01-04-2023, 09:05 AM
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
नयी भाभी की सुहागरात
CHAPTER-2
PART 14
भोर में आँख खुली
भोर में सुबह पांच बजे मेरी आँख खुली तो जूही भाभी मुझसे से चिपट कर सो रही थीं। वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उनको देखते ही मेरा संयम टूट गया। सोते देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उनको चूम लीया। मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं-मेरी आँख लग गयी थी।
मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगीं। मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीं। मैंने भी उनकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली, तो उनका शरीर सिहरने लगा और वे रिसने लगीं क्योंकि मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी। मैंने उनकी चुत को ऊपर से हो चूमा और उसके बाद मैं अपने हाथों से उनके मस्त मोमे दबाने लगा। एक पल बाद ही मुझे उनका निप्पल कड़ा होता-सा महसूस हुआ।
अपनी उंगलियों से मैंने निप्पल को खींचा तो जूही भाभी कराह उठीं-आआह मेरे राजा धीरे ... बहुत दुख रहे हैं।
मैंने निप्पल को किस किया और फिर उनके होंठों को चूमा। मैंने पूछा-भाभी आपकी तबीयत कैसी है?
"जी खुद देख लो और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया। वह नग्न ही थी उनकी चुत एकदम सूजी हुई थी। मैंने प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया ..."
उसके नग्न पेट के निचले हिस्से पर अपना हाथ चलाते हुए अपने हाथ योनि पर ले गया मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी मैंने कांपते हुए मांस को अलग कर दिया; फिर, मैंने धीरे से उसके निचले होंठों को विभाजित किया और एक तेजतर्रार तर्जनी के भीतर डाला।
मेरे स्पर्श पर रानी जूही कराह उठी, लेकिन मुझे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। जैसे ही मेरी चुभती हुई उंगली उसके फांक में ऊपर की ओर उठी, अंतत: जब ऊँगली ने उसकी योनि के फटे हुए हिस्से की छुआ, उसने दर्द भरी एक छोटी-सी चीख दी और खुद को दूर खींचने का प्रयास किया। मैंने उसकी दर्द और विस्मय भरी प्रतिक्रिया देखते हुए अपनी उंगली वापस निकाल ली और उसके स्तनों और पेट के साथ खिलवाड़ किया, अपनी उंगलियों के बीच स्तनों के नरम सफेद मांस को सहलाने के बाद और उसके प्रहरी जैसे निपल्स को तब तक सहलाया जब तक कि कठोर नहीं हो गए।
तो रानी जूही बोली मेरे राजा, पहले मुझे चोदो ... फिर जैसा चाहे वैसा कर लेना ... लेकिन धीरे से चोदना ... ताकि दर्द न हो।
मेरे ढीले लण्ड में आहिस्ते-आहिस्ते आ रहा तनाव जूही की आँखों से छुप ना पाया। देखते ही देखते उनकी आँखों के सामने मेरा लण्ड अपने आप ही ठनक कर खड़ा हो गया। लण्ड के अर्ध उत्तेजित हो गया और लंडमुंड कि चमड़ी खुद ब खुद मुड़ कर पीछे खिसक गई और बड़ा-सा गुलाबी सुपाड़ा एकदम से बाहर निकल आया। मेरे लण्ड के मोटे सुपाड़े को यूँ एकदम नज़दीक से देखकर जूही के गाल शर्म से सुर्ख लाल हो गएँ और शर्मा कर उसने अपनी पलकें एक क्षण के लिए नीचे झुका ली, फिर मुस्कुराते हुए नज़रें वापस से उठाई!
मेरे स्पर्शों और दुलार ने मुझ पर उत्तेजक प्रभाव किया; मेरे अंदर के जोशीले आदमी ने अब महसूस किया कि मेरी भावनाएँ तेजी से उत्तेजित हो कर उभरती हुई अवस्था में उठ रही है। मेरा औजार पूरी तरह से सूज गया और नीली नसें गुलाबी सफेद सतह पर मजबूती से उभर गयी थीं, मैं अत्यधिक उत्तेजित ही गया और मेरा लंड पूरा कठोर हो गया। रानी जूही को अपने पास खींचते हुए मैंने अपने बोल्ड हाथों को सुंदर रानी की फिगर के ऊपर बेतरतीब ढंग से फिरा दिया।
"नीचे, रानी और नीचे उस वस्तु को महसूस करो जो इस आनद का कारण है," मैंने उससे कहा। मेरी नब्ज आपकी प्रेम की गुफा में धड़क रही है। "इसे मेरे लिए निचोड़ो और इसे वैसे ही उछलो जैसे तुमने कल किया था। अब आओ, सुंदरी।"
अपने प्रेमी की इच्छाओं के अनुपालन में, उसका हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया और उसने मेरे खड़े हुए अंग की विशाल चौड़ाई को हाथ में पकड़ने की कोशिश की और मेरे अंडकोषों को निचोड़ा और मालिश की जिससे मुझे कामुक संवेदनाओं का अनुभव हुआ।
"अद्भुत, शानदार" मैंने फुसफुसाते हुए अपने चेहरे को उसके निप्पलो और-कठोर स्तन में दबा दिया और अपने होठों के भीतर स्तन के एक कट्टर प्रहरी को घेर लिया। "
जूही ने अपनी नंगी टांगें फैला दी, अपना हाथ नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ा सुपडे पर हाथ फिर्या और दबाया और फिर लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया।
नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने तनिक देर भी और प्रतीक्षा किये बिना ही एक तेज धक्का लगाया और सूजा हुआ लंड मुंड तेजी से रानी जूही की जांघो के बीच उसकी योनि में गायब हो गया और फिर मेरी गेंदे और नंगी जाँघे उसकी नंगी जाँघों से ऐंठने वाले झटके में टकरा रहे थी।
मैंने धक्का मारा तो वह ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया।
वह मुझे और अधिक देना चाहती थी, अधिक प्राप्त करना चाहती थी, अधिक लेना चाहती थी और वास्तव मेंखुद को मेरे प्रति समर्पण करना चाहती थी। मैं उसे बिना रुके चोदता रहा अनवरत चुदाई से आनंदविभोर हुई जूही अब अपने नितंब उछाल-उछाल कर मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने लगी। मेरा अंडकोष फिर से वीर्य के गरम बुलबुलों से भर गया। चरमोत्कर्ष के अंतिम क्षणो में मैंने जूही को पूरी गति बढ़ा कर तेजी और पूरी शक्ति से चोदा और फिर जल्द ही जब पहला शॉट लंड से निकला और जूही जोर से चिल्ला पड़ी, "माँ! कुमार ने मुझे भर दिया है।"
मैं अब राजमाता के निर्देशों को लगभग भूल गया था। पहले शॉट के बाद, जिसके दौरान मेरा लिंग उसमें गहराई से समा गया था, मैं उस पर गिर पड़ा। ये जूही और मेरी पहली चुदाई की सुबह थी और फिर जूही की सुंदरता और योनि का कसाव पूरी तरह से अभिभूत कर देने वाला था। मैं उस पर लेट गया, उसके स्तन हमारे बीच दब गए और मेरा शरीर कांपने और ऐंठने लगा। मेरे वीर्य कई शॉट्स में निकला, कुछ कठोर, कुछ कमजोर, कुछ लम्बे और बहते हुए, अन्य मामूली ड्रिब्ल्स थे।
जूही ने मुझे सहलाया। वह मुस्कुराई और उसने महसूस किया कि मेरा प्रचुर वीर्य एक बार फिर उसके अंदर फैल गया है। काम तो हो गया, लेकिन उसे लगा अभी बहुत कुछ पूरा करना बाकी था।
उसने कुतरते हुए मेरे कान को चूमा। वह मेरे कान में फुसफुसाते हुए 'आयी लव यू' बोली और अपने कूल्हों और टांगो और बाजुओं को हिला कर मेरे शरीर को अपने आप में समेट लिया और दोनों चिपक कर लेट गए और मेरा लिंग उसकी योनि के अंदर ही था।
फिर कुछ देर बाद जैसे झटका लगा, हम दोनों के कंधे पर थपथपाया गया; मैंने आँखे खोल कर देखा तो सामने राजमाता थी। यह हमारे लिए अलग होने का संकेत था। हम दोनों और कस कर चिपक गए तो राजमाता ने पुनः थपथपाया और बोली कुमार उठो!
और देखो तो... इतनी निर्दयता से कोई किसी स्त्री को भोगता है क्या? "। राजमाता ने जूही कि कमर के नीचे नज़र दौड़ाते हुये कहा तो जूही को अपनी नग्नता का एहसास हुआ और लज्जावश अपनी टांगों को एक दूसरे से चिपका कर अपनी फटी हुई चूत को उनके मध्य दबा लिया। राजमाता आगे बोली।" ये पुरुष भी ना। परस्त्री के साथ संसर्ग कि ऐसी भी क्या अधीरता कि इतनी सुंदर योनि को क्षतविक्षत ही कर डाला? "
जूही ने एक हाथ से किसी प्रकार अपनी नंगी चूचियों को ढंका तो दूसरे हाथ से अपनी खुली हुई चूत को ढकने का प्रयास करने लगी। "मैं आऊँगी," रानी जूही मेरे कान में फुसफुसायी। और मुझे चूमने लगी । मैंने खुद को रानी से अलग किया जो अब कुंवारी नहीं है। हम दोनों नग्न थे, मेरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था, रानी का शरीर भी मेरे पसीने से भीगा हुआ था। या यह उसका था? शायद दोनों का था।
जैसे ही उसने खुद को ऊपर उठाया, राजमाता ने अपने हाथ से मेरे लिंग को पकड़ लिया जी उसकी योनि के अंदर ही था और उसे देखकर मुस्कुरायी। मेरा हथियार ने कोई कठोरता नहीं खोई थी, वास्तव में यह फिर से कठोर हो गया था।
"हे भगवान!" रानी जूही फुसफुसाई मेरे स्तम्भन को राजमाता ने सहलाया। "उम्मम्म!" स्पर्श से रोमांच महसूस करते हुए रानी जूही कराह उठी।
तभी महाराजा और राजमाता के पीछे से दौड़ती हुई रानी जूही की प्रमुख अनुचर और सखी नैना ने कक्ष में प्रवेश किया। उसके के हाथों में एक ओढने के लिए उपयोग कि जाने वाली बड़ी-सी चादर थी। दौड़ कर बिस्तर तक पहुँची और अपने हाथों में लिए चादर को नंगी जूही के ऊपर और-और एक धोती को मेरे ऊपर फेंक दिया। जूही और मैंने तुरंत उस चादर अपने शरीर पर खींच कर समेट लिया और खुद को पूरी तरह से ढंकते हुए अपना सिर नीचे झुका लिया।
राजमाता ने अपनी बहू के नाजुक स्तनों को ढंग से ढँक दिया और महाराज ने मुझे धोती पकड़ा दी।
मैं इशारा समझ गया और उठ खड़ा हुआ।
रानी जूही ने बेशर्मी से अपना हाथ मेरी टांगो के बीच में नीचे खिसका दिया और तर्जनी और मध्यमा उंगली से मेरे कड़े औजार की मोटाई को मापा।
"वास्तव में," जूही फुसफुसायी। "देखो माँ! वह हमेशा की तरह सख्त और मोटा है," उसने कहा, उसकी आवाज प्रशंसा से भरी हुई थी।
"कुमार अब आप जाओ!" राजमाता ने तेजी से आदेश दिया इस बीच उनकी निगाहें अपनी बहू की योनी से फिसलते हुए सह-लेपित लिंग पर टिकी हुई थीं। "भाग्यशाली कुतिया," उसने अपने बेटे की पत्नी के बारे में सोचा। जब मैंने "जी राजमाता!" बोल कर आदेश का जवाब दिया, तब तक दोनों महिलाओं ने अपने विवेक को त्याग दिया था और उनकी निगाहें मेरे कठोर लंड पर टिकी रहीं, क्योंकि उस समय मैं कमरे में इधर-उधर घूम का अपने वस्त्र एकत्रित कर रहा था।
रानी जूही ने अपनी उँगलियों को ढीला कर दिया और लंड धीरे से उनके हाथ से फिसल गया। राजमाता ने उस रात में मेरी 'उपलब्धता' के बारे में सोचते हुए मेरे लंड को एकटक देखती रही। जैसे ही उन्होंने अचंभित देखा मैंने लंड को धोती में ढक लिया और झटपट कमर में धोती लपेटकर रीति के अनुसार, पीछे हटाता हुआ कक्ष से बाहर चला गया और इस बीच कभी भी उनकी ओर पीठ नहीं की।
सास-बहू ने अंतिम क्षण तक मेरी टांगों के बीच मेरे अकड़े हुए लिंग का धोती बाँधे जाने के दृश्य का पूरा आनंद लिया।
अगर संसेचन सफल रहा तो ये अब रानी माँ का काम था कि वह राज्य के वारिस के वाहक की संरक्षक हो और देखभाल को व्यवस्था करे। उन दोनों के द्वारा देखे गए पौरुष और ऊर्जावान प्रदर्शन के अनुसार यह प्रयोग सफल रहा था और उन्हें महाराज ने बधाई दी।
महाराज ने उसके बाद डॉक्टर को और रोजी को बुलवाया और जूही की जांच करने की आज्ञा दी ।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार
VOLUME II
नयी भाभी की सुहागरात
CHAPTER-2
PART 14
भोर में आँख खुली
भोर में सुबह पांच बजे मेरी आँख खुली तो जूही भाभी मुझसे से चिपट कर सो रही थीं। वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उनको देखते ही मेरा संयम टूट गया। सोते देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उनको चूम लीया। मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं-मेरी आँख लग गयी थी।
मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगीं। मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीं। मैंने भी उनकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली, तो उनका शरीर सिहरने लगा और वे रिसने लगीं क्योंकि मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी। मैंने उनकी चुत को ऊपर से हो चूमा और उसके बाद मैं अपने हाथों से उनके मस्त मोमे दबाने लगा। एक पल बाद ही मुझे उनका निप्पल कड़ा होता-सा महसूस हुआ।
अपनी उंगलियों से मैंने निप्पल को खींचा तो जूही भाभी कराह उठीं-आआह मेरे राजा धीरे ... बहुत दुख रहे हैं।
मैंने निप्पल को किस किया और फिर उनके होंठों को चूमा। मैंने पूछा-भाभी आपकी तबीयत कैसी है?
"जी खुद देख लो और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया। वह नग्न ही थी उनकी चुत एकदम सूजी हुई थी। मैंने प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया ..."
उसके नग्न पेट के निचले हिस्से पर अपना हाथ चलाते हुए अपने हाथ योनि पर ले गया मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी मैंने कांपते हुए मांस को अलग कर दिया; फिर, मैंने धीरे से उसके निचले होंठों को विभाजित किया और एक तेजतर्रार तर्जनी के भीतर डाला।
मेरे स्पर्श पर रानी जूही कराह उठी, लेकिन मुझे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। जैसे ही मेरी चुभती हुई उंगली उसके फांक में ऊपर की ओर उठी, अंतत: जब ऊँगली ने उसकी योनि के फटे हुए हिस्से की छुआ, उसने दर्द भरी एक छोटी-सी चीख दी और खुद को दूर खींचने का प्रयास किया। मैंने उसकी दर्द और विस्मय भरी प्रतिक्रिया देखते हुए अपनी उंगली वापस निकाल ली और उसके स्तनों और पेट के साथ खिलवाड़ किया, अपनी उंगलियों के बीच स्तनों के नरम सफेद मांस को सहलाने के बाद और उसके प्रहरी जैसे निपल्स को तब तक सहलाया जब तक कि कठोर नहीं हो गए।
तो रानी जूही बोली मेरे राजा, पहले मुझे चोदो ... फिर जैसा चाहे वैसा कर लेना ... लेकिन धीरे से चोदना ... ताकि दर्द न हो।
मेरे ढीले लण्ड में आहिस्ते-आहिस्ते आ रहा तनाव जूही की आँखों से छुप ना पाया। देखते ही देखते उनकी आँखों के सामने मेरा लण्ड अपने आप ही ठनक कर खड़ा हो गया। लण्ड के अर्ध उत्तेजित हो गया और लंडमुंड कि चमड़ी खुद ब खुद मुड़ कर पीछे खिसक गई और बड़ा-सा गुलाबी सुपाड़ा एकदम से बाहर निकल आया। मेरे लण्ड के मोटे सुपाड़े को यूँ एकदम नज़दीक से देखकर जूही के गाल शर्म से सुर्ख लाल हो गएँ और शर्मा कर उसने अपनी पलकें एक क्षण के लिए नीचे झुका ली, फिर मुस्कुराते हुए नज़रें वापस से उठाई!
मेरे स्पर्शों और दुलार ने मुझ पर उत्तेजक प्रभाव किया; मेरे अंदर के जोशीले आदमी ने अब महसूस किया कि मेरी भावनाएँ तेजी से उत्तेजित हो कर उभरती हुई अवस्था में उठ रही है। मेरा औजार पूरी तरह से सूज गया और नीली नसें गुलाबी सफेद सतह पर मजबूती से उभर गयी थीं, मैं अत्यधिक उत्तेजित ही गया और मेरा लंड पूरा कठोर हो गया। रानी जूही को अपने पास खींचते हुए मैंने अपने बोल्ड हाथों को सुंदर रानी की फिगर के ऊपर बेतरतीब ढंग से फिरा दिया।
"नीचे, रानी और नीचे उस वस्तु को महसूस करो जो इस आनद का कारण है," मैंने उससे कहा। मेरी नब्ज आपकी प्रेम की गुफा में धड़क रही है। "इसे मेरे लिए निचोड़ो और इसे वैसे ही उछलो जैसे तुमने कल किया था। अब आओ, सुंदरी।"
अपने प्रेमी की इच्छाओं के अनुपालन में, उसका हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया और उसने मेरे खड़े हुए अंग की विशाल चौड़ाई को हाथ में पकड़ने की कोशिश की और मेरे अंडकोषों को निचोड़ा और मालिश की जिससे मुझे कामुक संवेदनाओं का अनुभव हुआ।
"अद्भुत, शानदार" मैंने फुसफुसाते हुए अपने चेहरे को उसके निप्पलो और-कठोर स्तन में दबा दिया और अपने होठों के भीतर स्तन के एक कट्टर प्रहरी को घेर लिया। "
जूही ने अपनी नंगी टांगें फैला दी, अपना हाथ नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ा सुपडे पर हाथ फिर्या और दबाया और फिर लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया।
नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने तनिक देर भी और प्रतीक्षा किये बिना ही एक तेज धक्का लगाया और सूजा हुआ लंड मुंड तेजी से रानी जूही की जांघो के बीच उसकी योनि में गायब हो गया और फिर मेरी गेंदे और नंगी जाँघे उसकी नंगी जाँघों से ऐंठने वाले झटके में टकरा रहे थी।
मैंने धक्का मारा तो वह ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया।
वह मुझे और अधिक देना चाहती थी, अधिक प्राप्त करना चाहती थी, अधिक लेना चाहती थी और वास्तव मेंखुद को मेरे प्रति समर्पण करना चाहती थी। मैं उसे बिना रुके चोदता रहा अनवरत चुदाई से आनंदविभोर हुई जूही अब अपने नितंब उछाल-उछाल कर मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने लगी। मेरा अंडकोष फिर से वीर्य के गरम बुलबुलों से भर गया। चरमोत्कर्ष के अंतिम क्षणो में मैंने जूही को पूरी गति बढ़ा कर तेजी और पूरी शक्ति से चोदा और फिर जल्द ही जब पहला शॉट लंड से निकला और जूही जोर से चिल्ला पड़ी, "माँ! कुमार ने मुझे भर दिया है।"
मैं अब राजमाता के निर्देशों को लगभग भूल गया था। पहले शॉट के बाद, जिसके दौरान मेरा लिंग उसमें गहराई से समा गया था, मैं उस पर गिर पड़ा। ये जूही और मेरी पहली चुदाई की सुबह थी और फिर जूही की सुंदरता और योनि का कसाव पूरी तरह से अभिभूत कर देने वाला था। मैं उस पर लेट गया, उसके स्तन हमारे बीच दब गए और मेरा शरीर कांपने और ऐंठने लगा। मेरे वीर्य कई शॉट्स में निकला, कुछ कठोर, कुछ कमजोर, कुछ लम्बे और बहते हुए, अन्य मामूली ड्रिब्ल्स थे।
जूही ने मुझे सहलाया। वह मुस्कुराई और उसने महसूस किया कि मेरा प्रचुर वीर्य एक बार फिर उसके अंदर फैल गया है। काम तो हो गया, लेकिन उसे लगा अभी बहुत कुछ पूरा करना बाकी था।
उसने कुतरते हुए मेरे कान को चूमा। वह मेरे कान में फुसफुसाते हुए 'आयी लव यू' बोली और अपने कूल्हों और टांगो और बाजुओं को हिला कर मेरे शरीर को अपने आप में समेट लिया और दोनों चिपक कर लेट गए और मेरा लिंग उसकी योनि के अंदर ही था।
फिर कुछ देर बाद जैसे झटका लगा, हम दोनों के कंधे पर थपथपाया गया; मैंने आँखे खोल कर देखा तो सामने राजमाता थी। यह हमारे लिए अलग होने का संकेत था। हम दोनों और कस कर चिपक गए तो राजमाता ने पुनः थपथपाया और बोली कुमार उठो!
और देखो तो... इतनी निर्दयता से कोई किसी स्त्री को भोगता है क्या? "। राजमाता ने जूही कि कमर के नीचे नज़र दौड़ाते हुये कहा तो जूही को अपनी नग्नता का एहसास हुआ और लज्जावश अपनी टांगों को एक दूसरे से चिपका कर अपनी फटी हुई चूत को उनके मध्य दबा लिया। राजमाता आगे बोली।" ये पुरुष भी ना। परस्त्री के साथ संसर्ग कि ऐसी भी क्या अधीरता कि इतनी सुंदर योनि को क्षतविक्षत ही कर डाला? "
जूही ने एक हाथ से किसी प्रकार अपनी नंगी चूचियों को ढंका तो दूसरे हाथ से अपनी खुली हुई चूत को ढकने का प्रयास करने लगी। "मैं आऊँगी," रानी जूही मेरे कान में फुसफुसायी। और मुझे चूमने लगी । मैंने खुद को रानी से अलग किया जो अब कुंवारी नहीं है। हम दोनों नग्न थे, मेरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था, रानी का शरीर भी मेरे पसीने से भीगा हुआ था। या यह उसका था? शायद दोनों का था।
जैसे ही उसने खुद को ऊपर उठाया, राजमाता ने अपने हाथ से मेरे लिंग को पकड़ लिया जी उसकी योनि के अंदर ही था और उसे देखकर मुस्कुरायी। मेरा हथियार ने कोई कठोरता नहीं खोई थी, वास्तव में यह फिर से कठोर हो गया था।
"हे भगवान!" रानी जूही फुसफुसाई मेरे स्तम्भन को राजमाता ने सहलाया। "उम्मम्म!" स्पर्श से रोमांच महसूस करते हुए रानी जूही कराह उठी।
तभी महाराजा और राजमाता के पीछे से दौड़ती हुई रानी जूही की प्रमुख अनुचर और सखी नैना ने कक्ष में प्रवेश किया। उसके के हाथों में एक ओढने के लिए उपयोग कि जाने वाली बड़ी-सी चादर थी। दौड़ कर बिस्तर तक पहुँची और अपने हाथों में लिए चादर को नंगी जूही के ऊपर और-और एक धोती को मेरे ऊपर फेंक दिया। जूही और मैंने तुरंत उस चादर अपने शरीर पर खींच कर समेट लिया और खुद को पूरी तरह से ढंकते हुए अपना सिर नीचे झुका लिया।
राजमाता ने अपनी बहू के नाजुक स्तनों को ढंग से ढँक दिया और महाराज ने मुझे धोती पकड़ा दी।
मैं इशारा समझ गया और उठ खड़ा हुआ।
रानी जूही ने बेशर्मी से अपना हाथ मेरी टांगो के बीच में नीचे खिसका दिया और तर्जनी और मध्यमा उंगली से मेरे कड़े औजार की मोटाई को मापा।
"वास्तव में," जूही फुसफुसायी। "देखो माँ! वह हमेशा की तरह सख्त और मोटा है," उसने कहा, उसकी आवाज प्रशंसा से भरी हुई थी।
"कुमार अब आप जाओ!" राजमाता ने तेजी से आदेश दिया इस बीच उनकी निगाहें अपनी बहू की योनी से फिसलते हुए सह-लेपित लिंग पर टिकी हुई थीं। "भाग्यशाली कुतिया," उसने अपने बेटे की पत्नी के बारे में सोचा। जब मैंने "जी राजमाता!" बोल कर आदेश का जवाब दिया, तब तक दोनों महिलाओं ने अपने विवेक को त्याग दिया था और उनकी निगाहें मेरे कठोर लंड पर टिकी रहीं, क्योंकि उस समय मैं कमरे में इधर-उधर घूम का अपने वस्त्र एकत्रित कर रहा था।
रानी जूही ने अपनी उँगलियों को ढीला कर दिया और लंड धीरे से उनके हाथ से फिसल गया। राजमाता ने उस रात में मेरी 'उपलब्धता' के बारे में सोचते हुए मेरे लंड को एकटक देखती रही। जैसे ही उन्होंने अचंभित देखा मैंने लंड को धोती में ढक लिया और झटपट कमर में धोती लपेटकर रीति के अनुसार, पीछे हटाता हुआ कक्ष से बाहर चला गया और इस बीच कभी भी उनकी ओर पीठ नहीं की।
सास-बहू ने अंतिम क्षण तक मेरी टांगों के बीच मेरे अकड़े हुए लिंग का धोती बाँधे जाने के दृश्य का पूरा आनंद लिया।
अगर संसेचन सफल रहा तो ये अब रानी माँ का काम था कि वह राज्य के वारिस के वाहक की संरक्षक हो और देखभाल को व्यवस्था करे। उन दोनों के द्वारा देखे गए पौरुष और ऊर्जावान प्रदर्शन के अनुसार यह प्रयोग सफल रहा था और उन्हें महाराज ने बधाई दी।
महाराज ने उसके बाद डॉक्टर को और रोजी को बुलवाया और जूही की जांच करने की आज्ञा दी ।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार