16-04-2023, 11:10 AM
दोस्तो ये कहानी मैने काफ़ी समय पहले पढ़ा था आपके मनोरंजन के लिए पोस्ट कर रहा हूँ आपको मेरी ये कोशिस ज़रूर पसंद आएगी ,
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा ससुर बहू की मस्त चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो वैसे तो आपको मेरी सारी कहानियाँ पसंद आती हैं पर ये कहानी कुछ ज़्यादा ही मस्ती भरी है ये मेरा वादा है कि ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी . तो दोस्तो चलिए कहानी की तरफ चलते हैं ....राज अपने कमरे में उदास बैठा है, और कमरे की खाली दीवारों को घूर कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह 54 साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २५ लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।
उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार शोरूम का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह शोरूम पर नहीं गया था। शोरूम पर उसका जवान बेटा जय ही बैठ रहा था जो कि 28 साल का हो चला था। उसकी एक 26 साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।
राज के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का किसी बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे जय ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
अपनी सोचो से बाहर आते हुए राज ने टीवी ऑन कर लिया , अचानक टेलीविजन का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की पायल की बीमारी और एक महीने का शोक – उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।
उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए पायल के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह पायल के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है।
पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और पायल को याद करके उसकी आँख भर आइ।
हालाँकि वह पायल को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।
आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। जय को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने कांता खड़ी थी। वह घर की नौकरानी थी और पायल की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ३५ साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब पायल के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।
जय अपने काम में लग गया और तभी कांता वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राज ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।
तभी कांता का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।
राज: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।
कांता: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम शशी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।
राज: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?
कांता: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।
राज: क्या शादीशुदा है?
कांता: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।
राज: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?
कांता फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राज भी अपने काम में लग गया। फिर उसने जय को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।
रात को जय क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राज बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं पायल के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?
जय चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।
राज: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।
जय: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।
राज: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
जय: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।
राज: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?
जय: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?
राज: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।
थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह ५ बजे उठकर राज फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राज का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।
बाहर एक दुबली सी लड़की खड़ी थी। वह समझ गया कि यह शशी ही होगी। उसने पूछा: तुम शशी हो ना?
शशी: जी साहब मैं ही कांता चाची की भतीजी हूँ।
राज: आओ अंदर आओ । फिर उसने उसे पूरा घर दिखाया और कहा : पहले चाय बना दो। किचन से बाहर आते हुए उसने शशी को भरपूर निगाहों से देखा। वह कोई २०/२१ से बड़ी नहीं दिख रही थी। दुबली पतली , छाती भी छोटी और चूतरों में भी कोई ख़ास उभार नहीं। वह उसकी टाइप की तो लड़की है ही नहीं। उसे तो भरी हुई लड़की अच्छी लगती है।
थोड़ी देर बाद वह चाय लायी । चाय लेते हुए वह बोला: तुम सच में शादी शूदा हो? बहुत छोटी सी दिखती हो ।
शशी: जी साहब मेरी शादी को सात साल हो गए हैं । वैसे मैं ऐसी ही पतली दुबली हूँ शुरू से ।
राज: क्या उम्र है तुम्हारी? दिखती तो २०/२२ की हो।
शशी: जी मैं २७ की हूँ। पतली होने के कारण शायद छोटी लगती हूँ। फिर वह अपने काम में व्यस्त हो गयी। राज सोचने कहा कि साली थोड़ी सी भरे हुए बदन की होती तो कुछ मज़ा ले भी लेता पर ये तो मरी हुई चुहिया जैसी है। क्या मज़ा आएगा इसके साथ।
थोड़ी देर बाद वह उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी तो उसकी क़ुरती ऊपर चढ़ गयी थी और उसके चूतड़ सलवार से दिख रहे थे। राज सोचने लगा कि इतनी भी बुरी नहीं है। मज़ा लिया जा सकता है। जय अभी भी सो रहा था, वह अक्सर ८ बजे से पहले नहीं उठता था।
राज ने बात चलायी: कौन कौन घर में है तुम्हारे?
शशी : मेरा पति और मेरी सास।
राज जानबुझ कर पूछा: और बच्चे?
शशी उदास होकर बोली: जी नहीं हैं।
राज: शादी को सात साल हो गए? डॉक्टर को दिखाया कि नहीं?
शशी: जी दिखाया है वो बोले कि मेरे में कोई कमी नहीं है। और मेरा मर्द तो डॉक्टर के पास जाने को राज़ी ही नहीं है। क्या कर सकती हूँ भला मैं!
राज: ओह तो कमी उसी में होगी । सास कुछ बोलती नहीं तुमको?
शशी: दिन भर ताने सुनाती है और बेटे की दूसरी शादी की भी धमकी देती है।
राज: ओह ये तो बड़ी समस्या है। वैसे एक बात बोलूँ , तुमको अपने शरीर का ख़याल रखना चाहिए। इतनी दुबली हो अगर गर्भ ठहर भी गया तो बच्चा भी तेरे जैसा दुबला ही होगा ।
शशी: साहब ग़रीब लोग हैं हम लोग। आपके जैसा खाने पीने को थोड़े मिलता है।
राज हँसते हुए बोला: चलो अब हमारे घर में रहोगी तो तुम वही खाओगी जो हम खाएँगे। और जल्दी ही तगड़ी हो जाओगी।
शशी उसको अजीब निगाहों से देख रही थी, शायद यह समझने की कोशिश कर रही थी कि यह बुज़ुर्ग उसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है। वैसे उसे यह कुछ बुरा नहीं लगा। ये सच है कि उसे ज़्यादा अटेन्शन नहीं मिलता था। इसलिए साहब का उसमें दिलचस्पी लेना उसे अच्छा ही लग रहा था।
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा ससुर बहू की मस्त चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो वैसे तो आपको मेरी सारी कहानियाँ पसंद आती हैं पर ये कहानी कुछ ज़्यादा ही मस्ती भरी है ये मेरा वादा है कि ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी . तो दोस्तो चलिए कहानी की तरफ चलते हैं ....राज अपने कमरे में उदास बैठा है, और कमरे की खाली दीवारों को घूर कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह 54 साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २५ लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।
उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार शोरूम का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह शोरूम पर नहीं गया था। शोरूम पर उसका जवान बेटा जय ही बैठ रहा था जो कि 28 साल का हो चला था। उसकी एक 26 साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।
राज के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का किसी बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे जय ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
अपनी सोचो से बाहर आते हुए राज ने टीवी ऑन कर लिया , अचानक टेलीविजन का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की पायल की बीमारी और एक महीने का शोक – उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।
उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए पायल के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह पायल के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है।
पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और पायल को याद करके उसकी आँख भर आइ।
हालाँकि वह पायल को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।
आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। जय को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने कांता खड़ी थी। वह घर की नौकरानी थी और पायल की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ३५ साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब पायल के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।
जय अपने काम में लग गया और तभी कांता वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राज ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।
तभी कांता का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।
राज: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।
कांता: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम शशी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।
राज: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?
कांता: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।
राज: क्या शादीशुदा है?
कांता: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।
राज: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?
कांता फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राज भी अपने काम में लग गया। फिर उसने जय को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।
रात को जय क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राज बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं पायल के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?
जय चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।
राज: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।
जय: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।
राज: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
जय: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।
राज: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?
जय: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?
राज: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।
थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह ५ बजे उठकर राज फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राज का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।
बाहर एक दुबली सी लड़की खड़ी थी। वह समझ गया कि यह शशी ही होगी। उसने पूछा: तुम शशी हो ना?
शशी: जी साहब मैं ही कांता चाची की भतीजी हूँ।
राज: आओ अंदर आओ । फिर उसने उसे पूरा घर दिखाया और कहा : पहले चाय बना दो। किचन से बाहर आते हुए उसने शशी को भरपूर निगाहों से देखा। वह कोई २०/२१ से बड़ी नहीं दिख रही थी। दुबली पतली , छाती भी छोटी और चूतरों में भी कोई ख़ास उभार नहीं। वह उसकी टाइप की तो लड़की है ही नहीं। उसे तो भरी हुई लड़की अच्छी लगती है।
थोड़ी देर बाद वह चाय लायी । चाय लेते हुए वह बोला: तुम सच में शादी शूदा हो? बहुत छोटी सी दिखती हो ।
शशी: जी साहब मेरी शादी को सात साल हो गए हैं । वैसे मैं ऐसी ही पतली दुबली हूँ शुरू से ।
राज: क्या उम्र है तुम्हारी? दिखती तो २०/२२ की हो।
शशी: जी मैं २७ की हूँ। पतली होने के कारण शायद छोटी लगती हूँ। फिर वह अपने काम में व्यस्त हो गयी। राज सोचने कहा कि साली थोड़ी सी भरे हुए बदन की होती तो कुछ मज़ा ले भी लेता पर ये तो मरी हुई चुहिया जैसी है। क्या मज़ा आएगा इसके साथ।
थोड़ी देर बाद वह उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी तो उसकी क़ुरती ऊपर चढ़ गयी थी और उसके चूतड़ सलवार से दिख रहे थे। राज सोचने लगा कि इतनी भी बुरी नहीं है। मज़ा लिया जा सकता है। जय अभी भी सो रहा था, वह अक्सर ८ बजे से पहले नहीं उठता था।
राज ने बात चलायी: कौन कौन घर में है तुम्हारे?
शशी : मेरा पति और मेरी सास।
राज जानबुझ कर पूछा: और बच्चे?
शशी उदास होकर बोली: जी नहीं हैं।
राज: शादी को सात साल हो गए? डॉक्टर को दिखाया कि नहीं?
शशी: जी दिखाया है वो बोले कि मेरे में कोई कमी नहीं है। और मेरा मर्द तो डॉक्टर के पास जाने को राज़ी ही नहीं है। क्या कर सकती हूँ भला मैं!
राज: ओह तो कमी उसी में होगी । सास कुछ बोलती नहीं तुमको?
शशी: दिन भर ताने सुनाती है और बेटे की दूसरी शादी की भी धमकी देती है।
राज: ओह ये तो बड़ी समस्या है। वैसे एक बात बोलूँ , तुमको अपने शरीर का ख़याल रखना चाहिए। इतनी दुबली हो अगर गर्भ ठहर भी गया तो बच्चा भी तेरे जैसा दुबला ही होगा ।
शशी: साहब ग़रीब लोग हैं हम लोग। आपके जैसा खाने पीने को थोड़े मिलता है।
राज हँसते हुए बोला: चलो अब हमारे घर में रहोगी तो तुम वही खाओगी जो हम खाएँगे। और जल्दी ही तगड़ी हो जाओगी।
शशी उसको अजीब निगाहों से देख रही थी, शायद यह समझने की कोशिश कर रही थी कि यह बुज़ुर्ग उसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है। वैसे उसे यह कुछ बुरा नहीं लगा। ये सच है कि उसे ज़्यादा अटेन्शन नहीं मिलता था। इसलिए साहब का उसमें दिलचस्पी लेना उसे अच्छा ही लग रहा था।