Thread Rating:
  • 22 Vote(s) - 1.73 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
औलाद की चाह


CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-28

मलाई खिलाएं और भोग लगाएं



गुरुजी:- शिष्यों वह देवी योनी हैं… लेकिन वही  रश्मि इस पूजा की मुख्य यजमान भी हैं  और हमे उन्हें भी  दुग्ध  पान करवाना  हैं ताकि उन्हें भी माँ योनि की पूरी कृपा मिले।

मैं चौंक गई थी ... शर्मिंदा थी ... "ओह माई ... ओह माय .... मैं खुद कैसे करुँगी कैसे पाने स्तनों  से स्तनपान करुँगी  .. नहीं गुरूजी  .... मैं नहीं कर सकती ... .. ” … इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी कर पाती  गुरूजी  ने  मुझसे कहा ... ।

गुरूजी :-  रश्मि अब आप लेट  जाओ और  अब  शिष्यों  अब आप उन्हें मलाई खिलाएं और भोग लगाएं।


[Image: lick1a.webp]


अब चारो शिष्य मेरे बदन पर लगे दूध को चाटने लगे और मेरे बदन पर लगे दूध और मलाई को चाट-चाट कर मेरे ओंठो पर अपने, मुँह से मुझे मलाई खिलाने लगे । कोई मेरे नीपल चाट रहा था तो कोई मेरे स्तन चूस रहा था और कोई मेरी नाभि और कोई मेरी योनि चाट और चूस रहा था और वहाँ पर लगा दूध और पञ्चमृत का भोग अपने मुँह में इकठ्ठा लकर मुझे मेरे ओंठो पर ओंठ लगा कर मुझे खिला कर भोग लगा रहे थे। इस कामुक हमले से मेरी हालत बहुत कामुक हो गयी थी ।

चार लोग अगर बदन एक साथ चूम और चूस रहे हो तो मेरी क्या हालत होगी इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है।

मैं मजे से आअह्ह्ह! आअह्ह्ह! कर रही थी और मेरी कमर और चूतड़ उचक रहे थे।


[Image: lick1b.webp]
parse geojson

इस कामुक चटाई से मेरी कामोतेजना और बढ़ गयी और मेरी योनि से लगातार रस बह रहा था । मुझे उस समय मेरे पति ने मेरी जो सुहागरात पर चटाई की थी वह याद आ रही थी जब मेरे पति में मेरा पूरा बदन चाट डाला था ।

फिर जल्द ही मेरा पूरा बदन एक बार अकड़-सा गया और फिर उसमें अत्यंत आनन्ददायक झटके से आने लगे। पहले 2-3 तेज़ और फिर न जाने कितने सारे हल्के झटकों से मैं सिहर गई।

मेरी योनि में कोलाहल हुआ और चूत रस की कुछ बूंदे बाहर छलक गयी और उस समय उदय मेरी योनि चाट रहा था और उसने प्यार से अपना हाथ मेरी पीठ और स्तनों पर कुछ देर तक फिराया।


[Image: lick1c.webp]

उस समय राजकमल मेरे ओंठो पर मलाई चटा रहा था उसने मेरे ओंठो पर ओंठ रख कर अपनी जीभ के ज़ोर से पहले मेरे ओंठ और फिर दांत खोले और अपनी जीभ को मेरे मुँह में घुसा दिया। फिर जीभ को दायें-बाएँ और ऊपर नीचे करके मेरे मुँह के रस को चूसने लगा और अपनी जीभ से मेरे मुँह का अंदर से मुआयना करने लगा। उसी समय निर्मल मेरे स्तन चूस रहा था और साथ ही उसने अपना हाथ से मेरे स्तनों को दबा रहा था और संजीव मेरी नाभि चाट रहा था और मेरे पेट पर दोबारा से हाथ घुमाना चालू कर दिया। कुछ देर राजकमल ने अपनी जीभ से मेरे मुँह में खेलने के बाद मैंने उसकी जीभ अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगी।

फिर जब मैंने उसके ओंठो पर लगी मलाई चाट ली तो राजकमल की जगह निर्मल ने ले ली और निर्मल मुझे मेरे स्तनों पर लगी मलाई अपने मुँह में भर कर चटाने लगा । उसने मेरे ओंठो पर ओंठ रख कर अपने मुँह में मलाई का गोला बनाया और अपनी जीभ से उस गोलों को और फिर अपनी जीभ को मेरे मुँह में घुसा दिया।


[Image: lick1d.webp]

फिर जब मैंने निर्मल के ओंठो पर लगी मलाई चाट ली तो निर्मल की जगह संजीव ने ले ली और संजीव मुझे मेरे पेट और नाभि पर लगी मलाई अपने मुँह में भर कर चटाने लगा । उसने मेरे ओंठो पर ओंठ रख कर अपने मुँह में मलाई भर कर उस मलाई को और फिर अपनी जीभ के साथ मेरे मुँह में घुसा दिया और मैं उसकी जीभ चूसने लगी ।

फिर जब मैंने संजीव के ओंठो पर लगी मलाई चाट ली तो संजीव के स्थान पर उदय आ गया और उसने मुझे मेरी योनि और जांघो पर लगी मलाई और मेरा योनि रस अपने मुँह में भर कर मुझे चटाने लगा । उसने मेरे ओंठो पर ओंठ रख कर अपने मुँह में वह मलाई और चुतरस का मिश्रण भर कर मुझे चटाया और फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी और मैं उसका मुँह चाटने और उसकी जीभ चूसने लगी ।

मैं: उउ...आआहह!


[Image: lick1e.webp]

इस तरह से जब मेरे बदन पूरा साफ़ हो गया तो गुरूजी ने मन्त्र उच्चारण किया ।



[Image: lick1g.webp]

गुरूजी:-"ओम ... ह्रीं, क्लीं ... ... नमः!"

एक बार चारो ने मुरा बदन हाथ फिर कर जांचा और अब कही दूध बाकी नहीं था और सबने बारी बार मुझे एक बार चूमा और फिर गुरूजी ने दुबारा मन्त्र उच्चारण किया

गुरूजी:-"ओम ... ह्रीं, क्लीं ... ... नमः!"

मैं बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी और बोला "सॉरी...सॉरी" ...फिर से गुरूजी बोले

गुरूजी:-ठीक है...बेटी ये स्वाभाविक है। तुमने बहुत अच्छा किया ।

गुरु जी ने मुझे अभी-अभी मिले कामोत्तेजना से उबरने के लिए कुछ समय दिया और फिर से शुरू कर दिया। तब तक मैं गहरी साँसे लेती हुई उस गद्दे पर लेटी रही, मेरी खुली हुई चूत, मेरी पूरी नंगी जांघें और टांगें, मेरी मिनीस्कर्ट मेरे गोल कूल्हों के नीचे थी और मेरे स्तन मेरी स्ट्रैपलेस छोटी चोली से लगभग नीचे गिर रहे थे। गुरु जी आँखे ब्नद कर कुछ "अर्चना" कर रहे थे, जबकि उनके चारों शिष्य लगातार मेरी रसीली जवानी को देख रहे थे! कुछ समय बाद गुरूजी ने आँखे खोली

गुरु जी: बेटी, क्या तुम मेरी बात सुनने की हालत में हो?

मैं अब बहुत शांत और आराम महसूस कर रही थी क्योंकि मेरा रस बह चुका था।

मैं: ये... हाँ गुरु-जी।

मैंने लापरवाही से उत्तर दिया।

गुरु जी: बेटी, अपना ध्यान योनि पूजा के लक्ष्य से मत निकलने दो। इससे आपको फोकस्ड रहने में मदद मिलेगी। जैसा कि मैंने कहा, आपको उस यौन क्रिया का आनंद लेना चाहिए जो आप इसके दौरान प्राप्त होती है। ठीक? क्या आपने इसका आनंद लिया और साथ-साथ मन्त्र उच्चारण करती रहो ।

मैं थोड़ा शर्माते हुए हिचकी

मैं:-ओ... ओके गुरु जी।

मैंने नम्रता से उत्तर दिया।

गुरूजी:-इसमें शरमाने की जरूरत नहीं है इसमें यौन आनद भी मिलेगा और ध्यान भी भटकायेगा पर अगर तुम अपना लक्ष याद रखोगी तो उससे तुम्हे फोकसे रहने में मदद मिलेगी ।

मैं:-जी गुरु जी।


कहानी जारी रहेगी

NOTE




इस कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ





मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है



अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .





वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.





 इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास नहीं किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .



 इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .



Note : dated 1-1-2021



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।



बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।



अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है या मैंने कुछ हिस्से जोड़े हैं  ।



कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।



Note dated 8-1-2024



इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है. इसके बाद मामा जी के कारनामे हैं,  अधिकतर रिश्तेदार , डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ... वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही बदमाश होते हैं । अगर कुछ लोग ऐसे बदमाश ना होते तो कहानिया शायद कभी नहीं बनेगी ।


[b]सभी को धन्यवाद,[/b]
[+] 2 users Like aamirhydkhan1's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 16-04-2023, 11:26 AM



Users browsing this thread: