06-05-2023, 03:47 PM
रानी खाना बना कर चली गयी और शिवा दुकान बंद कर घर आया तो राजीव ने उसे अगले दिन लड़की देखने की बात बताई। शिवा ने ठीक है कहा और दोनों खाना खाते हुए दुकान की बात करने लगे। खाना खाकर थोड़ी देर TV देखकर वो सोने चले गए।
रात को सोते हुए राजीव सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और रानी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो रानी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में रानी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।
अगले दिन शिवा को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राजीव ख़ुद भी तय्यार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने रानी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को शिवा और वह पास के शहर में रमेश से मिलने पहुँचे।
रमेश उनको लेकर अपने दोस्त श्याम के यहाँ पहुँचा । श्याम और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको सरला से मिलवाया,जो कि श्याम के स्वर्गीय भाई की पत्नी और मालिनी की माँ थी। मालिनी ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।
राजीव ने फल और मिठाई सरला को दी। उसने देखा कि सरला बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतर बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राजीव के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राजीव उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।
उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।
सरला: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।
राजीव हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।
तभी श्याम आकर सरला को बोला: सरला आओ मालिनी को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राजीव ने नोटिस किया कि श्याम अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।
राजीव ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।
वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। श्याम अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। श्याम के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
सरला: अच्छा अब छोड़िए। मालिनी तय्यार हो गयी होगी।
श्याम: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।
सरला: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।
श्याम: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।
फिर दोनों बाहर आने लगे। राजीव जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। शिवा वहीं बैठकर श्याम की बीवी से बातें कर रहा था।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में मालिनी भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। शिवा तो उसे एकटक देखता ही रह गया। मालिनी ने भी भरपूर नज़र से शिवा को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।
राजीव ने भी मालिनी को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।
श्याम: ये है हमारी बिटिया रानी मालिनी। और मालिनी ये है शिवा और ये हैं इनके पिता।
मालिनी ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राजीव ने देखा कि शिवा उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: शिवा मैं चाहता हूँ कि तुम और मालिनी अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। श्याम जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?
श्याम: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।
सरला उठी और मालिनी और शिवा को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।
जब वो वापस आइ तो राजीव उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और श्याम की मस्ती याद आ गयी।
सरला: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
राजीव: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।
उधर मालिनी और शिवा एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। शिवा उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और मालिनी अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
थोड़ी देर बाद शिवा बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?
मालिनी ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।
फिर दोनों उठकर बाहर आए और राजीव ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?
शिवा: पापा मेरी तो हाँ है।
श्याम: और बेटी तुम्हारी?
मालिनी ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।
अब राजीव ख़ुशी से खड़ा हुआ और श्याम भी खड़े होकर उसके गले मिला। और उन्होंने एक दूसरे को बधाइयाँ दी। सरला ने भी राजीव को बधाई दी। फिर शिवा और मालिनी ने सबके पैर छुएँ। श्याम ने सबको मिठाई खिलाई।
अब राजीव भी कार से मिठाई और एक अँगूठी निकाल लाया। सरला भी एक अँगूठी लायी। अब शिवा और मालिनी ने एक दूसरे को अँगूठी पहनायी। सबने उनको बधाइयाँ दी।बहुत से फ़ोटो खिंचे गए। फिर सबने नाश्ता किया और बाद में शिवा और राजीव वापस अपने घर आ गए।
रास्ते में राजीव बोला: बेटा पहली बार में ही लड़की पसंद आ गई ?
शिवा: जी पापा वो बहुत ही समझदार लड़की है और अपनी ज़िम्मेदारी भी समझती है।
राजीव हँसते हुए बोला :और सुंदर भी है । है ना?
शिवा: जी पापा सुंदर तो है ही ।
राजीव: तुम दोनों की जोड़ी ख़ूब जँचेगी। मुझे ख़ुशी है कि पहली बार में ही इतना बढ़िया रिश्ता मिल गया।
रात को सोते हुए राजीव सरला के बारे में सोच कर गरम होने लगा। क्या दूध हैं उसके। फिर अचानक उसको मालिनी के भी साड़ी से उभरे हुए दूध याद आ गए और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। फिर उसे शर्म आइ और वह अपने आप को कोसा और सोने की कोशिश करने लगा।
रात को सोते हुए राजीव सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और रानी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो रानी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में रानी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।
अगले दिन शिवा को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राजीव ख़ुद भी तय्यार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने रानी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को शिवा और वह पास के शहर में रमेश से मिलने पहुँचे।
रमेश उनको लेकर अपने दोस्त श्याम के यहाँ पहुँचा । श्याम और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको सरला से मिलवाया,जो कि श्याम के स्वर्गीय भाई की पत्नी और मालिनी की माँ थी। मालिनी ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।
राजीव ने फल और मिठाई सरला को दी। उसने देखा कि सरला बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतर बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राजीव के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राजीव उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।
उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।
सरला: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।
राजीव हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।
तभी श्याम आकर सरला को बोला: सरला आओ मालिनी को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राजीव ने नोटिस किया कि श्याम अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।
राजीव ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।
वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। श्याम अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। श्याम के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
सरला: अच्छा अब छोड़िए। मालिनी तय्यार हो गयी होगी।
श्याम: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।
सरला: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।
श्याम: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।
फिर दोनों बाहर आने लगे। राजीव जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। शिवा वहीं बैठकर श्याम की बीवी से बातें कर रहा था।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में मालिनी भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। शिवा तो उसे एकटक देखता ही रह गया। मालिनी ने भी भरपूर नज़र से शिवा को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।
राजीव ने भी मालिनी को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।
श्याम: ये है हमारी बिटिया रानी मालिनी। और मालिनी ये है शिवा और ये हैं इनके पिता।
मालिनी ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राजीव ने देखा कि शिवा उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: शिवा मैं चाहता हूँ कि तुम और मालिनी अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। श्याम जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?
श्याम: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।
सरला उठी और मालिनी और शिवा को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।
जब वो वापस आइ तो राजीव उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और श्याम की मस्ती याद आ गयी।
सरला: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
राजीव: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।
उधर मालिनी और शिवा एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। शिवा उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और मालिनी अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
थोड़ी देर बाद शिवा बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?
मालिनी ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।
फिर दोनों उठकर बाहर आए और राजीव ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?
शिवा: पापा मेरी तो हाँ है।
श्याम: और बेटी तुम्हारी?
मालिनी ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।
अब राजीव ख़ुशी से खड़ा हुआ और श्याम भी खड़े होकर उसके गले मिला। और उन्होंने एक दूसरे को बधाइयाँ दी। सरला ने भी राजीव को बधाई दी। फिर शिवा और मालिनी ने सबके पैर छुएँ। श्याम ने सबको मिठाई खिलाई।
अब राजीव भी कार से मिठाई और एक अँगूठी निकाल लाया। सरला भी एक अँगूठी लायी। अब शिवा और मालिनी ने एक दूसरे को अँगूठी पहनायी। सबने उनको बधाइयाँ दी।बहुत से फ़ोटो खिंचे गए। फिर सबने नाश्ता किया और बाद में शिवा और राजीव वापस अपने घर आ गए।
रास्ते में राजीव बोला: बेटा पहली बार में ही लड़की पसंद आ गई ?
शिवा: जी पापा वो बहुत ही समझदार लड़की है और अपनी ज़िम्मेदारी भी समझती है।
राजीव हँसते हुए बोला :और सुंदर भी है । है ना?
शिवा: जी पापा सुंदर तो है ही ।
राजीव: तुम दोनों की जोड़ी ख़ूब जँचेगी। मुझे ख़ुशी है कि पहली बार में ही इतना बढ़िया रिश्ता मिल गया।
रात को सोते हुए राजीव सरला के बारे में सोच कर गरम होने लगा। क्या दूध हैं उसके। फिर अचानक उसको मालिनी के भी साड़ी से उभरे हुए दूध याद आ गए और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। फिर उसे शर्म आइ और वह अपने आप को कोसा और सोने की कोशिश करने लगा।