Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy छोटी छोटी कहानियां
#8
अब्दुल और रजाक को राजिया का प्यार मिला। अब दोनो सिर्फ राजिया की चाहत में थे। राजिया ने दिल से ये फैसला किया की अब वो उन दोनो के साथ ही रहेगी। दोनो से मिल रहे प्यार से वो खुश थी। 

      रात का सन्नाटा और बारिश के थम जाना। अब्दुल और राजिया निर्वस्त्र लेते हुए थे। अब्दुल राजिया के चेहरे को सहलाते हुए कहा "आज तो जैसे मजा आ गया। वैसे राजिया तुम्हारा एक एक अंग जैसे खजाना। वैसे एक बात पूछूं?"

"हां पूछो।"

"हम दोनो में से किसके साथ अच्छा लगा ?"

"इस बात का जवाब थोड़ा सा लंबा है। सुनना चाहेंगे।"

अब्दुल राजिया के स्तन को चूमते हुए कहा "के भी दो जानेमन। कही फिर से शुरू ना हो जाऊं मैं।"

"तो फिर सुनो। तुम एक प्यासे प्रेमी हो। जब तुम मेरे शरीर को चूम रहे थे, तो खुद को काबू करना मेरे लिए आसान नहीं था। जी कर रहा था की सारी हदें पार कर लूं। फिर तुम्हारे प्यार करने का तरीका भी थोड़ा जालिम है।"

"वो कैसे ?"

"जब तुम धीरे धीरे मेरे बदन को चाटते हो तो इतनी बिजली शरीर में दौड़ती है को जान निकल जाती है। लेकिन सच में अब्दुल तुम मुझे प्यार भी देते हो।"

"और मेरे भाई रजाक का क्या खयाल है।"

"माफ करना अब्दुल लेकिन रजाक को एक अदा है। वो जैसे एक जवान आशिक की तरह मेरे बदन के साथ खेलता है। मेरे नीतम में जब अपना लिंग डालते है तो मैं पागल हो जाती हूं। रजाक को में बहुत ज्यादा प्यार करती हूं। तुम्हे बूरा तो नही लगा न ?"

अब्दुल राजिया को बाहों में भरते हुए "बिलकुल भी नही। बस ऐसे ही हम दोनो की इच्छा पूरी करो। हम दोनो ने बरसो से खुशी को महसूस नहीं किया। अब जल्दी से उठो और मेरे नहाने का इंतजाम करो। चलो जल्दी करो।"

      राजिया ने पानी गरम किया और स्नानघर में रखा। अब्दुल भी वहां आया और कहा "राजिया आज तुमसे एक बात कहूं ?"

"हां बोलो ना।"

"वैसे रजाक मेरा भाई नही है।"

"तो फिर कौन है वो ?"

"दरअसल हम बचपन के दोस्त है। हमारा परिवार सब अलग है। लेकिन गरीबी की वजह से रजाक का परिवार कभी बसा नही और मेरा बसा हुआ परिवार मुझे छोड़कर चला गया। तभी से हम दोनो साथ में भाई की तरह रहते है।"

"आपका परिवार कहा है ?"

"मुंबई में मुझसे दूर। अब वो कभी वापिस नही आयेंगे।" इतना कहकर अब्दुल रोने लगा। 

राजिया अब्दुल को गले लगाते हुए "कोई जरूरत नहीं है हम इस दुनिया कि। मै हूं ना। दोनो को इतना प्यार करूंगी की को प्यार तुम्हे बरसो से खुद से दूर रखा वो प्यार तुम्हारी बची हुई जिंदगी को बनाएगी।"

अब्दुल राजिया के होठ को चूमते हुए "अब बस राजिया हमेशा के लिए यहां बस जाओ। दुनिया को हमारे नामू निशान ना मिले।"

"अब चलो नहाने वरना पानी ठंडा हो जाएगा।"

राजिया बाहर जानेवाली थी कि अब्दुल ने उसका हाथ पकड़ा और बोला "आज साथ में नहाएंगे। आओ मेरी जान मेरी बाहों में।"

"तुम लगता है मुझे ऐसे ही पागल कर दोगे। चलो अब्दुल ले लो मुझे बाहों में।"

अब्दुल ने पानी के एक मग को राजिया के बदन पे डालने लगा। गरम पानी से राजिया को अच्छा लगने लगा। 

"सिर्फ पानी ही डालोगे या फिर इस बदन के साथ कुछ करोगे।"

अब्दुल राजिया के नाभी को चाटने लगा और बोला "तुम्हारा बदन इतना कामुक है की मन नहीं भरता। ओह मेरी राजिया जरा मेरे शरीर को भी गर्माहट दो।"

राजिया ने अब्दुल के लिंग को पकड़ा और मुंह में डालकर हिलाने लगी।

"आह मजा आ रहा है।" काफी देर बाद आखिर में अब्दुल झड़ गया। दोनो ने साथ में स्नान किया। अब्दुल राजिया के बदन को पोछते हुए कहा "तुम यहां रहो मैं रजाक के पास। आज क्यों न उसके साथ थोड़ा मजा किया जाए।"

"क्या करेंगे हम ?" राजिया ने पूछा। 

अब्दुल राजिया के कान पे सब बताया। राजिया सीधा रजाक के कमरे में गई। देखा तो रजाक था ही नही। अब्दुल ने फिर बताया कि बाहर नलके के पास एक और बाथरूम है। वहां नहा रहा होगा।

"ठीक है फिर में वहा जाती हूं।" 

अब्दुल राजिया को कहा "आज ब्रा में जाओ। जरा उसे भी अपना जलवा दिखाओ।"

"हां आज तो रजाक को खैर नहीं।"

राजिया बाहर गई तो देखा की बाथरूम का दरवाजा खुला था। रजाक नहा चुका था और बदन को पोंछ रहा था। रजाक को नजर राजिया पे गौ जो बाजार ब्रा और कमीज में खड़ी थी। 

"तुम ? चलो जाओ अंदर और मेरे आने का इंतजार करो।" रजाक ने कहा। 

अब रजाक अपने कपड़े लेने जाए उससे पहले ही राजिया ने कपड़े चीन लिए। 

"ये क्या मजाक है राजिया मेरे कपड़े दो।"

"ऐसे नही मिलेगा आओ ले जाओ।" राजिया इतना कहकर दौड़ने लगी और घर की तरफ गई। 

"सुनो राजिया। मजाक मत करो। सुनो भी। चलो रूक भी जाओ।" रजाक राजिया के पीछे दौड़ते हुए अंदर आया। देखा तो अब्दुल और राजिया सामने खड़े खड़े हंस रहे थे।

"ओह तो ये दोनो को बदमाशी है। नालायको। राजिया मेरा कपड़ा दो।"

राजिया ने हाथ आगे बढाया जिसमे कपड़े थे। रजाक आगे बढ़ा और हाथ से लेने गया को इतने में राजिया ने कपड़े को पानी से भरी बाल्टी में फेक दिया। कपड़े गीले हो गए। 

"ये क्या ? मेरे कपड़े ?"

राजिया हस्ते हुए बोली "आज भी नंगे रहो। समझे।" 

"देखो राजिया ये बदमाशी सही नही।" रजाक ने कहा। 

"जो भी हो। मुझे ये अब्दुल ने कहा ऐसा करने को। चलो अब तुम्हारी फूटी किस्मत।  चलो अब्दुल मेरा कपड़ा वापिस करो।"

"हां हां जरूर करता हूं।" अब्दुल ने राजिया के कपड़े पानी में फेक दिए। 

"बदमाश अब्दुल मेरे कपड़े खराब कर दिए ?" राजिया चिल्लाई।

रजाक हंसने लगा और बोला "अब तुम भी बिना कपड़े की।"

राजिया रजाक से सीने से लिपटकर बोली "दिल्ली ने रजाक तुम्हारी राजिया के साथ धोखा किए इस अब्दुल ने। हम दोनो के कपड़े खराब करके हंस रहा है।"

"लेकिन अब नही हंसेगा।" इतना कहकर राजिया ने पानी को बाल्टी उठाई और अब्दुल के ऊपर फेक दिया। अब्दुल पूरी तरह से गीला हो गया और अब उसके कपड़े भी खराब। 

"कमीनें मेरे कपड़े खराब किए।" 

     तीनों हंसने लगे। 

"अब हम तीनो क्या आज बिना कपड़े के रहेंगे ?" राजिया ने पूछा। 

"हां और अब इस राजिया ने हमारे कपड़े खराब किए। क्या बोलता है रजाक क्या करे इसका ?"

"इसको सजा मिलेगी।" रजाक ने कहा। 

"कौन सी सजा ?" राजिया ने पूछा। 

"अभी बताते है।" रजाक और अब्दुल आगे बढ़े और राजिया को उठा लिया। दोनो राजिया को बिस्तर पे गिरा दिया।दोनो  राजिया के बगल लेट जाएं राजिया दोनो बुड्ढे के बीच लेटी हुई थी।

"क्या बोलता है रजाक अब सजा दे इसे ?"

"हां। सबसे पहले अब्दुल मैं दूंगा इसे सजा।" इतना कहकर रजाक ने राजिया को होठ को चूमा। 

"अरे रजाक ये कोई सजा हुई ? इसे तो मैं सजा दूंगा।" इतना कहकर अब्दुल ने राजिया के ब्रा की स्ट्रिप खोल दी और कहा "अगली सजा तेरी तरफ से रजाक।"

"हां रजाक मुझे सजा दो। मैं तुम्हारी दोषी हूं।" राजिया हंसते हुए बोली। 

रजाक हल्के से राजिया के कंधे को चाटने लगा और फिर अपने हाथ से स्तन को दबाने लगा।"

"आह रजाक मुझे सजा दो। आह मजा आ रहा है।"

तीनों हंसने लगे और फिर अब्दुल नज़ाने क्यों रो पड़ा। 

"क्या हुआ अब्दुल ? तुम रो क्यों रहे हो ? ये आंसू क्यों ?"

"ये तो खुशी के आंसू है। कितने दिनों बाद आज खुलकर हंसे है ना हम रजाक ?"

"हां अब्दुल आज कितना अच्छा लग रहा है।" रजाक ने कहा।

"सच कहूं रजाक हमे एक नई  जिंदगी दी है राजिया ने । अगर ये ना होती तो कितना मुश्किल हो गया था मेरा जीना। मेरे लिए रजाक तू इसे लाया। दोस्त तेरा एहसान नहीं भूलूंगा। तू दोस्त जरूर है लेकिन भाई से कम नहीं।"

"देखो अगर पुरानी जिंदगी के बारे में अभी भी बात कर रहे हो तो में यहां से जा रही हूं।" राजिया ने कहा। 

"नही राजिया तुम क्यों जा रही हो।"

"देखो मेरे साथ रहना है तो पूरानी जिंदगी को भूल जाओ। सच्चाई ये है की अब में आ गई। तुम्हारी हमसफर। अब ये रोना धोना है या फिर मुझे प्यार ?"

रजाक राजिया के स्तन को दबाते हुए कहा "प्यार तो जमके करेंगे। चल अब्दुल आज राजिया को दिखा दे की प्यार हम कैसे करेंगे।"

दोनो ने एक साथ राजिया के हाथ ऊपर किए और गोरे बगल को चाटने लगे। फिर एक एक ने स्तनपान किया। अब्दुल स्तन चूस रहा था तो रजाक योनि चूस रहा था। राजिया इतना अच्छा महसूस कर रही थी की उसकी खुशी का ठिकाना नहीं। दोनो पैरो को फैलाकर योनि का आनंद ले रहा था रजाक। 

"राजिया क्या इस स्तन में दूध नहीं है ?" अब्दुल ने पूछा।

"अरे बेवकूफ ये मां थोड़ी ना बनी है।" 

मां का नाम सुनकर राजिया की बरसो से  एक इच्छा। वापिस जागी। उसे निकाह करके घर बसाना था और बच्चे की मां बनाकर एक अच्छी जिंदगी गुजारने की इच्छा थी। राजिया ने सोचा की क्यों न दोनो में से किसी एक से निकाह करके सुखी जीवन बसाए।

रजाक ने लिंग डाला राजिया के योनि में और अब्दुल ने नितम में लिंग डाला। दोनो काले बूढ़ों के बीच गोरी जवान राजिया रजाक की आंखों में आंखे डालकर देख रही थी। दोनो की आंखे मिली। दोनो एक दूसरे की आंखों में खोए हुए थे। मोहोब्बत की आग तीनों में लगी हुई थी। प्यार के खेल को पूरा करके तीनों नग्न अवस्था में सोए हुए थे। 

     देखते देखते शाम हुई और राजिया ने खाना बनाया तीनों ने साथ में खाना खाया। दोनो बुड्ढे देख रहे थे कि राजिया किसी विचार में थी।

"अरे राजिया किस विचार में पड़ी हुई है ?" रजाक ने पूछा। 

"हां एक बात के बारे में सोच रही हूं।" 

"बोल क्या सोच रही है ?" अब्दुल ने कहा। 

"पता नही जब रजाक ने मां बनानेवाली बात कही तो मुझे अपनी पूरानी इच्छा याद आई।"

"कौन सी इच्छा ?" रजाक ने पूछा। 

"देखिए आप दोनो को अपनी पूरानी इच्छा की बात कहूं तो मेरी इच्छा थी एक परिवार। मेरा निकाह हो और मेरे भी बच्चे हो। परिवार सुखी रहे और बड़ा भी रहे। "

"परिवार का सुख तो बस एक सपना है। जो मेरा तो पूरा नहीं हुआ।" रजाक ने कहा। 

"सच कहूं तो परिवार से मेरा विश्वास उठ गया।" अब्दुल ने कहा ।

"ऐसा मत कहो। मेरा कोई नही थम सिवाय अम्मी के। मुझे भी एक बड़े से परिवार के साथ जीने की तमन्ना है।"

"तो तुम ही बताओ। क्या चाहती हो ?" अब्दुल ने पूछा। 

"क्या मुझसे कोई निकाह करेगा ?" 

"तुमसे निकाह कौन नही करना चाहता ? तुम हो ही इतनी खूबसूरत। तुम बताओ किस्से निकाह करोगी।"

"मुझे आप दोनो में से किसी एक से निकाह करना है।"

अब्दुल हंस पड़ा और बोला "हम बुड्ढे हो गए है भला अब क्या निकाह करेंगे ?"

"मेरे लिए इतना नही कर सकते ? क्या मेरी इच्छा पूरी नहीं करेंगे आप दोनो ?"

"अरे तो बोल ना तू किस्से करेगी निकाह ?" अब्दुल ने पूछा। 

"सच कहूं तो मैं रजाक से निकाह करूंगी।"

"मुझसे क्यों ?"

"क्योंकि मेरी तरह आपका भी कभी कोई परिवार नही हुआ। इसीलिए मुझे रजाक से निकाह करना है। रजाक क्या आप मूझसे निकाह करेंगे ?"

"क्या तुम निकाह के बाद अब्दुल को प्यार करोगी ?" रजाक ने पूछा। 

"मेरी जान है आप दोनो। आप दोनो से प्यार में मरते दम तक करूंगी।"

"तो फिर मुझे निकाह का प्रस्ताव मंजूर है। देखो राजिया अब्दुल मेरा सच्चा दोस्त है। मेरे साथ अगर अब्दुल भी तुम्हारे साथ रहे तो हम तीनो एक दूसरे के सुख दुख के साथी बन पाएंगे।"

"तो मेरे यार कब करोगे निकाह ?"

"कल ही करेंगे। मस्जिद जाकर निकाह कल ही करेंगे।" राजिया ने कहा। 

       उसी रात राजिया रजाक को लेकर अपने घर गई और अपने अम्मी के साथ निकाह की बात की। अम्मी ने सबसे पहले एतराज जताया क्योंकि रजाक बहुत ही ज्यादा बुड्ढा था और तो और राजिया के दादा के उमर का। लेकिन राजिया ने उनको समझाया और आखिर में अम्मी को बात माननी पड़ी। अम्मी मानेगी क्योंकि उसे कभी परिवार का सुख नही मिला। राजिया किसकी औलाद है वो उसे पता है लेकिन इसका असली पिता समाज के से उसे स्वीकार नहीं। वैसे उसका असली पिता कौन है ये आपको आगे पता चलेगा। 

       राजिया की अम्मी चाहती थी की उसका संसार बसे और राजिया को खुश देखकर वो भी खुश। राजिया की अम्मी ने खुशी खुशी रजाक को अपना दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया। बेनज़ीर आखिर में अपनी बेटी के लिए बहुत खुश थी। 

"राजिया जरा बाहर जाना। मुझे रजाक से अकेले में बात करनी है।"

"ठीक है अम्मीजान।"

रजाक और बेनजीर अकेले थे। 

"रजाक में जानती हूं कि आप मुझसे कमसे कम 15 साल बड़े है। राजिया से तो पूरे 44 साल बड़े है। लेकिन क्या आप उनसे खुश रख पाएंगे ?"

"अल्लाह की कसम में पूरी कोशिश करूंगा।"

"बात कोशिश की नही रजाक। आप बस खुश रखे। मेरी बात माने दुनिया इस निकाह को सही नही मानेगी। आप क्यों न निकाह के बाद राजिया को दूर लेकर चले जाएं।"

"मैं भी यही सोच रहा था। सोच रहा हूं अजमेर चला जाऊं।"

"वहां कोई है आपका ?"

"हां मेरा एक भाई रहता है और वहां मेरी कुछ जमीन भी है।"

"अरे वाह फिर तो ये सही है। लेकिन वहां लोग ?"

"चिंता मत करिए वहां दूर दूर तक कोई नही रहता। जिस जमीन में मेरा मकान है वहां कोई खास लोग नही रहते।"

"तो रजाक मियां अब निकाह की तैयारी करिए । बहुत जल्द अब हमारी बेटी आपकी हो जाएगी।" दोनो हंसने लगे।

"वहां बाहर बरामदे में अब्दुल और राजिया एक दूसरे को चूम रहे थे। 

"सिर्फ कल की बात है जानेमन फिर तो पूरी तरह से तुम हमारी और हम जो चाहे वो कर सकते है।" अब्दुल ने कहा। 

"सही कहां अब्दुल। अल्लाह जल्द से जल्द कल का दिन लाए और उसके बाद मेरी और रजाक की पहली रात होगी। जहां मेरा शौहर मुझसे जी भरके अपना प्यार बरसाएगा।"

"और मेरा क्या ?"

"सुहागरात में सिर्फ रजाक। क्योंकि आखिर निकाह उससे ही हुआ है।"

"लगता है मेरे जाने का वक्त आ गया।" अब्दुल ने हताश होकर बोला। 

"उसके अगले दिन सिर्फ तुम मेरे साथ और कोई नही। फिर अपनी इस जानेमन के साथ जो करना चाओ कर लेना।"

"तुम्हे तो पूरे दिन bra में रखूंगा। अब छोड़ो ये सब और जल्दी से मेरे मुंह मीठा कर दो।"

राजिया ने अब्दुल के होठ को चूमा। अपनी जुबान उसके मुंह में डालकर अब्दुल के जुबान के साथ खेलने लगी।  थोड़ी ही देर में रजाक और बेनजीर के आने की आवाज आई। 

"अब्दुलजी रूक जाए। अम्मीजान आ रही है।"

"हां राजिया। अभी तो अम्मी आ गई कल कौन आएगा ? फिर कौन बचाएगा तुमको मुझसे ?"

दोनो वापिस आए और अपना फैसला सुनाया। 

"लेकिन अजमेर में हम करेंगे क्या ?" राजिया ने पूछा। 

"सुनो राजिया वैसे तो तुम कॉलेज तक पढ़ चुकी हो। अजमेर से थोड़े दुर जहां रजाक का घर है वहां एक कॉलेज है। वहां तुम पढ़ा सकती हो।" बेनज़ीर ने कहा। 

"और तो और वहां एक मदरसा भी है जिसमे अब्दुल बच्चो को पढ़ा सकता है और मैकू और नौकरी कर लूंगा।"

"वैसे बात तो सही है लेकिन अब्दुल की जमीन का क्या ?"

"वो मैं बेच दूंगा। वैसे भी मेरा तुम दोनो के अलावा और है कौन ?"

"तो बात खतम कल मस्जिद में दोनो का निकाह होगा और कुछ दिनों में तीनो अजमेर चले जाना।"

      अगले दिन सुबह रजाक और राजिया ने मस्जिद में निकाह कर लिया। कुछ दिनों तक तीनो में बहुत प्यार चला। अगले महीने अब्दुल ने अपनी जमीन का सौदा कर लिया और तीनो अजमेर चले जाएं अजमेर से करीब १०० किलोमीटर दूर रजाक का गांव था। ये गांव अजमेर जिला का हिस्सा है। गांव में बहुत कम लोग रहते है और रजाक का घर लोगो से दूर एक जंगल के पास है। उसके आस पास की कुछ जमीन  उसकी हैं । 

    तीनों अब वहां रहने लगे। तय अनुसार राजिया एक दिन रजाक के साथ तो दोसर दिन अब्दुल के साथ। तीनों के प्यार बेशुमार रहा। राजिया कॉलेज में टीचर बन गई। सुबह ८ बजे कॉलेज जाती और दोपहर १२ बजे घर। उसी कॉलेज में रजाक को हिसाब किताब की नौकरी मिली। और रही बात अब्दुल की चार घंटे मदरसे में जाकर पढ़ाता। तीनों को अच्छी तंखा भी मिल जाती। ऐसे ही एक साल बीत गया। राजिया ने रजाक के बेटे को जन्म दिया। बेटे का नाम यूसुफ रखा गया। तीनों की जिंदगी खूब अच्छी काटने लगी। 

     लेकिन ये कहानी का अंत है ? नही कहानी अब आगे बढ़ेगी एक मोड़ के साथ जो आपके आगे जाकर पता चलेगा।
[+] 1 user Likes Basic's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: छोटी छोटी कहानियां - by Basic - 11-03-2023, 02:50 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)