंड से कुचलता रहूगां, फिर तेरे बड़े बड़े चुताड़ो को, जिनको खूब मटका मटका कर चलती है इन्हें हवा में उठाकर तेरी गांड भी मारूंगा वो भी बिना लोशन या क्रीम के | तेरा गुरुर तोड़कर ही जाऊंगा |
रीमा भी उसकी आँखों में आँखे डाल घूरती रही | अब उसके लिए हया शर्म के नाम पर बचा ही क्या था | जब उम्मीदे ख़त्म हो जाती है और बन्धनों का मोह छुट जाता है तब इन्सान ज्यादा तार्किक फैसले लेता है | रीमा समझ चुकी थी इस जाल से निकलना मुश्किल है, जग्गू अपना बदला लेने आया है और वो किसी भी हद तक जा सकता है | उसे हर्ट भी कर सकता है | उसे संयम और समझदारी से काम लेना होगा, नहीं तो जग्गू न केवल उसको उसकी मर्जी के खिलाफ चोदेगा बल्कि दुर्गति भी करेगा | वो अगर इस हद तक आ गया है तो कुछ भी कर सकता है, बेहतर होगा उसके साथ बुद्धि से काम लिया जाये | एक पल में रीमा ये सब सोच गयी और जग्गू को देखकर हलके से मुस्कुराने लगी |
रीमा को मुस्कुराता देख जग्गू हैरानी में पड़ गया, मन ही मन सोचने लगा कही रीमा मैडम पागल तो नहीं हो गयी सदमे से | प्रियम और राजू भी हैरान थे |
रीमा उनके हैर्रण चेहरे देखकर - बस इतनी सी ख्वाइश है तुमारी, बच्चे |
जग्गू हैरानी से - चालाकी नहीं, तुम्हे पता है मै बहुत डेंजरस हूँ  क्या मतलब है तुमारा |
रीमा निश्चिंत होकर - बस जी भर के चोदना चाहते हो मुझे और उसके लिए इतना सारा ड्रामा
 उफफ्फ्फ्फ़ तुम बच्चे भी न | तुम्हे पता है न मेरे पति बरसो पहले मर गए है | अब इतने सालो से लंड का अकाल पड़ा है जिंदगी में और तुम हो कि  एक लंड लेकर आये हो तो चाकू दिखाकर धमका भी रहे हो |
जग्गू को अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ, जग्गू ही क्यों किसी को भी अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ |
जग्गू - मेरे को ये समझ नहीं आई |
रीमा - इसलिए कहा है बच्चे हो अभी तक, इधर आवो, जग्गू को अपनी तरफ खीचकर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी | बच्चा लोग कान खोलकर सुन लो मेरी चूत चोदनी है तो मेरा कहना मानना होगा |

उसके सारे कपड़े उतारकर जग्गू को पूरी तरह से नंगा कर दिया | राजू से प्रियम की रस्सी खोलने को कहा | तब तक अपनी पैंटी भी उतार दी | राजू और प्रियम भी पूरी तरह से नंगे हो गए | उस कमरे में अब सब से सब पूरी तरह से नंगे थे | रीमा ने तीनो को अपने लंड को मुठीयाने को बोला, कमरे का माहौल अब बदल गया था | तीनो आज्ञाकारी बच्चो की तरह अपने अपने लंड मुठीयाने लगे, लेकिन जग्गू को औरत का कण्ट्रोल बर्दाश्त नहीं हुआ और वो जाकर रीमा के पास खड़ा हो गया |
जग्गू - यहाँ बॉस मै हूँ और जो मै कहूँगा वो सबको मानना पड़ेगा |
रीमा चाहती थी मामला शांति से निपट जाये लेकिन जग्गू मानने को तैयार ही नहीं था, हर बात में वो अपनी धौंस ज़माने की कोशिश करता | रीमा को लगा इसका इलाज करना ही पड़ेगा | रीमा ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और लगी मुठीयाने | जग्गू बीच में कुछ कहना चाहता था, रीमा ने उसे रोक दिया - मुझे तुझसे ज्यादा एक्सपीरियंस है चुदाई का और तेरे से डबल डबल लंड अपनी चूत में लेकर रात रात भर चुदी हूँ, मुझे चोदना मत सिखा | तेरा लंड भी चुसुंगी, मुहँ में लूंगी, चूत में लूंगी | तेरी हर ख्वाइश पूरी होगी अब अपना सड़क छाप अकड़ कुछ देर अपनी जेब में रख |
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जग्गू चुप हो गया, बाकि दोनों  अपने अपने लंड को हिलाने में लगे रहे | रीमा जग्गू का लंड मुठीयाने लगी और फिर धीरे से उसके सुपाडे पर अपनी गीली लिसलिसी जीभ फिराने लगी | जग्गू के लिए ये बिलकुल नया अनुभव था, वो आनंद से सरोबार हो गया - यस्स्स्सस्स्सस रीमा मैडम, आआअह्ह्ह मजा आ गया |
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रीमा उसकी बातो से बेपरवाह उसके लंड को आराम से अपनी जांघे फैलाकर हाथो से मुठिया रही थी | जग्गू को रीमा की गुलाबी चूत साफ़ दिखा रही थी जिसको देख देखकर वो बौराया जा रहा था | रीमा बहुत तेज लंड पर हाथ का स्ट्रोक लगा रही थी | बीच बीच में उसका सुपाडा मुहँ में लेकर चूसने लगाती तो जग्गू अंदर तक मस्तियाँ जाता था - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मैडम आआआआह्ह्ह्ह ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा के बड़े बड़े उठे उठे सुडौल ठोस उरोजो को देखकर, उसके दुधिया बदन को देखकर जग्गू तो जैसे पागल हुआ जा रहा था | उसे अभी भी खुद को यकीन दिलाना पड़ रहा था की उसके सपनो की रानी रीमा के हाथ में उसका लंड है और वो रीमा  के बदन की गर्माहट महसूस कर रहा है |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 05-06-2019, 09:03 PM



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