05-06-2019, 09:02 PM
जग्गू बाहर से ही रीमा को धमकाते हुए बोला - अगर चीखी चिल्लाई तो इस कमरे में बंद को लड़के को गोली मार दूगां | रीमा बदहवास ही बहुत डर गयी, उसका चेहरा डर के कारन पीला पड़ गया | कुछ देर तक तो वो समझ ही नहीं पाई कि हो क्या रहा है | राजू अपना काम ख़त्म करके वापस आ गया | प्रियम दुसरे कमरे में बंद था | उसके बाद जग्गू ने रीमा को धमकाया - सुन आचे से कान खोलकर सुन, अगर मेरी बात मानेगी तो तू और तेरा ये लड़का दोनों जिन्दा रहेगें, नहीं तो पहले तेरे सामने इस लड़के को निकालकर गोली मारूंगा फिर तुझे मार दूगां | इसलिए जितना बोली चुपचाप करती जा |
रीमा डरे हुए चेहरे के साथ सहमी आवाज में - प्रियम को कुछ मत करना, तुम जो बोलोगे वो करूंगी | क्या चाहिए तुम लोगो को और कौन हो तुम |
जग्गू ने ठहाका लगाया - साला हमसे पूछती है कौन लोग है हम ? शकल से क्या हम किसी बैंक के मेनेजर लगाते है | गुंडे है हम माल लुटने आये है |
रीमा की डर के मारे हालत ख़राब थी, लेकिन उसने अन्दर से हिम्मत बटोरी और अपना फ़ोन उठा कर सिक्युरिटी को मिलाने चली, खिड़की से ये देखते ही जग्गू ने झट से बेह्र्रोम का दरवाजा खोला और रीमा के बिलकुल सामने जाकर बन्दूक तान दी - मोबाईल फेंक वरना मरने के लिए तैयार हो जा |
रीमा के काटो तो खून नहीं, चेहरा डर के मारे बिलकुल पीला हो गया, फ़ोन अपने आप ही उसके हाथ से फिसल कर फर्श पर गिर गया | राजू ने फट से वो फ़ोन उठा लिया |
जग्गू ने धमकाया - हमसे कोई चालाकी नहीं |
रीमा ने डर के मारे नजरे झुका ली |
जग्गू - इस घर का मालिक कौन है ? क्या नाम है तेरा |
रीमा - मै ही हूँ इस घर की मालिक, रीमा नाम है मेरा |
जग्गू - चालाकी नहीं, पति का नाम बता |
रीमा - वो कई साल पहले गुजर गए |
जग्गू - उस कमरे में जो है वो तेरा लड़का है |
रीमा - नहीं मेरा भतीजा है |
राजू जोश में उछलता हुआ - बॉस काम की बात करे, मालकिन मस्त है |
जग्गू उसे डांटता हुआ - छुप कर बत्तमीज, औरतो की इज्जत करना नहीं जानता | हमें अपने काम से मतलब है, हमें अपना काम करना है और चले जाना है |
रीमा को कुछ जान जान आई, उसे लगा ये बड़ा वाला बदमाश भला इंसान है - तुझे जो चहिये ले ले, बस प्रियम को कुछ मत करना |
जग्गू - सोच ले तू क्या बोल रही है, बाद में पीछे मत हटना |
राजू बीच में ही बोल पड़ा - बॉस ये तो लेने की बात कर रही है, इतनी हसीन जिस्म की मालकिन के एक बार लेने में क्या बुराई है | माल तो हर जगह बना लेटे है लेने का मौका हर जगह नहीं मिलता है |
रीमा के शरीर में एक ठंडी सिरहन दौड़ गयी, मन ही मन सोचने लगी ये क्या बोल गयी मै, ये तो मेरे इज्जत लूटने की सोच रहे है | रीमा डर से कांपते शब्दों में बोली - मेरा मतलब पैसे से था, जग्गू को मुखातिब होते हुए - तुम तो भले इंसान लगते हो, जितना पैसा चाहिए मै दे दूँगी | हम दोनों को छोड़ दो |
जग्गू - हम कौन तुझे साथ ले जाने आये है छोड़ देगें, इतनी जल्दी भी क्या है कुछ खातिरदारी तो करवा ले पहले |
जग्गू - जूनियर जाकर उस छोरे को पकड़ के लावो और सामने वाली कुर्सी में इस धोती से बांध दो |
राजू ने बिलकुल वैसे ही किया | उसने प्रियम को लाकर रीमा के बिलकुल सामने पड़ी कुर्सी पर बांध दिया |
जग्गू ने जमीं पर पड़ी नावेल उठाकर देखने लगा - Fifty Shades of Grey | पति मर गया है और novel ये पढ़ रही हो, कही किसी के साथ अफेयर चल रहा है या बस मन में ख्याली पुलाव पक रहे है |
प्रियम भड़कता हुआ - साले मेरी माँ समान चाची से ऐसे बात नहीं कर सकता |
जग्गू - मै इम्प्रेस हुआ, राजू इसकी पेंट खोल साले की, इसकी चड्ढी उतार |
राजू ने दो मिनट में प्रियम को कमर के नीचे नंगा कर दिया |
रीमा - ये क्या कर रहे हो, तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दूँगी | उसे छोड़ दो |
जग्गू - उसे छोड़ दूगां तो तुम कैसे दोगी |
रीमा सदमे की स्थिति में थी हालाँकि अब उसका खून नहीं सुख रहा था लेकिन फिर भी बहुत डरी हुई थी, उसका दिमाग नहीं काम कर रहा था, वो जग्गू की बातो का अर्थ समझ पाने में असमर्थ थी | राजू ने प्रियम को सीने से जकड कर बांध दिया और एक हाथ भी कुर्सी से बांध दिया | बस एक हाथ खुला छोड़ दिया |
जग्गू - चल सामने चाची को देख लंड को मुठियाना शरू कर, समझ ले ये बिलकुल नंगी बैठी | इसकी गुलाबी चूत तेरे सामने बेपर्दा है |
प्रियम चिल्लया - हरामजादो मै तुमारा खून पी जाउगा, एक बार मेरी रस्सी खोल दो |
रीमा बेबस सी लाचार दरी सहमी बैठी थी - क्या चाहिए तुम लोगो को बोलो न कितना पैसा चाहिए. मै देने के लिए तैयार हूँ | प्लीज ये सब मत करो |
जग्गू प्रियम की तरफ देखता हुआ - लड़के लंड मुठियाना शुरू कर वरना ..............................|
प्रियम और ज्यादा भड़कता हुआ - वरना क्या, वरना क्या |
जग्गू कुछ देर तक प्रियम को घूरता रहा फिर रीमा की तरफ देखकर बोला - मैडम आप इसकी कुछ मदद करेगी, क्योंकि मुझे नहीं लगता ये ऐसे मनाने वाला है |
रीमा के चेहरे पर सवालिया निशान थे - मै कुछ समझी नहीं |
जग्गू - आप बड़ी भोली है मैडम, देख रही है न आपका भतीजा कितना जिद्दी है | हम यहाँ से चले जायेगे लेकिन थोडा एंटरटेनमेंट करने के बाद | अब आपका भतीजा तो हमारी बात मान नहीं रहा, तो क्या आप उसके लंड को उठाने में कुछ मदद करेगी | जब आपका नंगा बदन देखेगा तो अपने आप उठेगा ऊपर को, आप इतनी हसीन है कि आपकी चूत को देखेते ही पिचकारी छोड़ देगा | एक बार इसका लंड सीधा हो जाये फिर आगे का काम तो हमारा जूनियर कर लेगा |
रीमा - क्या बकवास कर रहे है आप, ऐसा कैसे हो सकता है |
जग्गू - बिलकुल हो सकता है, आप कोई भी जुगत भिड़ाये, अपने कपड़े उतारे, उसके लंड को मसले, चुसे, अपनी चूत को उसे दिखाए या पूरी नंगी हो जाये | मुझे उसका लंड खड़ा चाहिए |
रीमा बेबस सी बिलकुल मरियल आवाज में - लेकिन क्यों ?
जग्गू - बस हमें देखना है, जितना जोश इसकी आवाज में है, क्या उतना ही दम इसके लंड में भी है या नहीं | इसके लंड की दम देखने के बाद हम तय करेगे कितना माल ले जाये | अगर ये तय समय से पहले झड़ गया तो
आपको न केवल हमें पैसे देने होंगे बल्कि एडिशनल कुछ भी देना पड़ेगा, अगर इसने हमारी डेड लाइन पार कर ली तो हम कम पैसे लेकर भी जा सकते है | ये मान लीजिये हमने और जूनियर ने आपस में शर्त लगी थी |
रीमा को उसका लॉजिक समझ नहीं आया - लेकिन तुम्हे कितने पैसे चाहिए ?
जग्गू - मैडम हम वो अभी नहीं बता सकते |
रीमा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कैसे डकैत है | वो बेहद डरी हुई थी और उसका दिमाग बिलकुल भी काम नहीं कर रहा था | राजू धीरे से बोला - मैडम एक बार अपने हसीन जिस्म के दर्शन तो कराइए, ये लंड क्या चीज है मुर्दे भी बोल पड़ेगे | एक बार अपनी हसीन ऊँची ऊँची चुचियो और उरोजों के तो दर्शन कराइए |
रीमा समझ गयी उन दोनों की नीयत उस पर ख़राब हो चुकी है लेकिन अभी वो कुछ कर भी नहीं सकती थी |
कुछ देर तक रीमा जडवत वैसे ही बैठी रही, मन ही मन सोच रही कैसी मुसीबत आन पड़ी |
जग्गू रीमा को धमकाता हुआ - मैडम हमारे पास टाइम नहीं है, या तो उससे कहिये अपने लंड को मसलना शुरू कर दे या आप अपने कपड़े उतारना शुरू कर दो | जो भी करना है जल्दी करो, वरना हम शुरू हो जायेगे |
जूनियर प्लास लाये हो, देना जरा, इसका एक नौखुन उखाड़ता हूँ तब इसका चीखना चिल्लाना कम होगा |
राजू ने जग्गू को इशारे में, प्लास तो वो लाया नहीं | जग्गू ने बात सँभालते हुए - किचन से ले आ |
प्रियम चिल्लाया - किचन में तुम्हे प्लस कभी नहीं मिलेगा क्योंकि वो तो स्टोर रूम के ड्रोर में रहता है |
जग्गू - थैंक्यू प्रियम |
रीमा हैरान थी प्रियम इतना बड़ा बेवकूफ कैसे हो सकता है | अपनी ही बर्बादी का सामान की जगह बता रहा है |
राजू ढूंढकर प्लास ले आया | जग्गू ने रीमा पर गन ताने रखी | राजू प्रियम की तरफ बढ़ गया |
राजू प्रियम से - किस उंगली का नौखून आप पहले दान करना पसंद करेगे |
प्रियम और ज्यादा जोश से - एक बार मेरी रस्सी खोल दे, तेरी गर्दन ही दान कर दूगां |
राजू - बॉस एनी स्पेसिफिकेशन |
जग्गू - दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली |
रीमा किर्तव्य विमूढ़ सी, बदहवास, वो कभी ऐसे परिस्थिति से गुजारी नहीं थी इसलिए समझ नहीं आ रहा था क्या करे | दो अजनबियों के सामने इस तरह से अचानक कपड़े उतारना, वो भी तब जब प्रियम सामने बैठा हो | कपड़े उतारना बड़ी बात नहीं, एक बार कपड़े उतर गए फिर न जाने ये क्या करेगे | छोटे वाले की नीयत तो अभी से ठीक नहीं लग रही है |
राजू ने प्रियम की उंगली प्लास में दबा ली, दबाई नहीं थी लेकिन प्रियम ने ऐसा जताया जैसे उंगली काट गयी हो | रीमा प्रियम की तरफ उठ कर भागी लेकिन जग्गू ने पीछे धकेल उसके सर पर बंदूक तान दी |
जग्गू गुस्से से - बहुत हो गया मैडम, अब हम और मिन्नतें नहीं करेगे | राजू उखाड़ दे नाख़ून | प्रियम और जोर से चीखने लगा | रीमा बदहवास सी चिल्लाई - रुको, रुको, प्रियम को कुछ मत कर, वो बच्चा है अभी |
जग्गू भी तेज आवाज में बोला - बिना इस लड़के के पिचकारी छुटे हम भी हिलने वाले नहीं है |
रीमा प्रियम से रिक्वेस्ट करने लगी - प्रियम मान जाओ, अपने लिए, वरना तुझे ये हर्ट करेगे |
प्रियम - मै मर जाऊंगा लेकिन इनकी घटिया बात कभी नहीं मानुगा |
इससे पहले जग्गू कुछ कहता, रीमा ने पल्लू नीचे सारा दिया | उसकी छाती से कसकर बंधा ब्लाउज रीमा के गोल गोल बड़े बड़े उरोजो को अपने में समेटे साड़ी के परदे से बाहर आ गया | रीमा का ब्लाउज तो बस उसके उभारो पर बस एक झीना कपड़ा था | रीमा ने एक झटके में साड़ी नीचे गिरा दी और फिर पूरी तरह से उतार दी |
रीमा ने नीचे से पेटीकोट भी उतार दिया | सामने रखे शीशे में अपने मुरझाये चेहरे को देखने लगी | वो क्या कर रही है क्यों कर रही है, एक बार नंगा होने के बाद क्या ये तुझे बिना कुछ किये छोड़ देगें | क्यों खुद ही अपने आप को नरक की तरफ ले जा रही है, ये बिना चोदे तुझे नहीं छोड़ने वाले | फिर एक बार चोदेगे या बार बार पता नहीं, तुझे अपनी सेक्स गुलाम बना लेगें | फाइनली रीमा के दिमाग में आईडिया आने लगे थे | बार बार तुझे सेक्स के लिए मजबूर करेगे | नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, ये मुझे सेक्स गुलाम नहीं बना सकते, मै रीमा हूँ, रीमा सिर्फ अपने जिस्म के सेक्स की दासी है वो दुसरे की दासी नहीं बनेगी | रीमा का आत्मविश्वास कुछ हद तक लौटा | क्या हुआ अगर एक बार छोड़ लेगें, है तो लंड ही चूत में ही तो जायेगें, इसमें नया क्या है और डरने वाला क्या | अगर ये तुझे चोदना चाहते है तो ये तो तेरे लिए प्लस पॉइंट है | तू इनका इस्तेमाल कर, इन्हें बरगला, इन्हें भटका और प्रियम को आजाद करा |
रीमा ने फैसला कर लिया था अब वो वही करेगी जो वो दोनों चाहते है | उधर रीमा के बदन से कपडे हटते ही रीमा का बदन दमकने लगा | जग्गू और राजू दोनों की लार टपकने लगी | रीमा ऊपर सिर्फ ब्लाउज पहने थी और नीचे पैंटी | दोनों रीमा को कसकर घूर रहे थे |
रीमा ने जग्गू से पुछा - मै इसका लंड हिलाऊ ?
जग्गू एकदम हतप्रभ था ये पल भर में आत्मा परिवर्तन कैसे, उसको आगे का कुछ नहीं सुझा | राजू ने रीमा के आगे बढ़ना का इशारा किया | जग्गू उसकी तरफ गन ताने रहा |
रीमा प्रियम के पास जाते ही कुछ खुसफुसाने लगी- डरो मत मै कुछ करती हूँ इनका |
उसका मुरझाये लंड को खड़ा करने के लिए हिलाने की कोशिश करने लगी | अपने इतने करीब रीमा को देखकर और जब उसके हाथ में उसका लंड हो प्रियम थोडा असहज हो गया, उसे किचन की लंड मसलाई याद आ गयी | रीमा ने प्रियम के लंड पर अपने हाथो की गति बढ़ा दी | जग्गू और राजू दोनों आंखे फाड़े पीछे से रीमा के नंगे चूतड़ जो बड़ी मुस्किल से एक छोटी पैंटी से ढके थे को देखकर ही उत्तेजित हुई जा रहे थे | रीमा ने अपने ऊपर का ब्लाउज भी उतार फेंका | अब वो प्रियम का लंड हाथ में थामे कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी | रीमा बिना प्रियम का ख्याल किये स्ट्रोक लगा रही थी और प्रियम का लंड भी सीधा होने लगा था | रीमा खुद को प्रियम के करीब ले आई और उसके लंड को अपनी छातियों के पहाड़ी उरोजो के बीच में रखकर मसलने लगी |
रीमा का डर कम हो गया था या यू कहे उसके अन्दर के सेक्स फंतासी ने कुचाले मारना शुरू कर दिया | इस माहौल में भी उसे प्रियम से मस्ती करने की सूझी - हाँ बेबी यू लाइक इट .........हाँ बेबी यू लाइक माय स्ट्रोक |
प्रियम की उत्तेजना बढ़ने लगी, ये सब देखकर राजू और जग्गू भी अपने मुखौटे के अन्दर से उत्तेजना की तेज सांसे लेने लगे | उनकी निगाहे तो रीमा के नंगे जिस्म पर ही टिकी थी | राजू और जग्गू दोनों ही अपने अपने लंड पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगे | रीमा न केवल प्रियम को लंड को खड़ा कर चुकी थी, बल्कि उसको अब उसका स्वाद भी चखना था लेकिन फिर उसे शर्त का याद आया तो धीरे धीरे ही प्रियम के लंड को मसलती रही | साथ ही धीमी आवाज में प्रियम को उकसाती भी रही - हां बेबी मेरा लंड मसलना अच्छा लग रहा है, मै ऐसे ही मुठ मार मार के तुमारी पिचकारी निकालूंगी | तुमारा लंड बहुत गरम हो गया है | मेरे नाजुक स्तनों को कही झुलसा न दे | प्रियम भी रीमा की आँखों में आंखे मिलाये बस उसी वासना के भाव से देख रहा था |
अन्दर से प्रियम की फटी पड़ी थी, अब तक सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक गया था लेकिन अब जो हो रहा था वो प्लान का हिस्सा नहीं था | अनप्रिडिक्टटेबल रीमा के बारे में कुछ भी प्लान बनाना मतलब अपना सर दीवार पर दे मारना है | रीमा प्रियम का लंड हिलाने में लगी है और पीछे राजू, जग्गू भी पेंट से अपने लंड निकाल हिलाने लगे | थोड़ी ही देर में उनके लंड भी तनने लगे और प्रियम की तरह की कठोर होकर पत्थर बन गए | जब से रीमा प्रियम के पास आई थी उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा लेकिन सांसो की आवाजो से उसने अंदाजा लगा लिया था पीछे का क्या माहौल है | रीमा ने बस कनिखियो से पीछे देखा, दोनों रीमा को घूर घूर कर अपने लंड मसल रहे थे | प्रियम की फटी पड़ी थी और वो दोनों रीमा के रूप जाल की हवस में धंसते चले जा रहे थे | आखिरकार रीमा ने थोडा और इन्तजार करने की सोची | उसने प्रियम के लंड के लाल सुपाडे पर अपनी खुरधुरी जीभ चला दी | प्रियम की सिसकारी निकल गयी | रीमा प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | प्रियम ने उत्तेजना के कारन मुट्ठियाँ भींच ली | उसके मुहँ की सिसकारी और तेज हो गयी |
रीमा डरे हुए चेहरे के साथ सहमी आवाज में - प्रियम को कुछ मत करना, तुम जो बोलोगे वो करूंगी | क्या चाहिए तुम लोगो को और कौन हो तुम |
जग्गू ने ठहाका लगाया - साला हमसे पूछती है कौन लोग है हम ? शकल से क्या हम किसी बैंक के मेनेजर लगाते है | गुंडे है हम माल लुटने आये है |
रीमा की डर के मारे हालत ख़राब थी, लेकिन उसने अन्दर से हिम्मत बटोरी और अपना फ़ोन उठा कर सिक्युरिटी को मिलाने चली, खिड़की से ये देखते ही जग्गू ने झट से बेह्र्रोम का दरवाजा खोला और रीमा के बिलकुल सामने जाकर बन्दूक तान दी - मोबाईल फेंक वरना मरने के लिए तैयार हो जा |
रीमा के काटो तो खून नहीं, चेहरा डर के मारे बिलकुल पीला हो गया, फ़ोन अपने आप ही उसके हाथ से फिसल कर फर्श पर गिर गया | राजू ने फट से वो फ़ोन उठा लिया |
जग्गू ने धमकाया - हमसे कोई चालाकी नहीं |
रीमा ने डर के मारे नजरे झुका ली |
जग्गू - इस घर का मालिक कौन है ? क्या नाम है तेरा |
रीमा - मै ही हूँ इस घर की मालिक, रीमा नाम है मेरा |
जग्गू - चालाकी नहीं, पति का नाम बता |
रीमा - वो कई साल पहले गुजर गए |
जग्गू - उस कमरे में जो है वो तेरा लड़का है |
रीमा - नहीं मेरा भतीजा है |
राजू जोश में उछलता हुआ - बॉस काम की बात करे, मालकिन मस्त है |
जग्गू उसे डांटता हुआ - छुप कर बत्तमीज, औरतो की इज्जत करना नहीं जानता | हमें अपने काम से मतलब है, हमें अपना काम करना है और चले जाना है |
रीमा को कुछ जान जान आई, उसे लगा ये बड़ा वाला बदमाश भला इंसान है - तुझे जो चहिये ले ले, बस प्रियम को कुछ मत करना |
जग्गू - सोच ले तू क्या बोल रही है, बाद में पीछे मत हटना |
राजू बीच में ही बोल पड़ा - बॉस ये तो लेने की बात कर रही है, इतनी हसीन जिस्म की मालकिन के एक बार लेने में क्या बुराई है | माल तो हर जगह बना लेटे है लेने का मौका हर जगह नहीं मिलता है |
रीमा के शरीर में एक ठंडी सिरहन दौड़ गयी, मन ही मन सोचने लगी ये क्या बोल गयी मै, ये तो मेरे इज्जत लूटने की सोच रहे है | रीमा डर से कांपते शब्दों में बोली - मेरा मतलब पैसे से था, जग्गू को मुखातिब होते हुए - तुम तो भले इंसान लगते हो, जितना पैसा चाहिए मै दे दूँगी | हम दोनों को छोड़ दो |
जग्गू - हम कौन तुझे साथ ले जाने आये है छोड़ देगें, इतनी जल्दी भी क्या है कुछ खातिरदारी तो करवा ले पहले |
जग्गू - जूनियर जाकर उस छोरे को पकड़ के लावो और सामने वाली कुर्सी में इस धोती से बांध दो |
राजू ने बिलकुल वैसे ही किया | उसने प्रियम को लाकर रीमा के बिलकुल सामने पड़ी कुर्सी पर बांध दिया |
जग्गू ने जमीं पर पड़ी नावेल उठाकर देखने लगा - Fifty Shades of Grey | पति मर गया है और novel ये पढ़ रही हो, कही किसी के साथ अफेयर चल रहा है या बस मन में ख्याली पुलाव पक रहे है |
प्रियम भड़कता हुआ - साले मेरी माँ समान चाची से ऐसे बात नहीं कर सकता |
जग्गू - मै इम्प्रेस हुआ, राजू इसकी पेंट खोल साले की, इसकी चड्ढी उतार |
राजू ने दो मिनट में प्रियम को कमर के नीचे नंगा कर दिया |
रीमा - ये क्या कर रहे हो, तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दूँगी | उसे छोड़ दो |
जग्गू - उसे छोड़ दूगां तो तुम कैसे दोगी |
रीमा सदमे की स्थिति में थी हालाँकि अब उसका खून नहीं सुख रहा था लेकिन फिर भी बहुत डरी हुई थी, उसका दिमाग नहीं काम कर रहा था, वो जग्गू की बातो का अर्थ समझ पाने में असमर्थ थी | राजू ने प्रियम को सीने से जकड कर बांध दिया और एक हाथ भी कुर्सी से बांध दिया | बस एक हाथ खुला छोड़ दिया |
जग्गू - चल सामने चाची को देख लंड को मुठियाना शरू कर, समझ ले ये बिलकुल नंगी बैठी | इसकी गुलाबी चूत तेरे सामने बेपर्दा है |
प्रियम चिल्लया - हरामजादो मै तुमारा खून पी जाउगा, एक बार मेरी रस्सी खोल दो |
रीमा बेबस सी लाचार दरी सहमी बैठी थी - क्या चाहिए तुम लोगो को बोलो न कितना पैसा चाहिए. मै देने के लिए तैयार हूँ | प्लीज ये सब मत करो |
जग्गू प्रियम की तरफ देखता हुआ - लड़के लंड मुठियाना शुरू कर वरना ..............................|
प्रियम और ज्यादा भड़कता हुआ - वरना क्या, वरना क्या |
जग्गू कुछ देर तक प्रियम को घूरता रहा फिर रीमा की तरफ देखकर बोला - मैडम आप इसकी कुछ मदद करेगी, क्योंकि मुझे नहीं लगता ये ऐसे मनाने वाला है |
रीमा के चेहरे पर सवालिया निशान थे - मै कुछ समझी नहीं |
जग्गू - आप बड़ी भोली है मैडम, देख रही है न आपका भतीजा कितना जिद्दी है | हम यहाँ से चले जायेगे लेकिन थोडा एंटरटेनमेंट करने के बाद | अब आपका भतीजा तो हमारी बात मान नहीं रहा, तो क्या आप उसके लंड को उठाने में कुछ मदद करेगी | जब आपका नंगा बदन देखेगा तो अपने आप उठेगा ऊपर को, आप इतनी हसीन है कि आपकी चूत को देखेते ही पिचकारी छोड़ देगा | एक बार इसका लंड सीधा हो जाये फिर आगे का काम तो हमारा जूनियर कर लेगा |
रीमा - क्या बकवास कर रहे है आप, ऐसा कैसे हो सकता है |
जग्गू - बिलकुल हो सकता है, आप कोई भी जुगत भिड़ाये, अपने कपड़े उतारे, उसके लंड को मसले, चुसे, अपनी चूत को उसे दिखाए या पूरी नंगी हो जाये | मुझे उसका लंड खड़ा चाहिए |
रीमा बेबस सी बिलकुल मरियल आवाज में - लेकिन क्यों ?
जग्गू - बस हमें देखना है, जितना जोश इसकी आवाज में है, क्या उतना ही दम इसके लंड में भी है या नहीं | इसके लंड की दम देखने के बाद हम तय करेगे कितना माल ले जाये | अगर ये तय समय से पहले झड़ गया तो
आपको न केवल हमें पैसे देने होंगे बल्कि एडिशनल कुछ भी देना पड़ेगा, अगर इसने हमारी डेड लाइन पार कर ली तो हम कम पैसे लेकर भी जा सकते है | ये मान लीजिये हमने और जूनियर ने आपस में शर्त लगी थी |
रीमा को उसका लॉजिक समझ नहीं आया - लेकिन तुम्हे कितने पैसे चाहिए ?
जग्गू - मैडम हम वो अभी नहीं बता सकते |
रीमा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कैसे डकैत है | वो बेहद डरी हुई थी और उसका दिमाग बिलकुल भी काम नहीं कर रहा था | राजू धीरे से बोला - मैडम एक बार अपने हसीन जिस्म के दर्शन तो कराइए, ये लंड क्या चीज है मुर्दे भी बोल पड़ेगे | एक बार अपनी हसीन ऊँची ऊँची चुचियो और उरोजों के तो दर्शन कराइए |
रीमा समझ गयी उन दोनों की नीयत उस पर ख़राब हो चुकी है लेकिन अभी वो कुछ कर भी नहीं सकती थी |
कुछ देर तक रीमा जडवत वैसे ही बैठी रही, मन ही मन सोच रही कैसी मुसीबत आन पड़ी |
जग्गू रीमा को धमकाता हुआ - मैडम हमारे पास टाइम नहीं है, या तो उससे कहिये अपने लंड को मसलना शुरू कर दे या आप अपने कपड़े उतारना शुरू कर दो | जो भी करना है जल्दी करो, वरना हम शुरू हो जायेगे |
जूनियर प्लास लाये हो, देना जरा, इसका एक नौखुन उखाड़ता हूँ तब इसका चीखना चिल्लाना कम होगा |
राजू ने जग्गू को इशारे में, प्लास तो वो लाया नहीं | जग्गू ने बात सँभालते हुए - किचन से ले आ |
प्रियम चिल्लाया - किचन में तुम्हे प्लस कभी नहीं मिलेगा क्योंकि वो तो स्टोर रूम के ड्रोर में रहता है |
जग्गू - थैंक्यू प्रियम |
रीमा हैरान थी प्रियम इतना बड़ा बेवकूफ कैसे हो सकता है | अपनी ही बर्बादी का सामान की जगह बता रहा है |
राजू ढूंढकर प्लास ले आया | जग्गू ने रीमा पर गन ताने रखी | राजू प्रियम की तरफ बढ़ गया |
राजू प्रियम से - किस उंगली का नौखून आप पहले दान करना पसंद करेगे |
प्रियम और ज्यादा जोश से - एक बार मेरी रस्सी खोल दे, तेरी गर्दन ही दान कर दूगां |
राजू - बॉस एनी स्पेसिफिकेशन |
जग्गू - दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली |
रीमा किर्तव्य विमूढ़ सी, बदहवास, वो कभी ऐसे परिस्थिति से गुजारी नहीं थी इसलिए समझ नहीं आ रहा था क्या करे | दो अजनबियों के सामने इस तरह से अचानक कपड़े उतारना, वो भी तब जब प्रियम सामने बैठा हो | कपड़े उतारना बड़ी बात नहीं, एक बार कपड़े उतर गए फिर न जाने ये क्या करेगे | छोटे वाले की नीयत तो अभी से ठीक नहीं लग रही है |
राजू ने प्रियम की उंगली प्लास में दबा ली, दबाई नहीं थी लेकिन प्रियम ने ऐसा जताया जैसे उंगली काट गयी हो | रीमा प्रियम की तरफ उठ कर भागी लेकिन जग्गू ने पीछे धकेल उसके सर पर बंदूक तान दी |
जग्गू गुस्से से - बहुत हो गया मैडम, अब हम और मिन्नतें नहीं करेगे | राजू उखाड़ दे नाख़ून | प्रियम और जोर से चीखने लगा | रीमा बदहवास सी चिल्लाई - रुको, रुको, प्रियम को कुछ मत कर, वो बच्चा है अभी |
जग्गू भी तेज आवाज में बोला - बिना इस लड़के के पिचकारी छुटे हम भी हिलने वाले नहीं है |
रीमा प्रियम से रिक्वेस्ट करने लगी - प्रियम मान जाओ, अपने लिए, वरना तुझे ये हर्ट करेगे |
प्रियम - मै मर जाऊंगा लेकिन इनकी घटिया बात कभी नहीं मानुगा |
इससे पहले जग्गू कुछ कहता, रीमा ने पल्लू नीचे सारा दिया | उसकी छाती से कसकर बंधा ब्लाउज रीमा के गोल गोल बड़े बड़े उरोजो को अपने में समेटे साड़ी के परदे से बाहर आ गया | रीमा का ब्लाउज तो बस उसके उभारो पर बस एक झीना कपड़ा था | रीमा ने एक झटके में साड़ी नीचे गिरा दी और फिर पूरी तरह से उतार दी |
रीमा ने नीचे से पेटीकोट भी उतार दिया | सामने रखे शीशे में अपने मुरझाये चेहरे को देखने लगी | वो क्या कर रही है क्यों कर रही है, एक बार नंगा होने के बाद क्या ये तुझे बिना कुछ किये छोड़ देगें | क्यों खुद ही अपने आप को नरक की तरफ ले जा रही है, ये बिना चोदे तुझे नहीं छोड़ने वाले | फिर एक बार चोदेगे या बार बार पता नहीं, तुझे अपनी सेक्स गुलाम बना लेगें | फाइनली रीमा के दिमाग में आईडिया आने लगे थे | बार बार तुझे सेक्स के लिए मजबूर करेगे | नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, ये मुझे सेक्स गुलाम नहीं बना सकते, मै रीमा हूँ, रीमा सिर्फ अपने जिस्म के सेक्स की दासी है वो दुसरे की दासी नहीं बनेगी | रीमा का आत्मविश्वास कुछ हद तक लौटा | क्या हुआ अगर एक बार छोड़ लेगें, है तो लंड ही चूत में ही तो जायेगें, इसमें नया क्या है और डरने वाला क्या | अगर ये तुझे चोदना चाहते है तो ये तो तेरे लिए प्लस पॉइंट है | तू इनका इस्तेमाल कर, इन्हें बरगला, इन्हें भटका और प्रियम को आजाद करा |
रीमा ने फैसला कर लिया था अब वो वही करेगी जो वो दोनों चाहते है | उधर रीमा के बदन से कपडे हटते ही रीमा का बदन दमकने लगा | जग्गू और राजू दोनों की लार टपकने लगी | रीमा ऊपर सिर्फ ब्लाउज पहने थी और नीचे पैंटी | दोनों रीमा को कसकर घूर रहे थे |
रीमा ने जग्गू से पुछा - मै इसका लंड हिलाऊ ?
जग्गू एकदम हतप्रभ था ये पल भर में आत्मा परिवर्तन कैसे, उसको आगे का कुछ नहीं सुझा | राजू ने रीमा के आगे बढ़ना का इशारा किया | जग्गू उसकी तरफ गन ताने रहा |
रीमा प्रियम के पास जाते ही कुछ खुसफुसाने लगी- डरो मत मै कुछ करती हूँ इनका |
उसका मुरझाये लंड को खड़ा करने के लिए हिलाने की कोशिश करने लगी | अपने इतने करीब रीमा को देखकर और जब उसके हाथ में उसका लंड हो प्रियम थोडा असहज हो गया, उसे किचन की लंड मसलाई याद आ गयी | रीमा ने प्रियम के लंड पर अपने हाथो की गति बढ़ा दी | जग्गू और राजू दोनों आंखे फाड़े पीछे से रीमा के नंगे चूतड़ जो बड़ी मुस्किल से एक छोटी पैंटी से ढके थे को देखकर ही उत्तेजित हुई जा रहे थे | रीमा ने अपने ऊपर का ब्लाउज भी उतार फेंका | अब वो प्रियम का लंड हाथ में थामे कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी | रीमा बिना प्रियम का ख्याल किये स्ट्रोक लगा रही थी और प्रियम का लंड भी सीधा होने लगा था | रीमा खुद को प्रियम के करीब ले आई और उसके लंड को अपनी छातियों के पहाड़ी उरोजो के बीच में रखकर मसलने लगी |
रीमा का डर कम हो गया था या यू कहे उसके अन्दर के सेक्स फंतासी ने कुचाले मारना शुरू कर दिया | इस माहौल में भी उसे प्रियम से मस्ती करने की सूझी - हाँ बेबी यू लाइक इट .........हाँ बेबी यू लाइक माय स्ट्रोक |
प्रियम की उत्तेजना बढ़ने लगी, ये सब देखकर राजू और जग्गू भी अपने मुखौटे के अन्दर से उत्तेजना की तेज सांसे लेने लगे | उनकी निगाहे तो रीमा के नंगे जिस्म पर ही टिकी थी | राजू और जग्गू दोनों ही अपने अपने लंड पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगे | रीमा न केवल प्रियम को लंड को खड़ा कर चुकी थी, बल्कि उसको अब उसका स्वाद भी चखना था लेकिन फिर उसे शर्त का याद आया तो धीरे धीरे ही प्रियम के लंड को मसलती रही | साथ ही धीमी आवाज में प्रियम को उकसाती भी रही - हां बेबी मेरा लंड मसलना अच्छा लग रहा है, मै ऐसे ही मुठ मार मार के तुमारी पिचकारी निकालूंगी | तुमारा लंड बहुत गरम हो गया है | मेरे नाजुक स्तनों को कही झुलसा न दे | प्रियम भी रीमा की आँखों में आंखे मिलाये बस उसी वासना के भाव से देख रहा था |
अन्दर से प्रियम की फटी पड़ी थी, अब तक सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक गया था लेकिन अब जो हो रहा था वो प्लान का हिस्सा नहीं था | अनप्रिडिक्टटेबल रीमा के बारे में कुछ भी प्लान बनाना मतलब अपना सर दीवार पर दे मारना है | रीमा प्रियम का लंड हिलाने में लगी है और पीछे राजू, जग्गू भी पेंट से अपने लंड निकाल हिलाने लगे | थोड़ी ही देर में उनके लंड भी तनने लगे और प्रियम की तरह की कठोर होकर पत्थर बन गए | जब से रीमा प्रियम के पास आई थी उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा लेकिन सांसो की आवाजो से उसने अंदाजा लगा लिया था पीछे का क्या माहौल है | रीमा ने बस कनिखियो से पीछे देखा, दोनों रीमा को घूर घूर कर अपने लंड मसल रहे थे | प्रियम की फटी पड़ी थी और वो दोनों रीमा के रूप जाल की हवस में धंसते चले जा रहे थे | आखिरकार रीमा ने थोडा और इन्तजार करने की सोची | उसने प्रियम के लंड के लाल सुपाडे पर अपनी खुरधुरी जीभ चला दी | प्रियम की सिसकारी निकल गयी | रीमा प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | प्रियम ने उत्तेजना के कारन मुट्ठियाँ भींच ली | उसके मुहँ की सिसकारी और तेज हो गयी |