12-03-2023, 04:15 AM
अध्याय १a
उस दिन शाम से लेकर देर रात तक काफी बारिश होती रही लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी| क्योंकि मैं एक बैंक के कॉल सेंटर में काम करती थी लेकिन सेल्स टारगेट नहीं बना कर पा रही थी, इसलिए आज करीब 10 दिन हो गए जो मेरी नौकरी छूट गई थी|
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम डिजनी हॉटस्टार मैं कितने दिन तक देखूं?
अकेले-अकेले घर बैठे मुझे काफी गुस्सा आ रहा था, हमारे घर में पैसों की कमी नहीं है| मेरे पति मर्चेंट नेवी में काम करते हैं- साल या 6 महीने में सिर्फ 10-15 दिनों के लिए ही घर आते हैं इसलिए मैंने फैसला किया था कि मैं भी कोई नौकरी करूं|
काम मिला, तो वह भी एक विदेशी बैंक में और वह थी कॉल सेंटर की नौकरी... अब तो वह भी छूट गई है|
मैंने घड़ी देखी- सुबह के 5:45 बज रहे थे- अकेले-अकेले घर बैठे अच्छा नहीं लग रहा था|खुली खिड़की से ठंडी हवाओं के झोंके मानो मेरी अकेलेपन की आग को मानो बहुत ज़्यादा भड़का कर मेरा बदन झुलसा रहे थे; इसलिए मैंने फैसला किया कि बाहर थोड़ा घूम कर आऊं| नानी कहां करती थी, सूरज उगने से पहले या फिर सूरज डूबने के बाद लड़कियों को खुले बालों में बाहर नहीं निकलना चाहिए| इसकी जैसे तैसे मैंने अपने बालों में एक जुड़ा बनाया और फिर अपना नाईट सूट उतार कर सलवार कमीज पहनी और बाहर निकल पड़ी|
निकलते वक्त मैंने देखा कि बिल्डिंग का चौकीदार खर्राटे मार कर सो रहा था... बेचारा सोता है तो सोने दो|
मुझे नहीं मालूम कि मैं कितनी देर तक इधर-उधर ऐसे ही घूमती रही.. मेरे दिमाग में तरह-तरह की ख्याल आ रहे थे... लेकिन मेरा ध्यान तब जा कर टूटा जब मेरे पैरों से कोई चीज टकराई|
मैं एकदम से रुक गई और मैं नीचे झुक के देखा कि मेरे पैरों के पास एक ब्राउन रंग का लिफाफा पढ़ा हुआ था| मैं अपने आप को रोक नहीं पाई मैंने लिफाफा उठाया और उसके बाद उसे खोलकर देखा- और जो मैंने देखा उसे देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई... लिफाफा काफी मोटा और भारी था और उसके अंदर ₹2000 और ₹500 के नोट भरे हुए थे|
जब मैं कॉल सेंटर की नौकरी कर रही थी तब पैसे अच्छे मिलते थे.... मेरा बैंक बैलेंस भी अच्छा था--- लेकिन यह तो मुफ्त के पैसे हैं... मैंने एक बार इधर उधर देखा और फिर ज्यादा दिमागी कसरत किए बगैर पैकेट उठा लिया और मैंने उसे अपनी कमीज की जेब में डाल कर थोड़ा तेज कदमों से अपने फ्लैट की तरफ बढ़ने लगी|
घर जाकर मैंने सबसे पहले उस लिफाफे को कपड़ों की अलमारी खोलकर एकदम पीछे की तरफ छुपा दिया और उसके बाद एक लंबी सी राहत की सांस लेने के बाद अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ नाइटी पहनकर बिस्तर पर लेट गई---
कॉलिंग बेल की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली दूध वाला आया हुआ था... उसके बगल में मेरी कामवाली गोपा मौसी खड़ी हुई... और अखबार वाला लड़का भी सीढ़ियों से चढ़ता हुआ मुझे दिख गया|
गोपा मौसी ने कहा, "हम लोग करीब आधे घंटे से घंटी बजा रहे हैं... तुम इतना भी क्या सो रही है थी?"
मैंने कुछ नहीं कहा| मैंने दूध वाले दूध लिया और फिर अपने कमरे में चली गई...
गोपा मौसी को मालूम था की घर में क्या काम करना है, घर में झाड़ू लगाना पोछा लगाना उसके बाद बर्तन धोना... उसके बाद खाना बनाना...
थोड़ी ही देर में गोपा मौसी मेरे लिए चाय की प्याली लेकर आई और फिर मुझसे कहने लगी, " तुम रात भर सोई नहीं थी क्या? और दूध वाले के सामने ऐसे कैसे चली गई थी? तुमने तो अंदर कुछ नहीं पहन रखा था... तुम्हारी दुदुओं (स्तनों) की चूचियाँ नाइटी के नीचे से साफ-साफ उभर रही थी... और दूधवाला आंखें फाड़ फाड़ कर तुमको देख रहा था... मैं तुम्हारे घर काम करने आती हूं.. लेकिन तुम एक जवान लड़की हो, थोड़ा सा तो लिहाज किया करो… और वैसे भी जब तुम कॉल सेंटर में काम करती थी तब कभी कबार तो तुम बहुत ही टाइट टाइट गंजी (T-Shirt) और जींस पहन के जाया करती थी... मुझे तुम्हारी काफी फिक्र लगी रही थी... क्योंकि शायद तुम नहीं जानती कि यहां कितने लोगों की नजरें तुम पर है... जरा सोचो- जब तक दूधवाला तुम्हें सुबह देख नहीं लेता, मुझे ऐसा लगता है कि उसका रात का खाना हजम नहीं होता... और आज तो तुम उनके सामने ऐसे ही चली गई कि दूध वाले की बांछें ही खिल गई और अखबार वाला भी अपने सड़े हुए दांतो को ताड़ कर मुस्कुरा रहा था..."
क्रमशः
उस दिन शाम से लेकर देर रात तक काफी बारिश होती रही लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी| क्योंकि मैं एक बैंक के कॉल सेंटर में काम करती थी लेकिन सेल्स टारगेट नहीं बना कर पा रही थी, इसलिए आज करीब 10 दिन हो गए जो मेरी नौकरी छूट गई थी|
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम डिजनी हॉटस्टार मैं कितने दिन तक देखूं?
अकेले-अकेले घर बैठे मुझे काफी गुस्सा आ रहा था, हमारे घर में पैसों की कमी नहीं है| मेरे पति मर्चेंट नेवी में काम करते हैं- साल या 6 महीने में सिर्फ 10-15 दिनों के लिए ही घर आते हैं इसलिए मैंने फैसला किया था कि मैं भी कोई नौकरी करूं|
काम मिला, तो वह भी एक विदेशी बैंक में और वह थी कॉल सेंटर की नौकरी... अब तो वह भी छूट गई है|
मैंने घड़ी देखी- सुबह के 5:45 बज रहे थे- अकेले-अकेले घर बैठे अच्छा नहीं लग रहा था|खुली खिड़की से ठंडी हवाओं के झोंके मानो मेरी अकेलेपन की आग को मानो बहुत ज़्यादा भड़का कर मेरा बदन झुलसा रहे थे; इसलिए मैंने फैसला किया कि बाहर थोड़ा घूम कर आऊं| नानी कहां करती थी, सूरज उगने से पहले या फिर सूरज डूबने के बाद लड़कियों को खुले बालों में बाहर नहीं निकलना चाहिए| इसकी जैसे तैसे मैंने अपने बालों में एक जुड़ा बनाया और फिर अपना नाईट सूट उतार कर सलवार कमीज पहनी और बाहर निकल पड़ी|
निकलते वक्त मैंने देखा कि बिल्डिंग का चौकीदार खर्राटे मार कर सो रहा था... बेचारा सोता है तो सोने दो|
मुझे नहीं मालूम कि मैं कितनी देर तक इधर-उधर ऐसे ही घूमती रही.. मेरे दिमाग में तरह-तरह की ख्याल आ रहे थे... लेकिन मेरा ध्यान तब जा कर टूटा जब मेरे पैरों से कोई चीज टकराई|
मैं एकदम से रुक गई और मैं नीचे झुक के देखा कि मेरे पैरों के पास एक ब्राउन रंग का लिफाफा पढ़ा हुआ था| मैं अपने आप को रोक नहीं पाई मैंने लिफाफा उठाया और उसके बाद उसे खोलकर देखा- और जो मैंने देखा उसे देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई... लिफाफा काफी मोटा और भारी था और उसके अंदर ₹2000 और ₹500 के नोट भरे हुए थे|
जब मैं कॉल सेंटर की नौकरी कर रही थी तब पैसे अच्छे मिलते थे.... मेरा बैंक बैलेंस भी अच्छा था--- लेकिन यह तो मुफ्त के पैसे हैं... मैंने एक बार इधर उधर देखा और फिर ज्यादा दिमागी कसरत किए बगैर पैकेट उठा लिया और मैंने उसे अपनी कमीज की जेब में डाल कर थोड़ा तेज कदमों से अपने फ्लैट की तरफ बढ़ने लगी|
घर जाकर मैंने सबसे पहले उस लिफाफे को कपड़ों की अलमारी खोलकर एकदम पीछे की तरफ छुपा दिया और उसके बाद एक लंबी सी राहत की सांस लेने के बाद अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ नाइटी पहनकर बिस्तर पर लेट गई---
*** टिंग टोंग टिंग टोंग टिंग टोंग ***
कॉलिंग बेल की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली दूध वाला आया हुआ था... उसके बगल में मेरी कामवाली गोपा मौसी खड़ी हुई... और अखबार वाला लड़का भी सीढ़ियों से चढ़ता हुआ मुझे दिख गया|
गोपा मौसी ने कहा, "हम लोग करीब आधे घंटे से घंटी बजा रहे हैं... तुम इतना भी क्या सो रही है थी?"
मैंने कुछ नहीं कहा| मैंने दूध वाले दूध लिया और फिर अपने कमरे में चली गई...
गोपा मौसी को मालूम था की घर में क्या काम करना है, घर में झाड़ू लगाना पोछा लगाना उसके बाद बर्तन धोना... उसके बाद खाना बनाना...
थोड़ी ही देर में गोपा मौसी मेरे लिए चाय की प्याली लेकर आई और फिर मुझसे कहने लगी, " तुम रात भर सोई नहीं थी क्या? और दूध वाले के सामने ऐसे कैसे चली गई थी? तुमने तो अंदर कुछ नहीं पहन रखा था... तुम्हारी दुदुओं (स्तनों) की चूचियाँ नाइटी के नीचे से साफ-साफ उभर रही थी... और दूधवाला आंखें फाड़ फाड़ कर तुमको देख रहा था... मैं तुम्हारे घर काम करने आती हूं.. लेकिन तुम एक जवान लड़की हो, थोड़ा सा तो लिहाज किया करो… और वैसे भी जब तुम कॉल सेंटर में काम करती थी तब कभी कबार तो तुम बहुत ही टाइट टाइट गंजी (T-Shirt) और जींस पहन के जाया करती थी... मुझे तुम्हारी काफी फिक्र लगी रही थी... क्योंकि शायद तुम नहीं जानती कि यहां कितने लोगों की नजरें तुम पर है... जरा सोचो- जब तक दूधवाला तुम्हें सुबह देख नहीं लेता, मुझे ऐसा लगता है कि उसका रात का खाना हजम नहीं होता... और आज तो तुम उनके सामने ऐसे ही चली गई कि दूध वाले की बांछें ही खिल गई और अखबार वाला भी अपने सड़े हुए दांतो को ताड़ कर मुस्कुरा रहा था..."
क्रमशः
*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া