07-03-2023, 12:04 AM
अशोक - पदमा ,पदमा ... कहाँ खोई हो ?
मैं - अअ ... कहीं नहीं .. आप आ गए । बोहोत देर लगा दी ... कहाँ रह गए थे ?
अशोक - अरे बस एसे ही एक जानने वाला मिल गया था ।
मैं - अच्छा ... चलिए आप बैठिए मैं नाश्ता बनाती हूँ ?
उसके बाद मैं कीचेन मे बिजी हो गई और अशोक के लिए नाश्ता बनाने लगी ।
11 बजे का वक्त था । मैं और अशोक दोनों हॉल मे सोफ़े पर बैठे हुए थे । अशोक एक मूवी देख रहे थे , मेरी उस मूवी को देखने मे कोई दिलचस्पी नहीं थी । सामने टेबल पर आज का अखबार रखा था , जिसे आज सुबह से ही ना ही मैंने ना ही अशोक ने खोला था । मैंने बस यूँ ही वो अखबार उठा लिया और ऐसे ही हेडलाइन्स पढ़ते हुए उसके पेज पलटने लगी और फिर एक ऐसी खबर पर मेरी नजर गई जिसने इस पूरी कहानी को मोड कर रख दिया .....
मुझे आज भी अच्छी तरह याद है , पेज नंबर 3 पर शुरुवात मे ही लिखी हुई वो खबर , " होटल ग्रीन-सी के रूम नंबर 321 मे हुआ एक कत्ल , सिक्युरिटी को संदिग्ध महिला की तलाश " जैसे ही मैंने ये न्यूज पढ़ी ,मेरी भोंहे तन गई । जल्दी-जल्दी मे मैंने पूरी खबर पढ़ी उसमे कुछ यूँ लिखा था ...
" होटल ग्रीन-सी मे कल शाम लगभग 5 बजे एक कत्ल हो गया । मृतक का नाम नितिन बताया गया है जिसकी कल शाम उसी के रूम मे किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी । होटल के स्टाफ ने सिक्युरिटी को बताया की मृतक से मिलने दोपहर मे एक औरत आई थी । फिलहाल सिक्युरिटी को उस अज्ञात औरत की तलाश है ........ "
मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी और मेरी साँस फूल गई । मुझे लगा कि बेहोश होने वाली हूँ ।
मैंने काँपते हुए हाथों से अखबार को वापस टेबल पर रखा और टेबल पर रखी पानी की बोतल से पानी पीकर अपने आप को थोड़ा संभालने की कोशिश की । मेरे लिए हॉल मे बैठे रहना मुश्किल हो गया , मैं वहाँ से उठकर बेडरूम मे जाने लगी तभी अशोक ने पीछे से मुझे टोका .....
अशोक - अरे क्या हुआ ..कहाँ जा रही हो ?
मैं (घबराहट के मारे लगभग बिल्कुल काँपते हुए ) - ककक् ....... कुछ नहीं मेरी तबीयत कुछ ठीक सी नहीं है , मैं बेडरूम मे आराम करने जा रही हूँ ।
इसके बाद अशोक ने कोई ओर सवाल नहीं किया और मैं भी दिल की धड़कनों को सम्हालते हुए बेडरूम मे आ गई अन्दर बेडरूम आते ही मैंने दरवाजा भीड़ा दिया और खुद उसके ऊपर अपनी पीठ लगाकर खड़ी हो गई ... और लंबी-लंबी साँस लेने लगी ताकि घुटन ना हो जाए
" ये मुझसे क्या हो गया .....?"
"अब क्या होगा ... ?"
" नितिन का खून किसने किया होगा ?"
" किसी ने भी किया ... अब फँस तो मैं गई हूँ .. "
" नितिन का फोन मिलते ही सिक्युरिटी को पता चल जाएगा कि मैं ही उससे मिलने गई थी ... और वो मुझे उसका कातिल समझ कर जेल मे डाल देंगे । "
" अब मैं क्या करूँ .... क्या होगा मेरा ...अशोक को क्या कहूँगी क्या करने गई थी मैं वहाँ ???"
एक के बाद एक मैंने जीतने बुरे परिणाम हो सकते थे सभी सोच डाले । बड़ी मुश्किल जैसे-तैसे करके मैं बेड तक गई ओर डर और घबराहट के मारे बेड पर बैठकर रोने लगी ..
उस समय मुझे कुछ भी सही नजर नहीं आ रहा था ऐसा लग रहा था कि मेरा समय पूरा हो गया है , अब मुझे जेल जाना ही पड़ेगा और उसपर कितनी बदनामी होगी । मेरी , अशोक की , हम दोनों के परिवार की ।
और उससे भी बड़ा सवाल ये था , नितिन को किसने ? और क्यूँ मारा ?
मैं - अअ ... कहीं नहीं .. आप आ गए । बोहोत देर लगा दी ... कहाँ रह गए थे ?
अशोक - अरे बस एसे ही एक जानने वाला मिल गया था ।
मैं - अच्छा ... चलिए आप बैठिए मैं नाश्ता बनाती हूँ ?
उसके बाद मैं कीचेन मे बिजी हो गई और अशोक के लिए नाश्ता बनाने लगी ।
11 बजे का वक्त था । मैं और अशोक दोनों हॉल मे सोफ़े पर बैठे हुए थे । अशोक एक मूवी देख रहे थे , मेरी उस मूवी को देखने मे कोई दिलचस्पी नहीं थी । सामने टेबल पर आज का अखबार रखा था , जिसे आज सुबह से ही ना ही मैंने ना ही अशोक ने खोला था । मैंने बस यूँ ही वो अखबार उठा लिया और ऐसे ही हेडलाइन्स पढ़ते हुए उसके पेज पलटने लगी और फिर एक ऐसी खबर पर मेरी नजर गई जिसने इस पूरी कहानी को मोड कर रख दिया .....
मुझे आज भी अच्छी तरह याद है , पेज नंबर 3 पर शुरुवात मे ही लिखी हुई वो खबर , " होटल ग्रीन-सी के रूम नंबर 321 मे हुआ एक कत्ल , सिक्युरिटी को संदिग्ध महिला की तलाश " जैसे ही मैंने ये न्यूज पढ़ी ,मेरी भोंहे तन गई । जल्दी-जल्दी मे मैंने पूरी खबर पढ़ी उसमे कुछ यूँ लिखा था ...
" होटल ग्रीन-सी मे कल शाम लगभग 5 बजे एक कत्ल हो गया । मृतक का नाम नितिन बताया गया है जिसकी कल शाम उसी के रूम मे किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी । होटल के स्टाफ ने सिक्युरिटी को बताया की मृतक से मिलने दोपहर मे एक औरत आई थी । फिलहाल सिक्युरिटी को उस अज्ञात औरत की तलाश है ........ "
मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी और मेरी साँस फूल गई । मुझे लगा कि बेहोश होने वाली हूँ ।
मैंने काँपते हुए हाथों से अखबार को वापस टेबल पर रखा और टेबल पर रखी पानी की बोतल से पानी पीकर अपने आप को थोड़ा संभालने की कोशिश की । मेरे लिए हॉल मे बैठे रहना मुश्किल हो गया , मैं वहाँ से उठकर बेडरूम मे जाने लगी तभी अशोक ने पीछे से मुझे टोका .....
अशोक - अरे क्या हुआ ..कहाँ जा रही हो ?
मैं (घबराहट के मारे लगभग बिल्कुल काँपते हुए ) - ककक् ....... कुछ नहीं मेरी तबीयत कुछ ठीक सी नहीं है , मैं बेडरूम मे आराम करने जा रही हूँ ।
इसके बाद अशोक ने कोई ओर सवाल नहीं किया और मैं भी दिल की धड़कनों को सम्हालते हुए बेडरूम मे आ गई अन्दर बेडरूम आते ही मैंने दरवाजा भीड़ा दिया और खुद उसके ऊपर अपनी पीठ लगाकर खड़ी हो गई ... और लंबी-लंबी साँस लेने लगी ताकि घुटन ना हो जाए
" ये मुझसे क्या हो गया .....?"
"अब क्या होगा ... ?"
" नितिन का खून किसने किया होगा ?"
" किसी ने भी किया ... अब फँस तो मैं गई हूँ .. "
" नितिन का फोन मिलते ही सिक्युरिटी को पता चल जाएगा कि मैं ही उससे मिलने गई थी ... और वो मुझे उसका कातिल समझ कर जेल मे डाल देंगे । "
" अब मैं क्या करूँ .... क्या होगा मेरा ...अशोक को क्या कहूँगी क्या करने गई थी मैं वहाँ ???"
एक के बाद एक मैंने जीतने बुरे परिणाम हो सकते थे सभी सोच डाले । बड़ी मुश्किल जैसे-तैसे करके मैं बेड तक गई ओर डर और घबराहट के मारे बेड पर बैठकर रोने लगी ..
उस समय मुझे कुछ भी सही नजर नहीं आ रहा था ऐसा लग रहा था कि मेरा समय पूरा हो गया है , अब मुझे जेल जाना ही पड़ेगा और उसपर कितनी बदनामी होगी । मेरी , अशोक की , हम दोनों के परिवार की ।
और उससे भी बड़ा सवाल ये था , नितिन को किसने ? और क्यूँ मारा ?