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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
औलाद की चाह


CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-27

स्तनपान


इससे पहले कि मैं गद्दे पर लेटती, मैंने उत्सुकता से कुछ और चरणामृत पी लिया, क्योंकि मुझे काफी प्यास लग रही थी, यह बिल्कुल नहीं जानते हुए कि यह केवल मेरी यौन इच्छा को तेज करेगा। संजीव मेरे पास आया और मेरे घाघरे को एक हाथ से पकड़ लिया और मेरी जांघों को कपड़े से पोंछ दिया, क्योंकि वे मेरे योनि रस से चिपचिपे हो गए थे। उसने इसे इतने आकस्मिक दृष्टिकोण के साथ किया कि मैं दंग रह गया क्योंकि मैं पूरी तरह से उंगली की चुदाई के बाद सांस लेने के लिए हांफने लगा। मुझे बिल्कुल अपने बचपन के दिनों की तरह महसूस हुआ जब मैं पहली या दूसरी कक्षा में जूनियर कॉलेज में थी और अपनी कॉलेज की वर्दी में पेशाब कर चुकी थी और चौथी कक्षा का कर्मचारी मुझे मेरी स्कर्ट खींच कर साफ कर रहा था!


[Image: tina1.jpg]

संजीव ने मेरे चुत के बालों से रस की बूंदों को भी पोंछा! मैं बेशर्मी का सबसे बड़ा विज्ञापन दिखा रही थी क्योंकि यहाँ मैं एक भरे-पूरे शरीर वाली शर्मीली महिला जो शादीशुदा थी, 30+ थी और अब उस गद्दे पर लगभग नग्न लेटी हुई थी और मेरी बालों वाली चुत पूरी तरह से खुली हुई थी!

गुरु जी: धन्यवाद संजीव।

कुछ मिनटों के बाद, गुरूजी ने घोषणा की

गुरु-जी:-रश्मि अब तुम आलथी पालथी मार कर बैठ जाओ । बच्चो को स्तनपान करवाओ .  इससे तुम्हे स्तनपान करवाने का अनुभव  मिलेगा जिससे तुम्हे अपने बच्चो   को स्तनपान और दूध पिलाने में  आसानी रहेगी ।-अब माँ योनी के स्तन नग्न है। वह माँ है। वह अपने स्तनों से मनुष्यों का पोषण करती है। वैसे ही अब माँ हम सबका पालन पोषण करेगी। "


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इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती कि क्या हो रहा है...

गुरूजी:-आओ मेरे शिष्यों ... जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है और उसका पालन पोषण करती है। तुम सभी योनि से उत्पन्न हुए हो। योनि माँ तुम्हारी माँ है। ...आओ ...स्तनपान करो आओ माँ के स्तनों को चूसो।

मैंआश्चर्यचकित थी। अभी तो मेरे कोई बच्चा नहीं हुआ है मेरे स्तनों में दूध नहीं उतरा है मैं कैसे स्तनपान करवा सकती हूँ।

सबसे पहले राजकमल मेरी गोद में लेट गया। बौना निर्मल दूध का बर्तन और गिलास लेकर मेरे पीछे चला गया। धीरे से राजकमल ने अपने सर के पिछले हिस्से को उठा लिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि उसका मुँह मेरे स्तनों के पास हो। फिर गुरूजी ने कहा,


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गुरूजी:-राजकमल अब स्तनपान करो"।

धीरे-धीरे राजकमल ने मेरे बाए स्तन को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगा। पीछे से उदय ने दूध से भरे गिलास को मेरे स्तनों पर डाल दिया। दूध धीरे-धीरे स्तनों से टपकने लगा... एरोला में... और फिर राजकमल के मुंह में। गुरजी कुछ मंत्रो का उच्चारण कर रहे थे ।

इसी तरह मैंने गुरूजी के चारो शिष्यों को मैंने स्तनपान कराया... राजकमल ने दाए स्तन से दूध पिया

मैं: उउ...आआहह!

गुरूजी:-"ओम ... ह्रीं, क्लीं ... ... नमः!"

और फिर उदय ने बाए स्तन से दूध पिया और उसके बाद संजीव ने दाए स्तन से दूध पिया और मैं अब बहुत उत्तेजित हो गयी थी और मेरी चूचिया सूज गयी थी और मेरे स्तन अब कड़े हो गए थे । स्तनपान ने मेरे अंदर की कामुकता को और बढ़ा दिया। संजीव के बाद बौने निर्मल ने मेरे बाए स्तन से दूध पिया तो उसने मेरे स्तन पर काटा तो मैं चिल्ला पड़ी

रश्मी:-आअह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो निर्मल?

तो गुरूजी उसकी शरारत भांप गये और उसे डांटा । तो वह मेरे स्तन चूसने लगा ।


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गुरूजी:-निर्मल! शरारत नहीं, चुपचाप स्तनपान करो वरना माँ योनी की नाराजगी तुम्हे झेलनी होगी।

निर्मल:-क्षमा कीजिये गुरूजी! और वह मेरे स्तन चूसने लगा ।

मैं: आह

गुरूजी:-निर्मल क्षमा मुझसे नहीं रश्मि जो इस समय योनि माँ अहइँ उनसे मांगो । बेटी रश्मि निर्मल कद के साथ-साथ आयु में भी सबसे छोटा होने के कारण थोड़ा नटखट है इसे क्षमा कर दो ।

निर्मल:-माँ योनि मुझे क्षमा कर दो!

मैं अपने होठों को अपने दांतों से भींच रही थी और परमानंद में लगभग कांप रही थी। मैं कुछ बोलती उससे पहले ही गुरूजी ने मन्त्र उच्चारण किया

गुरूजी:-"ओम ... ह्रीं, क्लीं ... ... नमः!"

फिर संजीव हाथ जोड़ कर बोला

संजीव:-गुरूजी अब आप स्तनपान कर माँ योनि का आशीर्वाद प्राप्त कीजिये "।


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गुरूजी मेरी गोद में लेट गए अब मैंने उनका सर एक बच्चे की तरह लिया। धीरे से मैंने उनके सिर के पिछले हिस्से को उठाया और अपने स्तनों के पास ले गई। गुरूजी का मुंह मेरे स्तनों के पास आ गया और धीरे-धीरे गुरूजी ने मेरे स्तन अपने मुँह में ले लिए...... वाह...स्वर्गीय अनुभूति...धीरे-धीरे गुरूजी ने स्तन को चुसना और चबाना शुरू किया। जैसे ही गुरूजी मेरे स्तन चूसना शुरू किया। पीछे से उदय ने दूध से भरे गिलास को मेरे स्तनों पर डाल दिया। दूध धीरे-धीरे स्तनों से टपकने लगा... एरोला में... और फिर गुरूजी के मुंह में। मेरी योनि लगातार रस भ रही थी और मैंने देखा गुरूजी का लंड बिलकुल कड़ा ही खड़ा हो गया था । जैसे ही उदय ने दूध डाला... यह मेरे स्तनों से गुरूजी के मुंह, चेहरे पर टपकने लगा। वास्तव में, केवल मेरे निप्पल ही नहीं, एरोला। और गुरूजी ने मेरे स्तनों को का एक हिस्सा भी अपने मुंह में डाल लिया।

मैंने आगे की ओर झुक कर अपना स्तन गुरूजी के मुँह में भर दिया और गुरुजी ने मेरा निप्पल चुमनाऔर चूसना शुरू कर दिया। मेरे पास कराहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था राजकमल मंत्रो का उच्चारण कर रहा था ।

मैं:-हम्म... नहीं... हम्म... आह ओह्ह्ह ... हममम...

गिलास का दूध खत्म हो गया और उसी के साथ राजकमल ने मन्त्र बोला

राजकमल:-"ओम ... ह्रीं, क्लीं ... ... नमः!"

गुरूजी ने स्तनपान बंद किया और खड़े होकर बोले ।

गुरु जी: धन्यवाद राजकमल।

गुरूजी:-"ओम ... ह्रीं, क्लीं ... ... नमः!" हे माँ योनि! जिस प्रकार आपने हमे अपना स्तनपान करवाया है उसी प्रकार रश्मि को भी अपने संतान को स्तनपान करवाने का सुअवसर देने के लिए उसकी संतान की इच्छा पूर्ण कीजिये ।

कहानी जारी रहेगी

NOTE-




इस कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ





मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है



अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .





वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.





 इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास नहीं किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .



 इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .



Note : dated 1-1-2021



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।



बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।



अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है या मैंने कुछ हिस्से जोड़े हैं  ।



कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।



Note dated 8-1-2024



इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है. इसके बाद मामा जी के कारनामे हैं,  अधिकतर रिश्तेदार , डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ... वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही बदमाश होते हैं । अगर कुछ लोग ऐसे बदमाश ना होते तो कहानिया शायद कभी नहीं बनेगी ।


[b]सभी को धन्यवाद,[/b]
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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 09-04-2023, 03:21 AM



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