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Adultery रेलयात्रा मां-बाबा और मैं (समाप्त)
#2
उस घटना ने मुझे और मां को बोहोत बदल दिया था । मां के माइके सिर्फ बूढ़ी नानी थी मामा थे मगर वो दूसरी जगह रहते थे अपने परिवार के साथ । मैंने 12 वी कर लिया और कॉलेज जाने लगा और उम्र से ज्यादा समझदार बन गया । मां और नानी अंडरगारमेंट की दुकान चलाने लगी । मुझे एक वक्त लगा था की मां उस घटना के बाद दर से बाहर ही निकलना बंद कर देगी । पर कुछ दिनों में मां उस घटना से उभर आई आखिर घर भी उन्ही को चलाना था । वोही घर की जमीदारी मेरी और नानी देख भाल करना था ।



कब कैसे मगर धीरे धीरे खयाल आने लगा की बाबा तो नही हे अब तो मां को भी इस्सा होती होगी किसी मर्द के साथ चूदाई करने का । जब मां को सेक्स चढ़ती होगी तब मां क्या करती होगी । उंगली करती होगी या सायद सब्जी वगेरा जैसे मूली गाजर बैंगन डालती होगी ।



में ध्यान देने लगा जब भी उस तरह की सब्जी घर पर लाई जाती में गिनती करता की कितनी बनी है और कितनी रह गई हे हिसाब रखने लगा । और कही मां का बाहर शक्कर तो नही चल रहा है इस बात का भी खयाल रखने लगा ।



मैंने गौर किया जब से मां बाबा से अलग हुई हे तबसे मां और भी ज्यादा निडर हो गई है। उनके कपरे ढंग से पहनने की तरीके से में ये सोचता था मां आज भी संस्कारी ही है। वासना किसने नहीं होती सबमें होती है लेकिन इसके लिए वो कभी गलत नही करेगी ।

एक दिन में स्कूटी पर मां को सब्जी मंडी ले जाता हूं । बोहोत दिनों बाद में सब्जी मंडी गया था । मुझे नही पता था मां एक सब्जी की दुकान से कोई दिनों से उधर लेती हे और वोही से ज्यादातर सब्जी खरीदती हे और सब्जीवाले से अच्छी जान पहचान रख रखी हे।



जब मां मुझे उस सब्जी वाली दुकान पर ले गया तो सब्जीवाला हसमुख अंडाजे से बोला " अरे भाभी आज तो आपका बेटा भी आया हे "

मां बोली " हा घर पे खाली बैठा था ले के आ गया "



सब्जी वाला बोला " अच्छा किया इसी बहाने आपकी बेटे से मुलाकाद हो गई । कहिए क्या दूं सब फ्रेश फ्रेश आई है । और कहने की जरूरत अपना तो हर दिन फ्रेश ही रहता है "


मां और सब्जी वाला हास पड़े । में सब्जी वाले को गौर करने लगा । शरीर से तो काफी फीट दिख रहा था सावला सा ठीक ठाक दिखने वाला 30,35 उम्र वाला लग रहा था मूस रखने वाला जो बनियान और लुंगी में बैठा नीचे सब्जी की दुकान लगा के ।



मां तब तक सब्जी पर नजर डाल रही थी और बोली " प्याज एक किलो , आलू दो किलो लसुन पाओ किलो दे दो । और और आज के बैंगन इतने छोटे छोटे क्यू "


सब्जी वाला एक मुस्कान से बोला " क्या करे भाभी कभी कभी ऐसे ही सोए हुए मुरझाए हुए बैंगन आते है। वैसे आपको चाहिए तो कुछ हे जो हमेशा बड़ा ही रहता है । "


मां भी मुस्कुराती हे। में समझने की कशिश कर रहा था और सोच रहा था की मां और सब्जीवाला डबल मीनिंग बाते कर रहे हे क्या । पर मां ने मेरा सक दूर कर दिया ये इशारा कर के सब्जीवाले को की बेटा साथ में है। मां को लगा मुझे नहीं पता चलेगा पर मुझे पता चल गया ।


मां कहती है " ना भाई ना । बड़े बड़े बैंगन कीड़े लगे होते है और इतना ज्यादा बड़ा में खा भी नहीं पाती । ये तो खाता नही बैंगन की सब्जी और मां को भी अब पसंद नही हे "



सब्जी वाला बोला " तो ये मूली ले जाओ भाभी । बोलिए कौनसा वाला दूं ये लाल वाली या सफेद वाली "



मां भी मुस्कान से आंखे नचाती हुई बोली " सफेद वाले मजा नही अंदर खोखला होता हे इस लाल वाले में दम हे मजबूत और तीखा तीखा स्वाद आता हे। लाल वाला ही एक किलो दे दो "



सब्जी वाला भी सहर रहा था बड़ा " जैसा आप बोले भाभी "


मैंने देखा सब्जी वाला बड़ा ताड़ रहा था मां को । मां भी उस दिन पीले रंग की सारी और काले रंग की ब्लाउज पहनी हुई थी और बालों को रॉब से बांध रखी थी जरा भी मेकअप नही की हुई थी एक दम नेचुरल थी फिर भी खूबसूरत लग रही थी ।



जब सब्जी वाला सब्जी ठेले में पैक कर रहा तो मां बोली " अरे भाई यहां कोई बाथरूम होगा "


सब्जी वाला बोलने ही वाला था लेकिन कुछ सोच कर बोला "भाभी यहां आदमी लोगो का हे । आप ऐसा करिए मेरी दुकान के पीछे ही मेरी सब्जी रखने का छोटा सा गुडौन हे उसके सारों और दीवार हे और जगह भी तो आप वहा जाइए "



मां भी तुरंत मुझे बोली " बेटा तू सब्जी ले ले में दो मिनिट में आती हूं "


मां सब्जी वाले के दुकान पीछे गई । सब्जी वाला सब्जी ठेले में बांध के बोला " बेटा जाता रुकना में आलू की बोड़ी ले आता हूं "


में बस गर्दन हिलाया । सब्जी वाला अपनी दुकान के पीछे की रास्ते से गुदाम में चला गया । करीब 5 मिनिट हो गए पता नही क्यू मुझे अजीब अजीब खयाल आने लगे तो में भी उसकी दुकान के पीछे गया । थोड़ी दूर जा के मैने उसके गुदाम के सार दिवारी के अंदर घुसा मुझे कोई नही दिखा तो में पीछे की तरफ गया और मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी तो में तुरंत दीवार के सहारे चुप कर देखने लगा ।



और मेरा सक सही निकला । सब्जी वाला मां को पीछे से पकड़ रखा था मां की सारी कमर तक उठी हुई थी साइड मां पिचाब कर के उठी ही होगी तभी सब्जीवाले ने मां को पकड़ा होगा । मां सब्जीवाले की बाहों से निकलने की कशिश कर रही थी पर सब्जी वाला जोरों से पकड़ रखा था ।

मां कह रही थी " ये हरामि क्या कर रहा है तु। में चिल्लाऊंगी छोड़ दो मुझे "


सब्जी वाला भी बोला " भाभी क्यू नाटक कर रही हो । इतने महीनो से लाइन दे रही हो आज मौका मिला है। भाभी तुम्हारी कसम प्यार में पड़ गए हे तुम्हारे । थोड़ा सा प्यार सखने दो भाभी "



मां चटपटा रही थी " तो क्या मेरा बलात्कार करोगे । मुझे भी तुम अच्छे लगते हो लेकिन इसका मतलब यह तो नही तुम । हम बात करते हे छोड़ो पहले "


मां की नंगी चूतड़ उस सब्जी के लुंगी के ऊपर से ही उसके जांघों में धंसी हुई थी । सब्जी वाला सायेड मां की पूरी तरह से दीवाने बन गए थे । आज में रोक सकता था लेकिन पता नही क्यू देखने का मन किया की क्या होता हे आगे मां भी बोली हे की वो उसे पसंद करती है। दिमाग कह रहा था की मां को बचा लूं और दिल कह रहा था देख ही लूं क्या होता हे ।



सब्जी वाला हाथ ऊपर कर के मां की दोनों चूचियां मसलते हुए हवासी जानवर की तरह मां की पीठ पर मुंह रगड़ने लगा और चूमने लगा और गुरगुराते हुए बोलने लगा " उम्म्म भाभी क्या खुशबू है तुम्हारी पसीने के भी महक हे तुम्हारी "


मां आगे चलती हुई उससे छुटने की कशिश कर रही थी " नही नही अब्दुल भाई नही ऐसा मत करो उफ्फ कह रही हूं हम इस बारे में बात करते हे पहले "


सब्जीवाला बोला " नही बोहोत बात हो चुकी भाभी । मुझे भी पता हे तुम्हारे पति ने तुम्हे छोड़ दिया हे और तुम्हे पति का काम करने वाले की जरूरत हे कोई । आज फैसला हो ही जाए भाभी तुम भी देख लो में तुम्हारे पति का काम कर पता हूं की नही। "



मां जवान दे रही थी " नही मैने अपने पति को छोड़ा हे । अब्दुल भाई प्लीज बात सुन लो मेरी ऐसा ना करो उतावला हो कर "


मां दीवार पर हाथ रख देती है और छुटने के लिए झुकती हे मगर उसकी गलती थी । सब्जीवाला मौका देख कर अपनी लुंगी का गांठ खोल देता है उसकी लुंगी झट से नीचे गिर जाता है और वो कच्चा भी निचे कर देता है । मैंने देखा उसका काला लंद भयानक था काफी बड़ा और कुछ ज्यादा ही लंबा लग रहा था । उसने झट से मां की पैंटी नीचे कर देती है मां की पैंटी से सफेद पेद गिर जाता मतलब मां की मासिक चल रही थी ।


मां उस सब्जी वाले का लंद अपनी चूतड़ पर महसूस करती हुई गुस्से में बोली " कामिना नही। अब्दुल भाई में चिल्ला कर हल्ला मचा दूंगी "


पर सांजीवाला मां की किसी भी बात की परवा नहीं थी उसने अपने लंद पे थूक लगाया और मां की चूत पर निशाना लगाने लगा मां इधर उधर कमर हिलाती हुई विरोध करने लगी " नहीं अब्दुल भाई नही। "


पर सब्जी वाले ने एक धक्का लगा कर लंद मां की चूत में घुसा ही दिया और आकक्कक कर के मुंह से आवाज निकलती हुई सर ऊपर के झटका खा गई और दोनो हाथ दीवार पर रख दी सहारे के लिए उसकी बंद आंखो से आसूं बहने लगे ।


ये देख कर सब्जी वाला रुक कर मां की गर्दन चूम चूम कर और मां की चूचियां दबा दबा कर प्यार से बोलने लगा " कोई बात नहीं थोड़ा सा ही दर्द होगा में आराम से करूंगा ।"



मां कराहती हुई बोली " अब्दुल भाई उह्ह्ह में । आह्ह्हह्ह मेरी पीरियड चल रही हे और तुम । बोहोत घटिया हो बोहोत "


सब्जीवाला मां की गाल चूमते हुए बोला " बस थोड़ा सा ही दर्द होगा अभी तुम्हे मजा आयेगा । आज में तेरा पति हा । बोहोत अच्छे से प्यार दूंगा आज "



सब्जीवाला अब धीरे धीरे से धक्का देने लगा और मां मुंह भींचने लगी " उई मां उई मां उई मां दर्द होता हे आह्ह्ह्ह्ह निकलो । नही छोड़ दो मुझे "




एक जवान 19 साल लड़का अपनी मां को एक सब्जीवाले से चुदते देख रहा था उसकी मां उसके सामने ही एक सब्जीवाले की बड़े लंद चूत पर लेटी हुई बिलबिला रही थी क्या दृश्य होगा । मेरी सांस रुक गई थी एक अजीब सा महसूस हो रहा था खुद को एहसास नहीं था की कैसा फील हो रहा था ।



सब्जी वाला मां को चोदे जा रहा था धीरे धीरे मां कराह रही थी अपनी होठ दबाती हुई मुंह की आवाज मुंह में रखने की कशिश कर रही थी ।



सब्जी वाला मां से पूछता है " मजा आ रहा हे ना । और मजा भाभी तुम्हे "



मां कुछ नही बोलती तो सब्जी वाला फिर पूछा " बोलो ना भाभी मजा आ रहा हे की नही"



तब मां गुस्से से बोलती है " आअह्ह्ह्ह क्या खाक मजा आ रहा हे। दर्द हो रहा हे मुझे मूड ही नही है"



सब्जी वाला बोला " अच्छा मूड बनाते हे"


वो मां की चूत से लंद निकला और मां अपनी कपरे ठीक करती हुई बोली " अब्दुल जो हुआ भूल जाओ । बाद में बात करूंगी में चलती हूं "


सब्जी वाले की लंद पर मां की मासिक चल रही चूत की खून से सना हुआ था । वो मां को गोदी मे उठाते हे " ऐसे कैसे भाभी "



मां विरोध करने लगी " नही नही अब्दुल भाई नही बोहोत हो गया जाने दो"



अब्दुल भाई मां को सायद गुदाम में ले जाने लगे मुझे लगा की में पकड़ा गया पर सब्जी वाला उस तरफ से मां को गोद में उठा कर ले जाने लगे ।



और मां को गुदाम के अंदर ले जा कर बोड़ीयो के ऊपर लिटा दिया था । दरवाजा भी बंद कर दिया था मगर में बांस से बने दीवार के छेद से अच्छे से देखने लगा । मां विरोध कर रही थी ।



सब्जी वाला मां की ब्लाउज के हूक खोलने लगा " तुम मुझे अपनी आम दिखाने के लिए ब्रा नेही पहन कर आती हो ना । आज बेटा था इसलिए झुक कर सब्जी नही ली ना । नही तो दिखा दिखा कर मेरी जान लेती हो पता हे कितना आग लगती हे मेरे बैंगन जल जाते हे "


बात सच थी इलसिए मां की भी हसी निकल जाती है।  सब्जी वाला धीरे धीरे मां को मनाने लगा और मां की दोनो चूचियां हाथों में ले के चूसने लगा " उम्म्म्म कितने मोटे मोटे आम हे तुम्हारे "



मां भी विरोध नही करती और सब्जी वाला मां की चूची चूसते चूसते मां की टांगे फैला कर अपना लंद घुसा ही देता है और जोर से धक्का मारता हे मां एक दम से चीख पड़ी और बोली " आईआईआईआई । उफ्फ फट गई । प्लीज रहम अब्दुल भाई आधा आधा करो । लगती हे "


सब्जी वाला थोड़ा कमर उठा के फिर झटका मारता हे " तुम्हे भी तो पता चलना चाहिए ना की ये अब्दुल तुम्हारे पति बनने लायक हे की नही"



मां भी दर्द के कारण खुल कर जवाब देती है " हा हा। अब्दुल भाई । आह प्लीज बोहोत दुखता हे रे । मासिक चल रही हे ना समझिए अब्दुल भाई । लग रही हे "


अब्दुल भाई मां की होठ चूसना चाहता था मगर मां मुंह फेर लेती हे। तो अब्दुल भाई मां को प्यार से बाहों में भर मां की चेहरे को चूम चूम के बोला " कहा लगती हे । "


मां भी उसे अपने बाहों में जकड़ कर कहती है " उफ्फ और कहा अंदर । गहराई में "


सब्जी वाला अभी भी रुका हुआ था " हफ्ते में तीन दिन आना और इस गुदाम में अपने यार से चूद के जाना ठीक है। तू भी खुश में भी खुश "


मां शर्मा जाती है " छी अब्दुल भाई इतनी गन्दी बाते मत करिए "


सब्जी वाला जोर से तगड़ा धक्का मारता हे " बोल आ के चुदके जायेगी की नही "



मां कराहती हुई जवाब देती है " हांहहह हा । हा आऊंगी आऊंगी । आह्ह्ह् प्लीज आधा आधा करिए ना "


सब्जी वाला धीरे धीरे मां को चोदते हुए पूछा " ये आधा आधा क्या होता हे "



मां बोली " उफ्फ आप भी ना । आअह्ह्हह्ह बड़े वो हो । आप वो आधा घुसा के करिए ना दर्द होता हे सच में "



सब्जी वाला अब अपने लंद के सुपाड़ा घुसा के अंदर बाहर करते हुए बोला " ऐसे "



मां को भी मजा आ रहा था अब और वो मोधोसी आखों से सब्जी वाले को देख कर कहती है " हा ऐसे अब्दुल भाई । आह्ह्हह्ह मजा आता हे सच में आपका बोहोत बड़ा हे "



सब्जी वाला अचानक मां की चूत में तगड़े तगड़े धक्का मार कर अपने लंद जड़ तक घुसा के बाहर निकालते हुए बोला " ऐसे कैसे । तुम्हे भी तो याद रहना चाहिए ना की पहली बार तुम्हारे यार ने तुम्हारी चूत की बजा बजाई हे तभी तो पति मानोगी "


मां सब्जी वाले के पीठ खरोचती गई और अपनी आवाज दबा के रखने की कशिश करती हुई आहे भरने लगी । मां को दर्द हो रहा था उसकी चेहरे पर दिख रही थी । सब्जी वाला मां को चूम चूम के चोदता गया ।



और कूछी देर में सब्जी वाले की हवस ठंडी पर गई । मुझे लगा अब मुझे चलना चाहिए । में वाहा से भागा और स्कूटी ले कर घर चला गया अगर मां पूछेगी तो में बोल दूंगा की आपको ढूंढ रहा था आप मिली नही मुझे लगा की आप घर चली गई हो।
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RE: रेलयात्रा मां-बाबा और मैं (समाप्त) - by Youngsters - 08-03-2023, 10:10 PM



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