04-06-2019, 08:39 AM
अब आगे.... वैसे तो मैं ईन सब अश्लील कामुक बातें सुनने, करने की आदि रही हूं पर चलते सवारी पर बिच सड़क पर ना कभी की थी, कुछ अटपटा सी लग रही थी। हालांकि मेरी चुत में हल्की हल्की गुथगुदाहट होने लगी थी। न जाने किस कारण मैंने रमेश भाई से बोल बैठी, का हो रमेश भाई हमनी के पुजा करे चलत ह्ईं कि नौटंकी में ।
बुरिया खजूआए लागल कि हे मीरा रानी, मेरी बात समाप्त होते ही पिछे से सविता की आवाज आई। सविता जी आप रमेश भाई से ही बात करें, मेरी तो आपसे कोई जानपहचान भी नही है। ईतना कह के मैं सिधी होकर सामने देखने लगी ।आटो के अगल बगल से गुजरने वाली गारियाँ, ईक्का दुक्का पैदल चलने वाले नजर आ रहे थे। थोरी दूर चलने के बाद रमेश भाई सविता से बोले एही जा उतरबु कि अगला पर। सडक से थोरी दूर पर ही एक ठाठ और छप्पर वाली लाईन होटल थी, सामने साईनबोर्ड भी लगी हुई थी *पांडेजी का ढाबा*।ढाबे के अगल बगल क्ई ट्रक, क्इ कारें लगी हुई थी। ढाबे के बाहर और भीतर लोग कुर्सियों और चारपाई पर बैठे हुए खाना खा रहे थे, करीफ करीब सभी के ग्लास में दारू भरे हुए थे। उधर सविता आटो से उतर कर रमेश स कह रही ती आई ना रमेश जी एक एक कप चाए हो जाए।
बुरिया खजूआए लागल कि हे मीरा रानी, मेरी बात समाप्त होते ही पिछे से सविता की आवाज आई। सविता जी आप रमेश भाई से ही बात करें, मेरी तो आपसे कोई जानपहचान भी नही है। ईतना कह के मैं सिधी होकर सामने देखने लगी ।आटो के अगल बगल से गुजरने वाली गारियाँ, ईक्का दुक्का पैदल चलने वाले नजर आ रहे थे। थोरी दूर चलने के बाद रमेश भाई सविता से बोले एही जा उतरबु कि अगला पर। सडक से थोरी दूर पर ही एक ठाठ और छप्पर वाली लाईन होटल थी, सामने साईनबोर्ड भी लगी हुई थी *पांडेजी का ढाबा*।ढाबे के अगल बगल क्ई ट्रक, क्इ कारें लगी हुई थी। ढाबे के बाहर और भीतर लोग कुर्सियों और चारपाई पर बैठे हुए खाना खा रहे थे, करीफ करीब सभी के ग्लास में दारू भरे हुए थे। उधर सविता आटो से उतर कर रमेश स कह रही ती आई ना रमेश जी एक एक कप चाए हो जाए।